Barsho Baad Tum - 19 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | बरसों बाद तुम - 19

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बरसों बाद तुम - 19



🌧️ "बरसों बाद तुम..." – एपिसोड 19

शीर्षक: वो पल जो छूट गया था...



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बारिश फिर उसी अंदाज़ में हो रही थी… जैसे सालों पहले हुई थी।
पर अब शहर वही था, मौसम वही था… बस रिश्ता बदल चुका था।

सिमरन खिड़की के पास बैठी थी, उसके हाथ में आरव की दी हुई वही डायरी थी…
जिसके पन्नों में उनकी मुस्कानें दर्ज थीं — और खामोशियाँ भी।

जैसे ही उसने पहला पन्ना पलटा, एक सूखा गुलाब गिरा...
और उन यादों का दरवाज़ा फिर से खुल गया जो उसने बंद कर दिया था।


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“14 जुलाई 2015”

> "आज मैंने सिमरन की आँखों में कुछ देखा... शायद भरोसा।
लेकिन मैं जानता हूँ, मैं उसके लायक नहीं हूँ। फिर भी...
अगर कभी मैं खो जाऊँ, तो मेरी ये डायरी उसे बता दे कि
मैंने उससे कितना प्यार किया है..."



सिमरन की आंखें भर आईं।
"तुम खो क्यों गए थे, आरव?" — उसने फुसफुसा कर पूछा।


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🌃 दूसरी ओर — आरव

आरव उस पुराने कैफ़े के बाहर खड़ा था, जहां कभी वो और सिमरन कॉफ़ी पीने आया करते थे।
अब वो कैफ़े नया बन चुका था — पर उसकी यादें ज्यों की त्यों थीं।

कैफ़े के कोने में बैठकर, उसने फिर वही ब्लैक कॉफ़ी मंगाई…
और अपनी डायरी का खाली पन्ना खोला।

> "बरसों बाद उससे मिलना एक सज़ा थी,
ना वो सवाल पूछ पाई,
ना मैं जवाब दे सका।
बस उसकी आँखें कुछ कह गईं —
और मेरी ख़ामोशी सब सुन गई..."




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📞 उस शाम एक कॉल आया...

सिमरन को एक अनजान नंबर से कॉल आया।
वो उठाने ही वाली थी कि कॉल कट गया।

कुछ ही देर में वॉट्सऐप पर एक पुराना मैसेज पॉप हुआ…

> 🕒 भेजा गया: 3 साल पहले
"अगर कभी बारिश में भीगते हुए मेरी याद आए… तो बस इतना जान लेना कि मैं भीग रहा हूँ, तुम्हारी याद में। - आरव"



सिमरन की उंगलियां ठिठक गईं।

उसने वही मैसेज पढ़ते हुए फोन को धीरे से सीने से लगा लिया…
"तुमने मैसेज भेजा, पर बताया क्यों नहीं?"


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💬 फ्लैशबैक: वो आख़िरी मुलाक़ात

तीन साल पहले, जब आरव बिना बताए चला गया था —
वो उसकी ज़िंदगी का सबसे कड़वा दिन था।

आरव अपने पापा की बीमारी के कारण मुम्बई लौट गया था,
और वहीं बिज़नेस संभालते-संभालते वो कहीं खो गया…
शायद ख़ुद से, शायद उनसे…

सिमरन ने ढूंढा, इंतज़ार किया…
पर जब हर दरवाज़ा बंद मिला — उसने अपने जज़्बात भी बंद कर दिए।


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🌒 वर्तमान: इत्तेफ़ाक़ या क़िस्मत?

शाम को सिमरन की कॉलेज फ्रेंड "रिया" का कॉल आया।
वो मुम्बई शिफ्ट हो चुकी थी और सिमरन को एक फैशन एग्ज़िबिशन में बुला रही थी।

रिया ने कहा —

> “और सुन... आरव भी वहीं होगा, शायद... उसने एक स्टॉल लिया है अपने ब्रांड के लिए।”



सिमरन के दिल की धड़कनें रुक-सी गईं।

> "क्या ये इत्तेफ़ाक है... या फिर...?"




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🚕 अगले दिन

सिमरन पहली बार इतने सालों में खुद को संवारते हुए आईने में देख रही थी।

वो वही ब्लू कुर्ता पहन रही थी, जिसमें आरव ने उसे पहली बार कहा था —
"तुम इसमें आसमान जैसी लग रही हो..."

दिल में एक डर था, पर आंखों में उम्मीद भी…


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🏛️ एग्ज़िबिशन का दिन

हॉल में रौशनी थी, भीड़ थी, कैमरे थे…
पर सिमरन की नज़रें बस एक चेहरे की तलाश में थीं।

और फिर…
एक कोना था — जहाँ "RAA COLLECTIONS by Aarav Mehra" लिखा था।

आरव खड़ा था — प्रोफेशनल सूट में, बालों में हल्की सफेदी, आँखों में वही पुरानी बेचैनी...

सिमरन के कदम वहीं ठिठक गए।


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🌬️ पहली नज़र…

आरव ने जैसे ही उसे देखा, उसके चेहरे पर कुछ टूटने जैसा था।

वो मुस्कराया — पर मुस्कराहट अधूरी थी।

दोनों बिना कुछ कहे, एक-दूसरे के सामने खड़े थे…
वो 5 सेकंड... पाँच साल से बड़े थे।


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🕯️ आरव:

"कैसी हो?"

सिमरन:
"अब भी जिंदा हूँ… उस वक़्त की तरह नहीं रही, जब तुम छोड़ गए थे…"

आरव कुछ कहना चाहता था, लेकिन ज़ुबान साथ नहीं दे रही थी।


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⏳ एपिसोड का अंत:

भीड़ के बीच, सब कुछ जैसे रुक गया था।
सिर्फ दो लोग थे —
एक जो बीत चुका था,
और एक जो फिर से शुरू हो सकता था… अगर हिम्मत हुई तो।


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📚 अगला भाग:

एपिसोड 20: "मौन में छुपी मोहब्बत..."
(क्या अब आरव सच्चाई बताएगा? क्या सिमरन फिर से भरोसा कर पाएगी?)


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