सत्या की नजर आयुषी पर पड़ गई और वो उसे देखता रह गया ।
आयुषी उस बच्ची का मासूम सा चेहरा देखकर मुस्कराने लगी ।
वो उसके पास बैठी और उसका सर मसलकर बोली : " ओ हो ज्यादा तो नही लगी ?"
" नही, नही दीदी आप तो बहुत अच्छी हो " उस बच्ची को आयुषी के हाथ बहुत अच्छे लगे ।
उस बच्ची ने आयुषी के हाथ पकड़कर कहा : " आपके हाथ बहुत अच्छे है दीदी "
आयुषी ने मुस्कराकर उसकी नाक खींचकर कहा : " अच्छा आपके हाथ भी बहुत अच्छे है "
आयुषी को मुस्कराते हुए देखकर उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई । ये मुस्कान कोई नही देख पाया क्योंकि उसका चेहरा खिड़की के बाहर की तरफ था ।
सत्या के साथ जो आदमी बैठा था । उसने भी आयुषी को देख लिया था और उसकी नजर आयुषी से हट ही नही रही थी ।
" दीदी आप बहुत सुंदर हो ? क्या मै आपके गालो पर किस कर सकती हूं " उस बच्ची ने मासूमियत से पूछा ।
आयुषी ने मुस्कराते हुए अपना गाल आगे कर दिया । उस लड़की ने गालो मे किस की और खुद शर्माने लगी । उसे ऐसे शर्माता देख आयुषी खुदको हसँने से रोक नही पाई और सत्या जो गाडी़ मे बैठा था । जब उसने आयुषी को हसँता देखा तो उसकी नीली आँखों मे चमक आ गई ।
उधर सत्या के बगल बैठा आदमी हवस भरी आँखों से आयुषी के होंठो को देख रहा था । उस लड़की के साथ दो तीन बच्चे और थे ।
उन्होंने उसे आवाज लगाई ।
" दीदी मै जाती हूं बाय " वो बच्ची हाथ हिलाकर बोली ।
आयुषी खडी़ हुई और " बाय " कहा ।
उधर लड़की गई और सिगनल भी हट गया और गाडी़ चलने लगी ।
सत्या और उस आदमी की नजर अभी तक आयुषी पर थी ।
सत्या आयुषी का मुस्कराता चेहरा देख उसी मे खोया था जैसे ये मुस्कराहट उसके लिए कीमती थी और वो पहली बार किसी को सिर्फ हसँता हुआ देखना चाहता था । उधर करन जिसे ब्रेसलेट याद आया ।
उसने अपने मन मे सोचते हुए कहा : " ये सर कार क्यों नही रूकवा रहे ब्रेसलेट नही देना क्या ? ( फिर वो मू बनाकर मन मे बोला ) फिर खुद देंखेगे और गुस्सा करेंगे मुझपर "
सत्या ने आयुषी की आवाज सुन ली थी और वो समझ गया था उस दिन यही वो लड़की थी जिसकी चुन्नी उसपर उड़कर आई थी ।
वो आदमी लस्ट भरी नजरो से आयुषी के शरीर को देखकर बुदबुदाया : " हाय ये लड़की मुझे मिल जाए तो मेरी राते बन जाए "
वो आयुषी के शरिर के बारे मे गंदी गंदी बाते बोलने लगा, अपनी हवस मे वो ये भूल गया था की वो सत्या के बगल मे बैठा है जिसने उसकी सारी बाते सुन ली थी । गाडी़ काफी आगे निकल गई । वो आदमी मुस्करा रहा था । आयुषी यू ट्रन लेकर सामान लेने लगी ।
उधर सत्या की नीली आँखें आग उगलने के लिए तैयार थी । उसने उस आदमी को देखा , उसकी हँसी एक पल मे गायब हो गई ।
" स, साह..साहब वो.." आदमी लड़खडा़ती आवाज मे बोला ।
जैसे उसकी कर्कश आवाज से सत्या के गुस्से को हवा मिल गई ।उसने एक झटके से उसे आगे फेंक दिया । गाड़ी एकदम से रूक गई और कार का शिशा चक्कना चूर हो गया । सब लोग जो वहा चल रहे थे आचानक से थहर गए । सारी गाडि़या रूक गई । वहा भीड़ ने गोले का आकार ले लिया ।
सत्या आग उगलती आँखों से उतरा और सामने पडा़ इंसान दर्द मे बिलक रहा था क्योंकि उसके शरीर मे जगह जगह काच धंस गए थे, सत्या उसे घूरता रहा । सब लोग सत्या और उस आदमी को देखकर बाते बनाने लगे तो कुछ विडियो ।
सत्या अपनी कर्कश आवाज मे उस आदमी को घूरकर बोला : " क्या कहा तूने ?"
वो आदमी रेंगता हुआ पीछे जाने लगा ,और दर्द से बोला : " साह, साहब वो ..."
इससे पहले वो पूरा कहता सत्या ने काच के टूकडे़ उठाकर उसकी दोनों आँखों मे धस दिए ।
" आआआ ......." उस आदमी के चिल्लाने की आवाज उस सन्नाटे को चीरते हुए गुंजने लगी ।
ये आवाज काफी दूर तक गई जिससे सबकी रूह कांप गई और जो लोग विडियो बना रहे थे वो भी कांप उठे । आयुषी को भी ये आवाज आई ।
" ये कैसी आवाज थी ?" उसने एक दम से इधर उधर देखकर कहा ।
सामने दुकानदार डर से कांपकर बोला : " लगता है फिर किसी की मौत आई है "
दुकानदार की बात सुनकर आयुषी ने हैरानी से पूछा : " क्या मतलब ?"
आदमी ने उसे देखकर जवाब दिया : " सत्या के आदमियों का कहर है ये , लगता है तुम नई आई हो इसलिए नही जानती पर मेरी बात ध्यान से सुन लो किसी से भी तकरा जाना पर उस जानवर सत्या से नही , ना ही उसके आदमियों से "
आयुषी कहने लगी थी पर उस दुकानदार ने बात बदलते हुए कहा : " अच्छा ये छोडो़ तुम बताओ क्या लेना है ?"
आयुषी कुछ देर के लिए खामोश हो गई पर फिर वो अपना सामान लेने लगी ।
दुसरी तरफ सत्या ने उस आदमी को देखकर कहा : " तेरी इन्हीं नजरो ने उसे देखा था ना, अब तूने देखने का हक खो दिया है "
वो आदमी अभी भी दर्द से बिलक रहा था ।
पीछे खडा़ करन मन मे बुदबुदाया : " अब इस जल्लाद को क्या हुआ ? ऐसा क्या किया इस आदमी ने जो इसे मार रहे है ?"
