मुंबई शहर।
रात के यहीं कोई बारह बज रहे थे। लेकिन मुंबई शहर में इस वक्त भी चहल-पहल कुछ कम नहीं थी। गगनचुंबी इमारतों की रोशनी आसमान को चीरती हुई ऐसे चमक रही थी, जैसे तारे जमीन पर उतर आए हों। चौबीसों घंटे जागते इस शहर में रात और दिन का कोई फर्क महसूस ही नहीं होता था।
सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों की हेडलाइट्स मानो रास्तों पर सुनहरी धारियां खींच रही थीं। दूर कहीं किसी होटल से धीमी-धीमी म्यूजिक की आवाज आ रही थी, जबकि फुटपाथ के किसी कोने में बेजान पड़ी जिंदगी से किसी को कोई खास मतलब नहीं था।
लेकिन इन सबके बीच, पावनी के लिए जैसे सबकुछ मौन हो गया था। भीड़ तो थी, पर वो उसमें अकेली थी। चारों तरफ हलचल थी, मगर उसके भीतर सिर्फ शोर का सन्नाटा गूंज रहा था।
उसकी धड़कनें इस वक्त कानों में किसी लाउडस्पीकर की तरह बज रही थीं, पर सड़कों पर गाड़ियों का शोर, हवा में घुली चिल्ल-पों, सबकुछ जैसे किसी और दुनिया का हिस्सा था—एक ऐसी दुनिया जिससे इस वक्त उसका कोई नाता नहीं था।
वो नंगे पैर ही शहर की कड़क सड़कों पर चली जा रही थी। उसके दिमाग में अभी भी कुछ देर पहले हुई घटना घूम रही थी। नशे में धुत्त उस आदमी की बेहूदा हरकत, उसकी बेबुनियादी बातें। उसकी आंखों में वो गंदी चमक—पावनी के भीतर कुछ दरक चुका था।
उसने कभी नहीं सोचा था कि कोई उसे इस तरह ट्रीट करेगा। आज से पहले कभी किसी मर्द की ऐसी लस्टफुल नजरों से उसका सामना नहीं हुआ था।
इनफैक्ट उसकी लाइफ में तो कभी कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं रहा था। निशान ही उसका इकलौता दोस्त था और वो स्कूल टाइम से ही उसके लिए इतना ज्यादा प्रोटेक्टिव था कि उसे आश्रम से बाहर निकलते ही एक सेकेंड के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता था, इसीलिए तो बहुत सारे लड़कों की क्रश होने के बावजूद भी वो आज तक सिंगल थी।
आज पहली बार वो अपने शील्ड से इतनी दूर, इतनी अकेली थी। पहली बार उसे खुद को बचाने की जरूरत थी।
उसने गहरी सांस ली और अपनी ही धुन में चलते-चलते अचानक ठिठक गई। एक चुभन का एहसास हुआ—तेज, तीखा, असहनीय। उसने अपनी जगह पर रुककर पैर ऊपर उठाया, तो देखा उसके नंगे तलवे पर खून रिस रहा था। किसी नुकीले पत्थर ने उसकी त्वचा चीर दी थी।
पावनी ने गुस्से से अपनी आंखें बंद कर लीं। दर्द से होंठों को भींचते हुए उसने तेज झटके से वो पत्थर निकाल फेंका। उसके होंठ फड़फड़ाए, और वो बुदबुदाई, “तुम भी बहुत बुरे हो... आई जस्ट हेट यू! सुना तुमने?”
लेकिन उसकी बात खत्म भी नहीं हुई थी कि किसी ने उसे पीछे से जोर से खींच लिया। उसका संतुलन बिगड़ा, वो गिरते-गिरते बची।
झटके से उसने पीछे देखा तो उसका दिल धड़कना भूल गया।
एक नकाबपोश चोर उसकी पीठ से बैग खींचकर भाग चुका था!
पावनी की आंखें एकदम से चौड़ी हो गईं। कुछ सेकंड तक तो वो समझ ही नहीं पाई कि हुआ क्या है। फिर अचानक उसे एहसास हुआ—उसका फोन, टैबलेट, पैसे... सबकुछ उस बैग में था!
"हेलो! वो बैग मेरा है! प्लीज़ टैबलेट और सिमकार्ड छोड़ दो, बाकी सब ले जाओ!" पावनी चिल्लाई, पर वो लड़का बिना पीछे देखे भागता चला गया।
और फिर जैसे उसके जीवन में आज के दिन के झटकों की कोई सीमा नहीं थी—जैसे ही उसने उसके पीछे दौड़ने से पहले अपना हाथ पीछे बढ़ाया, उसे अहसास हुआ कि उसका सामान भी नहीं था!
उसने मुड़कर देखा, और दूसरी दिशा में दो चोर उसके सूटकेस को घसीटते हुए दौड़ रहे थे!
"हे रुको, प्लीज वो छोटा लगेज़ तो दे दो मुझे!" पावनी लगभग चीखी। लेकिन उनमें से एक चोर ने उसे दूर से ठेंगा दिखाया और देखते ही देखते वो दोनों एक वेन में बैठकर उसके नजरों से ओझल हो गए।
वो उन्हें पकड़ने के लिए कुछ दूर तक भागी, लेकिन जल्द ही उसकी सांसें तेज होने लगीं, और कदम लड़खड़ा गए। संतुलन बिगड़ा, और अगले ही पल वह सड़क पर गिर पड़ी। घुटना और कोहनी पत्थर से टकराए, जिससे एक तीव्र दर्द की लहर पूरे शरीर में दौड़ गई। उसकी कोहनी से खून की एक पतली धार बहने लगी, जो ठंडी हवा के साथ चिपचिपी और असहनीय महसूस हो रही थी।
"मेरा सामान! नहीं! प्लीज, कोई मेरी मदद कीजिए!"
उसकी आवाज़ रात के सन्नाटे को भेदती हुई गूंजी, लेकिन किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। राहगीर एक पल को उसकी ओर देखते और फिर अनदेखा कर आगे बढ़ जाते—जैसे यह कोई आम घटना हो।
पावनी वहीं खुद को समेटकर घुटनों के बल बैठ गई, वो खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी । उसकी नजरें उस दिशा में टिकी थीं, जहां कुछ क्षण पहले तक उसका सामान था। उसकी आँखों के आगे अंधेरा सा छाने लगा था—सिर्फ गिरने के कारण नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि उसके साथ उसकी पूरी दुनिया लुट चुकी थी।
उसके कपड़े, किताबें, शांति जी की दी हुई अनमोल यादें—सब कुछ चला गया था। एक अजनबी शहर में, आधी रात को, नंगे पैर, बिना किसी सहारे... वह पूरी तरह असहाय महसूस कर रही थी।
उसकी उंगलियां धीरे-धीरे गले में पड़े लॉकेट तक पहुंचीं, उसे छूते ही भीतर दबे सारे जज्बात जैसे उसे झकझोर रहे थे।
"माँ... अब मैं क्या करूँ? कहाँ जाऊं मैं इस एलियन प्लेनेट में मैं किसी को नहीं जानती? मैं अभी से हार रही हूं माँ फिर कैसे मैं आगे यहां सर्वाइव कर पाऊंगी?"
उसने लॉकेट को कसकर पकड़ लिया और घुटनों में बीच अपने सिर को पूरी तरह से छुपाकर सिसकने लगी। आँसू गालों पर लुढ़कते गए, और उसकी कोहनी से टपकता खून सड़क पर छोटी-छोटी बूंदों में घुलने लगा।
लेकिन उसे इस बात का आभास नहीं था कि उसी रक्त की गंध... किसी और को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।
तभी अचानक एक गाड़ी आकर उसके सामने रुकी और उसमें बैठे व्यक्ति ने गाड़ी से बाहर उतरकर अपनी रौबदार आवाज में उससे कहा-” एई लड़की इस तरह से यहां पर क्यों बैठी हो, कौन हो तुम?”
लेकिन पावनी ने शायद सुना नहीं। इतने में उसके सोल्डर पर एक हल्का पुश फील हुआ जब उसने धीरे धीरे घुटनों के बीच से नजर बाहर निकालकर देखा तो सामने एक वर्दी पहना हुआ हैंडसम पुलिसवाला खड़ा था। जो उसके सोल्डर पर अपने लाठी से टैब कर रहा था।
कुछ देर तक वो पुलिस वाला पावनी को देखता रहा इसवक्त उसके चेहरे पर एक अजीब सी चमक दिखाई दे रही थी। उसकी नजर पावनी के एल्बो पर लगे चोट के निशान पर टिकी हुई थी।
पावनी ने जब अचानक अपने सामने एक वर्दीवाले को देखा तो उसे कहीं न कहीं थोड़ी राहत मिली और वो पूरी ताकत लगाकर अपनी जगह से उठी और हाथ जोड़ते हुए बोली-” सर , मैं पावनी , आई मीन मैं इस शहर में आज ही नई आई हूं और मेरा सामान सबकुछ चोरी हो गया है। प्लीज सर मेरा समान ढूढ़ने में मेरी मदद कीजिये, वो समान मेरे लिए बहुत जरूरी है।”
पुलिसवाले ने अपनी धूल जमी वर्दी को हल्का सा झाड़ा और पावनी को देखकर बोला-” चोरी वो भी मेरे इलाके में? लेकिन तुम इतनी रात को ऐसे अकेले सड़कों पर क्यों घूम रही थी? कहाँ से आई हो तुम? कहीं तुम भी किसी इंलीगल चीजों में इंवॉल तो नहीं ?”
