Super Villain Series - Part 16 in Hindi Mythological Stories by parth Shukla books and stories PDF | Super Villain Series - Part 16

Featured Books
Categories
Share

Super Villain Series - Part 16

🔮 Part 16: ज्ञान का द्वार — सत्य की खोज
अर्णव अब मायावी नगरी छोड़ चुका था।
 लेकिन उसका मन शांत नहीं था।
 एक अजीब उथल-पुथल उसकी आत्मा में चल रही थी —
"मैं त्रैत्य का पुत्र हूं... पर क्या मेरा रास्ता वही होगा?"
सामने लम्बा रेतीला रास्ता था। दूर-दूर तक न कोई इंसान, न पेड़, न आवाज़।
 बस तपती धूप और ज़मीन से उठती गरमी।
उसने पीछे मुड़कर देखा — मायावी नगरी अब धुएं में बदल चुकी थी।
“अब लौटना मुमकिन नहीं… मुझे आगे बढ़ना ही होगा।”

🕉️ गुप्त संकेत — वह रहस्यमयी चिन्ह
चलते-चलते अर्णव के सामने एक चट्टान आई।
 उस पर कुछ लिखा था… एक प्राचीन लिपि में:
"जहाँ पांच तत्व मिलते हैं, वहाँ ज्ञान जन्म लेता है।
 और जहाँ ज्ञान सजीव होता है, वहाँ त्रैत्य मरता है।"
उसके नीचे एक निशान उभरा —
 “ॐ त्रिगुणाय नमः”
जैसे ही अर्णव ने उस मंत्र को पढ़ा —
 ज़मीन काँपने लगी। एक पत्थर हटा, और ज़मीन के नीचे एक सीढ़ी खुल गई।
"ये… शायद वही जगह है जहाँ से सब शुरू होगा," — अर्णव ने सोचा।

📚 प्रवेश: ज्ञान का द्वार
वो सीढ़ियों से नीचे उतरता गया।
 हर कदम पर तापमान बदलता गया।
 कभी ठंड, कभी गर्मी… फिर अंधकार।
और फिर एक प्रकाश से भरा कमरा —
 दीवारों पर लिखे थे अनगिनत मंत्र,
 बीच में एक पुराना साधु बैठा था — ध्यान में लीन।
अर्णव चुपचाप पास जाकर बैठ गया।
साधु की आंखें अचानक खुलीं।
साधु: "तो तू आ ही गया, त्रैत्य-पुत्र…"
अर्णव: "मैं उसका पुत्र नहीं हूं!"
 "मैं तो उसे खत्म करना चाहता हूं…"
साधु मुस्कराया।
साधु: "तू उसकी संतान है, ये तेरा दोष नहीं।
 पर तू क्या बनेगा — ये तेरा निर्णय है।"
"लेकिन बेटा… त्रैत्य को हराने के लिए तुझे उसे समझना होगा।
 और उसके लिए तुझे वो तीन द्वार पार करने होंगे —
 भय द्वार, मोह द्वार, और अज्ञान द्वार।"

🚪 तीन द्वार — पहली परीक्षा
अर्णव को एक और दरवाज़े की ओर इशारा किया गया।
 वहां लिखा था —
"भय द्वार: जहाँ हर कोई अपने सबसे बड़े डर से मिलता है।"
अर्णव ने साहस किया… और द्वार पार कर गया।
अंदर सब कुछ काला था…
 सन्नाटा इतना गहरा कि साँस भी भारी लगे।
और तभी, सामने कुछ दिखा —
 वो छोटी सी लड़की, जिसकी उसने बचपन में मदद नहीं की थी…
 जो रोती रही… और मर गई।
"तू मुझे बचा सकता था!" — लड़की की आँखों से खून बह रहा था।
"तू भी उसी की तरह है… त्रैत्य की तरह!" — उसकी चीखों से कमरा गूंज उठा।
अर्णव गिर पड़ा… आंखों से आंसू।
अर्णव: "मैंने गलती की थी… लेकिन मैं वैसा नहीं बनूंगा।
 मैं अब और किसी को नहीं मरने दूंगा।"
धीरे-धीरे वह छाया गायब हो गई…
 द्वार खुल गया।

📿 साधु की दीक्षा — मंत्र की शक्ति
साधु ने अर्णव के माथे पर भस्म लगाई।
"पहली परीक्षा तूने पास की है।
 अब अगला द्वार तेरे भावनाओं को परखेगा — मोह द्वार।"
"लेकिन पहले मैं तुझे दूँगा एक मंत्र —
 जो तेरी आत्मा को स्थिर रखेगा…"
साधु ने धीमे स्वर में उच्चारण किया:
"ॐ अज्ञान-नाशाय तेजसे नमः"
अर्णव के शरीर में कंपन हुआ…
 मानो वो किसी नये स्तर पर पहुंच गया हो।

💔 आने वाले इम्तिहान की झलक
साधु ने कहा:
"अगले द्वार में तुझे मिलेगा वो —
 जिससे तू सबसे ज़्यादा जुड़ा था…
 और जो तेरे विरुद्ध खड़ा होगा।"
"क्या तू अपने मोह से ऊपर उठ सकेगा?
 या फंस जाएगा, त्रैत्य के जाल में…?"
अर्णव की आँखों में आग थी।
"मैं अब खुद को खो नहीं सकता।
 मैं अपने कर्म का रास्ता चुन चुका हूं।"

✅ Part 16 समाप्त
🔥 अगले भाग में:
अर्णव पार करेगा “मोह द्वार” — जहाँ उसे मिलेगा कोई अपना…


एक भावनात्मक टकराव, जहाँ दुश्मन से ज़्यादा चुनौती अपनी भावनाएँ होंगी


क्या वो आगे बढ़ेगा… या त्रैत्य की चाल में फंस जाएगा?