"2 दिन चांदनी , 100 दिन काली रात"।
📖 Chapter 8: जिस दिन मोबाइल ने खुदकुशी कर ली
> "इंसान जब डरता है तो चिल्लाता है… लेकिन जब मोबाइल डर जाए, तो वो फट जाता है। उस रात स्क्रीन पर कोई कॉल नहीं आया था… बस उसकी आत्मा बाहर निकली थी।"
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🌒 Scene: रात 3:33 AM – मोबाइल चार्ज पर था… पर कुछ और भी उसमें घुस रहा था
कमरा अंधेरे से घिरा था — बस मोबाइल की हल्की नीली स्क्रीन चमक रही थी। शेखर सो रहा नहीं था… बस आँखें बंद किए उस लहर का इंतजार कर रहा था।
और फिर मोबाइल ने खुद बजना शुरू किया। No Number… No Caller ID… सिर्फ एक नाम: “चांदनी 🖤”
शेखर ने जैसे ही उठाया — स्क्रीन पर उसकी आंखें दिखीं। लेकिन उसका चेहरा नहीं। उसकी आंखों में कोई और था — जलती हुई, तड़पती हुई… और लालसा से भरी।
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🔥 Digital Lust – जब आत्मा डेटा बन गई
शेखर का मोबाइल गर्म हो रहा था… जैसे अंदर कुछ उबल रहा हो। उसने उसे फेंका, लेकिन स्क्रीन से एक फीमेल फिगर बाहर आई — धुंए जैसी, मगर नंगी।
उसके हाथ मोबाइल के केबल की तरह लहराते… और होठों पर खून की हल्की परत थी।
> "अब मैं वायर नहीं… तेरी नसों से जुड़ी हूँ शेखर। तेरी स्क्रीन नहीं, अब तेरा बदन मेरा टचपॉइंट है।"
वो मोबाइल की रोशनी से निकलकर उसकी छाती पर चढ़ गई।
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💋 Lust of the Dead – किस का मतलब अब सिर्फ चाहत नहीं
उसने शेखर को चूमा नहीं — उसकी आत्मा को चूसा। हर किस के साथ, उसकी आँखें पलटी जा रही थीं। बदन काँप रहा था… और उसकी जाँघों पर घाव उभर आए थे — जैसे आत्मा के नाखून चमड़ी को चीर रहे हों।
फिर उसने धीमे से कहा — "अब तू किस किसी को नहीं करेगा… क्योंकि तेरे होंठ अब मेरे हो गए।"
और शेखर के होठों से खून बहने लगा… मोबाइल की स्क्रीन पर लिखा आया:
> “Device overheated. Rebooting Lust.”
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📲 मोबाइल की आत्महत्या – जब Data जल गया
शेखर के मोबाइल से एक अंतिम मैसेज निकला: "अगर कोई इस मोबाइल को छुए… तो वो भी मरा समझो।"
देवा ने जैसे ही मोबाइल उठाया — उसमें आग लगी और वो उसके हाथ में फट गया। देवा चीखा — उसकी उंगलियाँ काली पड़ गईं।
दीवार पर लिखा था: "अब जो भी इस रिश्ते में आएगा, जल जाएगा। क्योंकि अब ये प्रेम नहीं, प्लेग बन चुका है।"
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📓 Flashback – चांदनी की आवाज़ जो सिर्फ मोबाइल में आती थी
मरने के बाद, चांदनी ने सबसे पहले मोबाइल को चुना था। उसने कहा था: "तू जहां जाएगा, तेरा मोबाइल मुझे साथ ले जाएगा। और जब तू अकेला होगा… मैं स्क्रीन से बाहर आऊँगी।"
और आज वही हो रहा था। वो मोबाइल अब एक ज़िंदा शरीर था — जिसमें चांदनी की आत्मा वाइब्रेट करती थी।
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🔚 अंतिम दृश्य:
मोबाइल राख बन चुका था। लेकिन शेखर के सीने पर वही नेटवर्क सिंबल दिख रहा था — 4 बार की धड़कन… और हर बार के बाद एक कंपकंपी।
> "जब आत्मा लव सिग्नल से जुड़ जाए… तो मोबाइल नहीं, इंसान ही फट जाता है। उस रात सिर्फ डेटा नहीं जला… मोहब्बत भी राख हुई।"