सत्या ने एक झटके मे एक और कांच उसके मू मे धंस दिया । इस बार भी उसकी चीख निकली पर कांच होने की वजह से ज्यादा नही आ पाई । पीछे वाली गाडी़ मे अनवर असलम राजवीर तीनो आ रहे थे । सत्या की गाड़ी जब रूकी तो उन लोगो ने भी पीछे से गाड़ी रोक दी और वो भी करन के बगल मे खडे़ होकर सत्या का रौद्र रूप देखने लगे ।
उस आदमी की ऐसी हालत देखकर ।
" या अल्लाह " अनवर के मू से निकला ।
असलम ने उस आदमी को देखकर कहा : " मुझे मालूम था ये अपनी हरकतों से मारा जाएगा पर इतनी जल्दी ये नही पता था "
" क्या मतलब ? क्या किया इसने ?" अनवर ने पूछा ।
असलम ने आयुषी को देख लिया था इसलिए वो समझ गया था की जरूर इस आदमी ने अपनी हवस के चलते आयुषी के लिए कुछ गंदा ही बोला होंगा और वो अपनी हवस मे ये भी भूल गया होंगा की वो अपने साहब यानी सत्या के बगल मे बैठा है ।
अनवर ने जब असलम से पूछा की वो किस बारे मे बात कर रहा है तो वो बोला : " तुम्हें तो याद है वो लड़की जो अपने कपडे़ लेने आई थी "
" हा वोई मासूम सी भोली सी लड़की जिसका ब्रेसलेट छूट गया था " करन ने असलम को देखकर कहा ।
असलम ने उस आदमी को देखकर अपनी बात पूरी कर कहा : " हा तब इस आदमी की नजर उसपर पड़ गई मैने मना किया था की ये ऐसा कुछ ना करे जिससे साहब को गुस्सा आ जाए पर मुझे पूरा यकीन है, इसने पक्का कुछ ऐसा कहा या किया होंगा जो किसी को भी एक लड़की के बारे मे नही कहना चाहिए और फिर ये भूल गया था की ये साहब के बगल मे बैठा है ।
"और अब इसका नतीजा तुम सब जानते ही हो " असलम के साथ बाकी सबने आगे देखा ।
" हा " करन सामने उस इंसान को देखकर बुदबुदाया ।
सत्या ने अपने पैर से उस आदमी के मू मे जो कांच था वो धंसा और बोला : " तेरी जुबान से वो शब्द निकले कैसे ? क्या तूझे नही मालूम तू किस इंसान के लिए काम करता है "
" जमींन मे चारो तरफ खून खून हो गया था सबके चेहरे पर डर के भाव थे । सत्या कभी आँखों मे धंसे काच को अपने पैरो से और धंसता तो कभी हाथ मे धंसे हुए कांच को ।
उसकी दोनों आँखों से, मू से और पूरे शरीर से सिर्फ खून निकल रहा था । वो मंजर मौत से भी बत्तर था । कुछ देर बाद जलती आँख लेकर उसने सामने देखा । सब लोग ऐसे आचानक उसके घूरने से डरकर दो कदम पीछे हट गए ।
" करन " सत्या चिल्लाया और सब लोग डरकर और भी पीछे हो गए और कुछ भाग गए ।
करन असलम और राजवीर तीनो ने वहा जितने लोग रिकोर्डिंग बना रहे थे सबके फोन छीनकर नीचे फेंक दिए । किसी ने सामने खडे़ बेहरम सत्या के डर से दे दिए तो किसी से छीन लिए ।
एक लड़का जो डर छुपाकर हिम्मत करके बोला : " कौन हो तुम ? और ऐसे सबके सामने इस आदमी को ऐसी बेहरम मौत देकर तुम्हें क्या लगता है तुम बच जाओगे, बिल्कुल भी नही मै पुलिस मे जाऊंगा "
सत्या ने अपनी खौफनाक आँखों से उसे देखा तो एक पल के लिए वो लड़का डर गया पर फिर डर छुपाकर पुलिस को फोन करने लगा ।
सत्या ने कांच को दबाया तो वो जमींन मे पडा़ इंसान बिलक उठा और उधर लड़के के हाथ मे कंपकपी हो गई । उसने थूक निगलकर उसे देखा ।
" ऐ लड़के ज्यादा होशियारी मत कर जानता है कौन है ये " अनवर उस लड़के को धमाकर बोला ।
" क.. कौन ?" वो लड़का कंपकपी से बोला ।
" सत्या " अनवर के कहने से वो सब दहशत मे आ गए ।
उन्होंने सत्या को कभी नही देखा था पर नाम सुना था । उस लड़के के हाथ से फोन छुट गया ।
सत्या ने उन सबको गुस्से से घूरकर कहा : " अगर किसी ने इसे होस्पिटल पहुंचाया तो उसे मरगट ( शमशान घाट ) जाने से कोई नही रोक सकता "
ये कहकर उसने अपना पैर हटाया और गाडी़ मे बैठ गया । करन और उसके बाकी आदमी गाडी़ मे बैठ गए और गाडी़ आगे निकल गई । सत्या का एक आदमी वही खडा़ था । सब उसे देखकर डर रहे थे किसी की हिम्मत नही थी उस तड़पते हुए इंसान को होस्पिटल ले जाने की । वहा कुछ लोग बाते कर रहे थे तो कोई सत्या के डर से चला गया ।
एक आदमी डर से बोला :" सत्या.. है भगवान इसका कहर तो पूरे शहर मे है "
" आज पहली बार इसे देखा है " दुसरा आदमी बोला ।
" हा इस शहर का ही नही भारत का नंबर वन डोन माफिया डेविल , हैवान जो भी बोलो सब कम है " तीसरा आदमी बोला ।
दुसरा आदमी उस नीचे तड़पते हुए इंसान को देखकर बोला : " सही बात है यार देखो न इसे कितनी बहरहमी से मारा है "
कुछ लोग वहा से अपनी जान बचाकर भाग गए । कुछ वही खडे़ उस इंसान को तड़पता देख रहे थे । जिस सत्या का नाम सुनते ही लोगो के चेहरे मे डर आजाता था आज उन्होने उस सत्या का महाकाल जैसा रूप भी देख लिया था । उधर सत्या आँख बंद कर बैठा था ।
" ये गुस्से मे है या शांत हो गए ?" करन जो मिरर से उसे देख रहा था वो बुदबुदाया ।
" करन " सत्या उसी तरहा आराम से बोला ।
" है भगवान ये जब भी मेरा नाम लेते है ऐसा लगता है की मेरे ऊपर कहर आने वाला है " करन अपने मन मे बुदबुदाया ।
" ज, ज, जी सर " वो डरकर बोला ।
" गाडी़ मोड़ लो हम लंदन नही जा रहे " सत्या ने कहा ।
" जी सर " करन ने कहा और ड्राइवर ने गाडी़ मोड़ ली ।
करन को ये सुन हैरानी हुई, वो हैरानी से बुदबुदाया : " लंदन नही जा रहे ? क्यों ? अब यही रहेगे , इन बेचारे मासूम पर अपना कहर बरसाएगे , पर क्यों ? ऐसे आचानक ? "
उधर सत्या के ख्यालो मे आयुषी थी ।
" कौन हो तुम ? क्या नाम है तुम्हारा ? " ये सारे सवाल उसके मन मे थे ।
हर हर महादेव ।
So ye kahani continue hongi pratilipi par kahani ka name same hai but poster yaha update nhi hora tou same nhi hai but dark hai. After 10 - 15 episode i will stop this update if, you want do comment and follow me on pratilipi
