सुरेश और रमेश स्कूल के सबसे बिगड़े और शरारती बच्चों में से गिने जाते थे। उन दोनों को कोई कुछ नहीं कहता था क्योंकि सबको उसका अंजाम पता था। कुछ साल पहले एक टीचर ने उन्हे उनकी शरारतों के लिए बहुत मारा था।
जिसके बाद वो टीचर हमेशा के लिए गायब हो गया। अमीर घरो से सम्बन्ध होने की वजह से स्कूल प्रिंसिपल भी उन्हे कुछ नहीं कह पाता था। उनके पैरेंट्स स्कूल में फंडिंग जो करते थे।
अपनी इसी धौंस को वह दोनो सब पर जमाते थे। उन्हे अपनी सारी हरकतों पर गर्व था।
रमेश, सुरेश से कहता है....आज वही दिन है....पांच सितंबर...
सुरेश कहता है....आज टीचर्स डे है।
रमेश कहता है....कुछ और भी है आज, याद कर जब आज के ही दिन हमने उस प्रताप सिंह को मार दिया था। जब देखो पढ़ो !! पढ़ो !! की रट लगाए रखता था और अपने आपको बड़ा ही महान अध्यापक समझता था...आज इसी शिक्षक दिवस पर हमने उसका अंतिम दिवस बना दिया। अब कोई नहीं कहता हमें...पढ़ो पढ़ो, नहीं तो सजा मिलेगी...सजा किसको मिली उस दिन...दोनो यह बात याद करते हुए हंसने लगते हैं। दोनो खाली क्लास रूम के डेस्क पर बैठ कर बातें कर रहे थे।
जैसे ही वह दोनो हंसने लगते हैं, उन्हे एक आवाज़ सुनाई पड़ती है....रमेश, सुरेश पढ़ लो, वरना मैं तुम दोनों को सजा दूंगा।
दोनो चौंक कर इधर उधर देखने लगते हैं लेकिन उन्हे कोई नहीं दिखता।
दोनो कहते हैं....कौन है ? कौन मज़ाक कर रहा है हमारे साथ ?
उन्हे फिर से आवाज़ सुनाई पड़ती है.....मैंने कहा ना पढ़ लो वरना सजा मिलेगी। तुम दोनो अभी भी बातें कर रहे हो।
वो दोनो डर जाते हैं और वहां से भागने लगते हैं, लेकिन दरवाज़े तक पहुंचते पहुंचते दरवाज़ा बंद हो जाता है। दोनो बहुत डर जाते हैं और कहने लगते हैं...."कौन" कौन है इधर।
मैं प्रताप सिंह तुम दोनों का अकाउंट्स टीचर...!!
दोनो हकलाते हुए...आप..आप तो मर चुके हों ?
उन्हे आवाज़ आती है.....एक अध्यापक कभी नहीं मरता। जिस तरह ज्ञान कभी खत्म नहीं होता, उसी तरह एक अध्यापक कभी नहीं मरता, वह अपने विद्यार्थियों में हमेशा जीवित रहता है।
मुझे अकाउंट्स के गोल्डन रूल्स सुनाओ...?
दोनों डरते हुए कहते हैं.... हमें माफ कर दो सर, हमें आपके साथ वह नहीं करना चाहिए था, हमें आपको मारना नहीं चाहिए था।
एक कड़क आवाज़ आती है....जो मैंने पूछा है उसका जवाब दो तुम दोनो...अपने अध्यापकों की इज्जत करना कभी नहीं आया तुम्हें और पढ़ना भी नहीं आया आज तक। अब इसकी सजा भुगतने के लिए तैयार हो जाओ।
एक डंडा हवा में उनकी तरफ आता है और उसी के साथ आवाज़ भी....हाथ आगे करो दोनों।
दोनो डरते हुए हाथ आगे कर देते हैं। उनके हाथ आगे करते ही उन पर डंडों की बरसात होने लगती है।
दोनो चिल्लाने लगते हैं....हमें माफ कर दो...हम आगे से पढ़ेंगे अच्छे से।
उन्हे फिर आवाज़ आती है.... तुम्हें माफी नहीं मिल सकती, तुम दोनो तुम्हारे जैसे बच्चों के लिए अब सबक बनोगे। आगे से कोई भी तुम्हारी तरह बनने से पहले सौ बार सोचेगा आज के बाद। अध्यापकों की बेज्जती करने से पहले भी सोचेगा....तुम मिशाल बनोगे अपने जैसे बच्चों के लिए। तुम दोनो को आज का यह दिन मुबारक हो। वो उन दोनों को इतना मारता है उनकी उंगलियों से खून बहने लगता है। पिटते पिटते दोनो के हाथ टूट के नीचे गिर जाते हैं और उसके बाद पैर भी। दोनो धड के साथ अलग थलग पड़े होते हैं।
जब सब क्लास में लौट कर आते हैं तब उन दोनों को ऐसे देखते हैं और साथ ही ब्लैकबोर्ड पर लिखा हुआ पढ़ते हैं....हम कातिल हैं प्रताप सिंह सर के, हमारी यही सजा है क्योंकि हम किसी भी अध्यापक का सम्मान नहीं करते और ना ही कभी पढ़ाई करते हैं।
# टीचर्स डे स्पेशल
शिक्षकों का करो तुम सम्मान
शिक्षकों से ही है तुम्हारी पहचान।।
कंचन सिंगला 💛
©®©®©®