Adhuri Kitaab - 1 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 1

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अधुरी खिताब - 1

👻 कहानी: “अधूरी किताब” - भाग 1: एक भयानक खोज
दिल्ली की पुरानी लाइब्रेरी, जहां धूल से भरे शेल्फ़ और पन्नों की हल्की महक थी, रिया का पसंदीदा ठिकाना था। 22 साल की रिया, इतिहास की छात्रा थी, और उसे लगता था कि हर पुरानी किताब में एक नई दुनिया छिपी होती है। वह अक्सर घंटों तक यहाँ बैठकर किताबें पढ़ती, कभी-कभी तो दिनभर बाहर भी नहीं निकलती। लाइब्रेरी की शांत और पुरानी हवा उसे सुकून देती थी, खासकर जब शहर का शोर उसके दिमाग पर हावी होने लगता था।
एक दिन, रिया लाइब्रेरी के सबसे पुराने और सबसे कम इस्तेमाल होने वाले हिस्से में चली गई। इस कोने में लकड़ी की सीढ़ियाँ चरमरा रही थीं और यहाँ की हवा कुछ ज़्यादा ही ठंडी थी। वहीं उसकी नजर एक अनोखी किताब पर पड़ी। किताब का कवर पुराना और फटा हुआ था, और ऐसा लग रहा था कि किसी ने इसे वर्षों से नहीं खोला था। धूल की एक मोटी परत उस पर जमी हुई थी, और उसके ऊपर "अधूरी कहानी" लिखा था, जो लगभग मिट चुका था।
राहुल, लाइब्रेरी का सहायक, जो रिया को अक्सर इस कोने में आते देख चुका था, उसे देखते ही बोला, “ये किताब मत पढ़ो... मैंने इसके बारे में कुछ अजीब बातें सुनी हैं।” राहुल एक साधारण लड़का था, जिसे लाइब्रेरी में काम करते हुए तीन साल हो चुके थे, और वह इन पुरानी कहानियों पर विश्वास करता था। “कुछ लोगों के साथ अजीब होता है। आख़िरी पेज हमेशा ख़ाली रहता है।”
रिया हँसी। “अजीब? किताब के पन्ने कैसे खाली रह सकते हैं?” उसने उत्सुकता से पूछा। उसे लगा कि राहुल मज़ाक कर रहा है।
राहुल ने सिर हिलाया। “सच में... पिछले दस सालों में जो भी इस किताब को पढ़ने की कोशिश कर चुका है, उसका नाम आख़िरी पन्ने पर लिखा पाया गया... और फिर... वो कभी वापस नहीं आया।” उसकी आवाज़ में डर साफ झलक रहा था।
रिया की जिज्ञासा और बढ़ गई। उसे लगा कि यह सिर्फ एक कहानी है जो लोगों को डराने के लिए बनाई गई है। उसने किताब उठाई और अकेले ही पढ़ने के लिए कमरे के सबसे कोने में चली गई। उसकी आँखें उत्सुकता से चमक रही थीं।
पहला पन्ना
किताब का पहला पन्ना साधारण लग रहा था। एक कहानी शुरू होती है — एक लड़की, एक जंगल, और अचानक गुम होने वाले लोग। लेकिन जैसे-जैसे रिया पढ़ती गई, कहानी धीरे-धीरे डरावनी होती गई। हर पन्ने पर लिखा था कि “कोई व्यक्ति जो यह पढ़ता है, उसका जीवन बदल जाएगा।” रिया ने सोचा कि ये सिर्फ़ कहानी है, एक तरह की मनोवैज्ञानिक चाल।
लेकिन जब वह 100वें पन्ने तक पहुँची, उसे लगा कि किताब की स्याही उसके सामने नाच रही है। उसे महसूस हुआ कि किताब उसे देख रही थी, जैसे पन्नों के शब्द उसके आसपास की हवा में गूँज रहे हों। लाइब्रेरी की ठंडी हवा अब और भी ज़्यादा ठंडी हो गई थी, और रिया को अपने रोंगटे खड़े होते महसूस हुए।
