Anternihit - 3 in Hindi Classic Stories by Vrajesh Shashikant Dave books and stories PDF | अंतर्निहित - 3

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अंतर्निहित - 3

[3]

शैल उस स्थल का, उस क्षेत्र का अपने दृष्टिकोण से निरीक्षण करने लगा। उसने जो भी देखा, जो भी अनुभव किया उसे उसने अपने मन में रख लिया। 

कुछ ही क्षण में दोनों देशों की सेना की टुकड़ी घटना स्थल पर आ गई। पाकिस्तानी पुलिस का कोई समाचार नहीं था। 

दोनों सेनाओं ने कुछ विचार विमर्श किया, चर्चा की और निर्णय लिया गया कि भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर की सहायता से मृतदेह को नदी से बाहर निकाला जाए तथा उसे भारतीय सीमा में, भारत के संरक्षण में ही रखा जाए। 

हेलिकॉप्टर आ गया। जवानों ने जैसे ही देह को बाहर निकालने के लिए सज्जता कर ली तभी पाकिस्तानी पुलिस दल आ पहुँचा। और विरोध करते हुए बोला, “अभी इसे निकाला न जाए। हमारे दल को इसकी तथा आसपास की फोटोग्राफी तथा विडीयोग्राफी करनी है।”

“श्रीमान। इसके लिए आपने अत्यंत विलंब कर दिया है। आशा करता हूँ कि आप समयोचित सहयोग करेंगे।” शैल ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट संकेत दे दिया कि कार्य समय पर ही होगा। वह किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करेगा। 

“मैं सीनियर इन्स्पेक्टर सुल्तान।” सुल्तान ने हस्त धूनन हेतु शैल की तरफ हाथ बढ़ाया, “और आप?”

“मैं इन्स्पेक्टर शैल। क्राइम ब्रांच, भारत सरकार।” शैल ने सुल्तान के बढ़े हुए हाथ की तरफ देखे बिना ही सुल्तान की आँखों में आँखें डालते हुए अपना परिचय दिया। 

शैल की तीक्ष्ण दृष्टि से आहत सुल्तान क्षण भर विचलित हो गया। स्वयं को संभालते हुए उसने शब्दों का खेल खेलते हुए कहा, “जांच के लिए हमें भी तो कुछ एविडेन्सिस चाहिए न? बस हम कुछ ही लम्हों में हमारा काम कर लेंगे। जब इतना इंतजार किया है तो थोड़ा और सही।”

“अन्वेषण हेतु जितने प्रमाण आवश्यक हैं वह सब हमारे पास हैं। आपको भी उपलब्ध करा दिए जाएंगे। अब हमारा तथा हमारे देश की वायुसेना का एक भी क्षण व्यर्थ नष्ट नहीं होने देंगे। हमें समय का मूल्य है, हम समय का सम्मान करते हैं।”

“तो क्या हम पाकिस्तानी समय का सम्मान नहीं करते?”

“वह आपकी समस्या है। आप लोग अपनी सभी समस्याओं का समाधान भारत से ही क्यों मांगते हो?” 

शैल के शब्दों ने सुल्तान को अपमानित कर दिया। क्रोध में उसने अपनी रिवॉल्वर पर हाथ डाल दिया। स्थिति की गंभीरता को पाकिस्तानी सेना ने समज लिया। सुल्तान को नियंत्रण में ले लिया। 

“भारतीय वायुसेना से हम विनती करते हैं कि हो सके तो कुछ समय के लिए रुक जाएँ। पाकिस्तानी पुलिस की तरफ से पाकिस्तानी सैन्य क्षमा माँगता है।”

“शैल, हमें उनके अनुनय का सम्मान करना चाहिए। कुछ समय प्रतीक्षा करने में हमें कोई आपत्ति नहीं है।” भारतीय वायु सेना दल के प्रमुख ने कहा। शैल ने मौन सम्मति दी। 

“हम आपको पंद्रह मिनिट का समय देते हैं। आप अपना कार्य इसी समय सीमा में सम्पन्न कर लो। इससे अधिक हम प्रतीक्षा नहीं करेंगे।” सुल्तान को स्पष्ट संदेश मिल गया। 

सुल्तान तथा रफीक चित्र और चलचित्र के रूप में साक्ष्य का सर्जन करने लगे। पंद्रह के स्थान पर बीस मिनिट का समय व्यतीत हो गया किन्तु काम पूर्ण होने का कोई संकेत सुल्तान की तरफ से नहीं मिला।  

भारतीय वायुसेना ने चार जवानों को लेकर अपना हेलिकॉप्टर उड़ाया। दो जवान हेलिकॉप्टर से लटकते हुए मृतदेह तक पहुँच गए। पानी के तीव्र प्रवाह में उतरे, स्वयं को स्थिर किया। मृतदेह को निकालने का प्रयत्न करने लगे। किन्तु प्रवाह की तीव्र गति के कारण कठिनाई होने लगी। कुछ समय के संघर्ष के पश्चात मृतदेह को पकड़कर खींचने में सफल हुए। उन्होंने देह को उठाया, रस्सी से बांधा। हेलिकॉप्टर देह को और जवानों को लेकर भारतीय सीमा में आ गया। 

जैसे ही हेलिकॉप्टर धरती पर उतरा, न जाने कहाँ से पत्रकारों की टोली वहाँ आ गई। वायुसेना दल के प्रमुख ने शैल की तरफ देखा। दोनों में संकेतों में कुछ बात हुई। 

शैल पत्रकारों के समीप गया। 

“आप सभी इस तरफ आ जाइए। वायुसेना को अपना कार्य करने दीजिए। आप जो भी बात करना चाहें, मुझसे कीजिए। मैं आपके सभी प्रश्नों के उत्तर दूंगा।”

अनिर्णायक स्थिति में पत्रकार कुछ समय तक खड़े रहे। पश्चात एक पत्रकार बोला, “हम मृतदेह के चित्र लेना चाहते  हैं। प्रथम वह ले लें, पश्चात आपसे भी प्रश्न करेंगे।”

“अभी कुछ ही समय में वायुसेना की रुग्ण वाहिनी आएगी। तब मृतदेह को बाहर निकाला जाएगा। उस समय आपको पूरा अवसर दिया जाएगा। तब तक आप उस स्थान को खाली कर दें।” शैल ने आदेश दिया। सभी वहाँ से अप्रसन्न मन से हट गए। शैल से प्रश्न करने लगे।  

“यह मृतदेह यहाँ कैसे आया?”

“यह किसका है?”

“पानी के प्रवाह में बहकर पाकिस्तान की सीमा में जाने के स्थान पर दोनों देशों की सीमाओं के मध्य में कैसे अटक गया?”

“यह स्त्री है या पुरुष?”

“मृत्यु का कारण क्या हो सकता है?”

“क्या यह आत्महत्या है?”

“क्या यह हत्या है?”

“किसने इसे मारा होगा?”

“अभी मैंने मृतदेह को देखा ही नहीं है। तो इस विषय में अभी कुछ भी कहना अनुचित होगा।” शैल ने कहा।  

“किन्तु कुछ तो अनुमान?”

“कोई भी घटना अनुमान का विषय नहीं होता है। आप सभी जानते हैं कि किसी भी निष्कर्ष पर आने से पूर्व देह का देह परीक्षण, पोस्ट मॉर्टम, होता है। आवश्यक हुआ तो फोरेंसिक जांच होती है। तभी जाकर इस दिशा में कुछ कहने की स्थिति बनती है। तो प्रथम यह सब हो जाने दो। पश्चात जो भी निष्कर्ष निकलेगा, आपको सूचित किया जाएगा।”

“आपको किसी पर संशय है?”

