Tera Lal Ishq - 8 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 8

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तेरा लाल इश्क - 8






"अपनी शक्ल तो देखो यारों,,," ये बोल रिहा ठहाका लगा कर हस पड़ी।
और अपनी हसी कंट्रोल कर उन तीनों की तरफ देखा,,,तीनो खा जाने वाली नजरो से उसे घूर रहे थे। 

"हे ऐसे मत घूरो,,, मैं नही डरने वाली,,,ये बेकार की कोशिश छोड़ो और बताओ,,, कैसी लगी मेरी आवाज का जादू,,," वो बोल ही रही थी की कनंत, कृभिन,काशी एकाएक सदमे से जड़ हो गए। 

रिहा उनके शॉक चहरे देख नासमझी से "अरे क्या हुआ,,,? अभी तो मुझे ऐसे देख रहे हैं की दबोच कर खा ही जाओगे,,,मुझे डरा रहे थे,,, और अब मुझसे ही डर रहे,,,चलो बताओ,,,हमारी हिटलर लीडर की आवाज कैसी निकाली मैने,,,?"

वो एक्सप्रेस ट्रेन की तरह बोलती जा रही थी की पीछे से एक लड़की की
सख्त आवाज आई "आवाज अच्छी निकाल लेती हो,,," 

ये आवाज सुन रिहा भी सदमे से जड़ हो गई। उसने झट से पीछे मुड़ कर देखा डर से हकलाते हुए "हिट,,, म,,, मेरा मतलब है,,, आ,,आशना" 

आशना "ये बचकानी हरकत छोड़ कर,,,काम में ध्यान दोगी तो ज्यादा बेहतर होगा तुम्हारे लिए" 

जबरदस्ती हस्ते हुए "हे हे हे,,,मैं बस मजाक कर रही थी,,, सॉरीईईई,,," और इस सॉरी के साथ धड़ाम की आवाज आई,,,
क्योंकि काशना धीरे धीरे अंदर की तरफ बढ़ रही थीं जिससे रिहा को कुछ समझ नहीं आया और डर से हड़बड़ाते हुए धड़ाम से गिर गई।

आशना ने उसे इग्नोर किया और अपनी पैनी नजर ऑफिस के चारो तरफ घुमाने लगी।
सब उसकी तरफ देखने लगे,,,उसके चहरे पर कोई भाव नहीं थे वो बिल्कुल रोबोट की तरह स्कैन कर रही थी मानो सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा। तभी 

"ये सब क्या है,,,? " आशना को छोड़ सभी ने दरवाजे की तरफ देखा। 

कृषभ और कृषि हैरान खड़े आखें बड़ी बड़ी कर ऑफिस को नोटिस कर रहे थे।

रिहा अभी भी जमीन पर वैसे ही पोजिशन में पड़ी हुई थी,,, कृषभ तो उसके पैर के 
ऊपर से आगे बढ़ गया,,,पर कृषि ने 
अनजाने में उसके पैर पर 
पैर रख दिया,,,रिहा दर्द से कराहर उठी,,,उसने झट से अपना पैर खींच लिया। की तभी फिर 
धड़ाम्म,,,से आवाज आई,,,रिहा ने पैर खींचने में कुछ ज्यादा ही जोर लगा दिया,,,जिससे कृषि संभल नहीं पाया
और गिर पड़ा।

"येइईई,,,, कैद की रिहा,,,,तुम यहां काम करने आती हो या सोने,,, और ये भी कोई सोने की जगह है,,,भगवान ने तुम्हे सोने के लिए घर में पलंग नही दिया क्या,,,? जो यहां फैली हुई हो,,,अब चुप क्यों बोलो,,,? वैसे तो जब देखो तब इसकी उसकी आवाज की नकल करती फिरती हो,,,अपनी आवाज निकालने में क्या तुमको शर्म आती हैं,,,बोलो अरे बोलो ना,,,?" वो आगे भी बोलने जा रहा था की
कृषभ उसे टोकते हुए "तुम उसे बोलने दोगे तो वो बोलेगी ना" 

"हा तो बोले ना,,,मैने कौन सा इसके मुंह टेप चिपका रखा है,,,या फिर ए मुझे पंडित समझ रही है जो मुझसे मुहूर्त निकलवा कर बोलेगी या फिर,,,,, मम्मीईईई,,,," कृषि बोलते बोलते जोर से चिल्लाया,,, रिहा उसकी बक बक सुन इरिटेड हो गई और उसने गुस्से में एक पंच उसके मुंह पर दे मारा,,,

