Demon The Risky Love - 82 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 82

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दानव द रिस्की लव - 82

आदित्य की हालत बिगड़ चुकी है....

अब आगे...............

बबिता विवेक को परेशान देख उसे एक उपाय बताती है...." विवेक जी आपको एक तरीका बताऊं इन्हें उठाने का..."
विवेक उत्साहित होकर पूछता है.... ‌‌" जल्दी बोलो ताई क्या करूं मैं.....?...."
बबिता आगे बताती है...." वो मैंने किसी फिल्म में देखा था जब एक राजकुमारी को जादुगरनी अपने जादू से हमेशा के लिए सुला देती है तब उसके राजकुमार आकर उसे किस करके उठाते हैं..."
विवेक जो एक्साइटेड हो चुका था अचानक बबिता से अदिति को किस करने की बात से घबरा जाता है और अपने आप से कहता है....." नहीं दो बार मेरे किस करने से अदिति की तबीयत बिगड़ी थी अब नहीं ऐसा कर सकता...."
विवेक को अचानक खोये हुए देखकर बबिता उससे कहती हैं...." आप घबरा क्यूं रहे हैं आप भी तो अदिति दी से प्यार करते हैं... फिर आप संकोच क्यूं कर रहे हैं अगर आपको मेरे सामने नहीं करना तो मैं चली जाऊंगी....
विवेक : नहीं ताई ऐसी बात नहीं है मैं अदिति से प्यार करता हूं लेकिन वो सिर्फ फैरी टेल्स की कहानियों में होता है रियल लाइफ में ऐसा कुछ नहीं होगा...."
बबिता उसे समझाती है...." आप एक बार कोशिश तो कीजिए, अदिति दी भी उस पिशाच की शक्तियों की वजह से ऐसे बेहोश हो रखी है... क्या पता आपके ऐसा करने से वो ठीक हो जाए....."
विवेक अभी कुछ सोच ही रहा था कि उसका फोन रिंग होता है..." हेलो भाई..."
दूसरी तरफ से गुस्से में आवाज आती है..." हां भाई क्या कहां है रात से  , तुझे यहां होना चाहिए था और तू पता नहीं कहां घूम रहा है जल्दी हाॅस्पिटल पहुंच ...आदित्य की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी है और यहां अदिति का रो रो के बुरा हाल है...." इशान काॅल कट कर देता है...
विवेक गुस्से में फोन को देखता हुआ कहता है...." अदिति का रो रो बुरा हाल है बहुत हो गई तेरी नौटंकी तक्ष ...."
विवेक बबिता से कहता है...." ताई मैं अदिति को ले जा रहा हूं , अपना ध्यान रखना और कोई भी जरूरत हो या कुछ भी पूछना हो तो मुझे काॅल कर लेना...और हां अदिति के बारे में किसी को कुछ मत बताना जबतक ये ठीक नहीं हो जाती....
बबिता : जी 
बबिता के चेहरे पर अब सुकुन के भाव थे.... विवेक अदिति को उठाकर ले जाकर कार में सिट से टिकाकर बैठा देता है और सिट बेल्ट लगा देता है...
विवेक अदिति के चेहरे पर हाथ रखते हुए कहता है...." अदिति तुम्हें ठीक होना होगा, भाई को तुम्हारी जरूरत है..." 
विवेक अदिति को लेकर घर पहुंचता है.... मालती जी अदिति को इस हाल में देखकर परेशान होकर कहती हैं...." विवेक क्या हुआ अदिति को...?...."
विवेक : मां बताता हूं पहले इसे रुम में ले जाऊं....
विवेक अदिति को गेस्ट रूम में ले जाता है , मालती जी भी उसके पीछे रुम में पहुंचती है.....
मालती जी पूछती है...." बेटा बता तो इसे क्या हुआ है..?.. मुझे बहुत घबराहट हो रही है....
विवेक : मां शांत हो जाओ कुछ नहीं हुआ है ठीक हो जाएगी अदिति बस भाई की हालत को देखकर उसकी तबीयत बिगड़ी है...आप इसका ध्यान रखना मैं हाॅस्पिटल जा रहा हूं भाई के पास, , इसे होश आते ही मुझे काॅल करना..."
