Nagmani - 2 in Hindi Thriller by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | नागमणि - भाग 2

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नागमणि - भाग 2



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🐍 नागमणि भाग 2: नागमणि की तलाश

✍️ विजय शर्मा एरी


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भाग 1 का संक्षेप

तन्वी, जिसे बचपन में कालनाग ने डंस लिया था, मौत के मुंह से बच निकली। उस दिन से उसमें एक अलौकिक शक्ति आ गई — जब भी वो किसी साँप को देखती, चाहे असली हो या तस्वीर, उसके भीतर से सुनहरी आँखों वाली नागशक्ति जाग उठती। कभी वो इस शक्ति से भलाई करती, कभी किसी को विनाश में धकेल देती। भाग 1 के अंत में एक साधु ने उसे बताया कि उसे “नागमणि” प्राप्त करनी होगी — जो उसे पूर्ण बनाएगी, लेकिन इसके साथ उसका पहला शिकार भी तय होगा।


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1. रुद्र का आगमन — रहस्य का रक्षक

भैरवपुर की ठंडी सुबह थी। कोहरे की सफेद चादर पूरे गाँव को ढक रही थी। दूर से किसी के कदमों की आवाज़ आई। लंबा-चौड़ा, गहरी भूरी आँखों वाला एक युवक, कंधे पर काले कपड़े का थैला और बांह पर सांप के फन का टैटू।

वो सीधे तन्वी के आँगन में आया।
“तुम तन्वी हो?” उसने गंभीर स्वर में पूछा।

तन्वी चौंक कर बोली — “हाँ, लेकिन आप…?”

उसने थैले से एक प्राचीन तांबे की तख्ती निकाली, जिस पर नाग और त्रिशूल का उभरा हुआ चिन्ह था।
“मैं रुद्र हूँ… नागवंश का प्रहरी। मुझे आदेश मिला है कि मैं तुम्हें नागमणि तक पहुँचाऊँ, वरना माया देवी इसे पा कर संसार का अंत कर देगी।”

तन्वी की भौंहें सिकुड़ गईं — “ये सब आप कैसे जानते हैं?”

रुद्र बस मुस्कराया — “क्योंकि मैं भी… आधा इंसान और आधा नाग हूँ।”


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2. माया देवी — नागमणि की प्यास

गाँव से दूर, पहाड़ों के बीच काले पत्थरों की गुफा में एक स्त्री मंत्रोच्चार कर रही थी। उसकी आँखों में लाल आग, माथे पर भस्म और चारों ओर विषैले साँप। यही थी माया देवी — तंत्रविद्या में माहिर, निर्दयी और नागमणि पाने की जुनूनी।

उसके सामने धुंध में एक चेहरा उभरा — उसके जासूस ने बताया,
“देवी, वो लड़की मिल गई… जिसका खून नाग का है।”

माया देवी ने कुटिल हँसी हँसते हुए कहा — “उसे मेरे पास लाओ। जीवित… या अधमरी। नागमणि मेरी होगी।”


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3. नागमणि का रहस्य

रुद्र ने तन्वी को एक पांडुलिपि दिखाई, जिस पर पुराने नागलिपि के अक्षर थे।
उसने अनुवाद किया —

> “नागमणि वही पा सकता है, जिसके भीतर नाग का रक्त और हृदय में शुद्धता हो।
नागमणि तीन शक्तियां देती है — रक्षा, विनाश और अमरत्व।
लेकिन अगर गलत हाथों में गई, तो पृथ्वी पर विष का सागर फैल जाएगा।”



रुद्र ने बताया कि नागमणि हिमालय की एक गुफा में छुपी है, जिसे तक्षक बाबा ही खोल सकते हैं — वो नागवंश के अंतिम जीवित रक्षक हैं।

तन्वी ने धीरे से कहा — “अगर ये शक्ति इतनी खतरनाक है, तो इसे पाना भी उतना ही कठिन होगा…”


