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आठ दिवस पूर्व, पाकिस्तान में।
पाकिस्तान पुलिस का एक छोटा सा दल पाकिस्तान के सीमावर्ती जिला कसूर के मार्ग पर मंद गति से भारतीय सीमा की तरफ गति कर रहा था। दल में केवल तीन सदस्य थे जिसमें से एक गाड़ी चला रहा था।
“जनाब, हम इतने धीरे धीरे क्यों जा रहे हैं? हमें वहाँ जल्दी पहुंचना चाहिए। मामला गंभीर .. ।”
जूनियर रफिक ने अपने सीनियर सुल्तान से पूछने का साहस किया। सुल्तान के मुख के भाव कडे हो गए।
“आगे होटल पर चाय नाश्ता करने के लिए गाड़ी रोक देना।” सुल्तान ने आदेश दिया। रफिक ने आश्चर्य से सुल्तान की तरफ देखा। सुल्तान ने उस दृष्टि की अवगणना की। चालक ने होटल पर गाड़ी रोक दी।
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उसी दिन, उसी समय। भारत में।
भारत के सीमावर्ती जिले फिरोजपुर पुलिस का पाँच सदस्यों का एक दल तीव्र गति से पाकिस्तान की सीमा की तरफ बढ़ रहा था। उसका नेतृत्व अपराध शोधक शाखा के इंस्पेक्टर शैल कर रहा था। उसके मन में अनेक प्रश्न थे। अनेक संभावनाएं थी। अनेक योजनाएं भी थी। वह शिघ्रातिशीघ्र पाकिस्तान सीमा पर, घटना स्थल पर पहुंचना चाहता था।
एक फोन कॉल आया था जिससे सूचना मिली थी –
‘पाकिस्तान के कसूर जिले से लगी सीमा पर एक मृतदेह मिला है। पाकिस्तान पुलिस को भी सूचित कर दिया गया है।’
शैल ने जब आगे पूछना चाहा, विस्तार से जानना चाहा तब तक सूचना देने वाले ने फोन काट दिया था।
शैल के लिए यही बात चिंता की थी, विस्मय की थी, रहस्य की थी।
‘सूचना देनेवाले ने अन्य मूलभूत सूचना क्यों नहीं दी? नहीं दी? अथवा किसी योजना पूर्वक उसे गुप्त ही रखा? वह फोन काटने की इतनी शीघ्रता में क्यों था?’
शैल कुछ निश्चय नहीं कर सका किन्तु इतना समज चुका था कि कुछ तो रहस्य अवश्य है।
एक घंटे से अधिक समय की यात्रा सम्पन्न कर शैल का दल घटना स्थल पर आ पहुंचा।
किसी ग्रामजन ने बताया,
“भारत पाकिस्तान की सीमा पर जहां सतलुज नदी सीमा को पार करती है वहाँ नदी के भीतर मृतदेह स्थिर पड़ा है। देह का एक भाग भारत की सीमा में है तो दुसरा पाकिस्तान की सीमा में।”
“किसका देह है?”
“देह उल्टा पड़ा है, पानी के बीचों बीच। इसलिए पता नहीं चल रहा है।”
“आप लोगों ने उसे किनारे पर लाने का प्रयास क्यों नहीं किया?”
“सा’ब, पानी का तेज बहाव है। वहाँ जाना हमारे लिए संभव नहीं है। दूसरा जैसे हमने बताया कि देह का एक भाग हमारी सीमा में है, दूसरा उनकी सीमा में। देह को किनारे लाने के प्रयास में यदि सीमा का उल्लंघन हो गया तो?”
शैल ने स्थिति का प्राथमिक अनुमान लगा लिया।
“ठीक किया आप लोगों ने। हमें वहाँ तक ले चलो।”
कुछ स्थानीय लोग शैल के दल को वहाँ तक ले गए। देह को देखते ही शैल तथा उसका दल विस्मय से भर गया। स्थिति पूर्णत: वैसी ही थी जैसी ग्रामजनों ने बताई थी।
शैल ने स्वयं से बात की
‘मृतदेह भारत पाकिस्तान सीमा पर आधा आधा पड़ा है। सतलुज नदी का प्रवाह अत्यंत तीव्र है। किन्तु नदी के इतने तीव्र प्रवाह में भी देह पानी के भीतर स्थिर पड़ा है। देह उलटा पड़ा है। मुख दिख नहीं रहा है। ऐसे में कुछ भी समज नहीं आ रहा है।’
शैल कुछ समय तक विचार करता रहा। दल के सदस्य शैल की सूचना की प्रतीक्षा कर रहे थे।
गहन विचार के पश्चात उसने साथियों से पूछा, “किसका मृतदेह हो सकता है?”
