Sorry guys aaj main without recap story likh rahi hun
जैसे ही आरोही पालकी और संन्नवि ,आर्य और कौरव , Park में पहुंचते हैं तो देखते हैं कि वह पार्क बहुत ही ज्यादा बढ़ा है ।उस पार्क में बच्चों के खेलने के लिए तरह-तरह के चीजें हैं
उसे पार्क के अंदर बहुत सारे तरह-तरह के बच्चों को एंटरटेन करने के लिए इक्विपमेंट्स थे जैसे की स्विंग, स्प्रिंग हॉर्स ,स्लाइड जंगल जिम, सैंड बॉक्स केसर मंकी बर, टनल आदि चीज। यहां तक की वाटर गेम्स भी थे जैसे की छोटा सा स्विमिंग पूल, वाटर गन, वाटर बैलून आदि चीज थे।
जिसे देखकर संन्नवि तो बहुत खुश होती है ।कौरव के लिए तो यह नॉर्मल सी बात थी। आर्य को भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।
जैसे ही कौरव के दोस्त ,कोरवा वहां आते देखते हैं तो वह भी कौरव के पास भाग कर आते हैं।।
और उसके इर्द-गिर्द गहरा बनाते हैं।
उसके दोस्त पहले उससे बात करते फिर उस के साथ आए बच्चों के बारे में पूछते तो करब उन्हें अपने भाई बहनों से इंट्रोड्यूस कोरवा है, फिर उसके दोस्तों को अपने भाई बहनों से। कौरव के दोस्तों संवि भी खुश होकर मिलती है पर आर्य वैसे ही कोल्ड रहता है।
कुछ देर बाद सभी लोग एक दूसरे के साथ खेल रहे थे।
वही बच्चों कैसे खेलते देखकर पालकी और आरोही भी खुश होते हैं और बेंच पर बैठकर बातें करते हैं।
पालकी ने आरोही से पूछा आरोही दि,रावि कहां है मैंने उसे ब्रेकफास्ट से पहले देखा था पर उसके बाद देखा ही नहीं?
जिस पर आरोही जवाब देती है वह क्या है ना कि अचानक उसे याद आया कि कल उसके कॉलेज में कुछ डाक्यूमेंट्स सबमिट करने हैं जिसकी वजह से वह निकल गई घर के लिए डॉक्यूमेंट कलेक्ट करने के लिए।
ऐसे ही वह दोनों बातें करते हैं ,तभी आरोही की नजर आर्य पर जाती है जिसे देखकर वह पालकी से बोली में अभी आता हूं और वहां से चली जाती है।
पालकी को एक कॉल आता है ,वह कॉल उठाकर पार्क से थोड़ी दूर जाती है।
पालकी आर्य के पास जाकर बैठी है और उसे पूछती है कि वह खेलने क्यों नहीं गया है?
जिस पर आर्य नरम लेजर के साथ बोलता है मुझे यह सब खेलना पसंद नहीं है।
जिस पर आरोही पूछता है कि अच्छा तो तुम्हें क्या खेलना पसंद है?
आर्य बोलता है मुझे गिटार बजाना, डांस करना कुकिंग ,करना अच्छा लगता है।
जिस पर आरोही बोलती है कि वह भी अच्छे गिटार बजती है डांस करती है बस उसे कुकिंग नहीं आती है।
ऐसे ही दोनों एक दूसरे से बातें करना शुरू कर देते हैं आरोही को आर्य से बात करना बड़ा अच्छा लग रहा था तो आर्य को भी आरोही से बात करना।
जो बेचैनी उसे सुबह से हो रही थी वह अब जाकर कहीं ना कहीं खत्म हो गई थी।
तभी आर्य की नजर संन्नवि की तरफ जाती है जो हाफ रही थी। आर्य जल्दी से उठकर वाटर बोतल लेकर संन्नवि की तरफ जाता है और उसे डांटते हुए बोला दि कितनी बार पापा ने बोला है, कि इतना दौड़ा मत करो,( वाटर बोतल का ढक्कन खोलकर संवि को देता है और उसकी पीठ को रगड़ने लगता है।)
संन्नवि अपनी मासूमियत भरी शक्ल बनाकर बोली सॉरी भाई आगे से ध्यान रखूंगी कोरवा भी उन दोनों के पास आता है।
आरोही भी आर्य को ऐसे भागते देख कर घबरा जाती है और खुद भी आर्य के पीछे कर भाग कर आती है और पूछती है कि वह ऐसे क्यों भाग कर आया है।
जिस पर संवि जवाब देती है वह भाई ने देखा था कि मैं थक गई हूं जिसकी वजह से वह मुझे पानी देने आया था।
जिस पर आर्य भी कुछ नहीं बोलता है।