उसकी आवाज में शख्ती थी। लेकिन पावनी ने इस बात से इनकार करते हुए अपनी कहानी जल्दी-जल्दी सुना दी।
ये सुनकर वो पुलिसवाला बोला-" अच्छा ठीक है चलो, गाड़ी में बैठो। हम थाने चलते हैं, वहीं से आगे की कार्यवाही होगी।" उसने कहा।
पावनी को थोड़ा संदेह हुआ, लेकिन उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। वो उस वर्दी के भरोसे उस वैन में बैठ गई।
पुलिसवाला ड्राइवर की सीट पर बैठा और गाड़ी चलाने लगा। कुछ देर तक सब ठीक रहा, लेकिन फिर उसने अचानक भीड़ भाड़ वाले इलाके से एक दूसरा सुनसान रूट बदल दिया।
सड़क और सुनसान होती जा रही थी। पावनी का दिल फिर से डूबने लगा । "सर, शायद पुलिस स्टेशन दूसरी तरफ है। " उसने डरते हुए कहा।
पुलिसवाले ने पीछे मुड़कर उसे देखा। उसकी मुस्कान गंदी थी। “ तुम यहाँ नई हो और मुझे बताओगी , वैसे आजतक का ट्रैक रिकॉर्ड मेरा एकदम फर्स्टक्लास रहा है लेकिन आज तुम्हारी खूबसूरती ने मेरे अंदर बेईमानी जगा दी है। बस आज रात मेरे साथ मज़े कर लो फिर कल हम दोनों मिलकर ढूढेंगे ना तुम्हारा सामान।" उसने कहा और हँसने लगा।
पावनी का खून ठंडा पड़ गया। उसे लगा जैसे जिंदगी उसके साथ जरूर कोई थ्रिलिंग गेम खेल रही है। एक के बाद एक ट्विस्ट आए जा रहा था। उसने दरवाज़ा खोलने की कोशिश की, लेकिन वो लॉक था।
"गाड़ी रोको! नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी!" उसने चीखा।
"चिल्ला ले जितना चीखना चिल्लाना है लेकिन यहाँ कोई नहीं है सुनने वाला तुझे।" उसने कहा और गाड़ी साइड में रोक दी।
ये इलाका बेहद डरावना था। जंगल के बीचों बीच सामने ही एक फार्महाउस नजर आ रहा था । पावनी ने एक पल के लिए बाहर की तरफ नजर घुमाया।
इतने में वो पुलिसवाला अचानक से अपने सीट से उतरकर पीछे की सीट पर आकर बैठ गया और जोर से दरवाजा पटकते हुए बन्द करके धीरे धीरे पावनी की ओर बढ़ा। उसकी साँसों से तंबाकू की गंध आ रही थी। ये सबकुछ इतना अचानक हुआ कि पावनी ने अपने आपको जल्दी से पीछे खींचा, लेकिन जगह नहीं थी।
पावनी ने अपने चेहरे के आगे दोनों हाथों को लगाया और अपनी दबी हुई आवाज में कहा-” देखो तुम इस वर्दी की इन्सल्ट कर रहे हो, तुम्हें नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी। ये गलत है प्लीज स्टॉप इट, ऊपर वाले से डरो।”
लेकिन उस आदमी ने किसी बड़े जानवर की तरह उसे सूंघा और हँसते हुए बोला-” जिंदगी का एक सबक है तुम्हारे लिए वो ये की कभी किसी अनजान पर ऐसे आंख मूंद कर भरोसा नहीं करते और रही बात इस वर्दी की तो मैं इसे अभी उतार देता हूँ। तब तो इस पाप का हिस्सा बनोगी न तुम?” ये कहकर वो हल्का सा पीछे हुआ और अपना शर्ट उतारने लगा।
पावनी का जी तो चाह रहा था वो अभी इस कमीने की जान अपने इन मासूम हाथों से ले ले। आखिर कोई इतनी गन्दी बातें अपनी जुबान से कर भी कैसे सकता है। इतने में उसके एल्बो से पीछे दरवाजा एक झटके में खुल गया, क्योंकि गाड़ी का लॉक तो पहले ही खुल चुका था।
इतने में जैसे ही उस जानवर गुण संपन्न आदमी ने नजर घुमाकर देखा तो पावनी ने तेजी से दरवाजा खोला और वो गाड़ी से बाहर लगभग गिरते हुए उतर गई और डोर जोर से पटककर वहां से भागने लगी।
