Wo jo Mera Tha - 14 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | वो जो मेरा था - 14

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वो जो मेरा था - 14

"वो जो मेरा था..." – Episode 14



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सांझ ढल चुकी थी। शहर की रोशनियाँ जैसे आसमान के तारे ज़मीन पर उतर आई हों। अराव अपनी कार धीमे-धीमे समुद्र किनारे ले आया था। हवाओं में नमी थी, लहरों की आवाज़ दिल की धड़कनों जैसी लग रही थी। कार से उतरते ही उसने गहरी साँस ली और दूर खड़ी कव्या को देखा।

कव्या बालों को हवा से बचाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसकी सफेद ड्रेस पर नीले आसमान की परछाई पड़ रही थी। वह उस वक़्त इतनी खूबसूरत लग रही थी कि अराव का दिल जैसे उसी पल रुक गया हो।

"इतनी देर लगा दी?" कव्या ने मुस्कुराते हुए कहा, पर उसकी आँखों में शिकायत छुपी थी।

अराव ने धीमे स्वर में जवाब दिया—
"रास्ते में ट्रैफिक था... लेकिन तुम्हें देखते ही सारा गुस्सा, सारी थकान उड़ जाती है।"

कव्या ने हल्की सी हँसी हँसी, लेकिन दिल के अंदर उसने उस बात को महसूस किया। उसके लिए ये लम्हा किसी ख्वाब से कम नहीं था।


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समुद्र किनारे का सन्नाटा

दोनों रेत पर बैठ गए। लहरें पास आकर पैरों को छूकर लौट जातीं। चाँदनी उनके चेहरे पर बिखरी थी। अराव कुछ देर चुपचाप कव्या को देखता रहा।

"कव्या..." उसने अचानक कहा।

"हूँ?"

"क्या कभी लगा तुम्हें कि हम दोनों के बीच ये जो बंधन है... ये पहले से लिखा गया है?"

कव्या उसकी ओर देखकर मुस्कुरा दी, "शायद... क्योंकि कभी-कभी लगता है कि तुमसे पहले मेरी ज़िन्दगी अधूरी थी।"

अराव की आँखें नम हो गईं। वह कुछ बोलना चाहता था, लेकिन शब्द गले में अटक गए। कव्या ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया।

"अराव, तुम्हें कुछ कहने की ज़रूरत नहीं। तुम्हारी आँखें सब कह देती हैं।"


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अधूरी बातें, अधूरे ख्वाब

लहरों के बीच खामोशी थी, और खामोशी के बीच दिल की बातें।

कव्या ने धीरे से कहा—
"अराव, तुम्हें पता है? बचपन से मैंने सपने देखे थे कि कोई ऐसा होगा जो मेरी हर खामोशी समझ लेगा। लेकिन जब तुम मिले... तो लगा सपने भी हकीकत बन सकते हैं।"

अराव ने उसे गौर से देखा। उसकी आवाज़ में वो सच्चाई थी जिसे झुठलाना मुमकिन नहीं था।

"और मैंने..." अराव रुक गया।
"क्या?" कव्या ने पूछा।

"मैंने कभी सोचा नहीं था कि कोई मुझे पूरा कर सकता है। पर तुमने मेरी अधूरी धड़कनों को पूरा कर दिया।"

कव्या की आँखें भर आईं। वो लहरों की ओर देखने लगी ताकि आँसू छुपा सके, लेकिन अराव ने उसकी ठोड़ी उठाकर कहा—
"रोओ मत... मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।"


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दिल की कसमें

अराव ने कव्या का हाथ थामते हुए कहा—
"आज इस समुद्र के सामने, इस आसमान के नीचे... मैं वादा करता हूँ, चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।"

कव्या ने काँपती आवाज़ में पूछा—
"और अगर हमसे दुनिया नाराज़ हो गई तो?"

"तो हम दुनिया के खिलाफ़ होंगे। लेकिन मैं कभी तुम्हें खोऊँगा नहीं।"

कव्या ने अपने आँसू पोंछते हुए मुस्कुराया।
"तुम्हें पता है, ये वादे बहुत भारी होते हैं।"

अराव ने तुरंत जवाब दिया—
"मुझे बोझ उठाने की आदत है, और तुम्हारा वादा मेरे लिए बोझ नहीं, साँसों जैसा है।"


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अतीत की परछाइयाँ

कव्या ने अचानक गंभीर होकर कहा—
"अराव, क्या तुम्हें डर नहीं लगता? हमारा अतीत हमें फिर से तोड़ देगा?"

अराव कुछ पल चुप रहा, फिर धीरे से बोला—
"डर तो लगता है... लेकिन जब तुम साथ हो, तो मुझे हर डर छोटा लगता है।"

कव्या ने उसकी आँखों में झाँककर देखा। वहाँ सच्चाई थी, अपनापन था।

"तो चलो... आज से अतीत को भूल जाते हैं। सिर्फ आज और आने वाले कल के बारे में सोचते हैं।"

अराव ने उसका हाथ चूम लिया।
"तुम्हारे साथ मेरा हर कल खूबसूरत है।"


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पहली मोहब्बत का इज़हार

चाँद अब और ऊपर आ चुका था। लहरें तेज़ हो गई थीं। हवाएँ बालों से खेल रही थीं। उसी पल अराव ने अचानक कव्या को अपनी बाँहों में खींच लिया।

कव्या चौंकी, लेकिन उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं।
"अराव... ये..."

अराव ने उसकी आँखों में गहराई से देखा।
"कव्या, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। शायद हमेशा से करता आया हूँ... बस अब शब्दों में कह पाया।"

कव्या का दिल जैसे धड़कना भूल गया। उसकी आँखों से आँसू बह निकले।
"अराव... मैं भी... मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।"

उनके बीच की सारी दूरियाँ उसी पल मिट गईं।


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खामोशी का आलिंगन

अराव ने उसे अपने सीने से लगा लिया। कव्या ने अपनी आँखें बंद कर लीं। लहरें गवाह बनीं, हवा गवाह बनी, आसमान गवाह बना।

कुछ पल दोनों बिना कुछ कहे एक-दूसरे की धड़कनों को सुनते रहे।

कव्या ने धीमे से कहा—
"काश ये रात यहीं रुक जाए..."

अराव मुस्कुराया, "ये रात तो जाएगी, लेकिन हमारे बीच का ये लम्हा हमेशा रहेगा।"


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कल की चिंता

समुद्र किनारे का वो पल खूबसूरत था, लेकिन दिल के कोने में एक डर अब भी छुपा था।

कव्या ने धीरे से कहा—
"अराव, अगर कल को हमें किसी इम्तिहान से गुज़रना पड़ा तो?"

अराव ने उसका चेहरा पकड़कर कहा—
"तो हम हाथ में हाथ डालकर लड़ेंगे। ज़िन्दगी के हर तूफ़ान से... मिलकर गुजरेंगे।"

कव्या ने आँखें बंद कर लीं। उसके चेहरे पर संतोष था।


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समापन

रात गहरी हो चुकी थी। दोनों कार की ओर लौटे। लेकिन उनके दिलों में एक नई सुबह, एक नया वादा जन्म ले चुका था।

अराव ने कार स्टार्ट करते हुए कहा—
"कव्या, ये तो बस शुरुआत है... अब हमारी कहानी का हर पन्ना साथ लिखा जाएगा।"

कव्या मुस्कुरा दी, उसकी आँखों में चमक थी।
"हाँ, अराव... अब ये कहानी हमारी है।"

और कार की हेडलाइट्स उस अंधेरी सड़क को रोशन करती चली गईं।


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