🖋️ एपिसोड 12: “जब पहली बार तुम्हें देखा…”
> “कुछ लम्हें अल्फ़ाज़ से नहीं…
सिर्फ आँखों से लिखे जाते हैं।”
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स्थान: दिल्ली — हॉस्पिटल, 3:30 AM
अंधेरी रात…
बाहर हल्की बारिश हो रही थी।
लेकिन अंदर, ज़िंदगी एक नई करवट लेने जा रही थी।
रेहाना ऑपरेशन थिएटर में थी।
आरव बाहर बेंच पर बैठा, दोनों हाथों से अपना चेहरा थामे हुए — बेचैन, डरा हुआ।
हर बीप की आवाज़…
हर गुजरता सेकंड…
उसे अपने सबसे करीब इंसान से और दूर लग रहा था।
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30 मिनट बाद — एक चीख, फिर सन्नाटा… और फिर एक मासूम सी रुलाई।
नर्स बाहर आई —
उसकी गोद में एक नन्हा-सा चमत्कार था।
> “बधाई हो, लड़का हुआ है!”
आरव एक पल को न बोल पाया।
फिर दौड़कर खड़ा हुआ —
उसकी आँखें भर आईं।
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“क्या मैं… पकड़ सकता हूँ?”
नर्स ने बच्चे को उसकी गोद में रखा।
एक नन्ही गर्म सांस…
छोटे हाथ… उंगलियाँ जो बस हवा में हरकत कर रही थीं।
> “ये… हमारा है?”
“हाँ आरव… ये तुम्हारा हिस्सा है, तुम्हारी कहानी का सबसे खूबसूरत शब्द।”
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Scene — रेहाना की आंख खुलती है
थोड़ी कमजोर, लेकिन उसकी मुस्कान वही पुरानी थी।
आरव उसके पास आया।
> “तुम ठीक हो?”
“जब तक तुम और वो दोनों साथ हैं… मैं हमेशा ठीक रहूंगी।”
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तीनों का पहला परिवारिक पल
नर्स ने बच्चे को रेहाना की गोद में दिया।
वो पहली बार अपने बच्चे को देख रही थी —
आँखों में आँसू, होंठों पर दुआ, और सीने में धड़कता एक नया एहसास।
> “इसकी आँखें तुम्हारी जैसी हैं।”
“और मुस्कान तुम्हारी जैसी…”
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नामकरण की बात
आरव —
> “नाम मैं रखूं?”
“तुम्हारा ही तो है…”
> “आरियान।
मतलब — शुद्ध, सच्चा, और रौशनी से भरा।”
रेहाना ने धीरे से कहा —
> “तो अब हमारी कहानी पूरी नहीं…
आरियान के साथ फिर से शुरू हो रही है।”
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घर वापसी — सातवें दिन
घर में पहले से तैयारी थी।
माँ ने झूला सजाया था, दीवारों पर फूल थे।
क़रीबी दोस्त और पड़ोसी बधाई देने आए।
लेकिन रेहाना और आरव सिर्फ अपने बच्चे को देख रहे थे —
हर सेकंड, हर मुस्कान, हर आहट — अब उनकी दुनिया थी।
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रात को — बेबी को सुलाने का पहला दिन
रेहाना लोरी गा रही थी:
> “निंदिया रानी आ जा रे…
तू मेरे चंदा को सुला जा रे…”
आरव पास बैठा था,
उसके हाथ में डायरी थी — वही पुरानी।
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📖 डायरी की नयी इंट्री
> _“आज मैंने पहली बार ज़िंदगी को गोद में लिया…
उसकी हर धड़कन में खुद को सुना…
और जाना कि मोहब्बत सिर्फ दो दिलों के बीच नहीं होती,
वो तब मुकम्मल होती है —
जब तीसरा दिल उसी धड़कन में शामिल हो जाता है।”_
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कुछ दिन बाद — पहली बार घर के बाहर जाना
आरव, रेहाना और आरियान पास के मंदिर गए।
नन्हा आरियान गोद में था, आँखें बंद, लेकिन मुस्कान हल्की।
आरव ने कहा —
> “इसने अभी से मुस्कुराना शुरू कर दिया है।”
“क्योंकि इसे तुम्हारी बाहों में सुकून मिल गया है।”
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एक शाम — जब दोनों थक गए
बच्चा रो रहा था…
आरव की आँखों में नींद नहीं थी…
रेहाना का सिर भारी हो गया था।
दूसरे दिन आरव ऑफिस भी जाना था।
लेकिन दोनों एक-दूसरे को देख मुस्कराए —
> “हम थके हुए हैं… पर खुश हैं।”
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माँ-पिता बनना — आसान नहीं, लेकिन सबसे खूबसूरत
हर दिन एक नई सीख।
हर रात एक नई उम्मीद।
रेहाना ने लिखा —
> _“पहले हमारी रातें प्रेम कविताओं से भरी थीं…
अब वे लोरी बन चुकी हैं।
लेकिन एहसास वैसा ही है — गहरा, सच्चा और शांत।”_
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आख़िरी दृश्य — बेबी के पहले फोटोशूट का दिन
छोटा-सा बेबी सूट, बैकग्राउंड में क्लाउड्स, और सामने वो नन्हा परी-सा बच्चा।
फोटोग्राफर ने पूछा —
> “आप दोनों साथ में बैठिए, और अपने बेटे को देखिए।”
कैमरा क्लिक हुआ।
वो फोटो अब उनके ड्राइंग रूम में लगी है।
नीचे एक कैप्शन लिखा है —
"हम दो… और हमारा सबसे खूबसूरत अध्याय।"
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✨ एपिसोड की आख़िरी लाइन:
> “जब पहली बार तुम्हें देखा…
तो समझ आया,
हम अब सिर्फ प्रेमी नहीं —
माता-पिता बन चुके हैं।”
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🔔 Episode 13 Preview: “रिश्तों की नयी परिभाषा”
> अब जब ज़िंदगी में एक नया रिश्ता जुड़ चुका है,
तो क्या पुराने रिश्ते वैसे ही रहेंगे?
या कुछ दूरियाँ और नज़दीकियाँ बदलेंगी?
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