Monster the risky love - 67 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 67

Featured Books
Categories
Share

दानव द रिस्की लव - 67

दूरिया बढ़ने लगी.....

अब आगे......................

विवेक गुमसुम सा अपना सामान लेकर बाहर आकर कार में बैठने के लिए बढ़ता है तभी इशान उसके पास आता है और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है..."विवू आज से पहले मैंने तुझे इतना परेशान कभी नहीं देखा... कुछ हुआ है क्या...?...या अदिति से झगड़ा हो गया इसलिए अपसेट हैं..."
विवेक : हां भाई वो तो सब ठीक हो जाएगा....
इशान : इस बार क्या बात हो गई जो अदिति अचानक चली गई...देख मायूसी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है... बता तो सही किस बात पर तुम्हारी लड़ाई हो गई....?
विवेक : भाई कुछ गलतफहमियां पैदा हो जाती है तो उसे दूर करना बहुत मुश्किल हो जाता है.... वहीं बात है और कुछ नहीं....
इशान : मतलब अदिति से तेरा सिर्फ एक मिसअंडरस्टैंडिंग की वजह से  झगड़ा हुआ है...(विवेक के कंधे पर हाथ रखकर उसे समझाता है)....देख जितनी जल्दी हो सके सारी मिस अंडरस्टैंडिंग क्लियर कर ले , कहीं तुझे भी मेरी तरह पछताना न पड़े..... अपने प्यार के आगे तो झुक जाना ही बेहतर होता है... मेरे इगो प्रोब्लम की वजह से मैं स्मिता को खो चुका हूं इसलिए तुझे समझा रहा हूं तू मेरी जैसी गलती मत करना....
विवेक : मैं अदिति को मनाने की पूरी कोशिश करूंगा...
इशान : बिल्कुल तू ऐसा ही कर ...चल अब ...
इशान विवेक को समझाकर वापस अपनी कार में जाकर बैठ जाता है और विवेक भी कार में बैठता है.....अब सब फार्म हाउस से निकल चुके थे.... चलते चलते काफी समय हो चुका था इसलिए अंधेरा गहराने लगा था... विवेक कार चलाते चलाते बार बार फोन की तरफ देख रहा था , उसे ऐसे परेशान देख हितेन उसका मूड ठीक करने के लिए कंचन से अदिति को फोन लगाने के लिए कहता है.... हितेन ने ये बात  कंचन से इशारे में कहीं थी ताकि विवेक को पता न चले... कंचन अदिति को काॅल लगाकर स्पीकर पर डाल देती है.... जैसे ही अदिति की हेलो की आवाज विवेक के कानों में पड़ती है जल्दी से ब्रेक लगा देता है और पीछे पलटकर देखता है... कंचन उसे हाथ से चुप रहने के लिए कहती हैं.... कंचन अदिति से बात करती है...." हेलो अदिति....."
अदिति : हां कंचन बोल ....(अदिति की आवाज से विवेक समझ जाता है कि अदिति अभी भी गुस्से में है...)
कंचन : क्या कर रही है...?
अदिति : तू बता वहां से चले या अभी भी वहीं घूम रहे हो...?
कंचन : नहीं हम बस एक घंटे में घर पहुंचने वाले हैं....
अदिति : तो क्या तुम सब साथ में हो ...?
कंचन : हां अदिति हम सब साथ में ही बैठे हैं... श्रुति से बात करेगी.....
अदिति : कोई जरूरत नहीं है मुझे किसी से बात नहीं करनी...तू घर पहुंच हम कल बात करेंगे (अदिति की ये बात सुनकर श्रुति  दुखी हो जाती है)...
कंचन : तू अभी तक नाराज़ है...?(कंचन ये क्वेश्चन करने पर विवेक और श्रुति दोनों बड़े गौर से सुनने लगते हैं की अदिति क्या कहेगी..?)
अदिति : अभी तक नाराज़ हूं मतलब...?... किससे तुझसे...?
कंचन : अरे नहीं मेरा मतलब क्या है तू समझ चुकी है,।।।।
अदिति : कंचन देख तुझे मुझसे बात करनी है तो अपनी कर ....मुझे किसी और के बारे में कोई बात नहीं करनी है...
कंचन : अदिति किसी और के बारे में बात नहीं कर रही हूं... तुझे बहुत बड़ी गलतफहमी हुई है विवेक और श्रुति ऐसे नहीं हैं...
