" ककड़चूड़े कही के,,,क्या जरूरत थी मेरे पीछे लिफ्ट में आने की,,,मेरे बाद भी तो,,," उसकी बात बीच में ही काटते हुए,,,
कृषभ "ओह,,,रियली,,,इस लिफ्ट को क्या,,? तुम्हारे प्रेमी ने तुम्हे गिफ्ट किया है। जो उससे पूछ कर,,,लिफ्ट में कदम रखता क्या,,,बोलता उसे की प्लीज,,,प्लीज,,,अपनी प्रेमिका के गिफ्ट,,,,लिफ्ट में पहला कदम रखने का सौभाग्य मुझे दीजिए प्रेमी जी" वो काशना को चिढ़ाने के अंदाज में बोला।
काशना गुस्सा कंट्रोल करतें हुए "देखो मुझे गुस्सा मत,,दिलाओ,, वरना,,,,,,"
"वरना,,? क्या,,,?,,, हा,,बोलो" ये बोल
वो उसके करीब बढ़ने लगा ।
काशना पीछे हटने लगी वो जितना पीछे हटती
कृषभ और पास आता अब वो पूरी
तरह फस गई थी क्युकी दोनो तरफ उसके बड़े बड़े हाथ जो थे।
जो उसे बाहर नही जाने देना चाहते थे वो उसे आखों से लेकर होठों तक निहारे जा रहा था।
कृषभ ने उसे शरारती स्माइल पास की और उसके ऐसे स्माइल से काशना को समझते देर नहीं लगी
की वो क्या करने वाला है उसने डेंजर स्माइल कर उसे घूरते हुए
"वार्निंग दे रही हु,,,करने का सोचना भी मत,,,वरना बहुत पछताओगे"
"अच्छा,,,क्या करने का नही सोचू मैं,,, मेरी अपनी एक डिक्सनरी है जिसमे साफ लिखा है,,,मैं जो सोचता हु वो करता नही,,,और जो करता हूं वो सोचता नही,,,वो अक्षय कुमार की तरह डायलॉग मारते हुए बोला।
अब बिचारे को पता नही की उसका डायलॉग उसे भारी पड़ने वाला है और उसने आव देखा न ताव झट से,,,उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए।
उसकी इस हरकत से काशना बर्फ
की तरह जम गई उसकी आखे हैरानी से फैल गई।
कृषभ उसे पूरी सिद्धत से किस किए जा रहा था काशना को अब सास ले ने में तकलीफ होने लगी
वो उसे दूर धकेले जा रही थी पर वो उसे हिला तक नहीं पाई।
अब तो उसे कृषभ पर इतना गुस्सा आ रहा था की उसका कत्ल ही कर दे,,,उसने गुस्से में एक लात उसके प्राइवेट पार्ट दे मारी
"मम्मीईई,,,,,," बोल कर कृषभ दर्द से किलबिला उठा उसे काशना से इसकी उम्मीद नहीं थी।
" मैने तुम्हे वार्निंग दी थी तुमने क्या,,,खुद को रणबीर कपूर समझ रखा है।
खैर जो भी हों,,,गलती तुम्हारी है,,,अब भुगतो"
वो बेपरवाही से बोली।
अब वो सच में पछता रहा था पर कहावत है ना की
"अब पछतावत होवे का,,,
जब चिड़िया चुंग गई खेत,,,"
" बेटा कृषभ अब पछताने से कुछ नही होने वाला,,,किसने कहा था तुझे हिटलर मैडम को किस करने को,,, अपनी भावनाओं को कंट्रोल
नहीं कर सकता था पड़ गए न लेने के देने,,,अब बैठे रहे घुटनों के बल ऐसे"
वो मन में खुद को कोसते हुए बोला।
थोड़ी देर बाद
कृषभ का दर्द ठीक हो गया था और वो आशना को बेयाकिनी से घूरे जा रहा था।
" काशी ने सही कहा था,,, हिटलर मैडम
पूरी की पूरी anromaantick पर्सन है,,,अब देखो ना तीन साल से कोशिश कर रहा हूं पर इन की जबान ही नही खुलती थी,,,मिसेज इंडिया को समझ में ही नहीं आता था,,,ऐसे दूर भागती थी,,,जैसे मैं
मौत का देवता हु और इसे खा जाऊंगा,,, और आज अचानक हिटलर मैडम बनकर मुझे धमकी दे रही है,,,रियली करके दिखाया भी"
और आशना को ऊपर से नीचे तक मुस्कुराते हुए देखा। उसे अच्छा लग रहा था की आशना उससे आखों में आखें डालकर बात करने लगी है।
काश वो सबके सामने भी ऐसे ही बात करती ।
वो सोच ही रहा था की एक जोरदार मुक्का उसके मुंह में आकर पड़ा कृषभ का दिमाग चकरा गया।
और अपना मुंह सहलाने लगा। उसने आशना की तरफ देखा जो, बड़ी चिड़चिड़ी भरी नजरो से उसे घूर रही थी।
"पागल हो क्या,,,,? मार क्यू रही हो,,,?एक तो पहले ही मेरी प्राइवेट पार्ट में अपना भड़ास निकाल दिया,,, क्या पता सर्जरी करवानी पड़ती तो,,,? एक kiss ही तो किया था,,,और तुम मुझे बिना
