Adakaar - 4 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 4

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अदाकारा - 4

अदाकारा 4*

    बृजेश और जयसूर्या ने जुहू सर्कल से लेफ्ट वर्सोवा जाने वाली सड़क पर अपनी तैनाती कर ली थी। और वे दोनों वहाँ खड़े होकर शर्मिला के आने का बेसबरी से इंतज़ार कर रहे थे।

तब रात के पौने बारह बज रहे थे।

बीस मिनट और बीत गए। लेकिन ये बीस मिनट भी बृजेश को बीस घंटे जैसे लग रहे थे। और इस दौरान उसके मन में बस यही ख्याल आ रहा था कि भगवान न करे जो जानकारी उसे मिली है वह सच मे सही हो। बृजेश नहीं चाहता था कि उसकी पसंदीदा अदाकारा पर कोई कलंक लगे।

  और तभी शर्मिला की कार उसे आती हुई दिखाई दी। 
  जयसूर्याने पहले शर्मिला की ज़ाइलो कार दूर से ही देखी।उसने तुरंत बृजेश को चेतावनी दी।

"सर।अगले दो रिक्शा के ठीक पीछे शर्मिला मैडम की पीली ज़ाइलो कार है।"

"हाँ। मैंने भी देखी।"

यह कहकर बृजेश आगे बढ़ गया। शर्मिला खुद कार चला रही थीं।उसने हाथ दिखाकर गाड़ी रोकने का इशारा किया।शर्मिलाने गाड़ी किनारे लगाई और रुआब से पूछा।

"क्या बात है?मेरी गाड़ी क्यों रोक रहे हो?"

ज़िंदगी में पहली बार,वो हिरोइन जिसे वह पसंद करता था। जिसके गाने वह हमेशा गुनगुनाता था। जिसकी अदाओं का वह दीवाना था।

वो अदाकारा। वह अभिनेत्री।वह शर्मिला। उसकी आँखों के ठीक सामने खड़ी थी।अगर कोई और मौका होता,तो शायद वह उसके पास जाकर उसका ऑटोग्राफ़ माँग लेता।

लेकिन अब,यहां तो वह उसे मिली जानकारी के आधार पर उसकी गाड़ी की तलाशी लेने आया था। वह एक प्रशंसक होने के नाते नहीं, बल्कि एक पुलिस अधिकारी होने के नाते अपना कर्तव्य निभाने आया था।उसने दिल पर पत्थर रखकर कहा।

"क्या आप पाँच मिनट के लिये गाड़ी से बाहर आएँगी,मैडम?"

"क्यों?"

शर्मिलाने ताव मे आते हुए पूछा।

"मैं आपकी गाड़ी की तलाशी लेना चाहता हूँ।"

बृजेशने विनम्रता से कहा।

जवाब में,शर्मिलाने अपनी भौंहें चढ़ाईं।

"वो क्यू अफ़सर?क्या आपको पता है कि आपने किसकी गाड़ी को रोक रखा हैं?"

शर्मिला का बिगड़ा हुआ मूड देखकर बृजेश को लगा कि यहाँ नरमी या विनम्रता काम नहीं आएगी।वो यहाँ एक प्रशंसक के तौर पर नहीं,बल्कि एक पुलिस अधिकारी के तौर पर आया था। 
इसलिए अब वो थोड़ा सख़्ती से बोला।

"शर्मिला जी।अगर आप यहाँ सड़क पर तमाशा करना चाहती हैं,तो मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है।समझी?लेकिन हमें आपकी गाड़ी की तलाशी तो लेनी ही होगी।"

शर्मिला ने बृजेश की आवाज़ में गंभीरता ओर सख्ती दोनों महसूस की।और अब उसके दिल में घबराहट फैल गई।लेकिन शर्मिलाने उस घबराहट को अपने चेहरे पर ज़ाहिर नहीं होने दि। 
आख़िरकार,वो एक अदाकारा जो थीं।अपनी आवाज़ को नरम करते हुए,उसने मासूमियत से बृजेश से पूछा।

"क्या मैं आपको आतंकवादी या तस्कर लग रही हूँ?"

"नहीं मैडम।लेकिन अगर हमें कोई जानकारी मिलती है,तो हमें उसकी जाँच करनी होगी। इसमें सिर्फ़ पाँच मिनट लगेंगे,ज़्यादा नहीं। प्लीज़।"

शर्मिलाने अपनी गाड़ी से उतरते हुए धड़कते दिल से कहा।

"क्या मैं तब तक आपकी गाड़ी में बैठ सकती हूँ जब तक आप गाड़ी की तलाशी लेते हैं?"

"बिल्कुल।"

बृजेश जानता था कि इतनी बड़ी फिल्म स्टार अगर आधी रात को भी सड़क पर खड़ी हो, तो ट्रैफिक जाम हो ही जाएगा।

शर्मिला दुपट्टे से अपना चेहरा छिपाते हुए पुलिस वैन मे जाकर बैठ गईं।

बृजेश और जयसूर्याने शर्मिला के कार की तलाशी शुरू कर दी।बृजेशने जयसूर्या को एक टिप दी और कहा।

"जयसूर्या भाई।मुझे लगता है कि पूरी कार की जाँच करने के बजाय,हमें बस सीट हटाकर जाँच करनी चाहिए।नब्बे प्रतिशत ड्रग्स अगर होंगे तो वहीं छिपाए होंगे।"

"बिल्कुल सही कहा,साहब।"

यह कहते हुए,जयसूर्याने जैसे ही ड्राइविंग सीट को अपनी जगह से थोड़ा सा हिलाया तो सीट आसानी से वहाँ से खिसक गई।और उसके आश्चर्य के बीच वहां से एक काला प्लास्टिक का बैग उसके हाथ लगा। बैग खोलकर उसने उसे सूंघा।और उसने उत्साहित होते हुवे बृजेश से कहा।

"लो साहब।मिली हुवी जानकारी सौ प्रतिशत सच थी।"

"क्या कह रहे हे आप ?"

बृजेश को जैसे यकीन नहीं हो रहा था।कि उसे शर्मिला की कार से सचमुच असली ड्रग्स मिले हे।अगर वो किसी और की कार होती और उसे इस तरह कामयाबी मिलती,तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। लेकिन यहाँ तो उसकी पसंदीदा हिरोइन थी।और यहाँ उसे अपनी कामयाबी पर खुशी होने के बजाय, उसे जबर्दस्त सदमा लगा था।

(बृजेश अपनी पसंदीदा हीरोइन के नाज़ुक हाथोमे हथकड़ी कैसे पहनाएगा?शर्मिला का क्या होगा?)