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सुबह धीरज उस सोती हुई लड़कियों छोड़कर बाहर निकला ।
उसने जब विराट को सोता देखा तो मैनेजर ने गर्म पानी मंगवाकर उसके ऊपर डाल दिया ।
विराट जब जागा तो अपना शरीर सहलाने लगा ।
जाते समय वो वेटर खुश था की विराट जा रहा है ।
धीरज बंबई के लिए निकल गया ।
मोहिनी का आदमी जो विराट के आस पास था उसने मोहिनी को ये बात बता दी और मोहिनी ने नरेश को अपना प्लैन बताया ।
करन सुबह से परेशान था पर इसकी वजह किरन पूछ नही पाई ।
उधर आयुषी काम से सत्या के ओफिस आई तो सत्या ने उससे शिकायत की ।
उसकी शिकायत सुनकर आयुषी ने भी कल रात जो सत्या ने किया उसकी शिकायत की ।
सत्या ने उसे अपनी बाहो मे बिठा दिया ।
उसने आयुषी को आराम करने को कहा ।
सत्या की बात सुनकर आयुषी ने सत्या से पूछा की अगर वो आराम करने लगी और बाहर नही गई तो स्टाफ क्या सोचेंगा ? ।
जब सत्या ने कुछ नही कहा तो आयुषी ने एक आइब्रो ऊपर कर पूछा ।
" कुछ कहने की जरूरत ही नही है " सत्या ने कहा ।
तो आयुषी ने उसकी बात को काटकर कहा : "अरे ऐसे कैसे जरूरत नही है लोग तो पूछेंगे ना की कहा इतनी देर हो गई और अगर अभी तुमने जाने नही दिया तो अभी भी पूछेंगे की कहा रह गई थी " ।
सत्या ने गुस्से से कहा : " किसी को explanation देने की जरूरत नही है कुछ कहने की जरूरत नही है जो जो समझता है समझने दो और रही बात तुमपर उंगली उठने की तो उससे पहले मै उसकी उसकी उंगली काट दूंगा " ।
ये सब सुनकर आयुषी को अच्छा नही लगा ।
वो कुछ कहने ही वाली थी की सत्या ने आगे अपनी बात पूरी करते हुए कहा : " और वैसे भी कभी ना कभी को सबको पता चलेगा ही हम दोनों साथ है और तुम मेरी आमानत हो और किसी की नही " ।
उसने आयुषी को देखकर कहा : " और जिस दिन ये सब पता चल जाएगा सबके सवाल अपनेआप बंद हो जाएगे " ।
आयुषी सत्या की गोद से उठकर बोली : " ये भी सही है अब मै जाती हूँ काम से वरना मेरा काम कौन करेंगा ? " ।
ये कहकर उसने फाइल उठाई और जाने लगी ।
सत्या ने उसकी बातो का जवाब देते हुए कहा : " आलू रूक जाओ ना " ।
ये सुनकर आयुषी रूकी और पलटकर सत्या को देखकर बोली : " सत्येंद्र तुम काम करो और मुझे भी करने दो " ।
सत्या ने मुस्कराकर उसका जवाब दिया : " ठीक है रात को मिलते है " ।
ये सुनकर आयुषी जो दरवाजा खोल रही थी ।
वो रूकी और पलटकर सत्या से बोली : " नही बिलकुल भी नही सत्येंद्र तुम शाम को अपना काम करोंगे अगर तुम शाम को मिलोंगे तो मेरा काम नही होंगा " ।
ये सुनकर सत्या हसँ दिया ।
" हँसो मत मै ठीक कह रही हूँ " । आयुषी ने सत्या को घूरकर कहा ।
फिर वो आगे मू बनाकर बोली : " तुम मुझे परेशान करते हो इसलिए शाम को तुम काम करोंगे और हम बात फोन मे करेंगे समझे " ।
ये सुनकर सत्या ने एक आइब्रो ऊपर उठाकर पूछा : " सच मे तुम यही चाहती हो सोच लो फिर बोलना मत की मैने तुम्हें समय नही दिया " ।
" हा बाबा सोच लिया है ये पक्का " । ये कहकर आयुषी जैसे जान छुड़वाना चाहती थी ।
सत्या हसँने लगा ।
आयुषी ने भी हसँते हुए दरवाजा खोला और बाहर निकलने से पहले अपना चेहरा ठीक कर दिया ।
सत्या मुस्कराते हुए काफी देर तक दरवाजे को देखता रहा ।
आयुषी अब सुकून बन चुकी थी वो उसे जीने का एहसास करवा रही थी ।
उधर वो लड़का जो आयुषी को देख रहा था ।
जब उसने आयुषी को अंदर जाते हुए देखा तो वो कबसे उसका इंतजार कर रहा था ।
आयुषी को आता देखकर उसने सोचा : " यार ये बोस के ओफिस जाती रहती है काश मे भी बोस होता तो इसे बार बार बुलाता रहता " ।
आयुषी डेस्क मे आकर बैठ गई थी ।
लड़का आयुषी को मुस्कराकर देख रहा था ।
उसके दोस्त की नजर इस चीज पर पडी़ तो उसने लड़के को इशारा दिया ।
जिससे लड़का होश मे आया ।
लड़के के दोस्त ने उससे पूछा : " कहा खो गया था ?" ।
लड़के ने एक पल आयुषी को देखा फिर अपने दोस्त को देखकर बोला : " कही नही क्या काम था ?" ।
इस पर उसका दोस्त दांत फाड़कर बोला : " हा हा दिख रहा था की तू कहा खोया है ?" ।
ये कहकर उसने आयुषी पर इशारा किया ।
तो लड़का हसँ दिया ।
लड़का हसँते हसँते बोला : " तू काम से आया है या मेरी तांग खींचने आया है " ।
" नही नही मै तो काम से ही आया था पर तेरा ही ध्यान नही है तो क्या करे ?" । लड़के के दोस्त ने कहा ।
तो लड़का हसँते हुए बोला : " बस बस अब काम बताएगा वरना अगर बोस ने देख लिया तो हम दोनों की नौकरी गई " ।
लड़के के दोस्त ने " हा हा यार " कहा और ओफिस का काम करने लगे ।
राधिका के कोलेज मे ।
एक बडा़ सा होल जहा बहुत सारे स्टूडेंटस है ।
जगह जगह ग्रूप खडे़ होकर बाते करने मे लगे है ।
उन्ही मे से एक जगह राधिका और उसकी दोस्त खडे़ है ।
" तो तूने क्या सोचा राधिका ? तू क्या करेंगी " । राधिका की दोस्त ने उससे पूछा ।
राधिका जिसके हाथ मे एक लिस्ट थी जिसमे फंक्शन मे होने वाले प्रोग्राम की लिस्ट थी ।
वो बडे़ ध्यान से लिस्ट को देखकर बोली : " यार समझ नही आ रहा किसमे करे इतने सारे प्रोग्राम है " ।
ये सुनकर उसकी एक दोस्त बोली : " यार ऐसा करते है हम skit मे लेते है " ।
दोस्त का साथ देते हुए उसकी दुसरी दोस्त बोली : " हा यार अच्छा है " ।
उन दोनों की बाते सुनकर राधिका ने कहा : " रूक जा मै script देखती हूं " ।
उसने पूरी skit के नाम देखे पर उसे बोरिंग लगे ।
उसने मू बनाकर कहा : " नही यार ये तो बोरिंग है कुछ और " ।
ये कहते हुए उसने कुछ और प्रोग्राम देखे ।