अदिति : ओह कम ऑन कंचन अब ये विवेक वाला डायलॉग मत बोल ... फोटोग्राफस झुठी नहीं होती और वो भी तीन , मैंने तुझसे पहले ही कहा था कंचन विवेक बदल गया है और रही बात श्रुति की मुझे उससे इस धोखे की उम्मीद नहीं थी...(विवेक इतनी देर से अदिति की ये बातें सुन रहा था कंचन से फोन लेकर खुद बात करता है..)
" बस अदिति तुम और गलतफहमी में नहीं रह सकती..." 
अदिति : तुमने फोन क्यूं लिया उससे(अदिति रूखी सी आवाज में कहती हैं).......
विवेक : अदिति रूको काॅल कट मत करो....बस आज रात रूक जाओ कल सुबह ही मैं तुम्हारे पास इस सारे फसाद को खत्म करने के लिए प्रूफ लेकर आ रहा हूं....
अदिति : प्रूफ कैसा...?...तुम दोनों सुबह ही मेरे सामने आये थे याद है न.....
विवेक : हर आंखों देखी सिचुएशन सच नहीं होती , वो तो फोटोग्राफ की वजह से तुम्हें ऐसा लगा....
अदिति : मुझे समझाने की जरूरत नहीं है अगर तुम्हें इतनी ही चिंता थी तो सुबह ही क्यूं नहीं वापस आये... बल्कि रोज वैली घूमने गए थे.....
विवेक  : तुम्हें किसने कहा....?
अदिति : अगर मैं वहां नहीं हूं तो क्या मुझे कुछ पता नहीं है.... रहने दो कोई जरूरत नहीं यहां आने की मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी....
विवेक : अदिति... अदिति मेरी (अदिति काॅल कट कर देती है).....
हितेन : क्या हुआ...?
कंचन : विवेक तुम्हें उसे अभी कुछ नहीं बताना चाहिए था...
विवेक गुस्से में स्टेरिंग पर हाथ मारते हुए कहता है...." अदिति का इस तरह नाराज होना  मुझे बिल्कुल पसंद नहीं और वो भी जब जब वो उस पिशाच के वश में है.... मैं अदिति को कुछ नहीं होने दूंगा... फिर चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े..."
विवेक इस समय गुस्से में और थोड़ा दुखी था तीनों को पता उसे इस टाइम या तो अदिति या उसकी बड़ी मां ही शांत करवा सकती है पर अभी दोनों में से कोई यहां नहीं था इसलिए कंचन ने विवेक को रिलेक्स देने के लिए कहा..."विवेक गाड़ी रोको यहां पर थोड़ा रिलेक्स करो फिर चलना...."
हितेन : नहीं कंचन... विवेक तू साइड सिट पर बैठ मैं ड्राइव करूंगा....
कंचन : हां ये ठीक रहेगा....
हितेन और विवेक सिट की अदला बदली कर लेते हैं.... विवेक कार सिट से सिर टिकाए अपने आप से कह रहा था...." ये तक्ष हमारे लव‌ को इतना रिस्की क्यूं बना रहा है... क्यूं हमारी दूरियां बढ़ने लगी है अदिति... मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता..."   उधर अदिति जैसे ही काॅल कट करके पीछे पलटती है सामने तक्ष को देखकर हैरानी से पूछती है..." तुम यहां क्या हुआ....?..."
तक्ष : हां कुछ नहीं..वो तो मैं ऐसे ही घूम रहा था तो आपको यहां खड़े देखकर आ गया... क्या बात है आप परेशान सी लग रही है....?
अदिति : कुछ नहीं मैं ठीक हूं......(अदिति वहां से चली जाती हैं)...
उबांक : दानव राज आप क्या सोच रहे हैं...?
तक्ष : उबांक तू जा उस लड़के के पास और उसकी खबर लेकर आ , मुझे लगता है ये जरूर कुछ करके फिर से अदिति के पास आना चाहता है....जा मैं इसे कामयाब नही होने दूंगा...अब बढ़ेगी और नफ़रत.....(तक्ष शैतानी हंसी हंसने लगता है...और उबांक वहां से चला जाता है)....
 
......….…………….to be continued….….…………
 
तक्ष अब क्या चाल चलेगा...?
जानने के लिए जुड़े रहिए.......
आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं......