(हॉस्टल में रहस्यमय घटनाओं के बीच आद्या की सहपाठी रूचिका अचानक गायब हो जाती है। आद्या अपनी छिपी शक्तियों और तेज़ नज़र से सच पता लगाने लगती है। दो नकाबपोश उसे पकड़ने आते हैं, लेकिन आद्या अपनी अद्भुत ताकत से उन्हें मात देती है। खतरा सिर्फ बाहर नहीं, उसके चारों ओर भी मंडरा रहा होता है। आद्या अपने माता-पिता से फोन पर जुड़ती है, जहां उसे अपनी बेटी आद्या की सुरक्षा और चिंता का एहसास होता है। नागों और परछाइयों की फुसफुसाहट उसे रूचिका की खोज और आने वाले खतरे के संकेत देती है। कहानी रहस्य और सुपरनेचुरल तत्वों से भरी है. अब आगे)
राखी और रहस्य
आद्या के पूछने पर नाग थोड़ा आगे बढ़ा। उसकी आँखों में एक अद्भुत चमक थी, जैसे वह किसी गहरे राज़ को खोलने वाला हो। वह आद्या को एक कमरे में ले गया, जहाँ अंधेरे में कुछ छिपा हुआ था। आद्या को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन उसका मन आशंकाओं से भरा था।
जैसे ही वह कमरे में दाखिल हुई, अचानक एक नाग ने रूप बदलकर रूचिका का रूप ले लिया। आद्या की नज़रें कुछ पल के लिए सुन्न हो गईं। वह कुछ बोलने की कोशिश करती, लेकिन उससे पहले ही गलियारे में से सेजल की चीख सुनाई दी।
"रूचिका इज बैक! रूचिका इज बैक!" — सेजल की आवाज़ जैसे पूरे स्कूल में गूंज उठी। सभी छात्र दौड़ते हुए उस दिशा में बढ़ने लगे, जहां से आवाज़ आई थी। पूरे स्कूल में हलचल मच गई, और आद्या को यह महसूस हुआ कि कुछ गड़बड़ है। वह जानती थी कि यह रूचिका नहीं हो सकती। वह जानती थी कि यह किसी और का खेल था। आद्या की आँखों में संजीदगी थी, लेकिन उसने खुद को शांत रखा।
वह बिना किसी प्रतिक्रिया के अपने कमरे की ओर लौट गई, दिल में उठते सवालों और अनसुलझे राज़ के साथ।
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आद्या चुपचाप बैठी थी। नागों की यह रहस्यमयी दुनिया अब उसे डरावनी नहीं लगती थी। कम से कम यहां उसे ऐसा तो लगता था कि किसी को उसका साथ अच्छा लगता है... कोई तो है जो उसकी बात सुनता है, जो उसके अकेलेपन में साया बनकर रहता है।
पर एक सवाल बार-बार उसके मन में उठ रहा था — "रूचिका नागिन कैसे हो सकती है? अगर होती, तो मैंने उसकी देह से नागगंध ज़रूर महसूस की होती।"
वह सोच ही रही थी कि तभी हॉस्टल की वार्डन कमरे में दाखिल हुईं — "आद्या साहा! आपको कोई मिलने आया है।" आद्या का चेहरा एकदम खिल उठा। वह बाहर भागी और देखा — सामने एक 25-26 साल का युवक खड़ा था, मुस्कुराता हुआ।
"अतुल्य भैया!" — आद्या खुशी से उछल पड़ी और जाकर उनसे लिपट गई।
"कैसी है मेरी गुड़िया?" अतुल्य ने उसके सिर पर स्नेह से हाथ फेरा।
आद्या की आँखें थोड़ी नम थीं। उसने हल्का सा मुंह फुलाकर कहा — "आपको भी मेरी याद नहीं आती..."
अतुल्य मुस्कुरा दिए — "अरे! बहुत आती है... तभी तो आया हूँ।"
आद्या ने गालों पर से बाल हटाते हुए शरारती अंदाज़ में कहा — "मुझे पता है, कल रक्षाबंधन है। इसलिए आए हैं।"
"तो क्या हुआ? बहन की याद तो बहाने से ही सही, आती तो है ना..." अतुल्य ने उसकी नाक खींचते हुए कहा।
"क्या हुआ?" अतुल्य ने उसकी आँखों में झांकते हुए पूछा।
"कुछ भी नहीं।" आद्या ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
"अंकल-आंटी से नाराज़ हो क्या?" अतुल्य का स्वर थोड़ा गंभीर हो गया।
आद्या की मुस्कान एक पल में गायब हो गई। "तो मम्मी-पापा ने आपको बता दिया..." उसका लहजा अचानक रूखा हो गया। अतुल्य थोड़ी देर चुप रहा, शायद थोड़ा आहत भी हुआ। लेकिन फिर उसने माहौल हल्का करने की कोशिश की — "वैसे, रक्षाबंधन पर तेरे लिए एक सरप्राइज है... जिसे सुनकर तू उछल पड़ेगी।"
"क्या पापा-मम्मी मुझे घर ले जाने वाले हैं?" आद्या की आँखों में एक पल को चमक आ गई।
अतुल्य ने एक बनावटी मुस्कान दी — "नहीं... और सोच।"
आद्या का चेहरा उतर गया। फिर बोली — "पता नहीं... बताइए ना।"
अतुल्य ने धीरे से उसकी नाक खींचते हुए कहा — "मैंने इसी शहर में एक घर खरीद लिया है।"
"ओह..." आद्या के लहजे में कोई खास खुशी नहीं थी। बस एक धीमी सी प्रतिक्रिया।
अतुल्य ने उसे घूरते हुए कहा — "तुझे खुशी नहीं हुई?"
