🐍 नागमणि – भाग 4
✍ विजय शर्मा एरी
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भूमिका
नागमणि की रहस्यमयी कथा अब और भी पेचीदा हो चुकी थी।
मीरा के जीवन में नागमणि ने ऐसे तूफ़ान खड़े कर दिए थे, जिन्हें वह खुद भी समझ नहीं पा रही थी।
भाग 4 में कहानी नए मोड़ लेती है—जहाँ नए पात्र सामने आते हैं, पुराने रहस्य खुलते हैं और भविष्य का अंधकार और गहराता जाता है।
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1. गुप्त गुफ़ा का रहस्य
उस रात जब मीरा ने सपने में विशाल नाग को देखा, तो सुबह उसकी आँखों में नींद नहीं थी।
उसके कानों में अब भी नाग की फुफकार गूंज रही थी—
"मीरा… नागमणि अब तेरे जीवन का हिस्सा है… इसे बचाना तेरी ज़िम्मेदारी है…"
मीरा बिस्तर से उठी और पास की खिड़की से बाहर देखा।
धूप फैल चुकी थी, लेकिन उसके मन का अंधेरा गहराता जा रहा था।
उसी शाम राजीव उससे मिलने आया।
राजीव— "मीरा, तुम ठीक तो हो? पिछले कुछ दिनों से तुम्हारा चेहरा बुझा-बुझा लग रहा है।"
मीरा ने थोड़ी देर चुप रहकर कहा— "राजीव, क्या तुम विश्वास करोगे अगर मैं कहूँ कि मेरे सपनों में नाग आते हैं और मुझसे बातें करते हैं?"
राजीव चौंका— "ये सब कैसा मज़ाक है? नाग बातें करते हैं?"
मीरा की आँखें भर आईं— "ये मज़ाक नहीं है। वो मुझे हर बार नागमणि की रक्षा करने को कहते हैं। और मैं… मैं जानती हूँ कि ये सब सच है।"
राजीव उलझन में पड़ गया। लेकिन उसने निश्चय किया कि मीरा को अकेला नहीं छोड़ेगा।
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2. गाँव में फैली दहशत
गाँव में अचानक अजीब घटनाएँ होने लगीं।
कभी किसी के घर के बाहर सांपों का झुंड दिखाई देता,
तो कभी रात के अंधेरे में रहस्यमयी रोशनी जंगल से आती।
लोग कहने लगे—
"ये सब नागमणि का खेल है।"
"कोई चुना हुआ है, जो नागमणि की शक्ति को संभाल रहा है।"
गाँव का पुजारी पंडित चतुर्वेदी भी चिंतित हो उठा।
उसने लोगों से कहा—
"नागमणि साधारण चीज़ नहीं। अगर ये गलत हाथों में चली गई तो विनाश तय है। हमें पता लगाना होगा कि इसके पीछे कौन है।"
लेकिन पंडित को नहीं पता था कि नागमणि पहले ही मीरा के जीवन से जुड़ चुकी है।
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3. रहस्यमयी साधु
एक दिन गाँव में एक अजनबी साधु आया।
उसकी आँखें अंगारों की तरह जल रही थीं, और हाथ में त्रिशूल था।
वह सीधे मीरा के घर पहुँचा।
मीरा घबरा गई— "आप… आप कौन हैं?"
साधु ने गंभीर स्वर में कहा—
"मैं साधु चक्रधर हूँ। नागमणि की रक्षा मेरा कर्तव्य है। लेकिन अब इसकी डोर तुम्हारे हाथों में है, मीरा।"
मीरा अवाक रह गई।
"आपको कैसे पता?"
साधु हँसा— "नागों की आत्माएँ मुझसे बातें करती हैं। नागमणि ने तुम्हें चुना है। लेकिन सावधान रहना—कई लोग इसे हथियाने की कोशिश करेंगे।"
तभी अचानक राजीव कमरे में आया।
"आप मीरा को क्यों डरा रहे हैं? हमें किसी नागमणि की ज़रूरत नहीं।"
साधु ने राजीव की ओर देखा—
"युवक, तू अंधा है। नागमणि वरदान भी है और श्राप भी। अगर इसे समझे बिना ठुकराया, तो विनाश निश्चित है।"
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4. खौफनाक सच्चाई
साधु की बातों ने मीरा को और बेचैन कर दिया।
रात को जब वह सोने लगी, तो फिर वही सपना आया।
वो गहरी गुफ़ा, चमकती नागमणि और चारों ओर फुफकारते नाग।
नागमणि की आवाज़—
"मीरा, तुझे सच्चाई जाननी होगी। तू सिर्फ़ इंसान नहीं, बल्कि नागवंश की उत्तराधिकारी है। तेरे बचपन में जिस अद्भुत नाग ने तुझे काटा था, उसी ने तेरे भीतर अपनी शक्ति डाली थी। अब तू हमारे वंश की रक्षक है।"
मीरा पसीने से तर-बतर उठी।
"नागवंश… रक्षक…? तो ये शक्ति मुझ पर कोई वरदान नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदारी है।"
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5. लालच और षड्यंत्र
उधर गाँव का एक लालची ज़मींदार भैरव सिंह भी नागमणि की बातों से वाकिफ़ हो चुका था।
उसने अपने गुर्गों से कहा—
"नागमणि हाथ लग जाए तो हम अमर हो जाएंगे। ताकत भी मिलेगी और दौलत भी। मीरा ही इसका रास्ता है। उसे अपने कब्ज़े में करना होगा।"
भैरव सिंह की निगाहें अब मीरा पर टिक चुकी थीं।
गाँव में अफवाह फैलने लगी कि भैरव सिंह ने काले तांत्रिकों की मदद लेनी शुरू कर दी है।
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6. आग का इम्तिहान
एक रात अचानक गाँव में आग लग गई।
लोग चिल्ला-चिल्लाकर भागने लगे।
आग इतनी तेज़ थी कि पूरा गाँव जलने वाला था।
मीरा के भीतर नागमणि की शक्ति जाग उठी।
उसने पास पड़ी एक लकड़ी उठाई, और जैसे ही उसने मन ही मन नागमणि का आह्वान किया,
चारों ओर से सांप निकल आए।
वो सांप आग की लपटों पर लहराते हुए बारिश की बूंदों जैसी ठंडक फैलाने लगे।
कुछ ही देर में आग शांत हो गई।
गाँव वाले दंग रह गए।
"ये चमत्कार है!"
