Bandhan - 28 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 28

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 28

रीकैप 

पिछले चैप्टर में हम ने पढ़ा के बच्चे आरोही aur पालकी   पार्क के लिए जाते हैं। सन्नवी पार्क देकर बहुत खुश हो जाती है। संन्नवि और कौरव पार्क में बहुत मस्ती करते है। पर आर्य चुपचाप एक बेंच पर बैठकर उन सब को मस्ती करते हुए देखता है। क्योंकि उसे इन सब में इंटरेस्ट नहीं है। 

कपाड़िया इंडस्ट्रीज में शिवाय जाता है और अपने एम्पलाइज को एक मोटिवेशनल स्पीच देता है ।पूरा कपाड़िया ‌ कॉर्पोरेशन में घूमता है।  उसे उस कंपनी से जुड़े हुए अपनी पुरानी यादें आती है। 

अब आगे

कपाड़िया मेंशन में 

सुबह के 5:00 

कपाड़िया मेंशन में एक छोटा सा जिम है जहां पर कपाड़िया मेंशन  के सारे आदमी आकर जिम करते हैं। उसे जिम में बहुत सारे जिम के इक्विपमेंट होते हैं।

इस वक्त शिवाय ट्रेडमिल पर भाग रहा था और कल के बारे में सोच रहा था क्योंकि उसे कल ऑफिस में जाकर अपनी पुरानी सारी यादें याद आ रही थी। 

वह किस तरह वनराज के साथ मिलकर अपने बड़े पापा और दादू का हाथ बताता था। 

किस तरह से वनराज शिवाय को जबरदस्ती ऑफिस लेकर जाता था क्योंकि शिवाय को बिजनेस से ज्यादा कुकिंग में इंटरेस्ट था। 

तभी जिम के अंदर वनराज भी आता है और साथ में प्रणय भी 

प्रणय डंबल्स ले कर एक्सरसाइज कर रहा था तो वही वनराज पुश अप कर रहा था। 

जब वनराज देखता है कि शिवाय अपनी खयालों  में घूम तो वह शिवाय से पूछता है कि फ्यूचर का क्या प्लान है। 

शिवाय ,वनराज की आवाज सुनकर प्रेजेंट में आता है और वनराज से फिर से एक बार क्वेश्चन पूछने के लिए बोलता है। 

वनराज बोलता  है कि अब आगे क्या करना चाहते हो तुम। 

शिवाय सोचते हुए बोला क्या करना चाहता हूं का मतलब क्या है भाई जैसे बड़े पापा ठीक हो जाते हैं मैं वापस अमेरिका चला जाऊंगा। 

वनराज शिवाय की बात सुनकर उस की तरफ देखता है और पूछता है आखिर तुम अमेरिका वापस क्यों जाओगे यहीं रहो ना सबके साथ देखा नहीं तुमने तुम्हारे आने की वजह से घर में कितनी खुशी आई है। 

शिवाय बोलता है पर भाई वहां पर मैंने अपना रेस्टोरेंट खोला है मुझे अपना बिजनेस भी देखना है और बच्चों को यहां का एनवायरनमेंट सेट नहीं होगा। 

शिवाय की बात सुनकर वनराज बोलता है इतना बहाना क्यों बना रहे हो सीधा-सीधा बोलो कि तुम अपने अतीत से भागना चाहते हो। वनराज शांति लहजे में ही बात कर रहा था उसके चेहरे पर कोई गुस्सा कोई फ्रस्ट्रेशन क्या कोई नाराजगी नहीं थी बस सवाल थे अपने भाई के लिए।
जिस पर शिवाय ने कहा भाई आप भूलिए मत की मेरा यहां से जाना सिर्फ मेरे अतीत की वजह से नहीं था इसके पीछे कोई और भी वजह था और रही बात मेरी अतीत की तो उसे आतीत में ही रहने दीजिए।
शिवाय की जवाब पर वनराज कुछ बोल पाता उससे पहले ही दुर्गा  जिम के अंदर आते हुए, शिवाय को देखते हुए‌ बोलती है । ‌ लाल बंदर बहुत साल हो गए हम दोनों ने वन ऑन वन मैच नहीं किया चलो आज करते हैं। 

शिवाय दुर्गा की बात पर बड़ा रूड जवाब देते हुए बोला आई एम नॉट इंटरेस्टेड चोट लगेगी तो दादी और मां के पास जाओगी और कहोगी कि मैं तुम्हें जानबूझकर हिट किया है। 

दुर्गा वनराज से बोली देखो भाई कैसा यह लाल बंदर मुझे डराता है। 

वनराज दुर्गा की बातों पर हंसते हुए बोला तुमने सही कहा है। इतना बोलकर दोनों एक दूसरे को हाई-फाई देते हैं। 

दुर्गा प्रणय को देखते हुए बोली लाल बंदर के असिस्टेंट तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?

