Ishq aur Ashq - 37 in Hindi Love Stories by Aradhana books and stories PDF | इश्क और अश्क - 37

Featured Books
Categories
Share

इश्क और अश्क - 37


आंखें मत खोलना।
और उसने ऐसा कुछ किया कि उसे उस जलन से राहत मिलने लगी।
अब अगस्त्य ने अपना हाथ उसकी आंखों से हटा लिया।

रात्रि (मन में): कौन हो तुम?

अगस्त्य: तुम जाओ और आराम करो।

(रात्रि चली जाती है)

अगस्त्य (खुद से): तुझे खुद पर काबू रखना होगा, वरना इतिहास खुद को दोहराएगा।

रात्रि (खुद से): कोई तो कड़ी है, जो मुझे और तुम्हें जोड़े हुए है, अगस्त्य... पर क्या?

(अगस्त्य घर पहुंचता है)
अर्जुन ने उसे अंदर आते ही पकड़ लिया।

अर्जुन: भाई, सब ठीक तो है?

अगस्त्य: हम्म...

(वो जाने लगता है)

अर्जुन (पीछे से): आप उसे बता क्यों नहीं देते कि आप उससे कितना प्यार करते हैं?

(अगस्त्य के जाते कदम रुक जाते हैं। वो बिना मुड़े अर्जुन को जवाब देता है): तू आराम कर...!


---

Next morning

"The most eligible bachelor got his lady love."
"Maan प्रोडक्शन के CEO का लव इंटरेस्ट!"
"फिल्म बनाते-बनाते दे बैठे दिल... अगस्त्य मान!"
"प्यार के लिए जंग: रियल लाइफ के कबीर सिंह, Mr. अगस्त्य मान!"

(कुछ इस तरह की हेडलाइंस न्यूज़ पेपर्स में छपीं — अगस्त्य और रात्रि की तस्वीरों और पार्टी की वीडियो के साथ)

अगस्त्य सहित सबने ये न्यूज़ देख ली, और अब बारी है कल रात की पार्टी के साइड इफेक्ट्स की।

(अर्जुन भागते हुए अगस्त्य के कमरे में आता है और उसे झकझोर के उठाता है)

अगस्त्य (नींद से उठते हुए): ऐसा क्या हो गया?

अर्जुन: आप खुद देख लो।

(अर्जुन उसे न्यूज़ पेपर और मोबाइल पर आर्टिकल दिखाता है, और पार्टी की वीडियो भी)

अगस्त्य (माथे पर हाथ रखते हुए): बस... इसी की कमी थी।

(फिर अर्जुन को तीखी नज़रों से देखते हुए): क्या हुआ तेरी टाइट सिक्योरिटी का?

(अर्जुन को याद आया — उसने पार्टी में उन दो लड़कों को देखा था। तब समझ आया कि वो लोग हुलिया बदल कर आए थे।
पर अब कर भी क्या सकते हैं...)

(अगस्त्य को रात्रि का ध्यान आया। उसने तुरंत फोन उठाकर कॉल मिलाया)

अगस्त्य (थोड़ी फिक्रभरी आवाज में): रात्रि... तुम ठीक तो हो ना?

कॉल की दूसरी तरफ से गुस्सेभरी आवाज: तुम दोनों मेरी बहन के पीछे क्यों पड़े हो... मेरी बहन से दूर रहो!

अगस्त्य: Is she fine?

अनुज: क्या लगता है तुझे?

अगस्त्य: I am coming...!

अनुज: सोचना भी मत!

(अगस्त्य कॉल काटता है और फौरन तैयार होकर निकल पड़ता है)

(पर घर के बाहर रिपोर्टर्स ने उसे घेर लिया)

रिपोर्टर: सर, आपने तो कहा था कि आप अपने साथ काम करने वालों को कभी डेट नहीं करते। और कल आप उनके साथ उन फोटोज में... बिज़नेस पार्टनर तो नहीं लग रहे।

(अगस्त्य उन्हें इग्नोर करता है)

दूसरा रिपोर्टर: क्या वो लड़ाई... रात्रि मित्तल की वजह से हुई थी? क्या उनकी वजह से आपकी फ़ॉरेन पार्टनरशिप खतरे में है?

