Khamoshi ka Raj - 5 - Last Part in Hindi Horror Stories by Kapil books and stories PDF | खामोशी का राज - पार्ट 5 (अंतिम भाग)

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खामोशी का राज - पार्ट 5 (अंतिम भाग)

खामोशी का राज– पार्ट 5

अर्शा अब पूरी तरह सच के लिए तैयार थी। उसने परिवार के उन सदस्यों से भी बात करनी शुरू की, जो पहले खामोशी के पर्दे के पीछे छिपे थे। हर एक के चेहरे पर उस राज़ की छाया थी, लेकिन अब उनकी खामोशी टूटने लगी थी।

एक शाम, परिवार की बड़ी बैठक बुलाई गई। घर का माहौल कुछ अलग था—कुछ लोग डरे हुए, कुछ बेचैन। अर्शा ने दिल पकड़ कर सबके सामने कहा, “हमने बहुत समय खामोशी में बिताया, लेकिन अब सच को छुपाना बंद करना होगा। जो कुछ भी हुआ, उसे स्वीकार करके हम एक नया रास्ता बना सकते हैं।”

थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया। फिर एक-एक कर लोग बोलने लगे। किसी ने पुराने झगड़े की बात की, तो किसी ने धोखे और विश्वासघात का जिक्र किया। पर सबकी जुबान पर एक बात थी—पारिवारिक बंधन को बचाने की चाहत।

अर्शा ने बीच में आकर कहा, “सच को स्वीकार करना मुश्किल है, लेकिन इससे हम अपनी गलतियों से सीख सकते हैं। हमें अब एक-दूसरे से खुलकर बात करनी होगी, ना कि खामोशी के पीछे छुप जाना होगा।”

फिर एक बड़ा मोड़ तब आया जब परिवार के बुजुर्ग ने सामने आकर स्वीकार किया कि उन्होंने भी उस राज़ को छुपाकर परिवार को बचाने की कोशिश की थी। पर अब वे समझ गए थे कि खामोशी ने सिर्फ जख्म गहरे कर दिए।

“हम सबने अपनी हिम्मत जुटाकर, अपने डर को दूर करके एक नई शुरुआत करनी होगी,” उन्होंने कहा।

अर्शा की आंखें चमक उठीं। वह जानती थी कि यह शुरुआत आसान नहीं होगी, पर यह ज़रूरी थी।

परिवार के सदस्यों ने मिलकर एक-दूसरे से माफी मांगी और पुराने गिले-शिकवे भुलाने का संकल्प लिया। वे चाहते थे कि इस बार प्यार और विश्वास ही उनका रास्ता हो।

अर्शा के दिल में एक नई उम्मीद जागी। अब वह समझ गई थी कि खामोशी का राज राज नहीं रह गया था, बल्कि उसने उन्हें एक नई सीख दी थी—सच बोलना और सुनना।

उस रात, अर्शा ने डायरी बंद करते हुए सोचा, “खामोशी भले ही कई राज़ छुपाए, लेकिन अंत में सच्चाई ही जीतती है।”

और इस जीत के साथ, परिवार ने अपने टूटे हुए रिश्तों को जोड़कर एक नई कहानी लिखना शुरू किया—खामोशी के राज को तोडकर     

सच्चाई की  जीत कारवाई बस यही जींद के नियम होते है।  जो बात को समझ चल है और कुछ न समझकर 🙏 ✍️✍️             
खामोशी का राज — एक सीख

खामोशी अक्सर हमारी भावनाओं और सच्चाइयों को छुपा लेती है, पर यह याद रखना जरूरी है कि खामोशी से रिश्ते नहीं संभलते, बल्कि टूटते हैं। जो राज़ छुपाए जाते हैं, वे वक्त के साथ और बड़े दर्द का कारण बनते हैं। सच बोलना, अपनी भावनाओं को व्यक्त करना और खुलकर बात करना रिश्तों की नींव मजबूत करता है। खामोशी का राज हमें यह सिखाता है कि डर या झूठ से बेहतर है हिम्मत से सामने आना। केवल तभी परिवार और दोस्त एक-दूसरे के करीब आ पाते हैं और ज़िंदगी में सच्चा प्यार और विश्वास बनता है।


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