The conflict of the Hindi language in Hindi Motivational Stories by Kanchan Singla books and stories PDF | हिंदी भाषा का द्वंद

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हिंदी भाषा का द्वंद

अरे!! यार आज भी इंटरव्यू में सेलेक्ट नहीं हो पाया रमेश उदास होते हुए कहता है। 

नीरज कहता है.....  कोई बात नहीं यार दूसरी जगह जाना क्या पता वहां हो जाए तेरा सलेक्शन।

रमेश उदास होते हुए कहता है.... मुझे लगता है कि यह अब संभव ही नहीं है क्योंकि आजकल सबको बस अंग्रेजी चाहिए और हम ठहरे हिंदी भाषी। हमारा विद्यालय हिंदी में था। बस कुछ टूटी फूटी अंग्रेजी ही हमको आती है, बाकी तो हमें समझ भी नहीं आती। उसने आगे कहा...

मैं तो यह सोचता हूं कि हमारे ही देश में हमारी ही भाषा की महत्ता इतनी कम क्यों है। अंग्रेजी तो बस एक भाषा है ना कि हमारी पहचान । पता नहीं फिर लोग उसे ही ज्यादा सभ्य और शालीन क्यों समझते हैं, जिन्हें अंग्रेजी आती है और जिनका पहनावा भी उसी तरह का होता है। हिंदी को इतना कम क्यों आंका जाता है? अंग्रेजी ना आ पाना कम बुद्धिमता का मापदंड क्यों माना जाता है ? हिंदी भाषा में तो नौकरियां भी नहीं है। इतना संघर्ष क्यों है हिंदी भाषा को लेकर ?

हमें बस अच्छी अंग्रेजी नहीं आती क्योंकि हमारे जन्म से ही हिंदी हमारे साथ शुरू हो जाती है, मां शब्द हम हिंदी में ही बोलते हैं पहली बार। हमारे बोलचाल की मुख्य भाषा ही हिंदी है तो हम अंग्रेजी पर गौर कैसे फरमाएंगे।

कुछ वक्त पहले ही एक विदेशी ब्लॉगर ने हिंदी भाषा के प्रति अपने लगाव के विषय में बताया। उसने हिंदी सीखी और भारत भ्रमण किया। इस दौरान उसने हिंदी भाषा की नौकरी ढूंढनी शुरू की लेकिन नतीजा सिर्फ निराशा ही हाथ लगी उसके। उसने बताया कि उसने हिंदी सीखी वह यहां रहना चाहती थी और नौकरी भी करना चाहती थी लेकिन इस भाषा में बहुत ढूंढने पर मुश्किल से एक या दो जॉब मिली उसे। उसने इस बात पर खेद जताया। बड़े दुख की बात है कि हमारे ही देश में हमारी भाषा की कोई वैल्यू नहीं है। अच्छी नौकरियां नहीं है।

मैं यह जानना चाहती हूं कि हिंदी कब अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएगी ?  देश तो आजाद हो गया पर हिंदी कब आजाद होगी, अंग्रेजी भाषा की इस गुलामी से ?

हिंदी आज भी युद्ध लड़ रही है, अपनी आजादी का। जाने यह बिगुल लोगो तक कैसे पहुंचेगा।

अंग्रेज़ चले गए लेकिन अंग्रेजी छोड़ गए
मालिक बनकर जो रहते थे कल तक 
वह भी चले गए हैं कब के पर
छोड़ गए अपनी छाप लोगो में
अपनी भाषा के रूप में 
जिन्हे लगता है अंग्रेजी उनके 
सम्मानित होने का कारण है
भूल गए हैं वो अपने अस्तित्व का दामन 
हिंदी लड़ रही है द्वंद आज भी 
निरंतर चलता आ रहा है आज भी
वही युद्ध गुलामी से आजादी का
वक्त का खुमार तो देखो यारो
आज जब हिंदी खो चुकी अपना 
जो यह अस्तित्व है
फिर भी कुछ लोग जलाए बैठे हैं 
लौ इसकी आजादी की 
देखना एक दिन यह लौ 
मसाल बनकर चमक उठेगी
फिर से होगा उजाला
फिर से ना कोई हिंदी निराश होगा
अपने हिंदी भाषी होने से।।

क्या आप लोगो को यह नहीं लगता कि कम से कम अपने देश में हर विषय वस्तु में हिंदी ही महत्वपूर्ण होने चाहिए ?
हिंदी को उसके राष्ट्र भाषा होने का पूर्ण सम्मान मिलना चाहिए ? 


जय हिन्द जय भारत 🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

कंचन सिंगला
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