Monster the risky love - 68 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 68

Featured Books
Categories
Share

दानव द रिस्की लव - 68

तक्ष ने किया अदिति को किडनेप......

अब आगे.......................

तक्ष बालकनी से सीधा अदिति के रुम पर जाता है.... अदिति अपनी अलमारी से कुछ चीजें निकाल कर रख रही थी अचानक अपने कमरे का दरवाजा खुलने से चौंक जाती है..." भाई आप हो ...." जब पीछे से कोई आवाज नहीं आती तब अदिति पीछे मुड़ती है और तक्ष को अपने रूम में बिना इजाजत के आने से घूरकर कहती हैं...." क्या काम है तक्ष बिना दरवाजा नाॅक किये अन्दर क्यूं आए , तुम्हें पता ये अच्छी बात नहीं है...." तक्ष अदिति की बातों को अनसुना करते हुए उसके पास आता है.... अदिति घबरा कर उल्टे कदम बढ़ाती है लेकिन तक्ष उसके और पास आता है... अदिति गुस्से में कहती...." तक्ष जो कहना है दूर रहकर ही कहो मेरे करीब क्यूं आ रहे हो...." तक्ष अब भी कुछ नहीं कहता बस अदिति के करीब पहुंच जाता है, उसके बिल्कुल पास आने से अदिति अलमारी से सट जाती है....

अदिति के इस तरह घबराने से तक्ष एक मुस्कान के साथ उसकी आंखों में झांकता है....और कान के पास जाकर धीरे से कहता है..." अदिति तुम सिर्फ मेरी हो.... हमारे बीच कोई नहीं आएगा...." तक्ष के इस तरह कहने से अदिति के चेहरे का रंग उड़ जाता है। अपनी बड़ी बड़ी आंखें से तक्ष को गुस्से में घूरती है और जोर से धक्का दे देती है.....

अदिति : तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया....?... मैं सिर्फ विवेक से प्यार करती हूं और किसी से नहीं..... अदिति सिर्फ विवेक की है.....

तक्ष गुस्से में वापस अदिति के पास जाता है....." बस बहुत हुआ ये विवेक विवेक करना.... मैं उसे हमेशा के लिए तुमसे दूर करने वाला हूं...." अदिति हैरानी से उसकी तरफ देखती हुई कहती हैं..." तुम हमेशा के लिए दूर करने वाले हो मतलब...?... मैं उसे अपने से दूर नहीं करूंगी..."

तक्ष : मतलब तुम्हें समझ नहीं आएगा..... तुम अब कुछ दिनों के लिए आराम करो....

तक्ष अदिति के पास जाकर उसे दोनों कंधों से पकड़ कर उसे अलमारी से सटा देता फिर उसके गले से लाकेट को पकड़कर अदिति को दिखाकर अपनी आंखों से उसे देखता है उसके देखते ही लाकेट से एक लाल रोशनी निकलकर सीधा अदिति की आंखों में समा जाती है जिससे अदिति तुरंत बेहोश हो जाती है.....

तक्ष : अब तुम तबतक सोयो जबतक मैं उठा नहीं देता ....

.तक्ष अदिति को उठाकर अपने कमरे में ले जाकर अलमारी में लेटा देता है......तक्ष ने इस अलमारी को अपनी शक्ति से एक गुफा की तरह बना रखा था....

तक्ष : अब तुम यहां चैन कुछ समय सो लो और अब मैं उस विवेक को देखता क्या हूं.....

तक्ष यहां अदिति को सुलाकर विवेक के मकसद को जानने की कोशिश कर रहा था उधर विवेक आंखें बंद करके सिट से टेक लगाकर बैठा था अचानक अदिति चिल्लाता है और आंखें खोलकर इधर उधर देखने लगता है.... विवेक के इस तरह चिल्लाने से हितेन ब्रेक लगाता और कंचन और श्रुति विवेक के अचानक चिल्लाने से उसे सवालिया नज़रों से देखती है.... श्रुति तुरंत वाटर बोतल निकालकर विवेक को देती है....

श्रुति : विवेक क्या हुआ...?...लो पानी पियो.... (विवेक श्रुति के हाथ से बोतल लेता है)... क्या हुआ..?.. कोई बुरा सपना देखा क्या..?