प्रणय रोबोट की तरह जवाब देता है जी नहीं मैम। इन सब बकवास चीजों के लिए मेरे पास टाइम नहीं है। 

दुर्गा ,वनराज  से बोली भाई आपको नहीं लगता इस लाल बंदर का असिस्टेंट बिल्कुल उसी की तरह है इमोशनलेस रोबोट। 

वनराज कुछ नहीं बोलता है अपने पुश अप्स करने जारी रखता है ।

दुर्गा प्रणय से फ्लर्ट करते हुए बोले मिस्टर प्रणय आप तो दिखने में इतने हैंडसम हो ,तूम तो इना चंगा दिखते हो। तो कहे किसी सोनी कुड़ी को पटा नहीं लेते। 

प्रणय दुर्गा के बाद का कोई जवाब नहीं देता है अपने डंबल्स के साथ ही एक्सरसाइज करने जारी रखता है। 

वनराज, दुर्गा और शिवाय की तरफ देखते हुए बोला यह तुम दोनों नाटक करना बंद करो मैं जानता हूं कि तुम यहां मेरा माइंड डाइवर्ट करने आई हो।।
जिस पर दुर्गा सप्तपका जाती है और कुछ बोलने ही वाली होती है कि उससे पहले वनराज बोला।

चलो यह सब छोड़ दो रात 8:00 चिड़िया जाल में फंसने वाली है। 

वनराज की कोड लैंग्वेज सुनकर दुर्गा और शिवाय के चेहरे पर डेविल स्माइल आती है। 

वनराज इतना बोलकर उन लोगों को अपने एक्सरसाइज पर फोकस करने के लिए कहता है। 

ऐसे ही वह लोग 2 घंटे तक एक्सरसाइज करते हैं। 

उसके बाद वह लोग अपने कमरे में फ्रेश होने के लिए चले जाते हैं। 

शिवाय का कमरे में 

शिवाय अपना  पसीना  पोंछते  हुए अंदर आता है। तो देखता है कि संन्नवि सरक ते सरक थे हुए पूरे बैठ के किनारे आ जाती है । जिसे देखकर वह घबरा जाता है और जल्दी से भाग कर संवि को वापस से बैठके  बीच में सुलाता है। वह आर्य के ऊपर अच्छे से ब्लैंकेट और देता है।

उसके बाद वह अपने कॉफी टेबल के पास जाकर लैपटॉप खोलता है और अपने रेस्टोरेंट के  काम करता है। क्योंकि वह जब से आया है वह उसने अपने रेस्टोरेंट का अपडेट ही नहीं लिया है। 

 वनराज के कमरे में 

जैसे ही वनराज जी कमरे के अंदर आता है, तो वह देखता है कि रुचिता बाथरूम से बाहर आ रही थी उसे वक्त रुचिता ने गुजराती स्टाइल में साड़ी पहनी हुई थी वह आईने के सामने जाती है अपने ए  गीले बालों को टावल से लपेटकर जोड़ा बना देती है। 

फिर उसके बाद वह चूड़ियां पहनती है बिंदी लगाती है गले में मंगलसूत्र पहनती है थोड़ा सा मेकअप करती है। 

उसके बाद वह टॉवल से अपने बालों को पहुंचती है। 

रुचिता को यह सब करते हुए बहुत देर से वनराज देख रहा था। 

जैसे ही रुचिता सिंदूर अपने मांग में लगाने वाली होती कि तभी वनराज  ,उसके हाथ को पकड़ लेता है और खुद ही उसकी मांग में सिंदूर भरता है।

उसके बाद वह रुचिता का चेहरा आईने की तरफ कर कर रुचिता की ब्लाउज की डोरी बनते हुए बोलता है। 

तुम्हें पता है मुझे नहीं लगा था कि मैं तुम्हारे साथ यह शादी निभा पाऊंगा ।।

मुझे लगता था कि यह तुम्हारे साथ शादी कर कर में खुद की जिंदगी को बर्बाद करने जा रहा हूं। 

पर आज लगता है कि मैं कितना बड़ा गधा था। जब से तुमने मेरी जिंदगी में आई हो तब से मेरी जिंदगी और भी ज्यादा खूबसूरत हो गई है। अब तो मुझे तुम्हें खुद से दूर रहने से रोकना बड़ा मुश्किल हो जाता है।।

आज मुझे लगता है कि पापा ने मेरे लिए जो डिसीजन लिया है वह सही है मैं ही गधा था जो‌ उनसे लड़ने गया था। 

रुचिता वनराज की बात सुनकर बोली जो हुआ सो हुआ छोड़ दीजिए वैसे भी मैं आपसे नाराज नहीं हूं। 

रुचिता की बात सुनकर वनराज उसके गालों पर चूम लेता है और बोलता है यू आर द बेस्ट वाइफी 

। लेकिन मैं भी जल्द ही बेस्ट हस्बैंड बनूंगा। 

रुचिता बोलती है जब बेस्ट हस्बैंड बना है तो तब बनेगा है अब जाकर जल्दी से नहा लीजिए आपको और शिवाय भैया को दुर्गा माता की मूर्ति लेने जाना है। 

रुचिता की बात सुनकर वनराज अपने माथे पर हाथ रखकर बोला मैं तो भूल गया था थैंक यू सो मच याद दिलाने के लिए ।
फिर से एक बार रुचिता के माथे को चुम कर वह वॉशरूम के लिए चले जाता है। 