"मीरा देवी है… देवी का अवतार!"
लेकिन मीरा का चेहरा गंभीर था।
"ये देवीत्व नहीं, ये नागमणि की शक्ति है। और इस शक्ति का गलत इस्तेमाल हुआ तो सबकुछ तबाह हो जाएगा।"
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7. मीरा और राजीव का टकराव
अब मीरा और राजीव के बीच दूरियाँ बढ़ने लगी थीं।
राजीव— "मीरा, तुम इस शक्ति में डूबती जा रही हो। मैं तुम्हें खो रहा हूँ।"
मीरा— "राजीव, मैं क्या करूँ? ये शक्ति मुझे छोड़ती नहीं। ये मेरा पीछा कर रही है।"
राजीव— "हम कहीं दूर चलें, इन सब बातों से दूर।"
मीरा की आँखों में आँसू थे—
"राजीव, अगर मैं भाग भी गई, तो नागमणि मुझे ढूँढ लेगी। ये मेरा भाग्य है।"
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8. साधु का इशारा और अगला खतरा
साधु चक्रधर फिर आया।
"मीरा, भैरव सिंह तुम्हारे पीछे है। वो नागमणि को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है। तुम्हें तैयार रहना होगा।"
मीरा— "लेकिन मैं एक साधारण लड़की हूँ। मैं कैसे लड़ सकती हूँ?"
साधु— "तू साधारण नहीं। नागमणि ने तुझे चुना है। अब तू शक्ति का रूप है।"
साधु ने मीरा को एक रहस्यमयी मंत्र सिखाया।
"जब खतरा पास हो, तो नागवंश का आह्वान करना। शक्ति तेरे साथ होगी।"
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9. खौफनाक रात
एक अंधेरी रात भैरव सिंह और उसके लोग मीरा को पकड़ने आए।
चारों ओर अंधेरा और सन्नाटा।
लेकिन मीरा ने आँखें बंद कीं और साधु द्वारा दिया मंत्र जपना शुरू कर दिया।
अचानक ज़मीन कांपी,
पेड़ों से अनगिनत साँप निकल पड़े।
भैरव सिंह और उसके लोग चीख-चीख कर भागने लगे।
लेकिन भैरव सिंह चिल्लाया—
"मीरा! नागमणि मुझे चाहिए, चाहे कुछ भी हो!"
मीरा की आँखें लाल हो गईं।
उसके भीतर से नाग की गर्जना निकली—
"भैरव! नागमणि की रक्षा मेरा धर्म है। अगर तूने कोशिश की, तो ये शक्ति तुझे जला कर राख कर देगी!"
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10. आने वाला तूफ़ान
गाँव वाले अब मीरा को देवी मानने लगे थे।
लेकिन मीरा का मन भारी था।
"ये शक्ति मुझे लोगों से दूर कर रही है। राजीव मुझसे दूर हो रहा है। और भैरव सिंह का लालच रुक नहीं रहा।"
साधु चक्रधर ने कहा—
"ये तो बस शुरुआत है। असली युद्ध अभी बाकी है। नागमणि की शक्ति का लालच बहुतों को खींच लाएगा। तुम्हें तय करना होगा कि तुम इंसान हो या नागवंश की संरक्षिका।"
मीरा खामोश खड़ी थी।
उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन दिल में एक नई ज्वाला—
"अगर ये मेरा भाग्य है, तो मैं इसे स्वीकार करूँगी। लेकिन नागमणि किसी भी हाल में गलत हाथों में नहीं जाने दूँगी।"
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✨ (जारी रहेगा – नागमणि भाग 5 में)
बिलकुल 👍 यहाँ मैं "नागमणि भाग 4" की कहानी के अंत में आपका प्रमाणपत्र जोड़ देता हूँ, ताकि यह आपके नाम से प्रकाशित लगे।
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नागमणि : भाग 4
✍ विजय शर्मा एरी
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प्रमाणपत्र
प्रमाणित किया जाता है कि प्रस्तुत कथा मेरी मौलिक रचना है।
केवल लिखने में असमर्थ होने के कारण इसे लिखने में ए.आई. (AI) ने मेरी सहायता की है।
रचनाकार का परिचय
✍ नाम : विजय शर्मा एरी
🏠 पता : गली कुट्टिया वाली, अजनाला, अमृतसर, पंजाब – 143102
📞 फ़ोन : 9877899169
📧 ई-मेल : vijayerry695@gmail.com
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