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आरोही के वहां से जाते ही दुर्गा एक गहरी सांस लेती है और खुद को शांत करवाते हुए संवि कीबोर्ड की तरफ जाती है।
संवि वार्ड के अंदर बहुत हलचल थी क्योंकि 4 दिन बाद वह अपने घर जाने वाली थी जिसकी वजह से वह बहुत ही ज्यादा खुश थी और उछल कूद कर रही थी उसे ऐसे खुश देखकर शिवाय भी बहुत खुश था, संवि के साथ आर्य भी मस्ती कर रहा था।
तभी दुर्गा वार्ड का दरवाजा खोलकर अंदर आती है इस वक्त उसके चेहरे पर घबराहट और माथे पर पसीना था तो सांसें भरी हुई थी।
उसकी ऐसी हालत देखकर शिवाय उससे पूछता है क्या हुआ है। तुम ऐसे क्यों दौड़ कर आई हो इतनी घबरा क्यों रही हो?
दुर्गा उसकी बात को इग्नोर करते हुए अपनी सांसों को संभालते हुए टेबल के पास आकर गिलास में पानी लेकर एक ही सांस में पीती है। और शिवाय को देखते हुए बोली तुम्हें पता है अभी नीचे क्या हुआ है..........(डर और घबराहट का मिश्रण ) तुम जानते हो आरोही किस से मिली है।
जिस पर शिवाय अपने मू़ंढ़ि को ना में हिलता है। शिवाय को अपना सर ना में हिलाते देखकर दुर्गा कुछ बोलने वाली थी पर इससे पहले ही रुचिता और वनराज भी आते हैं।
उन लोगों को आते देखकर दुर्गा खामोश होती है जिसे वनराज महसूस कर कर पूछता है क्या हुआ तुम लोग ऐसे खामोश क्यों हो गए ?
शिवाय को तो समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे क्योंकि उसे तो कुछ पता ही नहीं था।
दुर्गा खुद को संभालते हुए बोली भाई वह क्या है ना संवि के डिसचार्ज फॉर्म पर शिवाय की सिग्नेचर चाहिए था, पर बच्चों के पास कोई भी नहीं है इसलिए मैं परेशान हो गई थी।
दुर्गा की बात सुनकर रुचिता बोली अच्छा ठीक है तुम भैया को लेकर जाओ मैं और ए है यहां पर दोनों के पास।
जिसे सुनकर दुर्गा अपना सर हां मिलाकर शिवाय का हाथ खींच कर वहां से ले जाती है वनराज को दुर्गा की हड़बड़ा देकर अजीब लग रहा था।
दुर्गा शिवाय को एक वार्ड के अंदर लेकर जाती है जहां पर कार्तिक भी था। दुर्गा को ऐसे करते देखकर कार्तिक शिवाय से इशारे में पूछता है कि क्या हुआ है? शिवाय उसका इशारा समझ कर अपना कंधा उसका देता है।
जिस पर कार्तिक दुर्गा से पूछता क्या हुआ है तुमने मुझे इतनी अर्जेंटली यहां क्यों बुलाया है और खुद शिवाय को ऐसे तूफान मेल की तरह क्यों खींचते हुए ला रही हो?
जिस पर दुर्गा शिवाय का हाथ झांकते हुए कमरे में इधर-उधर घूमते हुए घबराकर बोली लंका लगने वाली है हम तीनों की, जल्दी से अपने-अपने सामान पैक करो और देश छोड़कर भाग जाओ अगर किसी को पता चला हम तीनों ने मिलकर क्या कंड किया है तो हमारा जिंदा बचाना नामुमकिन है। लगता है यमराज ने प्लान कर लिया है हम लोगों को उठाने का।
दुर्गा के बिना सर पर वाली बातें सुनकर शिवाय और कार्तिक जा़ल जाते हैं।
तो कार्तिक दुर्गा को कंधे से रोकते बोला ...तुम बोलना क्या चाहती हो, साफ-साफ बोलो हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है और यह बिना सर पैर वाले बातें कर क्यों रही हो कौन सा पहाड़ टूट कर आया है? जिसकी वजह से तुम" मुसीबत की रानी" घबरा रही है।
कार्तिक की बात सुनकर दुर्गा को तो गुस्सा आ रहा था पर वह अपने गुस्से को काबू करते हुए बोली बेवकूफ आदमी तुम्हें पता है मैं नीचे किसे देखा है और वह भी किसके साथ?