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4. पहला हमला — मौत का संदेश

शाम ढल रही थी। तन्वी और रुद्र नागपीपल के पास अगले दिन की यात्रा की योजना बना रहे थे। तभी पेड़ों की छाया से चार काले वस्त्रधारी लोग निकल आए। उनके हाथ में त्रिशूल और कमर में चमकते खंजर।

“उसे पकड़ लो!” एक ने चिल्लाया।

रुद्र ने तुरंत अपनी कमर से तलवार जैसी चमकती नागलता निकाली और दो को गिरा दिया। लेकिन तीसरे ने तन्वी की गर्दन पर चाकू रख दिया।

तन्वी की आँखें सुनहरी हो गईं, शरीर से नीली आभा निकली और एक अदृश्य झटका हमलावर को दूर फेंक लाया। उसका शरीर जैसे किसी ने भीतर से जला दिया हो।

बचे हुए लोग पीछे हट गए और जंगल की अंधेरी में गायब हो गए।

रुद्र ने गंभीर स्वर में कहा — “ये माया देवी के लोग थे। अब समय नहीं है, हमें अभी निकलना होगा।”


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5. तक्षक बाबा से मुलाकात

तीन दिन का कठिन सफर — पहाड़ी रास्ते, बर्फीली हवाएँ, और रात में जंगली जानवरों की डरावनी आवाजें।

आखिरकार, वो एक विशाल गुफा तक पहुँचे, जिसके द्वार पर नागों की आकृतियाँ बनी थीं। भीतर, एक बूढ़े अंधे साधु ध्यानमग्न बैठे थे — यही थे तक्षक बाबा।

उन्होंने आँखें बंद रखते हुए कहा —
“मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था, नागकन्या।”

तन्वी ने हैरान होकर पूछा — “आप जानते हैं मैं कौन हूँ?”

बाबा बोले — “तुम वो हो, जिसे कालनाग ने चुना है। नागमणि तुम्हारा अधिकार है। लेकिन उसकी राह में एक बलिदान है… पहला शिकार तुम्हें करना होगा। और वो होगा… कोई अपना।”


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6. आरव का आगमन — दिल की उलझन

बाबा के शब्दों की गूंज अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि गुफा के बाहर से एक जानी-पहचानी आवाज आई —
“तन्वी! ये सब क्या है?”

वो था आरव, तन्वी का पुराना स्कूलमेट। मासूम चेहरा, सच्ची आँखें, जो बरसों से तन्वी को चुपचाप पसंद करता था।

वो भागते-भागते आया था।
“मैंने सुना कि तुम मुसीबत में हो… मैं तुम्हें बचाने आया हूँ।”

रुद्र ने तलवार उठाते हुए कहा — “ये यहाँ कैसे आया?”

तक्षक बाबा ने धीमे से मुस्कराकर कहा —
“भाग्य कभी-कभी शिकार को खुद ले आता है…”

तन्वी के मन में अजीब सी घबराहट फैल गई — क्या आरव ही उसका पहला शिकार है?


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7. नागमणि की आभा और आसन्न खतरा

गुफा के भीतर से नीली रोशनी फैल रही थी — नागमणि की दिव्य आभा। लेकिन बाहर, पहाड़ी की तलहटी में मशालें जल उठीं। सैकड़ों लोग, काले वस्त्र, और सबसे आगे — माया देवी, जिसकी आँखों में लाल लपटें नाच रही थीं।

उसने गर्जना की — “नागमणि मेरी होगी! जो भी बीच में आया… मर जाएगा।”

रुद्र ने तन्वी की तरफ देखा — “अब फैसला तुम्हारा है। नागमणि लेकर अमर शक्ति पाओ, या अपने दिल की सुनो… और शायद सब कुछ खो दो।”

तन्वी ने एक गहरी सांस ली… उसकी आँखों में सुनहरी आग भड़क उठी, और उसके चारों ओर नीला प्रकाश घूमने लगा।


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(भाग 3 में पढ़ें: माया देवी और तन्वी का आमना-सामना, नागमणि की असली परीक्षा, और क्या आरव ही बनेगा पहला शिकार?)