Age Doesn't Matter in Love - 21 in Hindi Drama by Rubina Bagawan books and stories PDF | Age Doesn't Matter in Love - 21

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Age Doesn't Matter in Love - 21

आन्या ने कहा, “देर हो जाएगी…”


अभिमान ये सुनते ही, अपनी पकड़ और कसते हुए बोला,

“कुछ पल और… बस कुछ पल और।”

आन्या ने अपना चेहरा अभिमान के सीने में छुपा लिया।


अभिमान उसे अपने सीने से लगाए, कार से टेक लगाकर खड़ा था।

दोनों की आंखें बंद थीं।

अभिमान ने अपने गले में सिर डाले हुए आन्या को महसूस करते हुए धीमे से कहा,

“आई लव यू सो मच, मेरा बच्चा। मैं तुम्हारे साथ हूं… सब ठीक कर लूंगा।”


आन्या ने उसकी ओर देखा… फिर चुपचाप अपने घर चली गई।


अभिमान अपने घर आया, पर बेचैनी ने उसे घेर रखा था।


एक हफ्ता बीत गया।

अभिमान छत पर खड़ा था, हाथ में सिगरेट लिए आसमान की तरफ देख रहा था।

उस दिन के बाद से ना आन्या का कोई फोन आया, ना कोई खबर।


पीछे से सरस्वती जी की चिंतित आवाज आई —

“मान, क्या हो रहा है ये सब? देख रही हूं, बहुत बदल गए हो… खोए-खोए रहते हो।”


अभिमान ने जल्दी से सिगरेट बुझा दी।


सरस्वती जी गुस्से में बोलीं —

“क्या है ये मान? क्या परेशानी है, बताओ मुझे।”


अभिमान उनकी आवाज सुनकर ठिठक गया।

धीरे से बोला,

“मां… आप?”


सरस्वती जी सख्त लहजे में बोलीं —

“वो लड़की कौन है? बताओ मुझे। हम रिश्ता लेकर चलते हैं… लेकिन खुद को यूं मत तोड़ो, मान।”


अभिमान नजरें चुराते हुए बोला,

“सुबह बता दूंगा…”


अगली सुबह

हॉल में अमित जी और सरस्वती जी बैठे थे।

अभिमान उनके सामने चुपचाप बैठा था।


सरस्वती जी फिर बोलीं,

“अब बोलो भी।”


अभिमान ने दोनों को देखा और कहा —

“मैं किसी से प्यार करता हूं…”


सरस्वती जी चिढ़ते हुए बोलीं —

“हमें भी पता है! लड़की का नाम क्या है?”


अभिमान के कान लाल हो गए, धीरे से बोला —

“उसका नाम आन्या है।”


सरस्वती जी हल्की मुस्कान के साथ बोलीं —

“बहुत प्यारा नाम है…”


अभिमान के चेहरे पर मुस्कान आ गई।


सरस्वती जी फिर पूछने लगीं —

“उसकी उम्र क्या है? क्या वो तुम्हारी क्लासमेट है? या दोस्त?”


अभिमान थोड़ा परेशान हो गया, अमित जी की ओर देखा, फिर बोला —

“वो 19 साल की है…”


सरस्वती जी हैरान रह गईं।

अमित जी सिर्फ मुस्कुरा दिए।


सरस्वती जी थोड़ा सख़्त स्वर में बोलीं —

“मान, तुम 27 के हो और वो 19 की… आठ साल का फर्क है। पागल तो नहीं हो गए हो?”


अभिमान ये सुनकर तकलीफ में अपने दोनों हाथ सिर पर रखकर बोला —

“जानता हूं मां… बहुत कोशिश की थी… पर मोहब्बत हो गई है, बेतहाशा।

जान जा रही है मेरी… मुझे वो चाहिए मां, मैं सच में बहुत प्यार करता हूं उससे।”


ईतना कहते ही वो खामोश हो गया।


अमित जी गंभीर आवाज में बोले —

“उस लड़की…?”


अभिमान बीच में ही बोल पड़ा —

“डैड, उसका नाम आन्या है।”


अमित जी ने उसे घूरते हुए कहा —

“ठीक है… उसके पेरेंट्स?”


अभिमान एक गहरी सांस लेकर बोला —

“उनकी फैमिली बहुत पुराने ख्यालों की है।

उन्हें लड़कियां सिर्फ बोझ लगती हैं…

उसे आगे पढ़ने भी नहीं दिया।

लेकिन डैड, मैं उसके बिना नहीं जी पाऊंगा।

मुझे वो चाहिए… बहुत ज्यादा।”


सरस्वती जी चिंतित स्वर में बोलीं —

“उसकी फैमिली मानेगी क्या, मान?”


