"वो जो मेरा था..."
📖 Episode 11 – जब अतीत का एक चेहरा लौट आया…
1. एक अनचाही दस्तक
उस शाम मुंबई में हल्की-हल्की बारिश हो रही थी।
काव्या बालकनी में बैठी, हाथ में चाय का कप और गोद में अधूरी किताब लिए, सोचों में डूबी थी।
बारिश की ठंडी बूंदें हवा के साथ उसके चेहरे को छू रहीं थीं।
उसे अच्छा लग रहा था, लेकिन मन में एक अजीब-सी बेचैनी भी थी — जैसे कुछ होने वाला हो।
नीचे पार्किंग में हेडलाइट्स की रोशनी दिखी।
वो पहचान गई — आरव की कार।
लेकिन आज कार धीरे-धीरे, जैसे बोझिल होकर रुकी।
ड्राइवर सीट से आरव उतरा, और उसके साथ कोई और भी…
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2. समर – पुराना नाम, अनजाना चेहरा
दरवाज़ा खुला।
आरव के साथ एक लंबा, पतला, गोरी त्वचा वाला आदमी था — बाल हल्के बिखरे हुए, आंखों में तीखी चमक और होंठों पर हल्की-सी मुस्कान, मगर वो मुस्कान ठंडी थी।
आरव: “काव्या… ये समर है। मेरा… पुराना दोस्त।”
'दोस्त' शब्द बोलते समय आरव की आवाज़ जैसे थोड़ी भारी हो गई।
समर: “हैलो, मिस काव्या। आरव ने आपके बारे में बहुत कुछ बताया है… अच्छा, या बुरा, वो आप बाद में तय कर लेंगी।”
उसका लहजा मीठा था, लेकिन आँखें जैसे कोई खेल खेल रही थीं।
काव्या ने हल्की मुस्कान के साथ हाथ मिलाया, लेकिन दिल में सवाल उठने लगे — ये अचानक यहाँ क्यों आया है?
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3. डिनर टेबल पर पुराने किस्से
थोड़ी देर बाद तीनों डाइनिंग टेबल पर थे।
काव्या ने कोशिश की कि माहौल सामान्य रहे, लेकिन समर बार-बार आरव के पुराने दिनों की बातें छेड़ रहा था —
समर: “याद है आरव… गोवा वाला ट्रिप? जब तुमने कहा था कि तुम्हें कभी भी सीरियस रिलेशनशिप में दिलचस्पी नहीं है?
और फिर वो रात, जब हम दोनों ने…”
आरव ने बीच में बात काट दी, “समर, ये बातें अब मायने नहीं रखतीं।”
लेकिन समर की निगाहें काव्या पर थीं, जैसे वो उसे कुछ साबित करना चाहता हो।
काव्या के हाथ में चम्मच रुक गया — क्या ये ताना है? या चेतावनी?
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4. किचन में धीमी वार्ता
डिनर के बीच में काव्या पानी लेने किचन में गई।
समर भी पीछे आया।
वो पास आकर धीमे स्वर में बोला:
समर: “तुम सोचती हो कि तुम आरव को जानती हो?
नहीं, काव्या… वो अब भी वही है — एक प्लेयर।
वो किसी को अपने करीब आने देता है… सिर्फ थोड़े समय के लिए, जब तक उसे दिलचस्पी है।”
काव्या ने उसे घूरकर देखा, लेकिन कुछ नहीं कहा।
समर बस हल्का-सा हंसकर बाहर चला गया, जैसे उसके चेहरे पर ‘बीज बोने’ की संतुष्टि हो।
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5. आरव की सफाई
डिनर खत्म होने के बाद समर चला गया।
काव्या बालकनी में खड़ी थी, बारिश थम चुकी थी लेकिन हवा अब भी ठंडी थी।
आरव उसके पास आया।
आरव: “तुम सोच रही हो कि समर ने जो कहा, वो सच है?
काव्या, वो मेरा पुराना बिजनेस पार्टनर था।
हम दोनों की लाइफ उस समय… गंदी थी।
पार्टीज़, शराब, बिना किसी जिम्मेदारी के…
लेकिन मैं अब वो आदमी नहीं हूँ।”
काव्या: “तो फिर वो क्यों आया था?”
आरव: “क्योंकि वो चाहता है कि मैं फिर उसी अंधेरे में जाऊँ…
लेकिन मैं नहीं जाऊँगा। क्योंकि अब मेरे पास तुम हो।”
आरव ने उसका हाथ थाम लिया।
काव्या ने उसके हाथ की गर्माहट महसूस की, लेकिन मन में वो किचन वाली बातें गूंज रही थीं।
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6. आधी रात का फोन कॉल
रात को, जब काव्या सो गई, आरव बालकनी में आकर फोन मिलाने लगा।
उसकी आवाज़ तेज़ थी, गुस्से में डूबी हुई:
आरव: “समर, सुनो… तुम्हारा खेल मेरे साथ नहीं चलेगा।
तुम जो करने आए हो, वो मत करो।
वरना तुम्हें पछताना पड़ेगा।”
फोन कट गया।
आरव ने गहरी सांस ली और सिर झुका लिया।
उसे नहीं पता था कि ये सारी बातें काव्या ने खिड़की के पीछे से सुन ली थीं।
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7. काव्या का मन – उलझन और डर
काव्या बिस्तर पर लेटी थी, लेकिन नींद उससे कोसों दूर थी।
उसके कानों में समर की बातें और आरव की कॉल गूंज रही थीं।
क्या सच में अतीत लौट आया है?
और अगर हाँ, तो क्या इस बार भी वो आरव को खो देगी?
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8. आने वाला तूफ़ान
सुबह होते ही काव्या ने तय किया कि वो समर के बारे में खुद पता लगाएगी।
वो जानना चाहती थी कि ये आदमी आरव की ज़िंदगी में फिर से क्यों आया है।
लेकिन उसे ये अंदाज़ा नहीं था —
कि जिस साज़िश का दरवाज़ा वो खोलने जा रही है,
वो उनके रिश्ते की बुनियाद को हिला देगा।
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💬 End of Episode 11
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