काफी सारे प्रोग्राम देखकर उन सबने decide किया की वो डांस करेंगे ।
ये तय करने के बाद वो लोग गाना चुनने लगे ।
राधिका और उसकी दोस्तो ने काफी सारे गाने देखे पर उन्हें कोई पंसद नही आया ।
अगर कोई पंसद भी आया तो वो लोग कनफ्यूजड हो गए की कौनसा गाना तय करे कौनसा नही ।
काफी देर बाद भी जब किसी से कुछ नही हुआ तो वो चिड़कर बोले : " ओ हो समझ नही आ रहा क्या किया जाए " ।
राधिका जो गाना ढूंढ रही थी ।
उसने कहा : " हम्म यार पर क्या कर सकते है ढूंढना तो है " ।
राधिका की बात सुनकर उसकी दोस्त ने भी हम्म कहा और ढूंढने लगे ।
ओफिस मे ।
लंच टाइम हो गया था ।
किरन करन गौरांसी और आयुषी हमेशा की तरहा एक साथ खाना खा रहे थे ।
किरन ने करन को देखा जो अभी भी परेशान नजर आ रहा था ।
वो समझ नही पाई की ऐसा क्यों है ? ।
पर वो ऐसे सबके सामने पूछकर करन को परेशान नही करना चाहती थी ।
गौरांसी और आयुषी ने खाना खा लिया और वो उन दोनों को बाय बोलकर चले गए ।
करन और किरन ने भी खा लिया था ।
करन काम से जाने लगा था पर पीछे से किरन ने उसे रोका ।
वो रूका और किरन उसके सामने आई ।
" क्या हुआ किरन जी ?" । करन ने पूछा ।
तो किरन बोली : " यही मै आपसे पूछना चाहती हूँ करन आप सुबह से परेशान लग रहे है ? कोई बात है ?" ।
" नही मै परेशान नही हूं " करन ने बात टालते हुए कहा ।
तो किरन बोली : " ऐसा नही है आप परेशान है सुबह से देख रही हूँ " ।
" आपको ऐसा क्यों लगता है ?" । करन ने जबरदस्ती हसँते हुए कहा ।
तो किरन बोली : " क्योंकि जब आप मेरे फ्लोर मे या जब हम दोनों एक फ्लोर मे काम करते है तो आप मुझे देखकर हमेशा मुस्करा देते है पर आज आपने कुछ रिएक्ट नही किया " ।
" अरे वो " करन ने जबर्दस्ती हसँकर कहा फिर आयुषी के कंधे मे हाथ रखकर बोला : " किरन जी बस ऐसे ही काम का टेंशन है " ।
" काम तो रोज होता है तो अब ऐसा कौनसा काम है जो इतनी टेंशन " । किरन ने पूछा ।
तो करन ने उसे समझाते हुए कहा : " मैने कहा ना बस काम का है " ।
बात तो ये थी ये बात सत्या से जुडी़ थी ।
इसलिए वो किरन को बताकर परेशान नही करना चाहता था ।
" ठीक है आप मुझे नही बताना चाहते मत बताइए " । ये कहकर बिना करन की बात सुने किरन चली गई ।
करन पीछे से उसे रोकने की कोशिश करने लगा पर किरन नही रूकी ।
पीछे से करन उसे देखकर बोला : " अपनी परेशानी बताकर मै आपको परेशान नही करना चाहता बस इसलिए नही बता रहा " ।
उसने वक्त देखा तो गुजरता जा रहा था ।
वो सत्या के पास चला गया ।
एक दो मीटिंगस के बाद , , , करन काम मे लगा था ।
उसने एक फाइल रेडी की जिसमे सत्या के सिग्नेचर चाहिए थे ।
वो उस फ्लोर मे आया वहा उसे किरन दिखी ।
किरन की नजर भी उससे मिली ।
करन जानबूझकर मुस्करा दिया पर किरन ने नजरे फेर ली ।
ये देखकर करन को बहुत बुरा लगा ।
पर वो अभी सत्या के पास जा रहा था तो कुछ कह नही सकता था ।
उसने सत्या के केबिन का दरवाजा नोक किया ।
सत्या ने कम इन कहा ।
करन अंदर आया और फाइल की डीटेलस देने लगा ।
उधर राधिका की क्लास लग रही थी ।
उसका पूरा ध्यान क्लास मे था ।
उसकी दोस्त जो बगल मे बैठी थी । वो क्लास से ज्यादा अपने फोन मे ध्यान दे रही थी ।
उसके साथ उसकी दुसरी दोस्त भी खुशर पुशर लगी थी ।
उनकी खुशर पुशर से राधिका डिस्टब हो रही थी ।
काफी समय तक झेलने के बाद राधिका से रहा नही गया तो उसने उन दोनों के पास जाकर धीरे से कहा : " अरे तुम दोनों क्या कर रही हो ? " ।
उसकी एक दोस्त ने उसे देखकर कहा : " हम दोनों गाना देख रहे है " ।
" ये क्या कोई समय है ये सब करने का अभी क्लास लग रही है ना तो क्लास मे ध्यान दो ना " । राधिका ने कहा ।
तो उसकी दोस्त ने मू बनाकर कहा : " यार , , " ।
इससे पहले वो आगे अपनी पूरी बात रखते ।
राधिका ने डांटकर कहा : " यार वार कुछ नही बंद करो ये सब क्लास के बाद करना और अभी क्लास मे ध्यान दो " ।
उसकी दोस्त ने मू बनाकर कहा : " ओकए ठीक है यार " ।
ये कहकर उन्होंने बंद कर दिया ।
क्लास ओवर होने के बाद ।
टीचर ने कहा : " स्टूडेंटस ये बात प्रोग्राम को लेकर है मै बताना चाहता हूँ की जो जो प्रोग्राम मे हिस्सा लेना चाहता है वो मेरे पास आकर अपना नाम और वो क्या करना चाहता है अगर कोई गाने मे डांस कर रहा है तो कौनसा गाना और अगर कोई script है तो कौनसी " ।
टीचर की बात सुनकर सबने ओकए कहा ।
टीचर क्लास से चले गए ।
दुसरी क्लास होने मे अभी समय था ।
इसलिए राधिका और उसकी दोस्त cafe area मे बैठ गए और अपने प्रोग्राम की तैयारी करने लगे ।
उधर सत्या सारी डिटेल ध्यान से सुन रहा था ।
करन ने उसे अच्छे से सब कुछ बता दिया फिर उसे रिपोर्ट दी ।
सत्या ने उसके दो तीन पन्ने पलटे और फिर साइन कर दिया ।
साइन करने के बाद उसने वो फाइल टेबल मे रख दी और दुसरी उठाकर पढ़ने लगा ।
करन को बात तो कहनी थी और उसने सोच लिया था की वो उसे बताएगा ।
उसने हिम्मत कर पहले तो फाइल पकडी़ फिर वो काफी देर तक झिझकता रहा ।
सत्या भले ही फाइल पढ़ रहा था ।
पर उसे पता था की करन उसे देख रहा है ।
वो उसके बोलने का इंतजार कर रहा था ।
पर जब करन ने कुछ नही कहा तो ।
सत्या ने बिना उसे देखे कहा : " कुछ कहना चाहते हो ?" ।
" जी सर " । ये कहकर ।
करन ने कहा : " सर आप वहा क्यों नही जाते , , ," ।
इतना कहकर करन डरकर चुप हो गया ।
हर हर महादेव ।
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I m waiting for your response readers do and comment 💬 and share your lovely thoughts. 149 क्यों परेशान है करन ?