अमित जी मुस्कराकर बोले —

“पहली बार कुछ मांगा है तूने, अभिमान…”


अभिमान उनके गले लग गया।

सरस्वती जी मुंह बनाते हुए बोलीं —

“मैं भी तो हूं।”

अभिमान हँसते हुए उन्हें भी गले लग गया।


वहीं दूसरी ओर…


आन्या, अपने पापा — तूकाराम जी के कमरे के बाहर खड़ी थी।

उसके हाथ कांप रहे थे।

उसने हिम्मत करके दरवाजा खटखटाया।


अंदर से सख़्त आवाज आई —

“अंदर आओ।”


उसके पैर कांप रहे थे।

वो कमरे में दाखिल हुई।

तूकाराम जी चेयर पर बैठे थे, हाथों में एक डायरी थी।


उन्होंने सख्त आवाज में पूछा —

“क्या हुआ? कोई बात है?”


आन्या के चेहरे पर पसीना था।

जैसे ही वो कुछ कहने वाली थी, तूकाराम जी बोले —

“अब तुम बड़ी हो गई हो… तुम्हारे लिए रिश्ता आया है। लड़का अच्छा है।”


आन्या के कदम डगमगा गए।

उसका दिल टूट चुका था।


भरे गले से बोली —

“पि…ता… जी…”


तूकाराम जी ने सख़्ती से कहा —

“हम्म?”


अपने हाथों की मुट्ठियां भींचते हुए, लड़खड़ाती आवाज में बोली —

“हम किसी और से प्यार करते हैं…”

और फिर चुप हो गई।


तूकाराम जी गुस्से से खड़े हो गए, चिल्लाकर बोले —

“क्या कहा तुमने? प्यार करती हो?”


आन्या की आंखों से आंसू बहने लगे।


वो दहाड़ते हुए बोले —

“जान से मार दूंगा मैं तुम्हें!”


ममता जी जल्दी से अंदर आईं और आन्या को अपने पीछे कर लिया।

आन्या फूट-फूट कर रोती हुई बोली —

“मां, पापा को समझाइए ना… मैं उनसे मोहब्बत करती हूं…”


ममता जी की आंखें नम थीं।

तूकाराम जी गुस्से से उबल रहे थे।


उन्होंने कहा —

“इसीलिए भेजा था उसे स्कूल में?”


ममता जी टूटी आवाज़ में बोलीं —

“आपने उसे थोड़ा भी प्यार दिया होता, तो वो प्यार ढूंढती नहीं।

आपने हमेशा उसे बोझ समझा, नौकर की तरह रखा…

वो लड़की है, लेकिन आपकी ही बेटी है।

मैंने आज तक कुछ नहीं कहा… जो कहा, वही किया…

पर आज, आज वो कुछ चाहती है…

और आप बिना सुने उस पर हाथ उठाने को तैयार थे…

पर ये कोई नई बात थोड़ी है।”


इतना कहकर वो चुप हो गईं।


तूकाराम जी ने सख़्त लहजे में कहा —

“ममता…”


ममता जी हाथ जोड़कर बोलीं —

“अगर शादी ही करनी है तो… एक बार उस लड़के से मिल लीजिए।

बस एक बार मेरी बात मान लीजिए।

मैं आपके पैर पड़ती हूं…”


आन्या ने कसकर अपनी मां को पकड़ लिया।

वो बुरी तरह से रो रही थी।

कमरे में बस उसकी सिसकियों की आवाज थी।


तूकाराम जी ममता जी को देखते रहे — वो हैरान थे।

फिर सख़्ती से बोले —

“ठीक है… कल उस लड़के को कहो अपनी फैमिली के साथ आने को।”


इतना कहकर वो एक नजर ममता जी पर डालते हुए कमरे से बाहर निकल गए।


आन्या ने अपनी मां को देखकर कहा —

“मां…”


ममता जी ने उसके बाल सहलाते हुए कहा —

“अब चुप हो जा, मेरी बच्ची।”


आन्या अपनी मां के गले लगकर रोने लगी।

ममता जी उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं —

“अब क्यों रो रही हो आन्या?”


आन्या आंसुओं में मुस्कुराते हुए बोली —

“थैंक्यू मां… थैंक्यू सो मच।”