Maina and Bikash's love story in Hindi Love Stories by Bikash parajuli books and stories PDF | मैना और बिकाश की लव स्टोरी

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मैना और बिकाश की लव स्टोरी

1. पहली मुलाक़ात – बैंगलोर की गलियाँ

बैंगलोर का शहर हमेशा चहल-पहल से भरा रहता है। आईटी कंपनियों, बड़े-बड़े मॉल और तेज़ रफ्तार ज़िंदगी के बीच, लोग अपने-अपने सपनों के पीछे दौड़ते हैं। इसी शहर में मैना और बिकाश की कहानी शुरू होती है।

मैना शादीशुदा थी लेकिन उसकी शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल नहीं थी। उसके पति अक्सर काम के बहाने बाहर रहते और उसे अकेलापन घेर लेता। मैना बहुत शांत, प्यारी और समझदार लड़की थी।

दूसरी ओर, बिकाश अविवाहित (Bechoral) था और एक सुरक्षा कंपनी (Security Service) में काम करता था। उसका स्वभाव मददगार और साफ़दिल था। वह लोगों के साथ मज़ाक करता, हँसी बाँटता और सबका ध्यान रखता।

एक दिन दोनों की मुलाक़ात ऑफिस कैंपस के सिक्योरिटी गेट पर हुई। मैना को अंदर जाना था और उसका पास गुम हो गया था। बेचैन होकर वह सिक्योरिटी गार्ड से मदद माँग रही थी। वहीं खड़ा था बिकाश। उसने मुस्कुराकर कहा –

बिकाश: "मैडम, चिंता मत कीजिए। मैं आपकी मदद करता हूँ। आप बस बैठिए, मैं आपके लिए नया पास बनवा देता हूँ।"

मैना ने राहत की साँस ली। उसी पल उसकी नज़र में बिकाश की इमेज एक भरोसेमंद इंसान की बन गई।

2. दोस्ती की शुरुआत

धीरे-धीरे दोनों रोज़ मिलने लगे। सुबह मैना ऑफिस आती तो बिकाश उसे स्माइल देकर गेट खोल देता। लंच ब्रेक में भी कभी-कभी वे कैंटीन के बाहर मिलते और छोटी-छोटी बातें करते।

बातों-बातों में दोनों को लगा कि उनके बीच एक अलग तरह का कनेक्शन है।

मैना अपने अकेलेपन और दिल की बात धीरे-धीरे बिकाश से कहने लगी।

बिकाश भी अपनी ज़िंदगी की मुश्किलें और सपने साझा करने लगा।


दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि दोनों एक-दूसरे के बिना दिन अधूरा महसूस करने लगे।

3. प्यार की पहचान

मैना अक्सर सोचती – "मैं शादीशुदा हूँ, क्या मुझे किसी और से इतना जुड़ना चाहिए?" लेकिन उसके दिल में बिकाश के लिए एक मासूम सा प्यार पनपने लगा था।

बिकाश भी मैना की आँखों की चमक और उसकी देखभाल को महसूस करता। उसने कभी सीधे-सीधे प्यार का इज़हार नहीं किया, लेकिन उसके दिल में भी वही भावनाएँ थीं।

4. चुपचाप चाहत – पहला किस का सपना

कई बार ऐसा हुआ जब दोनों अकेले बैठे हों – पार्क की बेंच पर, सिक्योरिटी के रूम में, या कैंटीन के कोने में। दोनों की आँखें मिलतीं, दोनों का दिल तेज़ धड़कता।

कभी मैना हिचकिचाती, कभी बिकाश रुक जाता। दोनों एक-दूसरे को किस करना चाहते थे, लेकिन समाज, डर और झिझक के कारण कभी हिम्मत नहीं कर पाए।

लेकिन यह अधूरा पल भी उनके प्यार को और गहरा बना देता।

5. खुशियों की सुबह

एक दिन ऑफिस कैंपस में एक छोटा सा कार्यक्रम हुआ। सिक्योरिटी स्टाफ और एम्प्लॉयीज़ सबको बुलाया गया था। वहाँ डांस, म्यूज़िक और खेल हो रहे थे।

मैना और बिकाश भी उसी भीड़ में थे। संगीत की धुन पर जब सब हँस रहे थे, उसी पल मैना ने बिकाश का हाथ थाम लिया।

बिकाश चौंक गया, लेकिन फिर दोनों ने एक-दूसरे की आँखों में देखा। उस पल किसी शब्द की ज़रूरत नहीं थी। दोनों ने महसूस किया कि उनका रिश्ता किसी नाम या समाज की दीवार से बड़ा है।

6. हैप्पी एंडिंग – दिल का रिश्ता

मैना और बिकाश की कहानी का अंत किसी फ़िल्मी शादी या खुले किस से नहीं हुआ। बल्कि उनके लिए "सच्ची खुशी" एक-दूसरे के साथ रहने, बातें करने और एक-दूसरे को समझने में थी।

धीरे-धीरे मैना के दिल का बोझ कम हुआ और वह फिर से मुस्कुराने लगी। बिकाश को भी लगा कि उसकी ज़िंदगी अब अधूरी नहीं है।

दोनों ने तय किया –
“हम अपने रिश्ते को नाम भले न दे पाएँ, लेकिन हम हमेशा एक-दूसरे का सहारा बनेंगे।”

उनकी कहानी यहीं पूरी होती है – एक खुशहाल, मासूम और सच्चे प्यार की कहानी।

 कहानी से सीख

1. सच्चा प्यार हमेशा इज़हार या किस से साबित नहीं होता।


2. कभी-कभी किसी का साथ ही हमारी ज़िंदगी बदल देता है।


3. भरोसा और समझदारी ही रिश्ते की असली ताक़त है।