“ सही कहता है निशान सच में बेवकूफ है तू पानू, एक कमीने से बचकर तूने खुद को एक शनकी कमीने के हवाले कर दिया। अगर निशान को ये सब पता चला तो वो तेरा कितना मजाक उड़ाएगा, अब जल्दी से भाग यहां से।” वो खुद को ही कोसते हुए भाग रही थी। आखिर कैसे उसने बस वर्दी देखकर ही किसी अनजान पर इतना ज्यादा भरोसा कर लिया कि वो उसके साथ अकेले इतनी दूर तक आ गई। उसे लगा था वो अब महफूज है लेकिन ऐसा नहीं था।
वो पुलिसवाला उसे इस तरह मेढ़क की तरह चलते हुए देखकर अजीब तरह से मुस्कुरा दिया और शर्ट के सारे बटन्स खोलकर वो गाड़ी से बाहर उतरा और अगले ही पल वो पावनी के बिल्कुल सामने खड़ा हुआ था।
पावनी उसे अचानक इस तरह से अपने सामने देखकर बुरी तरह से चोंक गई थी और वो रुककर हड़बड़ाते हुए बोली-” ये तुम मुझसे पहले यहां कैसे पहुचे?”
लेकिन वो आदमी धीरे धीरे उसकी तरह बढ़ रहा था। पावनी के कदम खुद ब खुद पीछे हो रहे थे। तभी उसकी नज़र साइड में पड़ी एक बड़े से पत्थर पर पड़ी। उसने हिम्मत जुटाई, पूरी ताकत लगाकर दौड़ लगा दी और उसने पत्थर उठाया और पूरी ताकत से उसकी ओर फेंक दिया।
पत्थर पुलिसवाले के सीधे चेहरे को छूकर निकला था जिससे उसके लेफ्ट साइड चीक्स पर से हल्का सा ब्लड निकल रहा था। वो उस चोट के निशान पर छूकर जोर से चिल्लाया, "तू पागल है क्या!" उसका गुस्सा भड़क उठा था।
वो पावनी की ओर दौड़ा और उसका हाथ पकड़ लिया। "अब तुझे मज़ा चखाता हूँ! बहुत प्यार से पेश आ रहा था न अब तक लेकिन अब नहीं।" उसने कहा और उसे पूरी ताकत से उसने नीचे जमीन पर पटकने की कोशिश की।
लेकिन पावनी ने भी पूरी ताकत लगाकर उसे ऐसा करने से रोककर रखा था। वो चीखी, "छोड़ो मुझे!" और अपने नाखूनों से उसका चेहरा नोच दिया।
पुलिसवाला पीछे हटा, लेकिन उसका गुस्सा और बढ़ गया। वो फिर से उसकी ओर बढ़ा, उसका हाथ उसकी कलाई पर कस गया। पावनी का खून अब और तेज़ी से बह रहा था, और उसकी खुशबू हवा में और गहरी हो गई थी।
उस पुलिसवाले के आंखों में एक अजीब सी दरिंदगी नजर आ रही थी और उसके चहरे का रंग भी धीरे धीरे करके बदल रहा था। लेकिन वो पावनी को जरा सा भी नुकसान पहुचा पता तभी, अंधेरे से एक साया तेज़ी से उभरा।
एक लंबा, मास्क पहना हुआ आदमी था। उसका चेहरा काले मास्क से ढका था, लेकिन उसकी आँखें—ओह, वो आँखें!—लाल रंग की चमक लिए हुए थीं, जैसे खून की बूँदें अंधेरे में तैर रही हों। उसने आते ही पुलिसवाले का गला पकड़ा और उसे पीछे हवा में उछाल दिया।
पुलिसवाला ज़मीन पर गिरा, उसकी हड्डियों की चटकने की आवाज़ सन्नाटे में गूँजी। और अचानक जैसे वो हवा में गायब हो गया था।
पावनी डर से पीछे हट गई। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। "ये... ये क्या था?" उसने सोचा।
मास्क वाला आदमी धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा। उसकी चाल में एक अजीब-सी शांति थी, लेकिन उसकी मौजूदगी में कुछ ऐसा था जो पावनी के रोंगटे खड़े कर रहा था। उसकी आँखें अब लाल से सिल्वर रंग की हो गई थीं।
"कौन हो तुम?देखो मेरे पास मत आओ! मुझे प्लीज मत मारो मैंने कुछ भी नहीं किया है। " पावनी की आवाज़ काँप रही थी।