Bandhan pyar ka - 13 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 13

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बन्धन प्यार का - 13

नरेश और हिना लौट आये
"आज क्या सूरज अपना रास्ता भूल गया,"हिना, नाजिया को देखकर बोली थी।नाजिया बंगला देश से थी, जो पहले पाकिस्तान का हिस्सा था।वह लेटकमरथी।ऑफिस में सबसे बाद में भागती दौड़ती आती थी।आज उसे सबसे पहले ऑफिस में देखकर हिना ने कहा था।
"ताना मार रही है"नाजिया हिना का इशारा समझ गयी थी।
"अब पूछना तो पड़ेगा ही
"यार बात ऐसी है।मैं शाम को भी लेट गयी थी।फिर भी कुछ काम रह गया था।बॉस को सुबह ही यह फ़ाइल देनी है।उसे पूरा करने के लिए जल्दी आना पड़ा
"चाय
चाय के कप मेज पर रखते हुए जॉन बोला था
"आज चाय अभी क्यो"हिना ने जॉन से पूछा था
"नाजिया मिस ने
"जल्दी आने के चक्कर मे घर पर चाय नही बना पाई,"नाजिया ने चाय का कप हाथ मे लेकर अपनी पीठ कुर्सी से लगाई थी।चाय का घूट भरते समय उसकी नजर हिना के चेहरे पर गयी थी उसकी तरफ देखते हुए वह बोली,"आज तू खिली खिली नजर आ रही है
"क्या और दिन में मुरझाई हुई रहती हूँ
"नही।लेकिन आज तेरे चेहरे से नूर टपक रहा है
"तुझे पता नही क्या क्या नजर आ रहा है मेरे चेहरे पर
हिना ने चाय पीने के लिए ज्यो ही कप अपने हाथ मे लिया नाजिया की नजर उसकी उंगली पर गयी।वह चाय का कप नीचे रखते हुए उसके हाथ को अपने हाथ मे लेते हुए बोली,"अंगूठी।कब खरीदी।सूंदर है
"मैने नही खरीदी
"फिर
"मुझे दी है
"किसने
"नरेश ने
"यह नरेश कौन है
"मेरा फ्रेंड
"तूने पहले कभी नरेश के बारे में बताया नही
"कभी बात ही नही चली
"तेरा दोस्त कहा का है
"भारत
"उससे तेरी दोस्ती कैसे हुई
हिना ने नाजिया को बताया था वे कैसे मिले और उनकी दोस्ती हुई
ऑफिस में धीरे धीरे सब लोग आ गए थे।सभी अपनी अपनी जगह पर बैठकर काम मे व्यस्त हो गए थे।नाजिया और हिना की सीट पास पास ही थी।इस ऑफिस में ये दो ही औरते थी बाकी सब मर्द थे।चाय पीने के साथ नाजिया अपना काम करने के साथ हिना से बात भी कर रही थी।नाजिया अंगूठी देखकर वह बोली,"सुंदर है।लेकिन उसने तुझे क्यो दी है
"नरेश ने मुझे प्रपोज किया है
"हाय री तेरी किस्मत।हम तो कब से ख्वाब देख रहे हैं लेकिन कोई कम्भख्त नही मिला जो मुझे प्रपोज करता
"अभी तेरी कौनसी उम्र निकल गयी।जवान है।हसीन है।कमाऊ है।जरूर मिलेगा जो तुझे भी प्रपोज करेगा
"हम ििइंतजत करेंगे कयामत तक
"मिस नाजिया बॉस आ गये।आपको बुलाया है"बॉस के पियोन ने नाजिया से आकर कहा था
"तेरे से आकर बात करूँगी।"नाजिया बॉस के पास चली गयी थी
हिना अपने कम्प्यूटर पर काम करने लगी।ऑफिस के सभी लोग अपने अपने काम मे बिजी थे।बॉस जब अपने चेम्बर में होते तब सब चुप चाप काम करते रहते।वह नही होते तब खुसर पुसर होती रहती थी।
यू तो हिना जरूरत पड़ने पर मर्दो से भी बात करती थी।वैसे उसकी नाजिया से ही ज्यादा पटती थी।नाजिया का स्वभाव हिना से अलग था।वह मर्दो से भी खूब हंसी मजाक और बाते करती थी।
और नाजिया काफी देर बाद बॉस के चेम्बर से लौटी थी।
"बड़ी देर लगा दी?"हिना ने उसके वापस आने पर पूछा था
"बॉस को तुम जानती हो।जब तक बाल की खाल न निकाल ले पीछा नही व छोड़ते
"अब हो गया या रह गया अब भी
"नही।उस फ़ाइल का काम पूरा हो गया