Love: An incomplete story in Hindi Love Stories by Bikash parajuli books and stories PDF | मोहब्बत : एक अधूरी दास्तान

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मोहब्बत : एक अधूरी दास्तान

प्रस्तावना 

बरसात की एक ठंडी शाम।
पुरानी लाइब्रेरी की खिड़की के पास बैठा रुहान धीरे-धीरे पन्ने पलट रहा था। उसके सामने वही किताब थी, जो कभी उसने और ज़ारा ने साथ पढ़ी थी। पन्नों पर नमी थी, शायद बारिश की नहीं… बल्कि उसकी आँखों की।

वक़्त बीत चुका था, लेकिन मोहब्बत आज भी वहीं की वहीं ठहरी हुई थी।
उसकी ज़िंदगी किताबों से भरी थी, लेकिन दिल के पन्ने अब भी खाली थे।

चैप्टर 1 – पहली मुलाक़ात

कॉलेज की लाइब्रेरी में सन्नाटा था।
रुहान अपनी आदत के मुताबिक़ कोने की सीट पर बैठा एक मोटी-सी नॉवेल पढ़ रहा था। तभी किसी ने पास आकर धीमी आवाज़ में कहा –
“Excuse me… ये किताब क्या आप अभी ख़त्म कर चुके हैं?”

रुहान ने ऊपर देखा। सामने एक लड़की खड़ी थी – गोरी-सी, बड़ी-बड़ी आँखें, और हल्की सी मुस्कान।

वो किताब वही थी, जिसे ज़ारा लेने आई थी।
थोड़ी बहस, थोड़ी हँसी, और वहीं से शुरुआत हुई एक अनजाने सफ़र की।

चैप्टर 2 – दोस्ती का सफ़र

मुलाक़ातें बार-बार होने लगीं।
कभी लाइब्रेरी, कभी कैंटीन, कभी कैंपस की गलियाँ।
ज़ारा को शायरी पसंद थी, और रुहान अक्सर उसे अपनी लिखी पंक्तियाँ सुनाता।

किताबों के पन्नों के बीच दोनों ने छोटे-छोटे नोट्स छुपाने शुरू कर दिए –
“आज बारिश बहुत अच्छी है, चलो साथ कॉफी पीते हैं।”
“आज तुम्हारी हँसी बहुत प्यारी लगी।”

दोस्ती अब धीरे-धीरे दिल की धड़कनों तक पहुँच रही थी।

चैप्टर 3 – इज़हार

कॉलेज फेस्ट की रात थी।
बारिश हो रही थी, और चारों ओर लाइटें चमक रही थीं।
रुहान ने हिम्मत करके ज़ारा का हाथ थाम लिया और कहा –

“ज़ारा, मुझे लगता है कि मेरी हर अधूरी बात तुमसे पूरी होती है।
क्या तुम मेरी ज़िंदगी की किताब बनोगी?”

ज़ारा शरमा गई। कुछ देर चुप रही। फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली –
“रुहान, मोहब्बत इज़हार से नहीं… एहसास से होती है।
और मुझे भी ये एहसास हो चुका है।”

उस रात से दोनों की मोहब्बत परवान चढ़ गई।

चैप्टर 4 – मुश्किलों की शुरुआत

लेकिन मोहब्बत का रास्ता आसान कहाँ होता है।
ज़ारा का परिवार बहुत सख़्त था।
उनके लिए जात-पात और समाज की बातें सबसे ऊपर थीं।

जब उन्हें ज़ारा और रुहान के रिश्ते का पता चला, तो घर में तूफ़ान आ गया।
ज़ारा को डाँटा गया, समझाया गया, और आख़िरकार उसकी शादी कहीं और तय कर दी गई।

ज़ारा ने लाख कोशिश की, पर कोई नतीजा नहीं निकला।
वो प्यार और परिवार के बीच बुरी तरह फँस गई।

चैप्टर 5 – आख़िरी मुलाक़ात

शादी से पहले ज़ारा ने रुहान से आख़िरी बार मिलने का फ़ैसला किया।
वो लाइब्रेरी ही उनकी मंज़िल बनी।
बारिश की रात थी, खिड़की से पानी टपक रहा था।

ज़ारा ने आँसू भरी आँखों से कहा –
“रुहान, मेरी ज़िंदगी का फ़ैसला मेरे हाथ में नहीं है।
लेकिन मेरा दिल… हमेशा तुम्हारे पास रहेगा।”

रुहान ने काँपते होंठों से कहा –
“ज़ारा, अगर मोहब्बत सच्ची हो तो जुदाई भी हमें अलग नहीं कर सकती।
तुम जहाँ भी रहोगी, मेरी दुआएँ तुम्हारे साथ होंगी।”

वो रात दोनों की मोहब्बत का आख़िरी पन्ना थी।

चैप्टर 6 – सालों बाद

कई साल बीत गए।
रुहान अब एक लेखक बन चुका था। उसकी किताबें मशहूर थीं, लेकिन वो अकेला था।
हर कहानी में एक लड़की थी – ज़ारा की परछाई।

उधर ज़ारा शादीशुदा थी, लेकिन उसका चेहरा हमेशा उदास रहता।
वो अपने फ़र्ज़ निभाती रही, मगर दिल की गहराइयों में उसकी मोहब्बत आज भी ज़िंदा थी।

एक इवेंट में दोनों फिर मिले।
रुहान स्टेज पर अपनी नॉवेल “अधूरी दास्तान” पढ़ रहा था।
ज़ारा दर्शकों में बैठी थी। उनकी नज़रें मिलीं… लेकिन इस बार कोई शब्द नहीं निकला।

दोनों मुस्कुरा दिए –
वो मुस्कान जिसमें अधूरापन भी था और मोहब्बत भी।

उपसंहार 

किताब के आख़िरी पन्नों पर रुहान ने लिखा –
"कुछ मोहब्बतें ज़िंदगी में पूरी नहीं होतीं।
लेकिन वही अधूरी मोहब्बतें सबसे सच्ची होती हैं।"