आरोही को यह देखकर खुशी होती है कि किस तरह से आर्य अपनी बहन की देखभाल करता है।
कुछ देर बाद आर्य संवि को एक जगह बैठने की हिदायत देता है अगर वह नहीं बेटे की तो वह दादा को कॉल कर कर बता देगा की संवि उसकी बातें नहीं सुन रही है जिस पर संवि अपना मुंह बनाकर बेंच पर बैठ जाती है।
पालकी भी बच्चों के लिए खाने के लिए कुछ लाती है। जिसे देखकर बच्चे खुश हो जाते हैं।
कपाड़ियाविला में
शेखर जी एक रूम के पास जाते हैं और दरवाजा खोलते हैं।
तब सामने देखते हैं कि एक आदमी जिसका उम्र 56 ,57 होगा वर्ब बेड पर वेंटिलेटर पर है।
शेखर जी धीरे-धीरे उसे आदमी के पास जाते हैं और उसके बाजू में बैठ जाते हैं वह कुछ देर उसे आदमी को यूं ही देख रहे थे।
उसे आदमी को देखते-देखते ही शेखर जी की आंखों से आंसू निकल आती है।
शेखर जी उसे आदमी के हाथों को अपने हाथों में लेकर बोले बाबा मुझे माफ कर दीजिए यह सब मेरी वजह से हुआ है अगर मैं वह काम नहीं किया होता तो आज आप यहां सै सलामत होते।
यह सब उस अर्णव कपाड़िया और उसके परिवार की वजह से हुआ है।
मैं उन लोगों को चैन से जीने नहीं दूंगा जब-जब खुशियां मनाएंगे तब तक मैं उनकी खुशियों को ग्रहण लगाऊंगा।
नहीं मैं खुश रहूंगा ना उन्हें खुश रहने दूंगा।
जल्दी से उठ जाओ ना बाबा आपके शेखर को आपकी जरूरत है।
इतना बोलकर शेखर जी उसे आदमी के पास लेट जाते हैं।
मोहिनी जी यह सब बाहर दरवाजे पर खड़े होकर देख रही थी।
मोहिनी जी खुद से बोली यह सब मेरी वजह से हो रहा है सब कुछ मेरी वजह से हो रहा है।
काश मैं वह सब नहीं करती तो आज इतना सब कुछ नहीं होता ना ही बाबा की हालत इस तरह से होते, नहीं शेखर इस तरह तिल तिल मारते और ना ही कपाड़िया खानदान बीकरता ।
इतना बोलकर वह मुंह दबाकर रोने लगती है वह भी उसे दरवाजे से फिसल फिसलते हुए नीचे बैठकर रोने लगती है।
दूर से खड़ा एक लड़का यह सब देख रहा था। (यह लड़का कौन है हम यह आगे जानेंगे)
कपाड़िया इंडस्ट्रीज में
वनराज शिवाय और प्रणय गाड़ी से बड़ी स्टाइल से उतरते हैं।।
इस वक्त सारे एम्पलाइज दरवाजे के पास खड़े थे क्योंकि उन्हें इनफार्मेशन मिली थी कि इस कंपनी के दूसरे मलिक शिवाय कपाड़िया आ रहे हैं तो सभी शिवाय का स्वागत करने के लिए गुलदस्ते और गिफ्ट लेकर खड़े थे।
इस वक्त उन एम्पलाइज को अपने आजू-बाजू का एटमॉस्फेयर बहुत ही ठंडा लग रहा था।
क्योंकि सामने से तीन हैंडसम पर्सनालिटी एकदम रोब के साथ ऑफिस के अंदर आ रहे हैं।
ऑफिस की सिंगल लड़कियां शिवाय और प्रणय को देखकर अपनी आहे भर्ती है क्योंकि वह वनराज के बारे में जानती थी कि वनराज मैरिड है और वह एक लॉयल हस्बैंड भी है।
अब तक जो शिवाय और प्रणय घर में प्यार स्मार्ट इनोसेंट टाइप लग रहे थे अब वह लोग एकदम डेविल लग रहे थे।
जब शिवाय देखता है कि, लोग उसे फ्लावर्स देने आ रहे हैं तो वह एक नजर बॉडीगार्ड की तरफ देखता है।
बॉडीगार्ड शिवाय की नजरों को समझ कर शिवाय के आसपास फैल जाते हैं और लोगों को शिवाय से दूर करते हैं।
शिवाय और वनराज प्रणय तीनों ऑफिस के ऑडिटोरियम रूम में जाते हैं।
तो देखते हैं कि वहां बहुत सारे एम्पलाइज बैठे हुए हैं जैसे ही वह तीनों आते हैं तो सारे एम्पलाइज खड़े हो जाते हैं।
स्टेज पर कुछ एग्जीक्यूटिव बैठे हुए थे।।
वनराज शिवाय प्रणय की स्टेज पर आते हैं।
इनमें से एक एग्जीक्यूटिव उठकर उन तीनों का सम्मान करता है।
शिवाय को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था फिर भी वह अपने भाई और बड़े पापा के लिए चुपचाप सब कुछ कर रहा था।