“प्रतीक्षा करो। समय पर सब विदित हो जाएगा।”

“इस देह को यहाँ कोई डाल गया होगा या स्वयं ही यहाँ तक आ गया होगा?”

“हम सभी विकल्प पर अन्वेषण करेंगे। देखते हैं क्या..।”

“देह का अर्ध भाग पाकिस्तान सीमा में था तो क्या आगे के अन्वेषण में पाकिस्तान जुड़ेगा?”

“क्या आप उसे इस हेतु अनुमति देंगें?”

“इससे दोनों  देशों के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?” पुन: नए प्रश्न होने लगे। 

“इस विषय पर हमने अभी उनसे कोई बातचीत नहीं की है। न ही कोई प्रस्ताव किसी भी ओर से गया है।”

“यह प्रस्ताव कब तक प्रस्तुत होगा?”

“यह विषय विदेश नीति का है। उसे हमें दोनों सरकारों पर छोड़ देना चाहिए।”

“किन्तु हम ...?” कोई प्रश्न पूछना चाहता था तभी किसी ने सूचना दी कि रुग्ण वाहिनी आ चुकी है। यह सुनते ही सभी पत्रकार उस दिशा में दौड़ गए। 

“आप लोग जीतने चित्र और चलचित्र लेना चाहें ले लीजिए। किन्तु कुछ अंतर बनाकर रखीये। इस वृत्त के भीतर आपको प्रवेश नहीं करना है।” वायुसेना के जवानों ने रुग्णावहिनी को घेर लिया और एक वृत्त बना दिया। मृतदेह को हेलिकॉप्टर से बाहर निकाला गया।  

पत्रकारों ने मृतदेह को देखते ही विरोध किया। 

“यह तो पूरा ढंका हुआ है। हम इसके चित्र कैसे ले सकते हैं?”

“यह देह पूरा क्षत विक्षत हो चुका है। अत: इसे बांधकर ही रखना पड़ेगा। इसे शव परीक्षण के समय ही रुग्णालय में खोला जाएगा। आप इसी अवस्था में जो ले सको, ले लो।”

“इंस्पेक्टर शैल, यह तो ठीक नहीं है। हम इस बंद शव के चित्रों का क्या करें? हमें तो ....?”

“शांत हो जाइए। शव की जो स्थिति है उसमें उसे खोलना संभव नहीं है। मैं आपकी बात को भी समज रहा हूँ। आप निश्चिंत रहिए। हमारे दल ने जो भी चित्र और चलचित्र लिए हैं वह सभी आपको उपलब्ध किए जाएंगे। वे सब आपके काम के हैं इतना मैं आपको आश्वासन दिलाता हूँ।”

पत्रकारों ने शैल की बात मान ली। देह को रुग्ण वाहिनी में रखा गया। पत्रकारों ने पूरी सज्जता और अनुशासन से उसे जाने दिया। रुग्ण वाहिनी देह को लेकर चली गई। वायुसेना का दल विदा हो गया। पत्रकार भी चले गए। शैल अपने दल के साथ वहीं रुका रहा। 

सुल्तान और उसका साथी शैल की तरफ बढ़े। 

“जब कोई निष्कर्ष निकल आए तो हमें सूचित कर देना।” सुल्तान के मुख पर व्यंग की रेखाएं थी। 

“आपको बड़ी रुचि है इस घटना में?”

“हमें कोई रुचि नहीं है। यह तो शव आधा हमरी सीमा में था..।”

“तो क्या आधी अधूरी बातें करके चले जाओगे?”

“हमें इससे कोई लेना देना नहीं है। इसे आपके गले में डालकर हम तो चले।”

“समय आने पर विदित हो जाएगा कि किसके गले में क्या पड़ा है।” शैल ने उत्तर दिया। सुल्तान लौट गया। दोनों देश की सीमाएं पुन: बंद हो गई।