जिस पर अभी शिवाय चिड़कर बोला तब से तुम बातें गोल-गोल घुमा क्यों रही हो जो बोलना है सीधा बोलो 😤😤।
शिवाय की बात सुनकर दुर्गा आंखें बंद करते हुए बोली मैं नीचे आरोही को डॉक्टर रोली से बात करते हुए देखा है...
जिसे सुनकर कार्तिक बोला अच्छा बस इतनी सी बात की तुमने डॉक्टर रोली को देखा है।।( लेकिन तभी वह रुकता है) और इस बार अपनी आंखों को बड़े-बड़े करते हुए बोला क्या डॉक्टर रोली को देखा है।
उसकी बात सुनकर शिवाय और कार्तिक एक दूसरे की आंखों में देखते हैं और दुर्गा से पूछते हैं क्या तुम कंफर्म हो कि तुम ने डॉक्टर होली को देखा है।
जिस पर दुर्गा अपने गुस्से को पीसते हुए एक-एक शब्द को चबाते हुए बोली मैंने सिर्फ डॉक्टर को ही नहीं देखा। मैंने यह देखा है कि ,आरोही डॉक्टर होली से बात कर रही थी।
अब कार्तिक अपने सिर पर हाथ रखते हुए बोला चलो यहां से जल्दी से हम कपड़े पैक करके अपने सामान को लेकर यहां से भाग जाते हैं वरना किसी को पता चलेगा तो हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे ।डायरेक्ट हम लोगों का यमलोक का टिकट निकलवाएंगे, पता नहीं भगवान को ना मुझसे क्या पर्सनल दुश्मनी है एक मुसीबत से निकलता नहीं हूं कि दूसरे मुसीबत में डालते हैं। (दुर्गा की बात सुनकर अब कार्तिक बिना सर पैर के बातें कर रहा था)
दुर्गा भी कार्तिक की बातों में हमी मिलती है।
उन दोनों को ऐसे एक दूसरे के साथ बकवास कर
ते देखकर शिवाय चिल्लाता है "शट अप"।
उसकी ऐसी आवाज सुनकर दोनों उसकी तरफ देखते हैं और खामोश हो जाते हैं।
शिवाय बोल ...पर ऐसे कैसे हो सकता है, वह तो 5 साल पहले ही एब्रॉड के लिए चली गई थी फिर यहां कैसे?
जिस पर दुर्गा चीरते हुए जवाब देती है क्या वह मेरी पड़ोसी की मौसी है ,जो मुझे बताएगी कि वह यहां कैसे हैं!
जिस पर कार्तिक हैरानी से दुर्गा को देखता है, तो शिवाय घूर कर। (सॉरी गाइस पर मुझे यह सीन सीरियस कम फनी ज्यादा लग रहा है)
डॉ रोली के रूम में।
इस वक्त डॉक्टर खुद भी घबराई हुई थी और डर के मारे इधर से उधर चक्कर काट रही थी।
रोली खुद से बोली हे भगवान जिस चीज़ से मैं 5 साल से पीछा छुड़ाना चाहती थी , आज वह मेरे सामने आ गया है।
अगर किसी को पता चला कि मैंने 5 साल पहले क्या किया है तो मेरी नौकरी खतरे में आएगी मेरा लाइसेंस रद्द किया जाएगा।
ऊपर से वह आदमी भी मुझे नहीं छोड़ेगा उसने मुझे सख्त हिदायत दी थी कि अगर वह राज किसी के सामने आया तो वह मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा । ।
इस समय डॉ के चेहरे पर डर ,घबराहट दिखाईं दे रही थी।।
तभी उनके रूम का दरवाजा बजाता है जिसका आवाज सुनकर वह डरती है, वह दरवाजे की तरफ घबराइयों नजरों से देखते हैं और हकलाते हुए बोली... क्... क कमिंग।
उनके कमिंग बोलते ही दरवाजा खोलकर एक शख्स अंदर आता है जिसे देखकर वह डर जाती है।
दुर्गा कार्तिक शिवाय के कमरे में
शिवाय दुर्गा कि तरफ देखते हुए बोला सही-सही बताओ कि तुमने डॉक्टर को कब देखा है?