अदृश्य संकेत
अचानक, रिया के हाथ से किताब हिलने लगी, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उसे पकड़ा हो। पन्नों के बीच कुछ लिखावट उभरने लगी। “तुम अब मेरी कहानी का हिस्सा हो।” ये शब्द लाल रंग में थे और ऐसा लग रहा था जैसे वे खुद खून से लिखे गए हों।
रिया की सांसें तेज़ हो गईं। वह किताब बंद करने लगी, लेकिन जैसे ही उसने इसे नीचे रखा, किताब अपने आप खुल गई और आख़िरी पन्ना सामने आया... और वह पूरी तरह ख़ाली था। रिया के दिल की धड़कन बढ़ गई।
कंप्यूटर वाले कमरे में घंटी बजने जैसी आवाज़ हुई। रियलिटी और किताब का फर्क गायब हो गया। किताब के पन्नों में धीरे-धीरे उसकी अपनी नाम की शुरुआत उभरने लगी — “रिया शर्मा...”
दिल की धड़कन रुकने जैसी हो गई। किताब ने आख़िरी पन्ने पर नाम पूरा लिख दिया — और तभी कमरे में अजीब ठंडी हवा का झोंका आया। रिया को लगा जैसे किसी ने उसकी आत्मा को खींच लिया हो।
अंत का डर
रिया घबराई और किताब फेंकने लगी, लेकिन किताब जैसे हवा में तैरती हुई उसके हाथ में वापस आ गई। उसने चिल्लाया, पर आवाज़ कहीं नहीं पहुँची। लाइब्रेरी में वह अकेली थी, लेकिन किताब ने उसके चारों तरफ़ पन्नों को फैलाया, जैसे उसे अपनी गिरफ्त में ले रही हो। पन्नों से निकलने वाली हल्की लाल रोशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी।
जब सुबह लाइब्रेरी के लोग पहुँचे, कंप्यूटर वाले कमरे में खाली कुर्सी और किताब रखी मिली। किताब का आख़िरी पन्ना खुला हुआ था। और उसमें लिखा था – “रिया शर्मा”
किसी ने उसे वापस नहीं देखा।
सुबह की रहस्यमयी खोज
अगली सुबह लाइब्रेरी में अफ़रातफ़री मची हुई थी। रिया का कहीं पता नहीं था। राहुल पूरी तरह स्तब्ध था। “ये कैसे हो सकता है? उसने किताब पढ़ी और... गायब?” वह खुद से बार-बार पूछ रहा था। कुछ छात्र भी वहां आए थे, और वे डर के मारे दूर खड़े होकर किताब को घूर रहे थे।
एक छात्र ने हिम्मत करके किताब को हाथ लगाया, तो पन्ने अपने आप झिलमिलाने लगे। एक ठंडी हवा का झोंका आया, और कमरे में हल्की सी फुसफुसाहट गूँज उठी। राहुल ने अपने मोबाइल से रिकॉर्डिंग शुरू की। जैसे ही उसने कैमरा चालू किया, एक साया कमरे में दिखाई दिया। साया धीरे-धीरे किताब की तरफ बढ़ा और अचानक गायब हो गया। राहुल के हाथ कांप गए, लेकिन उसने तय किया कि वह अब इस रहस्य को खुद सुलझाएगा।
भाग 2: एक नई उम्मीद
अचानक लाइब्रेरी के दरवाज़े खुले, और एक नई महिला आई। वह न्यू कलेक्टर थी – किताबों और पुरानी लाइब्रेरी के रहस्यों की एक्सपर्ट। उसका नाम था अन्वेषी काव्या। काव्या, 30 साल की एक गंभीर और तेज-तर्रार महिला थी। उसकी आँखें रहस्य और ज्ञान से भरी हुई थीं।
काव्या ने किताब देखते ही कहा, “यह वही किताब है जिसे मैं ढूँढ रही थी। यह सिर्फ़ भूतिया नहीं, बल्कि किसी की आत्मा को कैद करने वाली किताब है।”
राहुल चौंक गया। “कैद करने वाली?” उसने पूछा।
