"वो जो मेरा था..."
📖 Episode 6 – जब काव्या ने अपनी कहानी शुरू की...
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"कुछ अधूरी कहानियाँ... पूरी नहीं होतीं, पर किसी और को पूरा कर जाती हैं।"
काव्या के हाथों में रिया की अधूरी कहानी थी —
और सामने आरव — जिसकी आँखों में अब सिर्फ रिया की परछाई नहीं, कुछ और भी दिखता था।
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🌤️ सुबह – ऑफिस की वही कॉफी, पर माहौल बदला हुआ
आरव और काव्या अब अजनबी नहीं थे।
उनके बीच एक अनकही समझ थी —
जैसे दोनों जानते थे कि वो एक-दूसरे की ज़िंदगी में क्यों आए हैं।
काव्या ने धीरे से पूछा:
“क्या मैं उस कहानी को पूरा कर सकती हूँ… जो रिया ने छोड़ी?”
आरव ने उसकी आँखों में देखा और कहा:
“शायद उसी लिए तो तुम यहाँ हो।”
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📂 रिया की फाइल – Unnamed.docx
काव्या ने पूरे 30 पन्ने एक सांस में पढ़ डाले।
हर लाइन में दर्द था।
हर शब्द में एक छुपा हुआ सच।
और सबसे ज़्यादा हैरान कर देने वाली बात थी— उस कहानी की नायिका का नाम “काव्या” था।
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🌀 समय की उलझन
काव्या को लगा —
"क्या ये रिया की कल्पना थी? या कोई इशारा?"
> “काव्या एक ऐसी लड़की थी, जिसे अपने शब्दों से प्यार था, पर रिश्तों से डर…”
> “वो जब बोलती, तो लगता हवा किसी नयी कविता को सुन रही है…”
> “पर उसकी आँखें हमेशा कुछ छुपा रही होतीं…”
ये पंक्तियाँ… काव्या को झकझोर गईं।
क्या ये इत्तेफाक था?
या रिया ने पहले ही उसकी कहानी लिख दी थी?
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💬 आरव और काव्या की बातचीत
काव्या:
"क्या आपने कभी रिया से काव्या नाम की किसी लड़की के बारे में सुना था?"
आरव:
"नहीं, लेकिन रिया अक्सर कहती थी — एक दिन मेरी कहानी को कोई लड़की पूरा करेगी, जिसका नाम कविता या काव्या जैसा होगा… जो मुझे समझेगी।"
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📝 काव्या की पहली कोशिश
काव्या ने रिया की पांडुलिपि में खुद से जोड़ते हुए पहले कुछ पन्ने जोड़े।
उसने लिखा:
> “कभी-कभी हम दूसरों की कहानी में खुद को ढूंढते हैं, और फिर खुद की आवाज़ उसी पन्ने में पा लेते हैं।”
> “मैं रिया नहीं हूँ… लेकिन मैं उसकी तरह टूट चुकी हूँ। और अगर उसकी कहानी में कुछ भी सच था, तो मैं उसे सिर्फ पूरा नहीं करूँगी — जीऊँगी भी।”
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🎤 Storytelling Event – “Words Left Behind”
ऑफिस की तरफ़ से एक लिटरेचर इवेंट आयोजित किया जा रहा था, जहाँ कर्मचारियों को अपने लिखे हुए अंश पढ़ने थे।
काव्या को पहले कभी स्टेज पर जाने में झिझक होती थी।
लेकिन इस बार, वो तैयार थी।
आरव उसकी तैयारी देखता रहा — चुपचाप, मुस्कराते हुए।
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🌙 Event Night – वो शाम जो कभी नहीं भूली जाएगी
हल्की सी रोशनी, मधुर सा संगीत, और एक बारीक सी सर्द हवा।
जब काव्या स्टेज पर पहुँची, उसके हाथों में रिया की अधूरी कहानी थी — और दिल में अपनी बात।
उसने पढ़ना शुरू किया…
> “ये कहानी एक लड़की की है, जो हमेशा दूसरों की आवाज़ों में खुद को ढूंढती रही।
पर एक दिन उसे एहसास हुआ कि उसकी अपनी आवाज़ भी किसी के लिए मायने रखती है।”
> “ये कहानी एक अधूरे पन्ने से शुरू हुई थी…
और आज वो पन्ना फिर से लिख रहा हूँ…
क्योंकि शायद, अधूरे पन्ने ही सबसे ख़ूबसूरत होते हैं।”
सारा हॉल एकदम शांत था।
और आरव की आँखों में — गर्व, सम्मान, और एक नया एहसास।
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📷 Event के बाद – एक पल जो तस्वीर बन गया
आरव और काव्या बाहर लॉन में बैठे थे।
आरव:
“रिया होती, तो कहती — ‘Finally, कोई मेरी कहानी समझा…’”
काव्या:
“मैंने समझा नहीं… शायद उसमें खुद को देख लिया।”
आरव ने पहली बार उसका हाथ धीरे से थामा —
बिना किसी वादा या मजबूरी के… बस यूँ ही।
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💌 Late Night Message
रात को काव्या को एक नया मेल आया —
Subject line: “For Kavya – From someone who saw Ria’s last page”
मेल में सिर्फ एक लाइन थी:
> "वो जो मेरा था… अब तुम्हारा है।"
नीचे साइन था: – R
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🤯 कौन भेज रहा है ये मेल?
रिया तो… अब इस दुनिया में नहीं थी।
तो क्या किसी और को पता था उसकी डायरी, उसकी कहानी, और वो आखिरी सच?
या फिर ये कोई और है — जो रिया की तरह सब देख रहा है?
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🔍 अगली सुबह – एक नया क्लू
काव्या को रिया की डायरी में एक और चिट्ठी मिली — एक पुराने बुकमार्क के अंदर छुपी हुई।
> “अगर कोई काव्या मेरी कहानी पढ़ रही है…
तो जान लेना, मेरी आखिरी बातें अभी बाकी हैं।”
> “जाओ, 'Chapter Café' के उस कोने में जहाँ मैं आखिरी बार बैठी थी…
वहाँ एक कहानी है — जो सिर्फ तुम्हारे लिए है।”
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🌆 अंत में...
आरव और काव्या दोनों अब एक सफ़र पर निकल चुके थे —
जो सिर्फ अतीत नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य को भी जोड़ता था।
एक अधूरी कहानी अब एक नए हाथ में थी।
एक रिश्ता, जो कभी था… अब फिर से जीने को तैयार था।
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To Be Continued...
अगला एपिसोड (Episode 7):
"Chapter Café में छुपा राज़…"
कल सुबह… एक नई खोज के साथ।
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