" देखो भाभी देखो!!!!!!
कैसे शरमा रही है यह अभी से। " महक ने मुझे छेड़ते हुए भाभी से कहा और फिर वह दोनों मुझे देख हंसने लगे।
मुझे इस समय खुद पर हंसी भी आ रही है और ना जाने क्यों थोड़ी बहुत शर्म भी आ रही है।
" तुम इतना क्यों शर्मा यही हो??? " मैनें खुद को डांटते हुए मन में कहा।
वह दोनों अभी भी हस ही रहे थे कि तभी दरवाजे पर खड़ी मामी जी ने कड़क आवाज में बोला," तुम सब क्या बस यहां हंसती ही रहोगी???? "
उनकी आवाज सुनते ही भाभी तो बिल्कुल चुप खड़ी हो गई और महक भी चुप हो गई। मामी को देखकर भाभी हमेशा ऐसी ही चुप हो जाती है, इसका कारण मुझे आज तक नहीं समझ आया कि आखिर वो मामी से इतना डरती क्यों है ??? खैर जो भी हो मुझे क्या? मामी कमरे में अंदर आई और भाभी को रसोई में जाकर चाय नाश्ता तैयार करने का हुक्म दे दिया।
भाभी के जाते ही वह मेरी ओर मुड़ी और भाभी की तरह उन्होनें भी मुझे ऊपर से नीचे देखा और फिर अपने दोनों हाथों से मेरी नजर उतारते हुए बोली," हाय नजर ना लगे मेरी बच्ची को कितनी सुंदर लग रही है।।।।।"
मैनें उन्हें देखकर एक दबी सी मुस्कान दी। फिर वह मेरे पास आकर बैठी और बोली," डर लग रहा है????"
मैनें बिना कुछ बोले ही अपना सिर हां में हिलाया क्योंकि सच में मुझे बहुत ज्यादा ही डर लग रहा था।
"कोई बात नहीं बच्चा!!!!!! सबको लगता है। पर तू बिना डरे बाहर चल और जो वो पूछे उन्हें बता देना। पर सुन हम। तुझे राजन से बात करने का समय भी देखे लेकिन तू सोच समझ के बात करना उस से। कुछ ऐसा वैसा ना पूछना उस से। ठीक।।।।।।" वह मुझे समझाती हुई बोली।
हालांकि मेरी तैयारी कल रात से मेरी मम्मी, बुआ और मामी ने चालू कर रखी थी पर इस समय वो मुझे लास्ट टिप्स दे रही है।
मैनें उनकी बात सुनकर एकबार फिर हां में अपनी गर्दन हिला दी।
फिर वह मुस्कुराई और महक को देखकर बोली," मैं जैसे ही बाहर से आवाज दूं तो इसे बाहर ले आना। ठीक।।"
"जी आंटी।।।" महक ने पूरे जोश में उन्हें जवाब दिया और उसके बाद वह कमरे से बाहर चली गई और उनके जाते ही महक मेरे पास आकर बैठ गई।
मैं उसकी ओर देखकर कुछ झिझक कर बोली," मैनें अपने जीवन में कभी किसी बाहर वाले से बात नहीं कि। मैं राजन से क्या बात करुंगी??? और मैं जिसे जानती नहीं उससे पांच मिनट बात करके यह कैसे पता लगाऊं कि वह मेरे लिए सही है या गलत????"
इस बारे में तो मैं भी तुम्हें कुछ नहीं कह सकती क्योंकि यह अनुभव तो मेरे पास भी नहीं है। लेकिन हां मैं इतनी सलाह जरुर दूंगी कि तुम जाओ, उससे मिलो और बात करो। उसकी पसंद नापसंद पूछ लेना। उसके परिवार और पढ़ाई के बारे में पूछ लेना। उसकी आदतों के बारे में पूछ लेना पर सबसे जरुरी कि उससे यह जरुर पूछना कि वह कैसी जीवनसाथी की इच्छा रखता है और फिर उसके जवाब को सुन तुम फैसला करना कि क्या तुम वह जीवनसाथी बन सकती हो या नहीं?
" और हां सुनो त्रिशा!!!!! मुझे पता है तुम अपने मन की बात कभी किसी से नहीं कहती पर तुम कैसे जीवनसाथी की कल्पना करती हो और तुम्हें उसमें क्या क्या गुण चाहिए और कौन सी आदतें नहीं चाहिए उसे इमानदारी से बताना और फिर उससे पूछना कि क्या वह तुम्हारा वैसा जीवनसाथी बन पाएगा??"
" तुम्हें इस शादी के लिए हां करनी है या नहीं यह सब तुम उसके बाद ही सोचना। अभी तो बिना किसी दवाब के तुम जाकर उससे और उसके परिवार से मिलों और जानों उसे।" वह मुझे समझाते हुए बोली।
उसकी कही यह बाते मेरे मन में छप गई। और उसके शब्दों ने मेरी सारी दुविधा और परेशानी दूर कर दी। उसकी बातों को सुनकर मुझमें एक विश्वास सा आया।
अब मुझमें बाहर जाकर सबसे मिलने और उस अजनबी को अपने जीवनसाथी के रुप में चुनने या ना चुनने का साहस सा आ गया था।
मैं अब पूरी तरह से निश्चित थी क्योंकि अब मुझे पता है कि मैं साथी का चुनाव किन मापदंडों के आधार पर करुगी।
"धन्यवाद महक!!!!!!!"
"तुम हर बार बहुत सरलता से मेरी सभी परेशानियों को दूर कर देती हो।" मैनें उसका आभार व्यक्त करते हुए कहा।
"धन्यवाद कि क्या जरुरत है त्रिशा!!!!! हम तो बहनों की तरह है ना। बचपन से हमने एक दूसरे का हर परिस्थिती में साथ दिया है और आगे भी ऐसे ही देते रहेगें। देगें ना???" वह मेरे पास आकर हंसती हुई बोली और मेरे गले लग गई।
"हां हां!!!!!"
बिल्कुल ।।। बिल्कुल।।।।"
"क्यों नहीं। " मैनें हंसते हुए जवाब दिया और फिर मैं भी उसके गले लग गई।
"कभी कभी मैं सोचती हूं कि कितना अच्छा होता ना कि अगर महक मेरी खुद की सगी बहन होती तो। " मैनें एक बार फिर मन ही मन भगवान जी से इस बात कि शिकायत की।