बच्चे के रहने का श्राप देने वाली थी,,,जालिम औरत थोड़ी सी भी दया नही है तुम्मे" वो नासमझी से मासूम सा चेहरा बनाके बोला।
"शट अप,,,,अपनी बकवास बंद
करो पक चुकी हूं मैं तुम्हारी बकबक सुन के,,,और ये मुक्का प्रसाद लफंगे बाजो की तरह मुझे घूरने के बदले दिया है,,,कम लगे तो अभी बता दो,,, खुशी,,खुशी और दे दूंगी"
वो अपने हाथो का पंच बनाके डेंजर स्माइल देते हुए बोली।
"क कोई,,,जरू,,रत नहीं है,,मुझे
तू,,तू,,तुम्हारे प्रसाद की" कृषभ डर से हकलाते हुए बोला,,,।
वो मन में बोला,,,"इसका कोई भरोसा नहीं है,,,कही इस बार प्रसाद के नाम पर,,,मेरे हैंडसम चहेरे का नक्शा ही न बदल दे"
वो चुप चाप एक कोने में खड़ा हो गया और चुपके चुपके उसे निहारने लगा।
वही काशना सोच रही थी की
कहा वो कृशभ को खड़ूस,,, ककड़ चूड़ा और न जाने क्या,,,क्या समझती थी पर ये,,तो रोमांस का कीड़ा निकला ।
उसे बिलकुल उम्मीद नहीं थी की
कृषभ उसे kiss करेगा उसने एक नजर
उसे देखा,,,उसके देखने से कृषभ ने अपनी नजर फेर ली,,,पर काशना बेवकूफ थोड़ी
ना है उसने उसको अपनी तरफ देखते हुए पकड़ लिया था,,,उसने उसे घूर कर देखा और अपनी नजरे फेर ली।
एरिया:काला भंडार,पोलिस चौकी
" मार दो उसे,,, बॉस का ऑडर है"
"क्या? अभी,,,?" फोन के दूसरी तरफ की आवाज सुनकर इस्पेक्टर् मुरीद चौक कर बोला,,!
"तो क्या,,अब उसे मारने के लिए
मुहूर्त का इंतजार करोगे,,,क्या बॉस तुझे मुहूर्त,,निकलवाने वाले दिखते है"
फोन की दूसरी तरफ बॉस का एसिस्टेंड
"किराज मित्रा" इस्पेक्टर् मुरीद पर गुस्से से चिल्लाते हुए बोला।
"न नही मेरे कहने का मतलब वो नहीं था,,, मैं तो बस पूछ रहा था वो,,,वो क्या है,,ना
की,,कभी,,कभी सुनने में मुझसे गलती हो जाती हैं,,, इसलिए बस कन्फर्म कर रहा था और कुछ नहीं" वो घबराहट के मारे हकलाते हुए बोला।
" तो,,जाकर पहले अपने कान का इलाज करवाओ फिर फोन पर बात करना और हा,,,इलाज जल्दी करवाना,,,बॉस को बहरे लोगो से नफरत है" उसने धमकाते हुए कहा।
"हा,,हा ठीक है,,! तुम अपने काम पर ध्यान दो" इस्पेक्टर झुंझलाते हुए बोला।
"ज्यादा फड़फड़ाने की जरूरत नहीं है। जीतना कहा है उतना करो,,,और जल्दी
करो,,,बॉस को देरी पसंद नहीं,,, सिर्फ
15मिनट है तुम्हारे पास"
ये बोल किराज़ ने फोन काट दिया,,।
फोन कटते देख मुरीद फोन
को गुस्से से घूरने लगा जैसे वो फोन नही,, कीराज हो,,,
कहने पर तो दोनो अपने बॉस के लिए काम करते हैं।
पर दोनो ही एक दूसरे को फूटी आंख नहीं भाते,,,
"स्साला,,, हंटर का पंटर मुझे धमकी देता है बॉस का असिस्टेंट है तो,,,असिस्टेंट की तरह बात करें ना,,, साला जबान तो ऐसे चलाता है जैसे उसके बाप
का राज है इधर हु"
वो गुस्से में किराज को कोसे जा रहा था की तभी उसे उसकी कही बात याद आई ।
और उसने अपने एक आदमी को फोन लगाया।
पहली बार में किसी ने फोन उठाया नही वो दूसरी बार लगाने ही वाला था की एक आदमी पसीने से लथपथ, मवाली जैसी शक्ल और कपड़े
हवलदार के वो भागते हुए पुलिस चौकी के अंदर आ धमका,,,अपने आप को संभाल नही पाया और इस्पेक्टर् मुरीद के पैरो में जा गिरा।
"स,,स,,सर,,वो,,वो,,"
"क्या हुआ कबाड़ी,,,ऐसे हाफ क्यों रहा है,,,अपने बाप का भूत देख लिया क्या,,,?
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सॉरी मेरे प्यारे प्यारे पढ़ाकुओं सारे पार्ट हटाने के लिए अब वजह आप सब जानते ही हैं,,,, डोंट वरी पार्ट सही कर जल्दी अपलोड कर दूंगी।
-: काजल साहू (काजू)🙏🙏sorry❤️❤️🥰