सुबह धीरज उस सोती हुई लड़कियों छोड़कर बाहर निकला ।
उसने जब विराट को सोता देखा तो मैनेजर ने गर्म पानी मंगवाकर उसके ऊपर डाल दिया ।
विराट जब जागा तो अपना शरीर सहलाने लगा ।
जाते समय वो वेटर खुश था की विराट जा रहा है ।
धीरज बंबई के लिए निकल गया ।
मोहिनी का आदमी जो विराट के आस पास था उसने मोहिनी को ये बात बता दी और मोहिनी ने नरेश को अपना प्लैन बताया ।
करन सुबह से परेशान था पर इसकी वजह किरन पूछ नही पाई ।
उधर आयुषी काम से सत्या के ओफिस आई तो सत्या ने उससे शिकायत की ।
उसकी शिकायत सुनकर आयुषी ने भी कल रात जो सत्या ने किया उसकी शिकायत की ।
सत्या ने उसे अपनी बाहो मे बिठा दिया ।
उसने आयुषी को आराम करने को कहा ।
सत्या की बात सुनकर आयुषी ने सत्या से पूछा की अगर वो आराम करने लगी और बाहर नही गई तो स्टाफ क्या सोचेंगा ? ।
जब सत्या ने कुछ नही कहा तो आयुषी ने एक आइब्रो ऊपर कर पूछा ।
" कुछ कहने की जरूरत ही नही है " सत्या ने कहा ।
तो आयुषी ने उसकी बात को काटकर कहा : "अरे ऐसे कैसे जरूरत नही है लोग तो पूछेंगे ना की कहा इतनी देर हो गई और अगर अभी तुमने जाने नही दिया तो अभी भी पूछेंगे की कहा रह गई थी " ।
सत्या ने गुस्से से कहा : " किसी को explanation देने की जरूरत नही है कुछ कहने की जरूरत नही है जो जो समझता है समझने दो और रही बात तुमपर उंगली उठने की तो उससे पहले मै उसकी उसकी उंगली काट दूंगा " ।
ये सब सुनकर आयुषी को अच्छा नही लगा ।
वो कुछ कहने ही वाली थी की सत्या ने आगे अपनी बात पूरी करते हुए कहा : " और वैसे भी कभी ना कभी को सबको पता चलेगा ही हम दोनों साथ है और तुम मेरी आमानत हो और किसी की नही " ।
उसने आयुषी को देखकर कहा : " और जिस दिन ये सब पता चल जाएगा सबके सवाल अपनेआप बंद हो जाएगे " ।
आयुषी सत्या की गोद से उठकर बोली : " ये भी सही है अब मै जाती हूँ काम से वरना मेरा काम कौन करेंगा ? " ।
ये कहकर उसने फाइल उठाई और जाने लगी ।
सत्या ने उसकी बातो का जवाब देते हुए कहा : " आलू रूक जाओ ना " ।
ये सुनकर आयुषी रूकी और पलटकर सत्या को देखकर बोली : " सत्येंद्र तुम काम करो और मुझे भी करने दो " ।
सत्या ने मुस्कराकर उसका जवाब दिया : " ठीक है रात को मिलते है " ।
ये सुनकर आयुषी जो दरवाजा खोल रही थी ।
वो रूकी और पलटकर सत्या से बोली : " नही बिलकुल भी नही सत्येंद्र तुम शाम को अपना काम करोंगे अगर तुम शाम को मिलोंगे तो मेरा काम नही होंगा " ।
ये सुनकर सत्या हसँ दिया ।
" हँसो मत मै ठीक कह रही हूँ " । आयुषी ने सत्या को घूरकर कहा ।
फिर वो आगे मू बनाकर बोली : " तुम मुझे परेशान करते हो इसलिए शाम को तुम काम करोंगे और हम बात फोन मे करेंगे समझे " ।
ये सुनकर सत्या ने एक आइब्रो ऊपर उठाकर पूछा : " सच मे तुम यही चाहती हो सोच लो फिर बोलना मत की मैने तुम्हें समय नही दिया " ।
" हा बाबा सोच लिया है ये पक्का " । ये कहकर आयुषी जैसे जान छुड़वाना चाहती थी ।
सत्या हसँने लगा ।
आयुषी ने भी हसँते हुए दरवाजा खोला और बाहर निकलने से पहले अपना चेहरा ठीक कर दिया ।
सत्या मुस्कराते हुए काफी देर तक दरवाजे को देखता रहा ।
आयुषी अब सुकून बन चुकी थी वो उसे जीने का एहसास करवा रही थी ।
उधर वो लड़का जो आयुषी को देख रहा था ।
जब उसने आयुषी को अंदर जाते हुए देखा तो वो कबसे उसका इंतजार कर रहा था ।
आयुषी को आता देखकर उसने सोचा : " यार ये बोस के ओफिस जाती रहती है काश मे भी बोस होता तो इसे बार बार बुलाता रहता " ।
आयुषी डेस्क मे आकर बैठ गई थी ।
लड़का आयुषी को मुस्कराकर देख रहा था ।
उसके दोस्त की नजर इस चीज पर पडी़ तो उसने लड़के को इशारा दिया ।
जिससे लड़का होश मे आया ।
लड़के के दोस्त ने उससे पूछा : " कहा खो गया था ?" ।
लड़के ने एक पल आयुषी को देखा फिर अपने दोस्त को देखकर बोला : " कही नही क्या काम था ?" ।
इस पर उसका दोस्त दांत फाड़कर बोला : " हा हा दिख रहा था की तू कहा खोया है ?" ।
ये कहकर उसने आयुषी पर इशारा किया ।
तो लड़का हसँ दिया ।
लड़का हसँते हसँते बोला : " तू काम से आया है या मेरी तांग खींचने आया है " ।
" नही नही मै तो काम से ही आया था पर तेरा ही ध्यान नही है तो क्या करे ?" । लड़के के दोस्त ने कहा ।
तो लड़का हसँते हुए बोला : " बस बस अब काम बताएगा वरना अगर बोस ने देख लिया तो हम दोनों की नौकरी गई " ।
लड़के के दोस्त ने " हा हा यार " कहा और ओफिस का काम करने लगे ।
राधिका के कोलेज मे ।
एक बडा़ सा होल जहा बहुत सारे स्टूडेंटस है ।
जगह जगह ग्रूप खडे़ होकर बाते करने मे लगे है ।
उन्ही मे से एक जगह राधिका और उसकी दोस्त खडे़ है ।
" तो तूने क्या सोचा राधिका ? तू क्या करेंगी " । राधिका की दोस्त ने उससे पूछा ।
राधिका जिसके हाथ मे एक लिस्ट थी जिसमे फंक्शन मे होने वाले प्रोग्राम की लिस्ट थी ।
वो बडे़ ध्यान से लिस्ट को देखकर बोली : " यार समझ नही आ रहा किसमे करे इतने सारे प्रोग्राम है " ।
ये सुनकर उसकी एक दोस्त बोली : " यार ऐसा करते है हम skit मे लेते है " ।
दोस्त का साथ देते हुए उसकी दुसरी दोस्त बोली : " हा यार अच्छा है " ।
उन दोनों की बाते सुनकर राधिका ने कहा : " रूक जा मै script देखती हूं " ।
उसने पूरी skit के नाम देखे पर उसे बोरिंग लगे ।
उसने मू बनाकर कहा : " नही यार ये तो बोरिंग है कुछ और " ।
ये कहते हुए उसने कुछ और प्रोग्राम देखे ।