एग्जीक्यूटिव कंटेनर के हाथों में एक फ्लावर बुकी देते हैं और उसके वेलकम करते और एक वेलकम स्पीच देते हैं।
वेलकम स्पीच के बाद वनराज को कुछ बात (दो शब्द) कहनें के लिए बोलते हैं ।
वनराज कुछ स्पीच देता है उसके बाद वह शिवाय को स्पीच देने के लिए कहता है।
शिवाय चुपचाप आता है माइक के पास खड़े होता है और सबको ग्रीट करते हुए बोलता है ।
यह कंपनी सिर्फ एक कंपनी नहीं है यह हम सब का घर छलाने का जरिया है ,यह हमारे इमोशन है।
मैं आप सब से यही बोलना चाहूंगा कि बातें कम कर जाए और काम ज्यादा।
ऐसे ही है शिवाय मोटिवेशनल स्पीच देता है।। जिसमें कई सारे हिदायत थी तो चेतावनी भी अगर कोई गद्दारी करेगा तो उसे गद्दार को छोड़ नहीं जाएगा।
ऐसे ही 15 मिनट तक स्पीच देता है।
दूसरी तरफ
एक बड़े से बिल्डिंग के बाहर नाम लिखा है ''शेखावत स्वास्थ्य केंद्र''(काल्पनिक नाम)
तभी दुर्गा कार से बाहर निकलती है और ऑपरेशन थिएटर के पास जाकर अपने आप को डिश इनफैक्ट करती है का ऑपरेशन थिएटर के अंदर जाती है जहां कुछ डॉक्टर एक क्रिटिकल सर्जरी कर रहे हैं।
दुर्गा भी उन लोगों के साथ सर्जरी में ज्वाइन हो जाती है।
3 घंटे बाद सर्जरी खत्म होता है और दुर्गा और बाकी सब डॉक्टर बाहर आते हैं जिनमें एक कार्तिक भी था।
दुर्गा पेशेंट के रिश्तेदारों से बोले देखिए मैम हमने तो सर्जरी परफॉर्म कर दी है लेकिन पेशेंट की हालत बहुत क्रिटिकल है अगर उन्हें 24 घंटे बाद होश नहीं आता है तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं इतना बोलकर वहां से चली जाती है। बाकी का इनफार्मेशन नर्स उसे पेशेंट के परिवार वालों को देती है।
दुर्गा अपने केबिन में आती है और अपने डॉक्टर के सर्जरी सूट को निकाल कर खुद को फिर से डिस इनफेक्ट करती है। थक्कर चेयर पर बैठ जाती है और एक गिलास पानी एक ही घूंट में खत्म कर देती है।
इस वक्त दुर्गा के चेहरे पर बहुत सी परेशानी दिखाई दे रही थी।
कार्तिक भी दुर्गा के केबिन में आ जाता है और वह भी खुद को पहले सैनिटाइज करता है।
दुर्गा के सामने बैठता है इस वक्त दोनों भी बहुत थक चुके थे तभी एक नर्स आती है और उनके सामने लंच रखती है क्योंकि इस वक्त लंच करने में बहुत देर हो चुकी थी।
दुर्गा खाने से मना करती है तो कार्तिक उसे जबरदस्ती खाना खिलात है और खुद भी खाता है क्योंकि वह जानता है कि डॉक्टर का काम ऐसा ही होता है।
डॉक्टर का इमोशनली और फिजिकली स्ट्रांग होना जरूरी रहता है क्योंकि उन्हें पता नहीं चलता कि कब उन्हें किस तरह से पेशेंट की मदद करनी है।
ऐसे ही कर कर पूरा दिन खत्म हो जाता है।
सभी लोग घर में आते हैं आरोही अपने घर के लिए चली जाती है।
जया जी यश जी भी मल्होत्रा मेंशन के लिए निकल जाते हैं।
इस वक्त सभी लोग डाइनिंग टेबल पर डिनर कर रहे थे।
सभी लोग अपना डिनर खत्म कर कर अपने-अपने कमरे में जाकर सो जाते हैं।
क्या यह सवेरा ऐसे ही बरकार रखेगा कपाड़िया खानदान की खुशियां या होगा कोई धमाका जानने के लिए पड़ी है अगला चैप्टर।
न्यू प्रोमो
यह कहानी है माया और इंद्रजीत की एक आज है तो दूसरा पानी एक दिन माया गलती से इंद्रजीत को किस कर लेती है।
जिसका बदला लेने के लिए इद्रजीत अपनी कंपनी में माया को अपनी पर्सनल असिस्टेंट का जब देता है।
आप कैसे लगा इंद्रजीत माया बदला जाने के लिए पड़ी है इश्क।
पॉकेट नावेल एंड मातृभूमि app पर.