Super Villain Series - Part 20 in Hindi Mythological Stories by parth Shukla books and stories PDF | Super Villain Series - Part 20

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Super Villain Series - Part 20

Superhero Series | Season 1 | Part 20: "त्रैत्य बनाम अर्णव – निर्णायक द्वंद्व"Superhero Series | Season 1 | Part 20: "त्रैत्य बनाम अर्णव age kya 

H– निर्णायक द्वंद्व"🌀 पिछले भाग से आगे...त्रैत्य अब सामने खड़ा था… एक 13 वर्षीय बालक के रूप में, जिसे अर्णव ने कभी अनाथ जानकर पाला था, और अब... वही बालक उसकी सर्वाधिक विनाशकारी परीक्षा बन चुका था।साधु (धीमे स्वर में):“अब ये समय है... या तो तू इसे बचा ले — या दुनिया को नष्ट होते देख।”😈 त्रैत्य का बाल रूप: विनाश की मुस्कानवो बालक धीरे-धीरे मुस्करा रहा था, लेकिन उसकी आँखों में बचपन नहीं, बल्कि आग थी।बालक (त्रैत्य के स्वर में): “मैं लौट आया हूं, अर्णव। इस बार तू मेरा जनक बना — और अब मैं तुझे ही मिटा दूंगा।”अर्णव का दिल टूट चुका था। जिसे वो अपने बेटे की तरह देखता था, अब वही उसकी आत्मा को ललकार रहा था।अर्णव (गुस्से में): “तू मेरा खून नहीं… तू उस अंधकार का अंश है जिसे मैं जला दूंगा!”⚔️ निर्णायक युद्ध की शुरुआतअर्णव ने अपनी सारी शक्ति एकत्र की। चारों तत्व — जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी — उसके चारों ओर घूमने लगे।और वहीं त्रैत्य… शुद्ध अंधकार और भ्रम की शक्ति के साथ तैयार खड़ा था।त्रैत्य: “तू सोचता है मैं अभी बच्चा हूं? नहीं… मेरी आत्मा हजारों वर्षों की है। और तेरी दया ही तेरा सबसे बड़ा शत्रु बन गई है!”अचानक पूरे आकाश में अंधकार फैल गया। पेड़ उखड़ने लगे, धरती काँपने लगी। एक भयानक विस्फोट हुआ — त्रैत्य पूर्ण रूप में सामने आ चुका था।💔 अर्णव की पीड़ाअर्णव का मन दुविधा में था।“अगर मैं इससे लड़ा, तो ये मेरी ही संतति को खत्म करना होगा… अगर मैं इसे नहीं रोका… तो ये पूरी सृष्टि को मिटा देगा…”और तभी — उसके अंदर से एक स्त्री स्वर आया… "अर्णव..."वो उसकी माँ थी, आत्मिक रूप में।माँ: “बेटा… जब जीवन और धर्म के बीच टकराव हो, तो वही सही होता है — जो सबका भला करे। उसे मारना नहीं… उसे बदलना तेरा असली युद्ध है।”🕯️ त्रैत्य की स्मृति जागृतिअर्णव ने त्रैत्य पर हमला करने की बजाय उसकी आंखों में देखा।“तू त्रैत्य नहीं है… तू वही बच्चा है जिसे मैंने कभी भूखा देखा, जो डर के मारे रातों को मेरे पास सोया करता था…”त्रैत्य की आँखें एक पल को काँप गईं। उसके चेहरे पर उलझन आई।त्रैत्य: “ये क्या… मैं क्यों याद कर रहा हूं वो सब…? ये कमजोरी है… ये मेरा नहीं!”अर्णव ने कदम आगे बढ़ाया।“ये तेरा सच है। तू त्रैत्य नहीं… तू अर्ज है — वही नाम जो मैंने तुझे दिया था।”🔥 परिवर्तन की लौत्रैत्य की आत्मा में दो आवाजें टकरा रही थीं — एक विनाश की… और एक उस मासूम अर्ज की।उसका शरीर काँपने लगा।त्रैत्य (कराहते हुए): “अ… अर्णव… मुझे बचाओ…!”अर्णव ने उसे गले से लगा लिया।और तभी…त्रैत्य की आत्मा से काला धुआँ निकलकर गगन में समा गया।🌄 भोर की पहली किरणभोर हो रही थी।त्रैत्य का रूप अब एक मासूम लड़के अर्ज के रूप में शांत था।वो रो रहा था।“मैंने क्या किया…?” “मैंने कितना दर्द फैलाया…”अर्णव ने उसके सिर पर हाथ रखा।“तुने नहीं… वो शक्ति थी जिसने तुझे साध लिया था। लेकिन अब तू मुक्त है, बेटा।”🔚 Part 20 समाप्त⚡ Season Finale के लिए तैयार हो जाइए!Part 21: "अर्णव – अंतिम रक्षक की घोषणा" में आपको मिलेगा:अर्ज का नायक में परिवर्तनअर्णव की नयी पहचान — एक गुरु, एक पिता और एक रक्षक