Monkey and Crocodile in Hindi Animals by Bikash parajuli books and stories PDF | बंदर और मगरमच्छ

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बंदर और मगरमच्छ

बहुत समय पहले एक हरे-भरे जंगल के बीचोबीच एक चौड़ी नदी बहती थी। उस नदी के किनारे एक बहुत बड़ा जामुन का पेड़ था। पेड़ पर रसदार और मीठे फल लटके रहते। उसी पेड़ पर एक बंदर रहता था।

बंदर दिनभर पेड़ पर उछल-कूद करता और स्वादिष्ट जामुन खाकर अपनी भूख मिटाता। वह अकेला रहता था, लेकिन उसे कोई शिकायत नहीं थी, क्योंकि पेड़ उसका घर था और जामुन उसका भोजन।

एक दिन नदी से एक मगरमच्छ बाहर आया और पेड़ के पास आकर आराम करने लगा। मगरमच्छ थका हुआ और भूखा लग रहा था।

बंदर ने उसे देखा और मुस्कुराकर कहा –
“मित्र, तुम थके हुए लग रहे हो। आओ, मेरे पेड़ के मीठे जामुन खाओ। ये तुम्हें ताकत देंगे।”

मगरमच्छ ने पहले तो हिचकिचाते हुए एक-दो जामुन खाए। लेकिन जैसे ही उसने उनका स्वाद चखा, उसकी आँखें चमक उठीं। उसने कहा –
“वाह! इतने मीठे फल मैंने पहले कभी नहीं खाए। तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद, मित्र।”

उस दिन से मगरमच्छ रोज़ नदी पार करके पेड़ के पास आता। दोनों जामुन खाते और बातें करते। धीरे-धीरे दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। बंदर को अब अकेलापन महसूस नहीं होता था।
मगरमच्छ की पत्नी की इच्छा

एक दिन मगरमच्छ कुछ जामुन अपने साथ घर ले गया और अपनी पत्नी को खिलाए। मगरमच्छ की पत्नी ने जब जामुन का स्वाद चखा, तो वह बोली –
“ये तो बेहद मीठे हैं! अगर ये जामुन इतने मीठे हैं, तो उस बंदर का दिल कितना मीठा होगा जिसने इन्हें खाया है। मैं तो उस बंदर का दिल खाना चाहती हूँ।”

मगरमच्छ चौंक गया। उसने कहा –
“क्या? तुम मेरे दोस्त का दिल खाना चाहती हो? वह मेरा मित्र है, उसने मेरा भला किया है। मैं कभी उसे धोखा नहीं दे सकता।”

पत्नी ने गुस्से में कहा –
“अगर तुम सच में मुझसे प्यार करते हो, तो वही लाकर दो। नहीं तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करूँगी।”

मगरमच्छ दुविधा में पड़ गया। एक तरफ उसकी पत्नी थी, दूसरी तरफ उसका मित्र। अंततः पत्नी की ज़िद के आगे वह झुक गया।

धोखे की योजना

अगले दिन मगरमच्छ पेड़ के पास पहुँचा और बोला –
“मित्र, मेरी पत्नी भी तुमसे मिलना चाहती है। वह तुम्हारी बहुत बातें सुन चुकी है। चलो, आज मेरे घर चलते हैं। मैं नाव जैसा हूँ, मेरी पीठ पर बैठ जाओ। मैं तुम्हें नदी पार करवा दूँगा।”

बंदर भोला था। उसने सोचा, “मित्र की पत्नी से मिलना अच्छा होगा।”
वह पेड़ से कूदकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।

नदी के बीच पहुँचते ही मगरमच्छ ने धीमे स्वर में कहा –
“मित्र, मुझे माफ़ करना। सच तो यह है कि मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है। मैं मजबूर हूँ।”

बंदर की चतुराई

बंदर यह सुनकर घबरा गया, लेकिन उसने तुरंत अपना धैर्य नहीं खोया। वह सोचने लगा –
“अगर मैंने डर दिखाया, तो यह मुझे तुरंत खा जाएगा। मुझे चालाकी से काम लेना होगा।”

उसने मुस्कुराकर कहा –
“अरे मित्र! तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरा दिल तो मैं हमेशा सुरक्षित रखकर पेड़ पर छोड़ देता हूँ। अगर तुम्हें चाहिए, तो मुझे वापस किनारे ले चलो। मैं अपना दिल वहीं से ले आऊँगा।”

मगरमच्छ मूर्ख था। उसे बंदर की बात पर विश्वास हो गया। उसने तुरंत उसे किनारे पहुँचा दिया।

 सच्चाई और सबक

जैसे ही मगरमच्छ किनारे पहुँचा, बंदर फुर्ती से पेड़ पर चढ़ गया। ऊपर बैठकर उसने गुस्से और दुख से कहा –
“मूर्ख मगरमच्छ! तुमने दोस्ती का मतलब ही नहीं समझा। मैं तुम्हें जामुन खिलाता था, तुम्हें अपना मित्र मानता था, और तुमने मुझे धोखा देना चाहा। जाओ, अब कभी मेरी तरफ मत आना।”

मगरमच्छ शर्मिंदा होकर चुपचाप नदी में लौट गया। उसे समझ आया कि लालच और धोखा कभी भी रिश्ते को मजबूत नहीं बना सकते।
 संवाद (कहानी को और जीवंत बनाने के लिए)

बंदर: “मित्र, तुम बहुत थके हुए लग रहे हो। आओ, ये जामुन खाओ।”

मगरमच्छ: “वाह! इतने मीठे फल मैंने कभी नहीं खाए।”

पत्नी: “अगर जामुन इतने मीठे हैं, तो उस बंदर का दिल और भी मीठा होगा। मुझे वही चाहिए।”

मगरमच्छ: “नहीं! वह मेरा मित्र है, मैं उसे धोखा नहीं दे सकता।”

बंदर (नदी में): “क्या कहा? तुम्हारी पत्नी मेरा दिल चाहती है? मेरा दिल तो पेड़ पर रह गया है।”

बंदर (किनारे पहुँचकर): “धोखेबाज़! अब कभी मेरे पास मत आना।”

 कहानी से सीख (Moral of the Story)

1. लालच हमेशा विनाश का कारण बनता है।


2. सच्ची मित्रता में धोखा नहीं होता।


3. बुद्धिमानी और धैर्य से हर संकट से निकला जा सकता है।


4. कभी भी लालच में आकर दोस्ती और विश्वास मत तोड़ो।