"हुई तो है..." आद्या ने निगाहें चुराते हुए कहा।
"आगे सुन," अतुल्य ने मुस्कुराते हुए कहा — "कुछ दिनों में सनी अंकल रिटायर हो रहे हैं। फिर निशा आंटी और अंकल दोनों को यहीं बुला लूंगा। हम चारों साथ रहेंगे — एक परिवार की तरह। नाइस न?"
आद्या ने एक फीकी सी मुस्कान दी, पर उसके मन में कहीं न कहीं सवाल अब भी गूंज रहा था — "लेकिन उस घर में मेरा क्या स्थान होगा?"
तभी अतुल्य ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा — "तू खुश नहीं है, ना?"
आद्या ने लंबी साँस ली। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी उदासी थी — "पता नहीं भैया... आप इतने सारे सपने कैसे सजा लेते हैं?"
वह एक पल रुकी, फिर बोली — "पापा ने शायद आपको नहीं बताया होगा... वो मेरे ग्रेजुएशन के लिए एक नया होस्टल वाला कॉलेज ढूंढ रहे हैं।"
अतुल्य कुछ बोल नहीं पाया।
"मतलब ये कि मैं अब भी घर नहीं जा सकती।" आद्या की आवाज़ में अब कोई शिकायत नहीं थी — बस एक ठंडी स्वीकारोक्ति।
अतुल्य का चेहरा मुस्कराता रहा, पर आँखों में हल्की बेचैनी थी। मन ही मन उसने सोचा — "अगर आद्या को पता चला कि निशा आंटी उसके लिए लड़का देख रही हैं, तो सब खत्म हो जाएगा।"
उसने बात बदलने के लिए जबरन मुस्कुराते हुए कहा — "बहना! मैं सोच रहा था, कल तुझे कहीं बाहर घुमाने ले चलूं।"
आद्या ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा — "कितने पैसे हैं आपके पास?"
अतुल्य ने हल्का-सा सिर खुजलाया और फिर मुस्कराया।
"घर खरीदा है तो पैसे होंगे ही!"आद्या ने आँखें सिकोड़ते हुए चुटकी ली।
दोनों कुछ देर चुप रहे, फिर आद्या के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई... और शायद अतुल्य के दिल पर एक बोझ।
अगले दिन अतुल्य सुबह-सुबह ही होस्टल आ गया। होस्टल में ही राखी बांध ली गई, और फिर दोनों बाहर एक अच्छे रेस्टोरेंट में गए। आद्या ने ढेर सारी शॉपिंग की — किताबें, कुछ कपड़े और थोड़ी-सी बेवजह की चीजें भी। काफी समय बाद वह खुलकर हँसी थी। अतुल्य भी खुश था... पर पूरी तरह नहीं।
उसके मन में अतीत बार-बार लौट रहा था—जब वह आठ साल का था और जंगल में अकेला भटक रहा था। निशा ने उसे देखा और अपने साथ ले आई थी। तब से वह सनी-निशा का बेटा था, भले खून का रिश्ता न हो। आज वह बैंक मैनेजर था, पर दिल में बोझ था—अगर आद्या को पता चला कि निशा उसके लिए रिश्ता ढूंढ रही हैं, तो सब बिखर जाएगा।
खुशियों की इस हवा में अचानक एक झटका आया। जैसे ही दोनों कार से घर की ओर लौट रहे थे, एक नाग सड़क के बीचोंबीच आ खड़ा हुआ और फुफकारने लगा। अतुल्य घबरा गया। उसने झटपट कार रोकी और आद्या को बाहर धकेला, "बाहर निकलो!" — वह भी तेजी से कार से कूद पड़ा।
आद्या कुछ समझ नहीं पाई, पर नाग की आँखें देखकर उसे सब समझ आ गया — "वह चेतावनी दे रहा है... कोई खतरा है आगे।"
अतुल्य ने डर के मारे डंडा निकाल लिया।
"रुको भैया!" आद्या ने शांत स्वर में कहा।
नाग ने धीरे-धीरे फन फैलाया और झुकते हुए फुसफुसाया — "धन्यवाद, नाग-रक्षिका।" जो सिर्फ आद्या को सुनाई दिया।
आद्या ने बिना कुछ कहे सिर्फ सिर झुकाया।
"भैया... उस रास्ते से बहुत बार जा चुके हैं। इस बार किसी और रास्ते से चलते हैं।" उसके स्वर में एक अजीब सी गहराई थी।
अतुल्य ने कुछ नहीं पूछा, चुपचाप कार मोड़ दी।
जैसे ही कार ने दिशा बदली, आद्या ने साइड मिरर में देखा — नाग अब एक युवक में बदल चुका था। उसने आद्या की ओर सिर झुकाकर प्रणाम किया। आद्या ने भी नज़रें झुका लीं। जैसे दोनों एक अनकहा संवाद साझा कर रहे हों — नागलोक और मनुष्यलोक के बीच।
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1. नाग ने आद्या को चेतावनी क्यों दी, और इस बार कौन सा खतरा उनका इंतज़ार कर रहा है?
2. क्या नाग वास्तव में रूचिका है, या किसी और ने उसकी शक्ल ले ली है?
3. आद्या और अतुल्य के बीच नागलोक और मनुष्यलोक का यह रहस्यमयी संवाद भविष्य में क्या उलझनें लाएगा?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "विषैला इश्क "