मालती : ठीक है बेटा...तू जा ....
विवेक वहां से चला जाता है और मालती जी अदिति के पास बैठती हुई उसके सिर पर हाथ फेरती हुई कहती हैं...." पता नहीं किसकी नजर लग गई मेरे बच्चों को दोनों को इस हाल मेंं देखकर मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है..." मालती जी अदिति के सिर से हाथ को लाकर माथे पर रखती हुई कहती हैं....." इसका माथा इतना तप क्यूं रहा है...शायद इसे बुखार है...." मालती जी फर्स्ट एड बॉक्स से थर्मामीटर लाकर उसे चेक करके कहती हैं....." टेम्परेचर तो नार्मल है फिर इसका शरीर इतना गर्म क्यूं हो रहा है...?.." मालती जी उलझन भरी नजरों से देखते हुए विवेक को काॅल करके पूछती है..." विवेक अदिति को बुखार है...?.."
विवेक : नहीं मां क्यूं...?
मालती : इसकी पूरा शरीर तप रहा है जब मैंने थर्मामीटर से नापा तो नार्मल टेंप्रेचर दिखा रहा है....?
विवेक सोच में पड़ जाता है..." जब मैंने अदिति को उठाया था तो उसकी बाॅडी नार्मल थी फिर अचानक मां क्यूं कह रही है...?.."
विवेक के जबाव न देने से मालती जी पूछती है...." विवू क्या हुआ कुछ बोल क्यूं नहीं रहा....?... डाक्टर को बुला लूं क्या...?.
विवेक तुंरत कहता है...." नहीं मां अभी किसी को मत बुलाना अदिति ठीक है बस बेहोश है थोड़ी देर बाद होश आ जाएगा , आप टेंशन मत लो....."
मालती : ठीक है....
काॅल कट कर देता है और मालती जी डंडा पानी लाकर अदिति के सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखने लगती है... विवेक हाॅस्पिटल पहुंचता है तो देखता है इशान डाक्टर से बहस कर रहा है शायद डाक्टर को धमका रहा था... विवेक उसके पास जाकर पूछता है...." क्या हुआ भाई..?..आप इतने गुस्से में क्यूं हो..?..."
इशान : गुस्से में नहीं होऊं तो क्या करूं....
विवेक उसी नामसझी आवाज में कहता है...." लेकिन बात क्या है...?... बड़ी मां आप बताओ न...."
सुविता : विवू डाक्टर ने साफ मना कर दिया आदित्य को नहीं बचा पाएंगे... उसकी पूरी बाॅडी में जहर फैल चुका है....(सुविता जी रोने लगती है..)
विवेक गुस्से में अदिति के रूप में बने तक्ष को घूरता है फिर जाकर डाक्टर से कहता है...." क्या मैं भाई से मिल सकता हूं..."
डाक्टर : श्योर मिस्टर विवेक......
इशान : विवू तू क्या करेगा.....?
विवेक : आप चिंता मत करो भाई आदित्य भाई को मैं शायद ठीक कर दू बस आप अंदर मत आना......
डाक्टर  हैरानी से पूछते : आप क्या करेंगे...? ये केस अब पूरी तरह बिगड़ चुका है अब तो सिर्फ किसी चमत्कार की उम्मीद ही रखिए....
विवेक : वहीं तो होगा डाक्टर...बस मैं आपको बाद में बताऊंगा....
 तक्ष उसे शक भरी नजरों से देखता है...विवेक अंदर चला जाता है .....
विवेक अंदर पहुंचकर आदित्य के पास रखे पानी के गिलास में अघोरी बाबा की दी हुई औषधि मिलाते हुए अपने आप से कहता है...." अब बस इसे पीते हैं आप ठीक हो जाओ....हे शिवजी इन्हें ठीक कर देना....."
विवेक औषधि वाले पानी को आदित्य को पिलाता है.......
..................to be continued.................
क्या औषधि के पानी से आदित्य ठीक हो जाएगा....?
जानने के लिए जुड़े रहिए.....