“किनारे से इस प्रश्न का निश्चित उत्तर नहीं मिल सकता, शैल जी। वहाँ तक जाना पड़ेगा। किन्तु आश्चर्य की बात है कि नदी के प्रचंड प्रवाह में भी वह वहाँ अटक कैसे गया? इतने प्रवाह में तो उसे बह जाना चाहिए था।” एक साथी ने कहा।
“बह जाता तो अच्छा होता।” दूसरे साथी ने कहा।
“क्यों? ऐसा क्यों मान रहे हो श्रीमान?”
“बह जाता तो सीमा पार कर उनके देश में चला जाता और हमें इस घटना से जुड़ना नहीं पड़ता। इस झंझट से बच जो जाते।”
“नहीं मित्र। ऐसा विचार कभी नहीं करना। ऐसे झंझट के लिए ही तो हम बने हैं।”
“यह घटना, यह विषय अब दो देशों की मंजूषा बन गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा यह।”
“तो क्या हुआ?”
“शत्रु देश के दल के साथ कार्य करना पड़ेगा।”
“तो?”
“मुझे उसका मुख देखना भी पसंद नहीं है। और अब साथ में कार्य करना?”
“शत्रु को जीतना हो तो शत्रु के साथ भी रहना आवश्यक होता है। तभी तो शत्रु की गतिविधियों का संज्ञान मिलता रहेगा। खेर, वैसे भी यह देह भारत की सीमा से बहता हुआ आया है तो इस मंजूषा से हमारा जुड़ना निश्चित ही था।”
“इस स्थिति में बात अधिक जटिल हो जाएगी।”
“तभी तो रोचक बनेगी। तभी तो आनंद आएगा।” शैल के मुख पर एक आभा आ बसी जो उसके मुख को कांतिवान बना गई।
“कैसा आनंद?”
“मेरे साथ जुड़े रहो और देखते रहो।”
“क्या तात्पर्य है?”
“उनकी बजाने का एक भी अवसर खोना नहीं है। विश्व समुदाय के समक्ष उसे परास्त करने का इससे अधिक उचित एवं उत्तम समय क्या हो सकता है?”
“किन्तु अभी तक उसकी तरफ से कोई दिख नहीं रहा।” उसने सीमा पार दृष्टि करते हुए कहा। पाकिस्तानी पुलिस के होने का कोई संकेत नहीं था वहाँ।
“उसे आना ही पड़ेगा। कोई विकल्प नहीं है उसके पास।”
“इतना विलंब क्यों हो रहा है?”
“यही उनका चरित्र है। ऐसे अनेक चरित्रों का दर्शन करने के लिए सज्ज हो जाना। इस खेल में बड़ा प्रमोद आने वाला है।” शैल घड़ी भर रुका।
“सुनो, यह अंतरराष्ट्रीय घटना है। भारतीय सेना को सूचित किया या नहीं?” शैल ने ग्रामजनों से पूछा। ग्रामजनों के मुख अवाक से हो गए। शैल उस भावों को समज गया। उसने पुलिस मुख्यालय को संदेश दिया,
“भारतीय सेना को इस घटना की सूचना दी जाए।”
संदेश प्राप्त होते ही भारतीय सेना ने पाक्सितानी सेना को सूचित कर दिया।
शैल तथा उसका दल अपने कार्य में लग गया।
“इस स्थल के तथा देह के अधिक से अधिक चित्र ले लो। सभी कोने से लेना, एक भी कोण छूटना नहीं चाहिए। एक विस्तृत चलचित्र भी बनाओ। छोटी से छोटी बात, छोटी से छोटी चीज भी नहीं छुटनी चाहिए।” शैल के आदेश पर दल काम पर लग गया।