काफी सारे प्रोग्राम देखकर उन सबने decide किया की वो डांस करेंगे ।
ये तय करने के बाद वो लोग गाना चुनने लगे ।
राधिका और उसकी दोस्तो ने काफी सारे गाने देखे पर उन्हें कोई पंसद नही आया ।
अगर कोई पंसद भी आया तो वो लोग कनफ्यूजड हो गए की कौनसा गाना तय करे कौनसा नही ।
काफी देर बाद भी जब किसी से कुछ नही हुआ तो वो चिड़कर बोले : " ओ हो समझ नही आ रहा क्या किया जाए " ।
राधिका जो गाना ढूंढ रही थी ।
उसने कहा : " हम्म यार पर क्या कर सकते है ढूंढना तो है " ।
राधिका की बात सुनकर उसकी दोस्त ने भी हम्म कहा और ढूंढने लगे ।
ओफिस मे ।
लंच टाइम हो गया था ।
किरन करन गौरांसी और आयुषी हमेशा की तरहा एक साथ खाना खा रहे थे ।
किरन ने करन को देखा जो अभी भी परेशान नजर आ रहा था ।
वो समझ नही पाई की ऐसा क्यों है ? ।
पर वो ऐसे सबके सामने पूछकर करन को परेशान नही करना चाहती थी ।
गौरांसी और आयुषी ने खाना खा लिया और वो उन दोनों को बाय बोलकर चले गए ।
करन और किरन ने भी खा लिया था ।
करन काम से जाने लगा था पर पीछे से किरन ने उसे रोका ।
वो रूका और किरन उसके सामने आई ।
" क्या हुआ किरन जी ?" । करन ने पूछा ।
तो किरन बोली : " यही मै आपसे पूछना चाहती हूँ करन आप सुबह से परेशान लग रहे है ? कोई बात है ?" ।
" नही मै परेशान नही हूं " करन ने बात टालते हुए कहा ।
तो किरन बोली : " ऐसा नही है आप परेशान है सुबह से देख रही हूँ " ।
" आपको ऐसा क्यों लगता है ?" । करन ने जबरदस्ती हसँते हुए कहा ।
तो किरन बोली : " क्योंकि जब आप मेरे फ्लोर मे या जब हम दोनों एक फ्लोर मे काम करते है तो आप मुझे देखकर हमेशा मुस्करा देते है पर आज आपने कुछ रिएक्ट नही किया " ।
" अरे वो " करन ने जबर्दस्ती हसँकर कहा फिर आयुषी के कंधे मे हाथ रखकर बोला : " किरन जी बस ऐसे ही काम का टेंशन है " ।
" काम तो रोज होता है तो अब ऐसा कौनसा काम है जो इतनी टेंशन " । किरन ने पूछा ।
तो करन ने उसे समझाते हुए कहा : " मैने कहा ना बस काम का है " ।
बात तो ये थी ये बात सत्या से जुडी़ थी ।
इसलिए वो किरन को बताकर परेशान नही करना चाहता था ।
" ठीक है आप मुझे नही बताना चाहते मत बताइए " । ये कहकर बिना करन की बात सुने किरन चली गई ।
करन पीछे से उसे रोकने की कोशिश करने लगा पर किरन नही रूकी ।
पीछे से करन उसे देखकर बोला : " अपनी परेशानी बताकर मै आपको परेशान नही करना चाहता बस इसलिए नही बता रहा " ।
उसने वक्त देखा तो गुजरता जा रहा था ।
वो सत्या के पास चला गया ।
एक दो मीटिंगस के बाद , , , करन काम मे लगा था ।
उसने एक फाइल रेडी की जिसमे सत्या के सिग्नेचर चाहिए थे ।
वो उस फ्लोर मे आया वहा उसे किरन दिखी ।
किरन की नजर भी उससे मिली ।
करन जानबूझकर मुस्करा दिया पर किरन ने नजरे फेर ली ।
ये देखकर करन को बहुत बुरा लगा ।
पर वो अभी सत्या के पास जा रहा था तो कुछ कह नही सकता था ।
उसने सत्या के केबिन का दरवाजा नोक किया ।
सत्या ने कम इन कहा ।
करन अंदर आया और फाइल की डीटेलस देने लगा ।
उधर राधिका की क्लास लग रही थी ।
उसका पूरा ध्यान क्लास मे था ।
उसकी दोस्त जो बगल मे बैठी थी । वो क्लास से ज्यादा अपने फोन मे ध्यान दे रही थी ।
उसके साथ उसकी दुसरी दोस्त भी खुशर पुशर लगी थी ।
उनकी खुशर पुशर से राधिका डिस्टब हो रही थी ।
काफी समय तक झेलने के बाद राधिका से रहा नही गया तो उसने उन दोनों के पास जाकर धीरे से कहा : " अरे तुम दोनों क्या कर रही हो ? " ।
उसकी एक दोस्त ने उसे देखकर कहा : " हम दोनों गाना देख रहे है " ।
" ये क्या कोई समय है ये सब करने का अभी क्लास लग रही है ना तो क्लास मे ध्यान दो ना " । राधिका ने कहा ।
तो उसकी दोस्त ने मू बनाकर कहा : " यार , , " ।
इससे पहले वो आगे अपनी पूरी बात रखते ।
राधिका ने डांटकर कहा : " यार वार कुछ नही बंद करो ये सब क्लास के बाद करना और अभी क्लास मे ध्यान दो " ।
उसकी दोस्त ने मू बनाकर कहा : " ओकए ठीक है यार " ।
ये कहकर उन्होंने बंद कर दिया ।
क्लास ओवर होने के बाद ।
टीचर ने कहा : " स्टूडेंटस ये बात प्रोग्राम को लेकर है मै बताना चाहता हूँ की जो जो प्रोग्राम मे हिस्सा लेना चाहता है वो मेरे पास आकर अपना नाम और वो क्या करना चाहता है अगर कोई गाने मे डांस कर रहा है तो कौनसा गाना और अगर कोई script है तो कौनसी " ।
टीचर की बात सुनकर सबने ओकए कहा ।
टीचर क्लास से चले गए ।
दुसरी क्लास होने मे अभी समय था ।
इसलिए राधिका और उसकी दोस्त cafe area मे बैठ गए और अपने प्रोग्राम की तैयारी करने लगे ।
उधर सत्या सारी डिटेल ध्यान से सुन रहा था ।
करन ने उसे अच्छे से सब कुछ बता दिया फिर उसे रिपोर्ट दी ।
सत्या ने उसके दो तीन पन्ने पलटे और फिर साइन कर दिया ।
साइन करने के बाद उसने वो फाइल टेबल मे रख दी और दुसरी उठाकर पढ़ने लगा ।
करन को बात तो कहनी थी और उसने सोच लिया था की वो उसे बताएगा ।
उसने हिम्मत कर पहले तो फाइल पकडी़ फिर वो काफी देर तक झिझकता रहा ।
सत्या भले ही फाइल पढ़ रहा था ।
पर उसे पता था की करन उसे देख रहा है ।
वो उसके बोलने का इंतजार कर रहा था ।
पर जब करन ने कुछ नही कहा तो ।
सत्या ने बिना उसे देखे कहा : " कुछ कहना चाहते हो ?" ।
" जी सर " । ये कहकर ।
करन ने कहा : " सर आप वहा क्यों नही जाते , , ," ।
इतना कहकर करन डरकर चुप हो गया ।
हर हर महादेव ।
I m waiting for your re149 क्यों परेशान है करन ?
