तेरे नाम की मुस्कान
अभिमान खुद से ही उलझा हुआ था।
उसके चेहरे पर हल्की सी हैरानी और गहराई से भरी मुस्कान थी — जैसे खुद से पूछ रहा हो, "ये क्या हो रहा है मेरे साथ?"
उसने कभी इस तरह महसूस नहीं किया था।
तभी नीचे से आवाज आई —
"अरे बेटा, आज तो तू बड़ी जल्दी घर आ गया!" — सरस्वती जी मुस्कुराकर बोलीं।
अभिमान झेंपते हुए बोला,
"तो क्या हुआ माँ, आ नहीं सकता क्या जल्दी?"
पास बैठे अमित जी ठहाका लगाकर बोले —
"सरु देखना, सूरज शायद पश्चिम से निकला है आज!"
अभिमान मुंह बनाकर बोला —
"मैं ऊपर जा रहा हूँ..."
और तेज़ कदमों से सीढ़ियाँ चढ़ गया।
सरस्वती जी और अमित जी एक-दूसरे को देखकर हँसने लगे।
रात आठ बजे सबने मिलकर खाना खाया।
अभिमान फिर छत पर चला आया।
हाथ में सिगरेट, पर आंखें फोन की स्क्रीन पर।
हर कुछ सेकंड में वो स्क्रीन जगा रहा था।
पर कोई कॉल नहीं...
रात के दस बजे, मोबाइल की स्क्रीन चमकी।
आन्या का नाम देखते ही वो सीधा खड़ा हो गया।
"हेलो!" — अभिमान की आवाज़ में बेसब्री साफ़ थी।
दूसरी तरफ से मुस्कराती सी आवाज़ आई —
"हैलो मिस्टर एग्री यंग मैन..."
अभिमान ने आँखें बंद कर लीं।
उसके होठों पर वही मुस्कान लौट आई।
"आपको मेरी आवाज़ आ रही है ना?" — आन्या ने पूछा।
"हम्म..." — अभिमान ने हल्के से कहा।
"खाना खाया आपने?" — वो प्यारी सी मासूमियत लिए बोली।
"खा लिया... और तुमने?"
"हमने भी खा लिया। आप बिजी तो नहीं हैं ना?"
अभिमान हल्के से झूठ बोलते हुए बोला,
"थोड़ा बहुत था, लेकिन काम छोड़ दिया... जब तुम्हारा कॉल आया।"
एक पल की खामोशी...
फिर आन्या की आवाज़ भरी हुई आई —
"मतलब... आप मेरा इंतज़ार नहीं कर रहे थे?"
उसकी यह नाज़ुक सी शिकायत अभिमान का दिल चीर गई।
उसने सख्त आवाज़ में कहा —
"रोना बंद करो बेबीगर्ल..."
पर दूसरी तरफ बस सिसकियों की धीमी आवाज़ थी।
अभिमान बेचैन हो गया,
"बेबीगर्ल... प्लीज़ कुछ बोलो... मैं मजाक कर रहा था।
दोपहर से तुम्हारी आवाज़ सुनने को बेताब था।
डोंट क्राय, बेबीगर्ल..."
आन्या ने भरी हुई आवाज़ में कहा —
"आपने मुझसे झूठ बोला..."
"नहीं मेरा बच्चा, वो झूठ नहीं था... बस छेड़ रहा था तुम्हें।
अब बस बताओ... खाना खा लिया ना?"
"खा लिया। आप कहाँ हो?"
"मैं छत पर हूँ..."
"क्यों?" — आन्या ने पूछा, खुद बिस्तर पर लेटी, चांद को निहारते हुए।
"चांद को देखना अच्छा लगता है मुझे..."
"आज चांद को देखकर लग रहा है जैसे आप मेरे सामने बैठे हैं..." — उसकी आवाज़ धीमी हो गई।
"अगर सामने होता ना..." — अभिमान शरारत से बोला,
"...तो तुम मेरी गोद में होती बेबीगर्ल।"
आन्या का चेहरा शर्म से लाल हो गया।
उसकी सांसें रुकने लगीं, कुछ कह भी ना पाई।
अभिमान को जैसे उसकी हालत का अंदाज़ा हो गया,
"और जो तुम्हारा चेहरा अभी लाल है ना...
उन गालों पर मेरे होंठ होते और मैं चूम रहा होता..."
आन्या पानी पीने उठी, घबराई सी बोली —
"बस कीजिए मान..."
अभिमान ठहाका मारकर हँस पड़ा।
आन्या धीरे से बोली —
"हमें आपकी याद आ रही है..."
"तो कॉल करने में इतनी देर क्यों लगाई?"
"हम... काम कर रहे थे।"
"काम? तुम तो बच्ची हो..."
"अच्छा... लेकिन मैं गांव की लड़की हूँ, आपकी बातों को दिल पर ले लिया ना तो बात नहीं करूंगी!"
"अरे अच्छा नहीं करनी बात...
पर कर तो रही हो बेबीगर्ल!"
"आप जाओ! नहीं करनी बात! बाय, गुड नाईट!"
— ये कहकर उसने कॉल काट दी।
आई लव यू बेबीगर्ल...
कुछ पल बाद, फिर से कॉल आया।
इस बार जैसे चुपचाप बस एक जादू भरी आवाज़ उभरी —
"आई लव यू..."
और दूसरी तरफ कॉल डिसकनेक्ट हो गया।
अभिमान मुस्कुराया, मोबाइल स्क्रीन की ओर देखा और बोला —
"मिलो मुझसे कल, बेबीगर्ल... अब तो तुम्हें सज़ा मिलेगी..."
उसी समय अमित जी पास से गुजरते हुए बोले —
"पागल हो गया है क्या? अकेला-ही मुस्कुरा रहा है... कहीं कोई कुत्ता तो नहीं काट गया?"
सरस्वती जी बोलीं —
"छोड़िए जी चलिए सोने चलते हैं मान तूम भी जाव।
अभिमान सब सुनकर भी चुप था।
धीरे से अपने कमरे में गया, दरवाज़ा बंद किया।
लाइट बंद करके बिस्तर पर लेट गया।
आँखें बंद कीं —
और वो चेहरा सामने था...
आन्या का मासूम, मुस्कुराता हुआ चेहरा।
वो धीमे से फुसफुसाया,
"आई लव यू बेबीगर्ल... गुड नाईट..."