Adhuri Kitaab - 10 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 10

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अधुरी खिताब - 10

🌫️ एपिसोड 10 : "परछाइयों से उजाले की ओर – दिलों की अनकही दास्तां"

⏳ नई सुबह, पर हवेली का साया

रीया, काव्या और राहुल ने पिछली रात नेहा वर्मा की आत्मा को मुक्ति दिलाई थी। बाहर सुबह का सूरज निकल चुका था, लेकिन हवेली की दीवारों पर अंधेरे का असर अब भी बाकी था। ऐसा लग रहा था मानो हवेली अपनी अगली चाल चलने को तैयार हो।

काव्या ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा –
“क्या तुम दोनों को नहीं लगता कि इस हवेली में कोई और ताक़त हमें देख रही है?”

रीया ने धीरे से सिर हिलाया –
“हाँ… यह खामोशी भी किसी तूफ़ान का इशारा है।”

राहुल ने अपनी जेब से डायरी का पन्ना निकालते हुए कहा –
“नेहा वर्मा का रहस्य तो खत्म हुआ, लेकिन यह पन्ना देखो। इसमें अरविंद देव के बारे में अधूरी जानकारी लिखी है।”

पन्ने पर केवल इतना लिखा था –

> “अरविंद देव ने जो खोला, उसे कभी बंद नहीं कर पाएगा। हवेली का तहखाना… उस सच्चाई की चाबी वहीं है।”



तीनों के दिलों में डर और जिज्ञासा साथ-साथ धड़कने लगे।


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🚪 तहखाने का रहस्य

हवेली के पिछले हिस्से में, भारी-भरकम लोहे का दरवाज़ा था। दरवाज़े पर जंग लगी जंजीरें लिपटी हुई थीं। काव्या ने हिम्मत जुटाकर जंजीरों को खींचा, और एक अजीब सी कराहती आवाज़ पूरे गलियारे में गूँज उठी।

जैसे ही दरवाज़ा खुला, अंदर से सड़ी हुई गंध बाहर निकली। ठंडी हवा के साथ अंधेरे ने उनका स्वागत किया।

रीया ने काँपती आवाज़ में कहा –
“यह जगह… बिल्कुल किसी कब्र जैसी लग रही है।”

राहुल ने फ्लैशलाइट जलाकर सीढ़ियाँ उतरना शुरू किया। हर कदम पर सीढ़ियाँ चरमरा रही थीं। नीचे उतरते ही उन्हें दीवारों पर अजीब चिन्ह दिखाई दिए – उलटे त्रिकोण, लाल धब्बे, और पुराने संस्कृत मंत्रों के टुकड़े।

अचानक, दीवारों से धीमी फुसफुसाहटें सुनाई देने लगीं –

> “पीछे मुड़ो… यहाँ से निकल जाओ… मौत तुम्हारे करीब है…”



काव्या ने डर से रीया का हाथ कसकर पकड़ लिया।


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🕯️ रक्त से लिखी चेतावनी

तहखाने के बीचों-बीच एक पत्थर की मेज़ थी। उस पर लाल रंग से लिखा था –

> “अरविंद देव की विरासत यहीं है। उसे छेड़ा तो अंधकार तुम्हें निगल जाएगा।”



राहुल ने गहरी सांस ली –
“लगता है यह हवेली सिर्फ नेहा वर्मा की आत्मा की नहीं… अरविंद देव की काली शक्ति की भी कैद है।”

रीया ने धीमी आवाज़ में कहा –
“तो हमें इसका सामना करना ही होगा।”

जैसे ही रीया ने मेज़ पर रखे पुराने ग्रंथ को छुआ, पूरा तहखाना गूँज उठा। मशालें अपने आप जलने लगीं। धुएँ के बीच से एक आकृति बनने लगी।


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👁️ अरविंद देव की परछाई

अंधेरे से एक लंबा, काला साया उभरकर सामने आया। उसकी आँखें लाल अग्नि की तरह चमक रही थीं। उसकी आवाज़ इतनी भारी थी कि तीनों की रूह काँप गई –

> “तुम इंसान! मेरी नींद क्यों तोड़ी? नेहा की आत्मा को मुक्त कर दिया? अब तुम सबको इसकी सज़ा मिलेगी।”



रीया ने काँपते हुए कहा –
“तुम ही अरविंद देव हो?”

परछाई ने ज़ोर से हँसते हुए कहा –
“हाँ… मैं ही वो हूँ जिसने हवेली को अंधकार का घर बनाया। मेरी शक्ति इस तहखाने से शुरू हुई थी और यहीं से मैं अमर बना।”

काव्या ने साहस जुटाते हुए पूछा –
“अगर तुम इतने शक्तिशाली हो, तो इस तहखाने में क़ैद क्यों हो?”

साया चिल्लाया –
“क्योंकि नेहा ने अपनी आखिरी सांस में मुझे शाप दिया था! उसने मेरी आत्मा को इस हवेली की दीवारों में बाँध दिया। और अब… मैं तभी मुक्त होऊँगा जब तुम्हारे जैसे तीन दिलों की रौशनी बुझा दूँगा।”


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🔥 परछाई का हमला

अचानक तहखाने की हवा गरम हो गई। दीवारों से आग की लपटें उठने लगीं। साया उनकी ओर झपटा। काव्या चीख पड़ी और रीया ने ग्रंथ को कसकर पकड़ा।

राहुल ने साहस से आगे बढ़कर कहा –
“अगर नेहा की आत्मा सच थी, तो सच तुम्हें भी हराएगा!”

उसने ग्रंथ खोला और उसमें लिखे मंत्र को पढ़ने लगा –

> “प्रकाश ही अंधकार को हराता है, सत्य ही असत्य को तोड़ता है।”



परछाई कराहने लगी। उसकी लाल आँखें और भी भयानक हो गईं।

रीया ने उसका साथ दिया और ऊँची आवाज़ में मंत्र पढ़ा। हवेली की दीवारें हिलने लगीं, तहखाने की मशालें तेज़ जलने लगीं।


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🌠 सत्य की शक्ति

तीनों की एकजुट आवाज़ गूँज उठी –

> “सत्य की परीक्षा यहीं से शुरू होगी।”



जैसे ही मंत्र पूरा हुआ, परछाई ज़मीन पर गिर पड़ी। उसकी चीख इतनी भयानक थी कि पूरे तहखाने की दीवारें कांप गईं। अचानक, रोशनी का एक तेज़ गोला परछाई पर गिरा और वह धीरे-धीरे राख में बदल गई।

सन्नाटा छा गया।

रीया ने काँपते हाथों से ग्रंथ बंद किया। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे –
“हमने… हमने उसे हराया।”

काव्या ने रीया को गले लगा लिया। राहुल ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा –
“लेकिन यह तो बस शुरुआत है। हवेली के हर कोने में अभी और भी काले रहस्य छुपे हैं।”


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🌄 नई ठान

तीनों तहखाने से बाहर निकले। सूरज की किरणें हवेली के टूटी खिड़कियों से अंदर आ रही थीं।

रीया ने कहा –
“नेहा वर्मा को मुक्ति मिली… अरविंद देव की परछाई नष्ट हुई। लेकिन इस अधूरी किताब के और भी पन्ने हैं। हमें सब कुछ जानना होगा।”

काव्या ने दृढ़ स्वर में कहा –
“अब डर हमें रोक नहीं सकता। यह हवेली चाहे जितना अंधेरा फैलाए, हम उसका सामना करेंगे।”

राहुल ने सिर उठाकर हवेली की ओर देखा और कहा –
“क्योंकि जब तक आखिरी रहस्य उजागर नहीं होता… यह हवेली हमें चैन से जीने नहीं देगी।”


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🔔 अगला अध्याय जल्द ही…
👉 हवेली के अगले कमरे में कौन-सा नया भूतिया सच छिपा है?
👉 क्या अधूरी किताब का रहस्य उन्हें और गहरे अंधकार में ले जाएगा?
👉 या अब सच्चाई की डोर किसी नए किरदार से जुड़ेगी?

🌫️ अधूरी किताब – हर अध्याय के साथ और डरावनी, और रहस्यमयी…