कृषि दर्द से कराहरते हुए अपने मुंह को सहलाने लगा।

"इतना काफी है,,,? या और भी कुछ बोलना बाकी है,,,?है तो बोल दो" रिहा डेंजर स्माइल कर हाथो का पांच बनाकर बोली।

कृषि डर से हकलाते हुए "न,,ना,, नहीं,,, इ,, इतना काफी है" 
रिहा उसे इग्नोर कर खड़ी हो गई।

कृषि कमर पर हाथ रख "अरेरेरे,,,मुझे तो उठाओ"

रिहा घुरकर "क्यू,,,? क्या भगवान ने तुम्हे खड़े होने के लिए पैर नही दिए हैं,,,?

अचानक से कनंत चिल्लाकर 
नौटंकी करते हुए "क्याया,,, भगवान ने पैर नही दिए,,, ओ माई गॉड तू लंगड़ा है कृषि,,,तो ये जो पाच फूट का पैर दिख रहा क्या वो नख्ली हैं,,,सिर्फ दिखाने के लिए,,, माई माई माई गॉड,,,इतनी बड़ी बात छुपाकर एक पल में पराया धन कर दिया तुमने हम सब को" 

सब अपना सिर पीट लिए।

"पैर से ज्यादा तो जबां लंबी है इन महाशय की,,,एक काम क्यों नहीं करते,,,अपनी जबां से ही उठ जाइए" रिहा ताना कसते हुए बोली।

कृषभ सख्त लहजे में "बस बहुत हुई बकवास,,,ये ऑफिस है या मंत्री ग्रहालय जो भाषण लगा के रखा है" 

"वैसे तुम दोनो साथ में आए ऐसा क्यों,,,?" कृभिन ने सवाल किया।

"क्यों हम साथ में आ गए तो हमसे गुनाह हो गया क्या,,,? अब तू जेल में डालेगा हमे,,,?" कृषभ भड़कते हुए बोला।

कृभिन हड़बड़ाते हुए "ह,, न नहीं सॉरी सर मै तो बस पूछ रहा था आप भड़क क्यों रहे,,?"

कनंत कूदकर उसके 
सामने खड़ा हो गया "ना ना ना अपने घर के पूजाघर में रख तेरी पूजा करेंगे"

कृभिन हैरानी से "सच में" उसकी ये बात सुन सब का मुंह बन गया।
काशी उसे पीठ पर मुक्का जड़  "ऐसे बचकानी सवाल करता है ना मन करता है तुझे छत से फेकू और तू गटर में जाकर गिरे" 

कृभीन पीठ सहलाते हुए "ऐसा भी क्या बोल दिया" 

कृषि उसे समझाते हुए "ए भाई तू ही बता,,, कल तू सुबह चाय के लिए दुध लेने दुकान गया और,,," तभी बीच में

कृभिन "लेकिन मैं चाय नही पिता कॉफी पिता हु" काशी फिर उसे एक मुक्का जड़ती है।

वो रोनी सूरत बनाकर कनंत से "ये भाई इसे संभाल कितना मारती है"

"ले मेरी तरफ से भी एडवांस " और कनंत भी उसे एक 
मुक्का जड़ दिया।

कृभिन झल्लाकर "मार क्यों रहे हो,,,?" 

कृषि "पूरी बात सुन,,, मान ले तू दुकान गया और रास्ते में तुझे तेरा पड़ोसी मिला तो,,,तुम दोनो साथ साथ ही घर तक आओगे ना" 

कृभिन "ओह अब समझा,,,पर काशी तुमने मारा समझ में आता है,,,पर कनंत,,,,"

फिर अचानक से कृभिन रिहा, कृषि,काशी, कृषभ सवाल भरी नजरो से  कनंत की 
ओर देख "लेकिन कनंत तुमने क्यों मारा,,,?" 