सुबह धीरज उस सोती हुई लड़कियों छोड़कर बाहर निकला ।
उसने जब विराट को सोता देखा तो मैनेजर ने गर्म पानी मंगवाकर उसके ऊपर डाल दिया ।
विराट जब जागा तो अपना शरीर सहलाने लगा ।
जाते समय वो वेटर खुश था की विराट जा रहा है ।
धीरज बंबई के लिए निकल गया ।
मोहिनी का आदमी जो विराट के आस पास था उसने मोहिनी को ये बात बता दी और मोहिनी ने नरेश को अपना प्लैन बताया ।
करन सुबह से परेशान था पर इसकी वजह किरन पूछ नही पाई ।
उधर आयुषी काम से सत्या के ओफिस आई तो सत्या ने उससे शिकायत की ।
उसकी शिकायत सुनकर आयुषी ने भी कल रात जो सत्या ने किया उसकी शिकायत की ।
सत्या ने उसे अपनी बाहो मे बिठा दिया ।
उसने आयुषी को आराम करने को कहा ।
सत्या की बात सुनकर आयुषी ने सत्या से पूछा की अगर वो आराम करने लगी और बाहर नही गई तो स्टाफ क्या सोचेंगा ? ।
जब सत्या ने कुछ नही कहा तो आयुषी ने एक आइब्रो ऊपर कर पूछा ।
" कुछ कहने की जरूरत ही नही है " सत्या ने कहा ।
तो आयुषी ने उसकी बात को काटकर कहा : "अरे ऐसे कैसे जरूरत नही है लोग तो पूछेंगे ना की कहा इतनी देर हो गई और अगर अभी तुमने जाने नही दिया तो अभी भी पूछेंगे की कहा रह गई थी " ।
सत्या ने गुस्से से कहा : " किसी को explanation देने की जरूरत नही है कुछ कहने की जरूरत नही है जो जो समझता है समझने दो और रही बात तुमपर उंगली उठने की तो उससे पहले मै उसकी उसकी उंगली काट दूंगा " ।
ये सब सुनकर आयुषी को अच्छा नही लगा ।
वो कुछ कहने ही वाली थी की सत्या ने आगे अपनी बात पूरी करते हुए कहा : " और वैसे भी कभी ना कभी को सबको पता चलेगा ही हम दोनों साथ है और तुम मेरी आमानत हो और किसी की नही " ।
उसने आयुषी को देखकर कहा : " और जिस दिन ये सब पता चल जाएगा सबके सवाल अपनेआप बंद हो जाएगे " ।
आयुषी सत्या की गोद से उठकर बोली : " ये भी सही है अब मै जाती हूँ काम से वरना मेरा काम कौन करेंगा ? " ।
ये कहकर उसने फाइल उठाई और जाने लगी ।
सत्या ने उसकी बातो का जवाब देते हुए कहा : " आलू रूक जाओ ना " ।
ये सुनकर आयुषी रूकी और पलटकर सत्या को देखकर बोली : " सत्येंद्र तुम काम करो और मुझे भी करने दो " ।
सत्या ने मुस्कराकर उसका जवाब दिया : " ठीक है रात को मिलते है " ।
ये सुनकर आयुषी जो दरवाजा खोल रही थी ।
वो रूकी और पलटकर सत्या से बोली : " नही बिलकुल भी नही सत्येंद्र तुम शाम को अपना काम करोंगे अगर तुम शाम को मिलोंगे तो मेरा काम नही होंगा " ।
ये सुनकर सत्या हसँ दिया ।
" हँसो मत मै ठीक कह रही हूँ " । आयुषी ने सत्या को घूरकर कहा ।
फिर वो आगे मू बनाकर बोली : " तुम मुझे परेशान करते हो इसलिए शाम को तुम काम करोंगे और हम बात फोन मे करेंगे समझे " ।
ये सुनकर सत्या ने एक आइब्रो ऊपर उठाकर पूछा : " सच मे तुम यही चाहती हो सोच लो फिर बोलना मत की मैने तुम्हें समय नही दिया " ।
" हा बाबा सोच लिया है ये पक्का " । ये कहकर आयुषी जैसे जान छुड़वाना चाहती थी ।
सत्या हसँने लगा ।
आयुषी ने भी हसँते हुए दरवाजा खोला और बाहर निकलने से पहले अपना चेहरा ठीक कर दिया ।
सत्या मुस्कराते हुए काफी देर तक दरवाजे को देखता रहा ।
आयुषी अब सुकून बन चुकी थी वो उसे जीने का एहसास करवा रही थी ।
उधर वो लड़का जो आयुषी को देख रहा था ।
जब उसने आयुषी को अंदर जाते हुए देखा तो वो कबसे उसका इंतजार कर रहा था ।
आयुषी को आता देखकर उसने सोचा : " यार ये बोस के ओफिस जाती रहती है काश मे भी बोस होता तो इसे बार बार बुलाता रहता " ।
आयुषी डेस्क मे आकर बैठ गई थी ।
लड़का आयुषी को मुस्कराकर देख रहा था ।
उसके दोस्त की नजर इस चीज पर पडी़ तो उसने लड़के को इशारा दिया ।
जिससे लड़का होश मे आया ।
लड़के के दोस्त ने उससे पूछा : " कहा खो गया था ?" ।
लड़के ने एक पल आयुषी को देखा फिर अपने दोस्त को देखकर बोला : " कही नही क्या काम था ?" ।
इस पर उसका दोस्त दांत फाड़कर बोला : " हा हा दिख रहा था की तू कहा खोया है ?" ।
ये कहकर उसने आयुषी पर इशारा किया ।
तो लड़का हसँ दिया ।
लड़का हसँते हसँते बोला : " तू काम से आया है या मेरी तांग खींचने आया है " ।
" नही नही मै तो काम से ही आया था पर तेरा ही ध्यान नही है तो क्या करे ?" । लड़के के दोस्त ने कहा ।
तो लड़का हसँते हुए बोला : " बस बस अब काम बताएगा वरना अगर बोस ने देख लिया तो हम दोनों की नौकरी गई " ।
लड़के के दोस्त ने " हा हा यार " कहा और ओफिस का काम करने लगे ।
राधिका के कोलेज मे ।
एक बडा़ सा होल जहा बहुत सारे स्टूडेंटस है ।
जगह जगह ग्रूप खडे़ होकर बाते करने मे लगे है ।
उन्ही मे से एक जगह राधिका और उसकी दोस्त खडे़ है ।
" तो तूने क्या सोचा राधिका ? तू क्या करेंगी " । राधिका की दोस्त ने उससे पूछा ।
राधिका जिसके हाथ मे एक लिस्ट थी जिसमे फंक्शन मे होने वाले प्रोग्राम की लिस्ट थी ।
वो बडे़ ध्यान से लिस्ट को देखकर बोली : " यार समझ नही आ रहा किसमे करे इतने सारे प्रोग्राम है " ।
ये सुनकर उसकी एक दोस्त बोली : " यार ऐसा करते है हम skit मे लेते है " ।
दोस्त का साथ देते हुए उसकी दुसरी दोस्त बोली : " हा यार अच्छा है " ।
उन दोनों की बाते सुनकर राधिका ने कहा : " रूक जा मै script देखती हूं " ।
उसने पूरी skit के नाम देखे पर उसे बोरिंग लगे ।
उसने मू बनाकर कहा : " नही यार ये तो बोरिंग है कुछ और " ।
ये कहते हुए उसने कुछ और प्रोग्राम देखे ।
काफी सारे प्रोग्राम देखकर उन सबने decide किया की वो डांस करेंगे ।
ये तय करने के बाद वो लोग गाना चुनने लगे ।
राधिका और उसकी दोस्तो ने काफी सारे गाने देखे पर उन्हें कोई पंसद नही आया ।
अगर कोई पंसद भी आया तो वो लोग कनफ्यूजड हो गए की कौनसा गाना तय करे कौनसा नही ।
काफी देर बाद भी जब किसी से कुछ नही हुआ तो वो चिड़कर बोले : " ओ हो समझ नही आ रहा क्या किया जाए " ।
