एक लड़की उस भीड़ से निकलती हुई आगे आई।
अगस्त्य उसे देख कर दंग रह गया, उसकी आंखें दो-दो इंच ज्यादा बड़ी हो गईं, और उसके मुंह से निकला: "सय्युरी...?"
वो लड़की भीड़ से निकलती हुई बाहर आई और बोली:
"मैं भी उस दिन पार्टी में थी। जो कुछ आपने उस वीडियो में देखा था, वो सिर्फ आधा सच था..."
सब हैरान हो गए, और सबने अपना माइक और कैमरा उसकी तरफ कर लिया।
अगस्त्य अभी भी शॉक में है...!
अगस्त्य (रात्रि से): तुम घर जाओ... मैं यहां संभाल लूंगा।
रात्रि उसको उस लड़की को घूरते हुए देख लेती है।
रात्रि (हैरानी से): ये लड़की...?
अगस्त्य: क्या... तुम जानती हो इसे...?
रात्रि: नहीं...! पर ये इतनी कॉन्फिडेंट कैसे है?
अगस्त्य ने चैन की सांस ली।
वो लड़की उनकी बात को आगे बढ़ाती है:
"मैं बताती हूं पूरा सच। और ये है पूरा सच!"
(वो अपने फोन से एक वीडियो मीडिया को दिखाती है, जिसमें मैथ्यू रात्रि के साथ ज़बरदस्ती करता दिख रहा है।)
सब लोग हैरान रह गए, और उस लड़की के पास भीड़ बढ़ गई।
अब वही लोग जो अगस्त्य को विलेन कह रहे थे, अब वही लोग उसे हीरो, savior और protector कह रहे हैं।
"Mr. Maan, Mr. Maan आप आज के वक्त के हीरो हो, जो दूसरों की रक्षा करते हो!"
(सबने अपना कैमरा अगस्त्य की ओर घुमाते हुए कहा)
रात्रि (खुश होकर): अगस्त्य... हमारी प्रॉब्लम सॉल्व हो गई, अब सब ठीक हो गया... लेकिन वो लड़की है कौन? और गई कहां?
इतना सुनकर अगस्त्य भी उस तरफ देखने लगा।
वो लड़की अब वहाँ नहीं है।
अगस्त्य सबको हटा कर उस तरफ भागा और अपने आप से बोल रहा है:
"सय्युरी... सय्युरी...? कहां गई तुम...? I am very sure it was you!"
अगस्त्य की नजरों में ऐसी बेचैनी देख कर रात्रि को कुछ अजीब लगा... या सीधा बोलो तो उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।
थोड़ी देर बाद
रात्रि अपने घर पर बैठी इस बात से तो खुश है कि सब ठीक हो गया, लेकिन ये बात उसे खाए जा रही है कि अगस्त्य उसके पीछे ऐसे क्यों भागा???
दूसरी तरफ
अगस्त्य बेचैन है:
"ये सय्युरी ही थी... पर ये अचानक...? अब तक कहां थी ये...??"
उसने अपना फोन निकाला और एवी को कॉल कर दिया और उस पर चिल्लाने लगा:
अगस्त्य: पर किस-किस को शामिल कर रखा है तुमने अपने इस घटिया प्लान में?
एवी (पूरी तरह बेखबर): क्या... क्या बकवास है?
अगस्त्य: तो सय्युरी यहां क्या कर रही है???
एवी को भी उतना ही बड़ा शॉक लगा जितना कि अगस्त्य को:
"क्या...? ये क्या बकवास है??? ऐसा कैसे होगा?"
अगस्त्य: देख, मैंने अपने फोन का बिल बढ़ाने के लिए तुझे फोन नहीं किया है और न ही तेरी आवाज़ सुनने का मन था... तो जल्दी बता, तूने सय्युरी को कैसे...? मतलब कैसे...?
एवी: देख... मेरा इसमें कोई हाथ नहीं है...! और हो सकता है ये तेरी गलतफहमी हो... तुझे याद नहीं है क्या कुछ...? तो सय्युरी का यहां होना इम्पॉसिबल है।
अगस्त्य ने आगे कुछ न सुना और फोन काट दिया।
अगस्त्य: मुझे रात्रि को समझाना होगा।
(फोन पर)
अगस्त्य: हेलो रात्रि... मुझे बीस मिनट में, पास वाले कैफे में मिलो। अर्जेंट है।
रात्रि (खुद से): ऐसी क्या बात करनी है इसको??
बीस मिनट बाद, दोनों कैफे में
अगस्त्य: तुम उसे सच में नहीं जानती?
रात्रि (नज़रे नीचे करके): हम्म... जानती हूं।
अगस्त्य (खुद से): इसे सब...
रात्रि बीच में ही बोलती है:
"I know वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड है... तो मुझे क्यों बता रहे हो??? मैं क्या करूं यहां?"
अगस्त्य की आंखें छोटी-छोटी हो गईं और उसने बिल्कुल अंजान लुक दिया:
"क्या...? गर्लफ्रेंड?" (एक हल्की मुस्कान के साथ)
रात्रि: चलो, मैं चलती हूं...
वो जाने के लिए मुड़ी ही थी कि तभी अगस्त्य बोलता है:
"नहीं... वो मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है!"
रात्रि जाते-जाते रुक जाती है।
उसके फेस पर एक स्माइल आ जाती है, पर वो दिखाना नहीं चाहती, तो वो सीरियस फेस के साथ अपना मुंह अगस्त्य की तरफ घुमाती है और एक अकड़ वाले लहजे में:
"हम्म... हां...? तो मुझे क्यों बता रहे हो?"
अगस्त्य उसका हाथ पकड़कर उसे नीचे बिठाता है और फिक्र भरी आवाज़ में:
"सुनो... तुम कभी उस लड़की से नहीं मिलोगी, ओके? और अगर कभी तुम्हें वो दिखे, तो तुरंत मुझे कॉल करोगी!"
अगस्त्य का ये रूप... पता नहीं ये डर है या फिक्र?
रात्रि: ठीक...? लेकिन बात क्या है, ये सब है क्या???
(एक आवाज़ आती है)
"Ohh! लगता है, यहां मेरी बात हो रही है..."
अगस्त्य और रात्रि नज़रें उठाकर देखते हैं — वो वही लड़की है।
अगस्त्य: तुम... मुझे पता था, ये तुम ही हो... मेरी आंखें तुम्हारे मामले में तो धोखा नहीं खा सकतीं!
रात्रि (उठते हुए): Hey! Thank you so much... तुमने हमारी हेल्प की, उसके लिए...
वो लड़की: अभी तो बहुत करनी है।
रात्रि: क्या...?
वो लड़की: कुछ नहीं...
वो लड़की: By the way... I am सय्युरी ओसवाल।
रात्रि: Oh... I am रात्रि मित्तल।
अगस्त्य बीच बातचीत से ही सय्युरी का हाथ पकड़कर कैफे के बाहर ले आता है।
अगस्त्य (गुस्से में): ये सब क्या है...? तुम यहां कैसे? और रात्रि के पास क्यों...? तुम तो यहां नहीं आ सकती!
सय्युरी: तुम्हारी किस्मत अच्छी थी... जो तुम मर गए थे। मेरी खराब थी... जो मुझे...
अगस्त्य कुछ न बोला।
सय्युरी बेचारा फेस बनाकर कहती है : एवी.......... अगस्त्य... .......और रात्रि के सपने......... सब उससे झूठ बोलते हैं... बेचारी!
बस एक मैं ही हूं जो उसे सच बताना चाहती हूँ।