Wo jo Mera Tha - 9 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | वो जो मेरा था - 9

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वो जो मेरा था - 9

"वो जो मेरा था..."
📖 Episode 9 – जब काव्या ने पहली बार आरव के लिए लिखा…



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कहते हैं, लिखने वाला हमेशा किसी के लिए लिखता है — चाहे नाम लिखे या न लिखे।
काव्या ने अब तक अपने शब्दों में कई लोगों की कहानियाँ पिरोई थीं, लेकिन आज वो अपने शब्दों में "उस" को पिरोने वाली थी, जो अब सिर्फ उसकी कहानी का हिस्सा नहीं, बल्कि उसकी ज़िंदगी का पन्ना बन चुका था — आरव।


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☀️ सुबह की शुरुआत – एक अनकहा इरादा

सुबह 6 बजे, खिड़की से आती हल्की सुनहरी धूप काव्या के चेहरे पर पड़ी।
आज का दिन अलग था — उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी।
उसने अपनी डायरी उठाई और सोचा:

> “आज मैं आरव के लिए लिखूँगी… बिना किसी डर के, बिना किसी रोक-टोक के।”




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📝 पहला वाक्य – जो दिल से निकला

काव्या ने डायरी खोली और लिखा:

> “तुम मेरे लिए वो सुबह हो, जो हर रात के अँधेरे के बाद आती है।
तुम वो चुप्पी हो, जिसमें मेरे सारे सवाल खत्म हो जाते हैं।
तुम वो कहानी हो, जिसे मैं अधूरा नहीं छोड़ सकती।”



शब्द जैसे खुद-ब-खुद बहते चले गए।
हर पन्ना आरव की हँसी, उसकी आदतें, उसकी आँखों की गहराई, और उसकी चुप्पियों से भरता जा रहा था।


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📞 आरव का कॉल – एक मासूम जिज्ञासा

फोन की घंटी बजी।

आरव: “सुबह-सुबह किसके बारे में लिख रही हो?” (हँसते हुए)
काव्या: “किसी ऐसे के बारे में, जो शायद अभी तक नहीं जानता कि मैं उसके लिए क्या महसूस करती हूँ।”
आरव: “तो क्या मुझे ये कहानी पढ़ने का मौका मिलेगा?”
काव्या: “शायद… पर सही वक्त आने पर।”

आरव ने मुस्कुराकर फोन रखा, पर उसके दिल में अब जिज्ञासा और बढ़ गई थी।


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🌆 शाम – ब्लू बेल पब्लिकेशन का छोटा सरप्राइज़

शाम को ऑफिस में अचानक पब्लिकेशन हेड, मिस्टर मेहरा ने घोषणा की:

“हम अपनी टीम के क्रिएटिव राइटर्स के लिए एक इन-हाउस राइटिंग शोकेस करने जा रहे हैं।”

हर राइटर को अपनी best piece पढ़ना था, और विजेता को मिलेगा एक special publication feature।

आरव ने तुरंत काव्या की तरफ देखा —
“तुम भाग ले रही हो, है ना?”
काव्या बस मुस्कुरा दी।
उसे पता था कि आज का दिन उसी के लिए बना है।


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🎤 रीडिंग डे – जब काव्या ने सबके सामने लिखा

स्टेज पर जब काव्या का नाम आया, तो हॉल में सन्नाटा छा गया।
उसने अपनी डायरी खोली और बिना नाम लिए पढ़ना शुरू किया:

> “वो शख्स… जो खुद अपनी कहानियों में दूसरों के लिए जीता रहा,
कभी सोचा नहीं था कि उसकी कहानी में मैं भी जगह बना लूँगी।
उसकी हँसी मेरे दिनों का सूरज है,
उसकी चुप्पी मेरी रातों का चाँद।
और अगर कभी वो खो गया, तो यकीन मानो… मेरी कहानी का हर पन्ना खाली हो जाएगा।”



पढ़ते-पढ़ते उसकी आवाज़ थोड़ी भारी हो गई, लेकिन उसने रुककर गहरी साँस ली और आखिरी लाइन बोली:

> “क्योंकि वो सिर्फ मेरा है… और मैं सिर्फ उसकी।”




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😶 आरव की खामोशी – शब्दों से ज्यादा गहरी

पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा, लेकिन आरव चुप था।
उसके चेहरे पर हल्की नमी थी, पर आँखों में चमक भी।

शोकेस खत्म होने के बाद, वो सीधे काव्या के पास आया:

आरव: “ये किसके लिए था?”
काव्या: (मुस्कुराते हुए) “तुम्हें क्या लगता है?”
आरव: “मुझे लगता है… अब मुझे रिया की कहानी से जलन होने लगी है।”

दोनों हँस पड़े, लेकिन उस हँसी में एक गहरा इकरार छिपा था।


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🌙 रात – एक अनकहा इकरार

उस रात काव्या ने अपनी डायरी का पन्ना फाड़कर आरव को मैसेज किया:

> “ये तुम्हारे लिए लिखा था… और सिर्फ तुम्हारे लिए।”



आरव ने रिप्लाई किया:

> “तो फिर… अब मेरी बारी है तुम्हारे लिए लिखने की।”




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💌 Epilogue Note for Episode 9

कभी-कभी मोहब्बत का सबसे खूबसूरत लम्हा ‘I love you’ नहीं होता,
बल्कि वो होता है जब कोई आपको अपनी कहानी में जगह दे देता है।


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अगला एपिसोड (Episode 10):
“जब आरव ने पहली बार काव्या के लिए गाया…”
(कहानी में एक नया रंग, एक नई धुन)


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