विवेक उसी चिंता में कहता है....." पता नहीं मुझे लग रहा है अदिति किसी मुसिबत में है...."

हितेन : विवेक हम सबको पता है अदिति डेंजर में है....हम उसको बचाने के लिए ही तो अघोरी बाबा के पास गये थे...

विवेक : नहीं हितेन वो बात नहीं है.... मुझे ऐसा लगा जैसे अभी उसने मुझे कहा हो ... अदिति सिर्फ विवेक की है...

विवेक की ये बात किसी के समझ नहीं आ रही थी क्योंकि सब जानते हैं विवेक अदिति दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं इसमें कुछ नया नहीं है....ये तो सबको पता है...

कंचन विवेक को समझाती है....." विवेक तुम ज्यादा टेंशन मत लो सब पहले जैसा हो जाएगा..." विवेक कंचन की बात को बीच में ही काटता है...." नहीं कंचन... अदिति मान जाएगी या नहीं , ये तो नहीं पता लेकिन अभी बहुत अलग फील हुआ है जैसे उसे मेरी जरूरत है...."

विवेक गुस्से में कहता है....." अगर उस तक्ष की वजह से कुछ भी हुआ न अदिति को तो उसे मैं इसी खंजर से मार दूंगा..."

हितेन : विवेक रिलेक्स बस दस पंद्रह मिनट में घर पहुंच जाएंगे फिर कल तू सीधा अदिति के पास चले जाना...

विवेक कुछ नहीं कहता बस हां में सिर हिला देता है..…हितेन दोबारा कार ड्राइव करता है... कंचन श्रुति दोनों आपस में पार्टी की फोटोग्राफ देखने लगते हैं और कुछ कुछ फोटो विवेक को दिखा रही थी , ताकि विवेक को अच्छा लगे...

कंचन : श्रुति देख इसमें तू कितनी फनी लग रही है, ये मास्क लगाकर....

श्रुति चिढ़ कर कहती हैं...." ओए पागल तूने मेरी ये फोटो क्यूं क्लिक की ......

कंचन : मैंने नहीं हितेन ने की है.... और तो और जब स्पार्कल्स तेरे आंखों में गिरा था और तू बच्चों की तरह चिल्ला रही थी तब भी हितेन ने तेरी वीडियो बनाई थी...देख

श्रुति गुस्से में हितेन को देखती है और उसपर चिल्लाती है...." तूने मेरी वीडियो क्यूं बनाई...."

हितेन हंसता हुआ कहता है....." जब तू इतने फनी फेस बनाएगी तो मैं वीडियो तो बनाऊंगा न...."

श्रुति हितेन को परेशान करती है तो हितेन चिढ़कर कहता है...." दिख नहीं रहा ड्राइव कर रहा हूं... हवाई टिकट कटाने का इरादा है क्या...."

श्रुति मुंह बनाकर बैठ जाती है... थोड़ी देर की कार में बिल्कुल शांति तभी कंचन की आवाज आती है जैसे किसी कीड़े को हटा रही हो.... श्रुति भी उसकी तरह ही हाथों से उस कीड़े को भगा रही थी जब हल्के से कुछ नहीं हो रहा था तब श्रुति उसे कार से बाहर निकालने के चक्कर में अपने स्कार्फ को घुमाने लगती है.....

हितेन गुस्से में चिल्लाता है...." क्या कर रही हो तुम दोनों चुपचाप नहीं बैठ सकती बस घर पहुंचने वाले हैं..."

कंचन : हितेन ये कीड़ा बहुत परेशान कर रहा है....

हितेन हैरानी से पूछता है...." गाड़ी में कीड़ा कैसे हो सकता है....?.."

कंचन : शायद जब तुमने कार रोकी थी ये तब ही आया होगा,।।।

विवेक अपनी चुप्पी तोड़ता है ......" तुम हटो मैं बाहर करता हूं इसे...."

विवेक के साथ लगातें ही वो कीड़ा मदहोश सा होकर नीचे गिर जाता है....

श्रुति हैरानी से चिल्लाती है....." ये कीड़ा कितना अजीब है...?..."

 

..….….…......to be continued...............

कीड़े को देखकर श्रुति क्यूं चिल्लाई.....?

क्या विवेक अदिति को बचा पाएगा....?

जानने के लिए जुड़े रहिए........

आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं...