"वो जो मेरा था..."
📖 Episode 2 – आरव की अधूरी कहानी और एक पुराने खत की वापसी
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बारिश की वो रात, जो एक टूटे हुए पन्ने और दो अनजान लोगों के बीच शुरू हुई थी… अब धीरे-धीरे एक कहानी का रूप ले रही थी।
काव्या, जिसे अपने टूटे रिश्ते की टीस से उबरना बाकी था, अब एक नई नौकरी और नए शहर में खुद को साबित करने की जद्दोजहद में थी।
वहीं आरव, जिसने दुनिया के लिए खुद को पत्थर बना रखा था — वो भी उस पन्ने की स्याही में डूबता जा रहा था।
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🌃 अगले दिन सुबह – ब्लू बेल पब्लिकेशन ऑफिस
काव्या वक़्त से थोड़ी पहले पहुँच गई थी। बाल बांधे हुए, आँखों में नींद की थोड़ी सी थकान, मगर चेहरे पर सुकून… क्योंकि उसे अब खुद को सिर्फ एक writer नहीं, एक प्रोफेशनल बनाकर दिखाना था।
ऑफिस का माहौल शांति भरा था, दीवारों पर किताबों की पोस्टरें, कोने में एक कॉफी मशीन और हर डेस्क पर किसी ना किसी के सपनों की कहानियाँ बिखरी हुई थीं।
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काव्या को असिस्टेंट ने एक खाली केबिन दिखाया:
“मैम, ये आपकी टेबल है। आज से आपकी ट्रायल वीक शुरू।”
जैसे ही वो बैठी, उसने देखा — टेबल पर एक पुराना लिफाफा रखा है। उस पर लिखा था:
> “To the one who understands silence...”
उसने उलझन में लिफाफा खोला —
अंदर एक पत्र था… और एक तस्वीर।
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📜 पुराना खत – आरव की कहानी, उसकी ज़ुबानी
> “कुछ लोग आपकी ज़िंदगी में सिर्फ इसलिए आते हैं, ताकि जब वो चले जाएँ... तो आपकी कहानी बन जाए...”
> मैं आरव हूँ। और ये मेरा सच है, जिसे मैंने कभी किसी को नहीं बताया...
> पाँच साल पहले, मेरी ज़िंदगी में एक लड़की आई थी — रिया।
वो मेरी दोस्त भी थी, मेरी प्रेरणा भी... और धीरे-धीरे मेरी सबसे बड़ी ज़रूरत बन गई।
> वो कहती थी, “आरव, तू बहुत चुप रहता है। तू अपनी बातें कागज़ से क्यों करता है?”
> मैं मुस्कुरा देता था…
क्योंकि मैं शब्दों से तो कह सकता था, मगर सामने खड़े होकर कहने की हिम्मत नहीं थी।
> फिर एक दिन... वो बिना कुछ कहे चली गई।
> उसके जाने के बाद मैंने खुद को खो दिया, और शब्दों से रिश्ता भी।
> अब जब तुम्हारी डायरी के पन्ने पढ़े… तो लगा जैसे वो रिया फिर से लौट आई हो।
> मैं नहीं जानता कि तुम कौन हो,
पर तुम्हारे शब्दों ने मेरे पुराने ज़ख्मों को फिर से जगा दिया है।
> – आरव
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काव्या ने वो खत बार-बार पढ़ा। उसकी आँखों में आँसू थे — न जाने क्यों।
शायद इसीलिए कि अब तक उसे लगा था, कि सिर्फ उसी का दिल टूटा है।
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📸 तस्वीर
फोटो में एक लड़की थी — सफेद सूट में, हाथ में वही डायरी जैसा कुछ, और मुस्कराहट में सादगी।
काव्या धीरे से बुदबुदाई:
“क्या ये वही डायरी है? क्या ये लड़की मैं नहीं, कोई और है... रिया?”
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⏳ दोपहर – मीटिंग रूम
सभी कर्मचारियों को एक टीम डिस्कशन के लिए बुलाया गया।
आरव हमेशा की तरह शांत, मगर उसकी निगाहें आज काव्या पर कुछ पल ज़्यादा टिक गई थीं।
“आज हमें एक नया उपन्यास सीरीज़ शुरू करना है, जिसका नाम है – 'Unwritten Letters'।”
"And I want KAVYA to lead it."
सारे लोग हैरान थे। किसी को उम्मीद नहीं थी कि पहले ही दिन काव्या को इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दी जाएगी।
काव्या थोड़ी चौंकी:
“सर, मैं नई हूँ… आप इतना भरोसा क्यों कर रहे हैं?”
आरव (आँखों में कुछ अनकहा दबाए):
“कभी-कभी नया इंसान ही पुरानी कहानियों को बेहतर तरीके से समझता है…”
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🌒 रात – ऑफिस से बाहर
काव्या ऑटो का इंतज़ार कर रही थी, जब आरव पीछे से आया।
“मैं छोड़ देता हूँ।”
वो सधा हुआ, शांत स्वर था — पर आँखों में बारिश जैसा कुछ अब भी बाकी था।
कार में चुप्पी थी… और हवाओं में उस खत की स्याही।
काव्या (धीरे से):
“रिया कौन थी?”
आरव ने एक पल उसे देखा… जैसे उस सवाल का जवाब देने से डर रहा हो।
“वो... मेरी कहानी थी। और मैं उसका अधूरा अंत।”
काव्या:
“क्या आपने उससे कभी कहा… कि आप उससे प्यार करते थे?”
आरव (हल्की मुस्कराहट के साथ):
“मैंने सब कुछ लिखा… पर कभी भेजा नहीं।”
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📬 घर पहुँचते ही – काव्या की रात
उसने फिर डायरी खोली और लिखा:
> "शब्दों का क्या है…
वो चाहें तो किसी को जोड़ सकते हैं,
या फिर हमेशा के लिए अधूरा छोड़ सकते हैं…"
> आज लगा कि दर्द सबके पास है,
फर्क सिर्फ इतना है कि कोई उसे लिखता है,
और कोई उसे पढ़ता है…
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🌅 अगले दिन – अनहोनी की दस्तक
काव्या जब ऑफिस पहुँची, तो माहौल बदला-बदला था।
एक खबर आई थी – ‘रिया का खत वापस आया है’।
काव्या चौंकी:
“मतलब… आरव ने कभी खत भेजा था?”
हाँ… 5 साल पहले, उसने एक आख़िरी खत रिया को भेजा था — और आज वो बंद लिफाफा वापस आया था, ठीक उसी पते से। उस पर लिखा था —
“Recipient Not Found”
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📦 साथ में एक डिब्बा
रिया की मम्मी ने किसी तरह आरव को वो डिब्बा भेजा था — उसमें कुछ चिट्ठियाँ, एक पेंडेंट, और एक वीडियो tape थी।
काव्या को देख आरव ने पहली बार कहा:
“क्या तुम मेरे साथ चलोगी… उसे देखने?”
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🎞️ वीडियो टेप – रिया की आवाज़
> “आरव…
अगर तुम ये देख रहे हो, तो शायद अब तक मैं तुम्हारी ज़िंदगी से जा चुकी हूँ।
> पर मैं चाहती थी कि तुम जानो —
मैंने भी तुमसे उतना ही प्यार किया, जितना तुमने कभी लिखा होगा।
> बस फर्क इतना था,
कि तुमने लिखा… और मैं कभी पढ़ ही नहीं पाई।
> मुझे कैंसर था… और मैं नहीं चाहती थी कि तुम किसी बीमार लड़की से प्यार करके अपनी ज़िंदगी तबाह करो।
> पर शायद मैंने गलती की…
क्योंकि अब भी तुम्हारे हर शब्द मेरी साँसों में बसे हैं…”
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वीडियो बंद होते ही, आरव की आँखों से आँसू बह निकले।
काव्या पहली बार उसकी आँखों की स्याही को पानी बनते देख रही थी।
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🌌 रात – एक नई शुरुआत की ओर
काव्या ने धीरे से आरव का हाथ थामा —
“आपने जो अधूरा छोड़ दिया था…
अब शायद वक़्त है कि उसे कोई और पूरा करे।”
आरव ने उसकी आँखों में देखा — पहली बार बिना गुस्से के, बिना नकाब के।
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💫 To Be Continued…
अगला एपिसोड:
"Unwritten Letters – जब काव्या ने आरव की अधूरी किताब को लिखना शुरू किया…"
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