The Fox and the Grapes in Hindi Animals by Bikash parajuli books and stories PDF | लोमड़ी और अंगूर

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लोमड़ी और अंगूर

जंगल का दृश्य

बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी। जंगल में हरियाली फैली रहती और जगह-जगह बेलों पर अंगूर लटके रहते। अंगूर रसदार और मीठे थे, जिन्हें देखकर किसी का भी मन ललचा जाए।

लोमड़ी काफी समय से भूखी थी। सुबह से वह शिकार की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी लेकिन उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला। उसका पेट गुर्र-गुर्र कर रहा था।

चलते-चलते उसकी नज़र एक बेल पर पड़ी। बेल ऊँचे पेड़ से लटक रही थी और उस पर अंगूरों के गुच्छे चमचमा रहे थे। धूप की किरणों में वे अंगूर मोती जैसे दिखाई दे रहे थे।

लोमड़ी की आँखों में चमक आ गई। उसने सोचा –
“वाह! इतने सुंदर और मीठे अंगूर! अगर ये मुझे मिल जाएँ तो मेरा पेट भर जाएगा।”

अंगूर तक पहुँचने की कोशिश

लोमड़ी बेल के नीचे खड़ी होकर ऊपर अंगूरों को देखने लगी। वे थोड़े ऊँचाई पर थे।
उसने छलाँग लगाई – धप्प!
लेकिन अंगूर उसकी पहुँच से दूर रह गए।

उसने फिर कोशिश की। इस बार उसने ज़ोर से दौड़कर कूद लगाई – छपाक!
फिर भी वह अंगूरों तक नहीं पहुँच सकी।

लोमड़ी बार-बार कोशिश करती रही। उसका शरीर थक चुका था, मुँह सूख चुका था, और पसीने की बूँदें उसके माथे से टपक रही थीं।

वह बड़बड़ाने लगी –
“अरे ये अंगूर इतने ऊपर क्यों हैं? थोड़े नीचे होते तो मैं आसानी से तोड़ लेती।”

 संवाद और सोच

लोमड़ी (पहली कोशिश के बाद): “हूँ! इतनी ऊँचाई! लेकिन मैं हार मानने वाली नहीं हूँ।”

लोमड़ी (दूसरी कोशिश के बाद): “लगता है मुझे और ज़ोर लगाना होगा।”

लोमड़ी (बार-बार असफल होने पर): “उफ़्फ़, ये अंगूर शायद मेरे लिए बने ही नहीं हैं।”

 लोमड़ी की चालाकी

काफी देर तक नाकाम रहने के बाद लोमड़ी थककर ज़मीन पर बैठ गई।
उसने लंबी साँस ली और आसमान की ओर देखा। फिर अचानक वह खिसियाकर हँस दी और बोली –

“हूँह! ये अंगूर तो वैसे भी खट्टे होंगे। भला मैं खट्टे अंगूर क्यों खाऊँ? मुझे इनकी ज़रूरत ही नहीं।”

इतना कहकर वह वहाँ से इतराती हुई चली गई।

असलियत यह थी कि अंगूर खट्टे नहीं थे, बल्कि बहुत मीठे थे। लेकिन अंगूर तक न पहुँच पाने के कारण लोमड़ी ने अपने मन को बहलाने के लिए बहाना बना लिया।

सीख (Moral of the Story)

1. जब हम किसी चीज़ को हासिल नहीं कर पाते, तो अक्सर हम उसे बेकार कहकर खुद को दिलासा देते हैं।


2. सच्चाई का सामना करना चाहिए, बहाने बनाकर खुद को धोखा नहीं देना चाहिए।


3. मेहनत और धैर्य से ही लक्ष्य हासिल होता है, हार मानकर बहाना बनाने से नहीं।

4. हार मानकर बहाने नहीं बनाने चाहिए।
– जब हम किसी चीज़ को नहीं पा पाते, तो अक्सर कहते हैं कि वह हमारे लायक नहीं है। लेकिन सच यह है कि हमें और मेहनत करनी चाहिए।


5. सच्चाई से मुँह मोड़ना आसान है, पर सही नहीं।
– बहाने बनाकर खुद को धोखा देने से कुछ हासिल नहीं होता।


6. लक्ष्य पाने के लिए धैर्य और प्रयास ज़रूरी है।
– अगर लोमड़ी थोड़ी और कोशिश करती तो शायद अंगूर पा लेती।

जो चीज़ हमें नहीं मिलती, उसे बेकार कह देना ठीक नहीं। मेहनत करते रहना चाहिए, तभी सफलता मिलती है।”

Author by Bikash Parajuli 

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