कनंत "ऐसे क्या देख रहे,,,बताया तो था एडवांस,,,एडवांस,,, एडवांस" 

कृभिन गुस्से में उसके मुंह पर एक घुसा 
जड़ दिया "साले,,,क्यू मारा जल्दी बोल" 

कनंत चिल्लाकर "साले,,,कॉफी भी तो दुध से ही बनती हैं" 
उसकी बात सुन सभी अपना सिर पीट लिए। 

सभी कनंत को घूरते हुए "ब्लैक कॉफी तो बिना दूध के बनती हैं" 

कृभिन दिमाग लगाकर "और मैं तो ब्लैक कॉफी ही पिता हु,,,दूध लेने दुकान क्यों जाऊ,,,?" 

कनंत बात बदलते हुए "हा तो कृषि कृषभ सर किस दुकान पर मिले तुम्हे" ये सुन सभी आखें छोटी कर उसे घूरने लगे।

और कनंत की बात सुनते ही कृषभ के कान खड़े हो गए। 

कृषि कृषभ को  तिरछी नजरों से देख "वो मैं लिफ्ट के बाहर खड़ा था,,, कृषभ और आशना मुझे लिफ्ट के अंदर ही मिल गए,,,क्यों है ना लीडर no.1"

"मुझे अचानक से गिल्ट फिलिंग आ रही हैं,,,ये बड़बोला बंदर कही सबके सामने सबकुछ बक ना दे" कृषभ मन में बोला।

सच तो ये है की उसे बिलकुल परवाह नहीं थी की किसको क्या पता चले,,,उसे तो सामने खड़ी आशना का डर था।

"लिफ्ट के बाहर खड़े थे,,,?अंदर मिले थे का क्या,,,? क्या मतलब,,,? साफ साफ बोलो,,," रिहा झल्लाते हुए बोली।

कृषि डेंजर स्माइल कर "मतलब लिफ्ट में फस गए थे दोनों,,, एक घंटे तक,,,मैंने बाहर निकाला,,, और,,,,," 

बीच में रिहा चिढ़ते हुए "और,,, और क्या,,? जल्दी बोल,,,एक मिनट भी खोटी नही कर सकती तेरी बकबक सुनने में"

"चुप रहेगी तो बोलूंगा न,,,हा और,,,,," कृषि आगे बोलता की

"हो गया तुम लोगो का KBC खेल,,,या फिर ऊपर का टिकट कटने तक खेलते ही रहोगे" अब तक शांत रही आशना ने सख्त लहजे में कहा। 

उसका इतना बोलना ही ऑफिस में खामोशी ने जगह बना ली।
"आ,, आशना,,वो,,,,," काशी की
बात बिच मे काट आशना 
"अ,,no मुझे कोई सफाई अभियान भाषण नहीं सुनना,,, और तुम मिस्टर no.1 लीडर,,, मिशन को लीड कर रहे हो ना,,,तो आपको तो ऑफिस में सबसे पहले होना चाहिए,,, इतनी लापरवाही कैसे कर सकते हैं आप" 

"शायद तुम भूल रही हो,,,मैने तुम्हे लिफ्ट दी थी और,,," कृषभ की बात पूरी भी नही
हुई की आशना "और आपकी वजह से हम लिफ्ट में एक घंटे तक फसे रहे" 

कृषभ एक आइब्रो उच्चका कर "मै क्या तुम्हे जादू टोना टोटका करने वाला दिखता हू,,, जो मैं हिम किम चामुंडाय,,,बिजली चली जाए,,,लिफ्ट रुक जाए और हम दोनों अंदर फस जाए,,, बोला हु और हो गया जो सारा दोष मुझपर थोप रही हो" 

सभी उन्हे हैरानी से आखें फाड़े देख रहे थे। देखे भी क्यों ना उन्हे कहा कुछ पता था।
लेकिन इतना समझदार हैं की समझ जाए कुछ न कुछ लफड़ा जरूर हुआ है इन दोनों के बीच 
लेकिन क्या हुआ है,,,?यही सोचते हुए कृषि को छोड़
काशी, कनंत, कृभिन, रिहा,,,,
मन में बोले "कुछ तो लफड़ा जरूर हुआ है इनके बीच,,, पता तो लगाना पड़ेगा"

चारों ने एक दूसरे को देखा जैसे मन की बात जान लिए हो,,,

कैसे पता लगाएंगे ये चारो की क्या लफड़ा है,,,?😂😂😂क्या होगा आगे,,,?🤔😁जानने के लिए कनेक्ट रहे स्टोरी के साथ 🤗🤗😘