अगस्त्य (अपने स्टाइल में): जैसा भी होगा आपको बता दिया जाएगा। और अगर बताया नहीं गया, तो आप लोग किसी की पर्सनल पार्टी में घुसकर, उनकी पर्सनल डिटेल तो निकाल ही लेंगे... So, excuse me!
सारे मीडिया वाले चुप हो जाते है ।
अगस्त्य जाते जाते पीछे मूड के अपना चश्मा उतारते हुए उन लोगों से कहता है : well,तुम लोगो को अपनी trp मिल गई होगी, तो शाम तक मुझे सारी न्यूज हटी मिलनी चाहिए, वरना तुम लोगो को मेरा नाम दुबारा सुनना भारी पड़ेगा।

(मीडिया वाले उसके जवाब से दंग रह जाते हैं। और वह साइड से निकल जाता है)


---

(वो कार में बैठ कर कुछ दूर जाता है, तब उसे कल का इंसिडेंट याद आता है)

अगस्त्य (सोचता है): नहीं अगस्त्य, तू उसके पास मत जा... ये नज़दीकियां उसे तकलीफ़ देंगी।


---

(दूसरी तरफ, एवी भागता हुआ रात्रि के घर पहुंचता है)

एवी: रात्रि... रात्रि... ये सब क्या है? तुम ठीक हो? तुमने मुझे कुछ बताया क्यों नहीं?

(अनुज उसे रोकता है)

अनुज: दूर रहो मेरी बहन से — तुम भी और वो अगस्त्य मान भी।

एवी: भैया प्लीज़, मुझे उससे बात करने दीजिए।

मेघा: अनुज... आने दे उसे।

अनुज: पर मां...!

(इतना सुनकर एवी भागकर अंदर आता है।
वो रात्रि के पास बैठता है)

एवी: रात्रि... तुम ठीक हो ना?

रात्रि (एकदम नॉर्मल आवाज में): मुझे क्या होगा...? अच्छा, तुम मुझे मेरे ऑफिस ड्रॉप कर दोगे क्या? मुझे लेट हो गया है और मेरी कार सर्विस में गई है।

(रात्रि का इतना नॉर्मल बिहेव देख कर सब हैरान रह जाते हैं)

अनुज: तू ठीक नहीं है! ये कैसी बात कर रही है? इतना सब होने के बाद तू बाहर जाने की...?

रात्रि: मुझे लेट हो रहा है... तुम चल रहे हो एवी? या मैं जाऊं?

एवी (कंफ्यूज़ होकर): हम्म...? हां!

मेघा: पर बेटा...

एवी (मेघा को देखते हुए): Don't worry aunty... मैं इसके साथ ही हूँ।

(इतना कहकर वो ऑफिस निकल पड़ते हैं)


---

(ऑफिस के कोरिडोर में अगस्त्य उसका इंतज़ार कर रहा है।
रात्रि ने एंट्री लेते ही उसे देखा)

(उसे देखकर उसका मन हुआ कि भागकर उसके गले लग जाए... पर वो उसे इग्नोर कर आगे बढ़ गई)

अगस्त्य (मन में): मुझे पता था, तुम डर कर घर में बैठने वालों में से नहीं हो।
I’m proud of you, प्रणाली!


---

(एवी और रात्रि दोनों केबिन में जाते हैं)

एवी: अब तुम मुझे बता सकती हो कि क्या चल रहा है?

रात्रि (कैजुअल आवाज में): क्या हो रहा है? कुछ नहीं...?
मुझे न्यू प्रोजेक्ट पर काम शुरू करना है... इस डेब्यू के चक्कर में, मैंने बहुत काम इग्नोर कर दिए।

एवी (थोड़ा तेज आवाज में): रात्रि...! तुम्हें पता नहीं है जो हुआ है?

रात्रि (हल्की आवाज में, नम होती हुई): तो क्या करूं मैं एवी...? बोलो, डर कर या शर्म से घर में बैठ जाऊं...? ताकि सबको लगे कि गलती मेरी है?

एवी: नहीं, पर सिचुएशन को एक्सेप्ट तो करो।

(रात्रि अपना सिर पकड़ती हुई चेयर पर बैठ जाती है)

रात्रि: मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा... कि मैं क्या करूं... ये सिचुएशन... ऊपर से फिर वही सपने?

एवी (शॉक्ड): सपने...? फिर से???

रात्रि: मुझे ये समझ नहीं आ रहा... सारे राज़ खुल गए हैं... तुम मेरे सामने हो, तुमने मुझे सब बता भी दिया... फिर इन सपनों का क्या मतलब है?

(एवी सोच में पड़ जाता है)

रात्रि: कहीं ऐसा तो नहीं... कि तुमने मुझे सब कुछ बताया ही नहीं?


---