राधिका जो गाना ढूंढ रही थी ।
उसने कहा : " हम्म यार पर क्या कर सकते है ढूंढना तो है " ।
राधिका की बात सुनकर उसकी दोस्त ने भी हम्म कहा और ढूंढने लगे ।
ओफिस मे ।
लंच टाइम हो गया था ।
किरन करन गौरांसी और आयुषी हमेशा की तरहा एक साथ खाना खा रहे थे ।
किरन ने करन को देखा जो अभी भी परेशान नजर आ रहा था ।
वो समझ नही पाई की ऐसा क्यों है ? ।
पर वो ऐसे सबके सामने पूछकर करन को परेशान नही करना चाहती थी ।
गौरांसी और आयुषी ने खाना खा लिया और वो उन दोनों को बाय बोलकर चले गए ।
करन और किरन ने भी खा लिया था ।
करन काम से जाने लगा था पर पीछे से किरन ने उसे रोका ।
वो रूका और किरन उसके सामने आई ।
" क्या हुआ किरन जी ?" । करन ने पूछा ।
तो किरन बोली : " यही मै आपसे पूछना चाहती हूँ करन आप सुबह से परेशान लग रहे है ? कोई बात है ?" ।
" नही मै परेशान नही हूं " करन ने बात टालते हुए कहा ।
तो किरन बोली : " ऐसा नही है आप परेशान है सुबह से देख रही हूँ " ।
" आपको ऐसा क्यों लगता है ?" । करन ने जबरदस्ती हसँते हुए कहा ।
तो किरन बोली : " क्योंकि जब आप मेरे फ्लोर मे या जब हम दोनों एक फ्लोर मे काम करते है तो आप मुझे देखकर हमेशा मुस्करा देते है पर आज आपने कुछ रिएक्ट नही किया " ।
" अरे वो " करन ने जबर्दस्ती हसँकर कहा फिर आयुषी के कंधे मे हाथ रखकर बोला : " किरन जी बस ऐसे ही काम का टेंशन है " ।
" काम तो रोज होता है तो अब ऐसा कौनसा काम है जो इतनी टेंशन " । किरन ने पूछा ।
तो करन ने उसे समझाते हुए कहा : " मैने कहा ना बस काम का है " ।
बात तो ये थी ये बात सत्या से जुडी़ थी ।
इसलिए वो किरन को बताकर परेशान नही करना चाहता था ।
" ठीक है आप मुझे नही बताना चाहते मत बताइए " । ये कहकर बिना करन की बात सुने किरन चली गई ।
करन पीछे से उसे रोकने की कोशिश करने लगा पर किरन नही रूकी ।
पीछे से करन उसे देखकर बोला : " अपनी परेशानी बताकर मै आपको परेशान नही करना चाहता बस इसलिए नही बता रहा " ।
उसने वक्त देखा तो गुजरता जा रहा था ।
वो सत्या के पास चला गया ।
एक दो मीटिंगस के बाद , , , करन काम मे लगा था ।
उसने एक फाइल रेडी की जिसमे सत्या के सिग्नेचर चाहिए थे ।
वो उस फ्लोर मे आया वहा उसे किरन दिखी ।
किरन की नजर भी उससे मिली ।
करन जानबूझकर मुस्करा दिया पर किरन ने नजरे फेर ली ।
ये देखकर करन को बहुत बुरा लगा ।
पर वो अभी सत्या के पास जा रहा था तो कुछ कह नही सकता था ।
उसने सत्या के केबिन का दरवाजा नोक किया ।
सत्या ने कम इन कहा ।
करन अंदर आया और फाइल की डीटेलस देने लगा ।
उधर राधिका की क्लास लग रही थी ।
उसका पूरा ध्यान क्लास मे था ।
उसकी दोस्त जो बगल मे बैठी थी । वो क्लास से ज्यादा अपने फोन मे ध्यान दे रही थी ।
उसके साथ उसकी दुसरी दोस्त भी खुशर पुशर लगी थी ।
उनकी खुशर पुशर से राधिका डिस्टब हो रही थी ।
काफी समय तक झेलने के बाद राधिका से रहा नही गया तो उसने उन दोनों के पास जाकर धीरे से कहा : " अरे तुम दोनों क्या कर रही हो ? " ।
उसकी एक दोस्त ने उसे देखकर कहा : " हम दोनों गाना देख रहे है " ।
" ये क्या कोई समय है ये सब करने का अभी क्लास लग रही है ना तो क्लास मे ध्यान दो ना " । राधिका ने कहा ।
तो उसकी दोस्त ने मू बनाकर कहा : " यार , , " ।
इससे पहले वो आगे अपनी पूरी बात रखते ।
राधिका ने डांटकर कहा : " यार वार कुछ नही बंद करो ये सब क्लास के बाद करना और अभी क्लास मे ध्यान दो " ।
उसकी दोस्त ने मू बनाकर कहा : " ओकए ठीक है यार " ।
ये कहकर उन्होंने बंद कर दिया ।
क्लास ओवर होने के बाद ।
टीचर ने कहा : " स्टूडेंटस ये बात प्रोग्राम को लेकर है मै बताना चाहता हूँ की जो जो प्रोग्राम मे हिस्सा लेना चाहता है वो मेरे पास आकर अपना नाम और वो क्या करना चाहता है अगर कोई गाने मे डांस कर रहा है तो कौनसा गाना और अगर कोई script है तो कौनसी " ।
टीचर की बात सुनकर सबने ओकए कहा ।
टीचर क्लास से चले गए ।
दुसरी क्लास होने मे अभी समय था ।
इसलिए राधिका और उसकी दोस्त cafe area मे बैठ गए और अपने प्रोग्राम की तैयारी करने लगे ।
उधर सत्या सारी डिटेल ध्यान से सुन रहा था ।
करन ने उसे अच्छे से सब कुछ बता दिया फिर उसे रिपोर्ट दी ।
सत्या ने उसके दो तीन पन्ने पलटे और फिर साइन कर दिया ।
साइन करने के बाद उसने वो फाइल टेबल मे रख दी और दुसरी उठाकर पढ़ने लगा ।
करन को बात तो कहनी थी और उसने सोच लिया था की वो उसे बताएगा ।
उसने हिम्मत कर पहले तो फाइल पकडी़ फिर वो काफी देर तक झिझकता रहा ।
सत्या भले ही फाइल पढ़ रहा था ।
पर उसे पता था की करन उसे देख रहा है ।
वो उसके बोलने का इंतजार कर रहा था ।
पर जब करन ने कुछ नही कहा तो ।
सत्या ने बिना उसे देखे कहा : " कुछ कहना चाहते हो ?" ।
" जी सर " । ये कहकर ।
करन ने कहा : " सर आप वहा क्यों नही जाते , , ," ।
इतना कहकर करन डरकर चुप हो गया ।
हर हर महादेव ।
So ye kahani continue hongi pratilipi par kahani ka name same hai but poster yaha update nhi hora tou same nhi hai but dark hai. After 10 - 15 episode i will stop this update if, you want do comment and follow me on pratilipi
Id name - Tanya gauniyal
Story name - same - Dastane - ishq ( mafia romance) see the picture you will get to know
https://pratilipi.page.link/oyLuU1nTigc37YNU6
And there I have reached more ahead so go and read their and do comment and follow me on my pratilipi I'd.Jismai meri first kahani ke sath sath second kahani bhi hai. So guys go and read their and follow me too for new updates in Instagram.
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