Crow and snake in Hindi Animals by Bikash parajuli books and stories PDF | कौआ और साँप

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कौआ और साँप

जंगल का वातावरण

एक समय की बात है। एक घने जंगल में एक विशाल बरगद का पेड़ था। उस पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर एक चतुर कौआ और उसकी पत्नी रहते थे। उन्होंने वहाँ घोंसला बनाया हुआ था। पेड़ के नीचे गहरे बिल में एक काला, ज़हरीला साँप भी रहता था।

कौआ और उसकी पत्नी हर साल अंडे देतीं, लेकिन जैसे ही अंडों से बच्चे निकलते, वह साँप ऊपर चढ़ आता और सारे बच्चों को खा जाता।

कौआ और उसकी पत्नी बहुत दुखी थे। हर साल उनकी मेहनत और उम्मीदें उस क्रूर साँप के कारण मिट जातीं।

 साँप की क्रूरता

एक दिन फिर वही हुआ। कौआ की पत्नी ने अंडे दिए। दोनों ने मिलकर अपने बच्चों की रक्षा करने की पूरी कोशिश की। लेकिन जैसे ही अंडों से नन्हे बच्चे बाहर निकले, साँप फुफकारता हुआ ऊपर आया और सारे बच्चों को निगल गया।

कौआ और उसकी पत्नी रोते हुए बोले –
“हे भगवान! हम क्या करें? हर साल हमारी संतान को यह निर्दयी साँप खा जाता है। क्या हमारी मेहनत और सपने ऐसे ही खत्म होते रहेंगे?”

कौआ सोच में पड़ गया। उसने निश्चय किया –
“अब बहुत हुआ। इस बार मुझे कोई बुद्धिमानी से उपाय करना होगा। केवल रोने से कुछ नहीं होगा।”

राजा के महल तक

अगले दिन कौआ उड़ते-उड़ते राजा के महल तक पहुँच गया। महल के बगीचे में रानी स्नान कर रही थी। उसकी सोने की चूड़ियाँ और मोती-माणिक्य किनारे रखे थे।

कौए ने सोने की एक चमकदार चूड़ी उठाई और उड़कर सीधा अपने पेड़ की ओर चल पड़ा।

महल में हड़कंप मच गया। रानी चिल्लाई –
“अरे! वह कौआ मेरी चूड़ी ले गया!”

सिपाही तुरंत पीछे-पीछे दौड़े और कौए का पीछा करने लगे।

चालाक योजना

कौआ जानबूझकर धीरे-धीरे उड़ता रहा ताकि सिपाही उसका पीछा करते रहें। जब वह अपने पेड़ तक पहुँचा, तो उसने चूड़ी साँप के बिल के पास गिरा दी।

सिपाही वहाँ पहुँचे और सोने की चूड़ी उठाने लगे। तभी उन्होंने देखा कि बिल के अंदर एक बड़ा काला साँप फुफकार रहा है।

सिपाही बोले –
“अरे! यह तो खतरनाक साँप है। यही चूड़ी को अपने बिल में ले जाने वाला था।”

उन्होंने तुरंत डंडों और भालों से उस साँप को मार डाला और उसका बिल खोद डाला।

 कौआ का सुख

अब कौआ और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए। उन्हें लगा कि उनकी चतुराई और धैर्य रंग लाई।
कुछ दिनों बाद फिर से कौआ की पत्नी ने अंडे दिए। इस बार बच्चे सुरक्षित निकले और बड़े हुए।

कौआ ने आकाश की ओर देखकर कहा –
“सच्ची जीत ताकत से नहीं, बल्कि बुद्धिमानी से होती है।”

 संवाद (कहानी को जीवंत बनाने के लिए)

कौआ की पत्नी: “हर साल हमारी मेहनत व्यर्थ हो जाती है। अब क्या होगा?”

कौआ: “चिंता मत करो। इस बार मैं अपनी बुद्धि से उस साँप को सबक सिखाऊँगा।”

रानी: “अरे! मेरी सोने की चूड़ी! वह कौआ ले गया।”

सिपाही: “जल्दी चलो! देखते हैं वह कहाँ जाता है।”

सिपाही (साँप को देखकर): “ओह! यही अपराधी है। इसे अभी मार डालो।”

 कहानी से सीख (Moral of the Story)

1. बुद्धि और चतुराई से बड़ी से बड़ी समस्या हल हो सकती है।


2. सिर्फ ताकत से नहीं, बल्कि समझदारी से काम लेना ज़रूरी है।


3. संकट चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, धैर्य और योजना से उसका हल निकाला जा सकता है।