रुचिता कमरे से बाहर निकलती है और किचन की तरफ जाती है तो देखती है ,कि किचन में पहले से ही खुशी जी और इशिता जी है। 

वह दोनों के पास जाकर बोलती है जय श्री कृष्णा मां जी और दादी मां। (उनके पैर छूती है) 

खुशी जी और इशिता जी दोनों, उसे आशीर्वाद देते हैं (सदा सुहागन रहो, सदा खुश रहो) 

उसके बाद वह तीनों लोग माता रानी के स्वागत के लिए भोग (प्रसाद) बनाते हैं।

उसके बाद वह लोग घर को फूलों से और लाइटों से सजाते हैं। क्योंकि आज नवरात्रि का पहला दिन है। 

इस वक्त हाल में बहुत ही हलचल थी क्योंकि माता रानी को लाने का मुहूर्त शाम के 6:00 बजे का था। 

 इशिता जी रुचिता से कहती है कि वह पालकी के साथ मिलकर माता रानी के मंदिर को अच्छे से सजा दे और वनराज और शिवाय को जाकर माता रानी को घर लाने की तैयारी करने के लिए  बोलती है। 

रुचिता  बात मानकर  किचन से बाहर चली जाती है।

वह शिवाय के कमरे में जाती है दरवाजे को नौक करती है तो शिवाय जो अब तक लैपटॉप पर काम कर रहा था वह सर उठाकर दरवाजे की तरफ देखता है सामने रुचिता खड़ी हुई दिखती है तो वह रुचिता को अंदर आने के लिए कहता है। रुचिता अंदर आती है उसे बताती है कि उसे जल्दी से तैयार होकर माता रानी को लाने के लिए वनराज के साथ जाना है। 

शिवाय भी उनकी बात मान जाता है और बोलता है कि वह जल्दी से तैयार हो जाएगा। 

शिवा की बात सुनकर रुचिता  वह से चली जाती है और पालकी के पास जाती है। 

पालकी भी रेडी हो चुकी थी उसने रेड कलर की अनारकली सेट पहना हुआ था और बालों को जोड़े में बंद हुआ था और दो लेटे को छोड़ रखा था। 

इस वक्त पालकी बहुत ही ज्यादा मासूम और खूबसूरत दिखाई दे रही थी। जिसे देखकर रुचिता अपने आंखों से काजल निकाल कर पालकी के कान के पीछे लगाते हुए बलिया लेती है और उसके बाद दोनों बातें करते हुए कमरे से बाहर आते हैं।

पालकी और रुचिता मंदिर की तरफ जाते हैं जो घर से थोड़ा बाहर है। 

पालकी और रुचिता मंदिर को फूलों से सजाने के लिए फूलों की मालाएं बनाने लगती है। 

गार्डन में प्रणय गरबा खेलने के लिए मंडप लगवाता है म्यूजिक सिस्टम और रात का खाना की तैयारी करवाता है।।

अब तक बच्चे भी उठ चुके थे और रेडी होकर नीचे डाइनिंग टेबल के पास आते हैं। 

इस वक्त तीनों बच्चे पूरे घर को देख रहे थे जो लाइटर और फूलों से डेकोरेट हो रहा था। 

कौरव को पता था कि घर क्यों डेकोरेट हो रहा है पर संवि और आर्य को नहीं पता था। 

पर दोनों तो पूरे घर को देखने में बिज़ी हो गए। 

आर्य शिवाय से पूछता है कि घर इतना क्यों डेकोरेट हुआ है तो कौरव जवाब देता है वह आज से नवरात्रि शुरू होने वाली है ना इसलिए। 

आर्य कौरव से पूछता है कि नवरात्रि क्या है।

करो उसे जवाब देता है कि नवरात्रि में सब लोग डांडिया खेलते हैं और बहुत सारा डिफरेंट डिफरेंट खाना बनता है। 

और माता रानी की पूजा करते हैं। और हां नए-नए कपड़े भी हार रोज पहनते हैं। 

तभी इशिता जी किचन से बाहर आती है शिवाय और तीनों बच्चों को नाश्ता कर करती है। 

जब संन्नवि यह देखती है कि नाश्ते के लिए सिर्फ वही लोग है तो वह इशिता जी से पूछती कि बाकी सब लोग कहां है तो इशिता  जी जवाब देती है कि आज सपने उपवास(फास्ट) रखा है जिसकी वजह से सब लोग आरती के बाद ही खाना खाएंगे।

संन्नवि इशिता जी से पूछती है उपवास क्या होता है दादी मां।

तभी पीछे से आवाज आता है उपवास में लोग खाना नहीं खाते हैं जब तक आरती ना हो आरती होने के बाद वह लोग खाना खाता हैं। 

सभी पीछे मुड़कर देखते हैं तो आरोही दरवाजे के पास खड़ी होकर बोल रही थी।

आखिर क्या होने वाला था रात के 8:00 किस चीज के बारे में वनराज बात कर रहा था। 
क्या वनराज और रुचिता के बीच में भी था कुछ ऐसा राज जाने के लिए पढ़िए अगला चैप्टर।