काव्या ने सिर हिलाते हुए जवाब दिया, “हां। जो कोई इसे पढ़ता है, उसकी आत्मा किताब में दर्ज हो जाती है। और आख़िरी पन्ना हमेशा खाली रहता है... ताकि अगली आत्मा का नाम लिखा जा सके।”
किताब का नया खतरा
काव्या ने किताब उठाई, लेकिन जैसे ही उसने इसे छुआ, पन्नों पर हल्की लाल चमक उभरने लगी। “किताब अब रिया को वापस लाना चाहेगी,” उसने फुसफुसाया। “हमें जल्दी से पता लगाना होगा कि रिया कहां है और किताब का नियंत्रण हमारे हाथ में कैसे आए।”
राहुल डर के मारे पीछे हट गया। काव्या ने ध्यान से किताब पढ़ना शुरू किया। किताब के हर पन्ने में रिया की आवाज़ और चित्र धीरे-धीरे उभर रहे थे, जैसे वह अभी भी किताब के अंदर फंसी हो।
पहला सस्पेंस
काव्या ने ध्यान से देखा कि आख़िरी पन्ना धीरे-धीरे हल्का सा चमकने लगा। “यह पन्ना किताब को नया लक्ष्य दे रहा है... यह किसी नए शिकार की तलाश में है।”
राहुल ने कांपते हुए पूछा, “तो क्या यह मुझे भी चुन सकती है?”
काव्या ने गंभीर स्वर में कहा, “अगर हम इसे अभी नहीं रोकेंगे, तो किताब खुद ही अगली आत्मा का नाम लिख देगी। और कोई भी वापस नहीं आएगा।”
कमरे में हवा फिर से तेज़ होने लगी। किताब अपने आप खुली और पन्ने झिलमिलाने लगे। और तभी एक अजीब चमक कमरे के कोने में उभरी। साया धीरे-धीरे आकार लेने लगा – और वह रिया जैसा ही दिख रहा था।
भाग 3: रहस्य का पर्दाफ़ाश
रिया की छवि किताब से बाहर निकल रही थी, लेकिन वह केवल आशंका और चीख़ों की आवाज़ छोड़ रही थी। काव्या ने किताब को जोर से पकड़ा और कहा, “हमें उसे वापस लाना होगा… वरना किताब हमेशा नए शिकार चुनती रहेगी।”
किताब का इतिहास
काव्या ने राहुल को बताया, “यह किताब एक बहुत शक्तिशाली जादूगर ने बनाई थी। उसने इसमें अपनी आत्मा को कैद कर दिया था ताकि वह अमर हो सके। लेकिन एक समय के बाद, किताब को अपनी ऊर्जा बनाए रखने के लिए नई आत्माओं की ज़रूरत पड़ने लगी।”
“तो क्या हम रिया को बचा सकते हैं?” राहुल ने पूछा।
काव्या ने कहा, “हाँ, लेकिन हमें किताब के मूल मंत्र को समझना होगा। यह किताब ऊर्जा से चलती है, और हर बार जब यह किसी को कैद करती है, तो इसका मंत्र बदल जाता है।”
राहुल और काव्या ने मिलकर किताब के पुराने पन्नों को खोजना शुरू किया। एक पन्ने पर एक नक्शा बना था, जो लाइब्रेरी के बेसमेंट की ओर इशारा कर रहा था। बेसमेंट में एक गुप्त कमरा था।
गुप्त कमरा
वे दोनों बेसमेंट में गए। वहाँ एक पुराना दरवाजा था, जो एक अजीब प्रतीक से चिह्नित था। काव्या ने उस प्रतीक को पहचाना। यह जादूगर के परिवार का प्रतीक था। वे दरवाजा खोलकर अंदर गए। कमरे में एक प्राचीन वेदिका और कुछ पुराने मंत्रों की किताबें थीं।
काव्या ने मंत्रों की किताब उठाई और पढ़ना शुरू किया। “किताब का जादू तभी टूट सकता है जब एक आत्मा अपनी मर्ज़ी से खुद को किताब में दे, और फिर उसे वापस मांगा जाए।”
राहुल ने समझा, “तो क्या रिया ने खुद को किताब में दिया था?”
काव्या ने कहा, “नहीं, किताब ने उसे धोखा दिया। लेकिन अगर हम मंत्र का उपयोग करके किताब को नियंत्रित कर लें, तो हम उसे वापस ला सकते हैं।”
आख़िरी पन्ना
काव्या ने वेदिका पर किताब रखी और मंत्र पढ़ना शुरू किया। “अधूरी शक्ति, वापस आओ!” जैसे ही उसने यह मंत्र पढ़ा, किताब का आख़िरी पन्ना चमकने लगा। रिया की छवि और भी साफ हो गई, लेकिन वह दर्द में लग रही थी।
अचानक, किताब का आख़िरी पन्ना लाल रेखाओं से भर गया। एक नया नाम उभर रहा था... यह राहुल का नाम था! किताब ने अब राहुल को अपना नया शिकार चुन लिया था।
राहुल घबरा गया। “यह मेरा नाम क्यों लिख रही है?”
काव्या ने कहा, “क्योंकि यह सबसे डरे हुए व्यक्ति को चुनती है। हमें इस डर को ख़त्म करना होगा।”
काव्या ने राहुल को कहा, “तुम डर को नियंत्रित करो। तुम्हारी आत्मा की शक्ति ही किताब को रोक सकती है।”
राहुल ने गहरी साँस ली और अपनी आँखें बंद कर लीं। उसने रिया के बारे में सोचा, और उसने अपनी हिम्मत को इकट्ठा किया। उसने अपनी सारी शक्ति से कहा, “मैं डरता नहीं हूँ!”
जैसे ही राहुल ने ये शब्द कहे, आख़िरी पन्ने पर उसका नाम मिटने लगा। किताब का जादू कम होने लगा। काव्या ने रिया को वापस बुलाने का मंत्र फिर से पढ़ा।
“अधूरी आत्मा, वापस आओ!”
एक तेज रोशनी उभरी और रिया की आत्मा किताब से बाहर निकल आई। वह बेहोश होकर जमीन पर गिर गई। काव्या और राहुल ने उसे उठाया और बाहर लाए।
भाग 4: अंत और एक नई शुरुआत
रिया को अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिनों बाद, जब वह होश में आई, तो उसे कुछ याद नहीं था। उसे सिर्फ इतना याद था कि वह लाइब्रेरी में थी और कुछ अजीब हुआ था।
काव्या ने किताब को एक प्राचीन लोहे के बक्से में बंद कर दिया और उसे एक गुप्त जगह पर रख दिया। उसने राहुल को कहा, “यह किताब अब शांत हो गई है, लेकिन इसकी शक्ति कभी भी खत्म नहीं होगी।”
राहुल ने लाइब्रेरी में रिया की मदद की और वे अच्छे दोस्त बन गए। रिया अब भी लाइब्रेरी में जाती है, लेकिन वह अब पुरानी किताबों के प्रति ज़्यादा सावधान है।
कहानी का अंत...
या क्या यह सिर्फ एक नया अध्याय है? किताब अभी भी मौजूद है, और उसका आख़िरी पन्ना अभी भी ख़ाली है।
क्या कोई और इसकी खोज करेगा?