जिस पर दुर्गा उसे बताती है कि जब मैं बच्चों के लिए स्नेक्स लेने के लिए कैफेटेरिया जा रही थी तो मैं आरोही को डॉक्टर होली से बात करते हुए देखा था।
जैसे ही मैंने डॉक्टर और आरोही को एक साथ देखा तो मैं बिना सोचे समझे उन दोनों के बीच जाकर दोनों को वहां से बाहना देकर भेज दिया था।
और खुद दौड़कर तुम दोनों के पास आई हू।
दुर्गा की बात सुनकर कार्तिक बोलता है जब तुमने डॉक्टर को देखा तो भाग कर आने की बस जाए उन्हें उठवा लेती ,ना रहता बस ना बजती बांसुरी.।।।
कार्तिक की बात सुनकर दुर्गा कार्तिक के पीठ पर जोर से मारते हुए बोली मुझे तो पहले से पता था कि तुम्हारे अंदर अकल नाम की चीज नहीं है आज पूरा यकीन हो गया है, बुड़बक कहीं का।
संवि के वार्ड में
इस वक्त अंकिता जी संवि के कपड़े चेंज कर रही थी क्योंकि अब तक संवि ने नहा लिया था, रुचिता जी इन्हें पहले ही संवि को नहलाया था पर जब वह कपड़े पहनाने वाली थी तो उन्हें कॉल आता है जिसकी वजह से अंकिता जी संवि को कपड़े पहना रही थी, वही आरोही आर्य के साथ बात कर रही थी।
तभी अंकित जी संवि को कपड़े पहनाते -पहनाते हुए देखती हैं कि संवि के राइट शोल्डर पर बरथ मार्क है जिसे देखकर वह पहले तो परेशान होती है फिर अपने सर को झांकते हुए आरोही से बोली रू तुझे पता है संवि के कंधे पर बिल्कुल तेरी तरह ही वर्क मार्क है।
कभी-कभी यह दोनों बच्चों को देखती हूं तो ऐसा लगता है जैसे तेरा बचपन देख रही हो अगर यह बच्चे शिवाय के नहीं होते तो सच बोल रही हो मुझे तो तेरे बच्चे लगते हैं ,तेरी तरह दिखते हैं। यहां तक उनकी सारी की सारी आदतें भी तेरी जैसी ही है।
खासकर संवि की शरारत तुझे पता है तू भी बचपन में ऐसी ही थी बिल्कुल शरारती और अपने बड़े भाई के लिए ओवर प्रोटेक्टिव।
उनकी बात सुनकर आरोही मुस्कुराते हुए बोली को कोइंसिडेंट हो सकता है मां की मेरे और दोनों बच्चों के अंदर इतने सिमिलरिटीज है।
और रही बात वर्तमान की तो वह तो कहीं भी किसी को भी हो सकती है इसमें परेशानी वाली कोई बात नहीं है।
आरोही की बात सुनकर वह बस मुस्कुरा देती है और मन ही मन वह कुछ सोचने लगती है।
पर यह बात सारी दरवाजे के बाहर खड़ी होकर खुशी की सुन रही थी।
क्या होगा कहानी में जानने के लिए पड़ी है अगला चैप्टर।
गैस जल्दी-जल्दी से सस्पेंस खत्म हो जाएगा तो प्लीज पढ़ना मत भूलिएगा अगला चैप्टर।
पर कमेंट करके बताना कि आपको यह एपिसोड कैसालगा।
ए स्पेशल नोट फॉर ए स्पेशल रीडर फ्रॉम आरोही
हेलो मिस अपर्णा आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आपको मेरी कहानी दिल से दिल तक पढ़ने के लिए। मेरी और मेरी कहानी के अन्य किरदारों की तरफ से रोज कमेंट करने के लिए ढेर ढेर सारी थैंक यू और हां आगे भी आप ऐसे ही हमारे साथ रहिए।