chapter 65
वह दोनों जैसे तैसे कर कर अपने उदासी को अपने चेहरे पर नहीं लाते हैं और वहां से चले जाते हैं क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनके आंखों में नमी कोई देख सके।
पर खुशी की अर्नब जी और उर्मिला जी तीनों ने अपने बेटो की आंखों में गहरी उदासी देखी थी। जिसे देखकर उनके भी दिल भर आया था। पर वह कुछ नहीं कर सकते थे।
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खुशी अरनव और उर्मिला जी के अलावा कोई और भी था जिसने रमन और शेखर जी के चेहरे पर उदासी देखी थी।
वह इंसान भी उन दोनों के पीछे-पीछे चला गया।
शेखर जी घर के गार्डन में टहल रहे थे और अपने बचपन की यादों को ताजा कर रहे थे। किस तरह से वह लोग शरारतें करते थे।
किस तरह से सिमरन उन्हें और रमन जी को डांटे रहती थी फिर भी वह दोनों दिन भर कुछ ना पूछ एक साथ मिलकर काम करते थे और सिमरन जी से डांट खाते थे और साथ में कभी कभार मार भी।
उनकी आंखें हल्की नम हो चुकी थी। पर उनके चेहरे पर अपनी बचपन की यादों के बारे में सोच कर मुस्कुराहट थी।
तो दूसरी तरफ रमन जी शेखर जी की हर हाव-भाव को देख रहे थे और उनके भावों को समझ कर उनके मन में भी मिक्सी मोशंस फील हो रही थी।
शेखर जी आसमान को देखते हुए बोलते हैं "दीदी में कसम खाता हूं कि मैं उसे सक्षम को नहीं छोडूंगा । उसकी जिंदगी को जीते जी नर्क बना कर रख दूंगा,,। बस वह एक बार मेरे हाथ लग जाए (यह बोलकर वह अपने हाथों की मुट्ठी कस लेते हैं।) आपके साथ छोटे और अपनी बेस्टफ्रेंड (प्रिया) का भी बदला लूंगा।
तभी कोई उनके कंधे पर हाथ रखते हैं जिसकी वजह से वह उसे इंसान को देखते हैं तो शेखर जी जैसे ही उसे इंसान को देखते हैं तो उन्हें और ज्यादा गुस्सा आता है और वह एक झटके से उस इंसान का हाथ को झटक देते हैं।
यह इंसान कोई और नहीं रमन जी थे। शेखर जी को रमन जी को देखकर बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था जिसकी वजह से उनके माथे पर नस साफ-साफ दिखाई दे रही थी।
यह क्या कर रहे हो मिस्टर रमन कपाड़िया आपको तो बहुत ही ज्यादा खुशी हो रही होगी मेरी ऐसी हालत देखकर,(शेखर जी अपने दोनों हाथों को फेलाते हुए) देखिए मैं और आपका पूरा परिवार आपकी वजह से बर्बाद हो गया है, आपकी बेवकूफी आपका अंधे भरोसे की वजह से मुझे और पूरे कपाड़िया खानदान का सब कुछ बिखर गया।
अपनी आवाज को धीमे पर भारी कर कर रमन जी के करीब आकर उनको उंगली दिखाते हुए "मैंने आपसे कितनी बार कहा था कि वह सक्षम मुझे सही नहीं लगता है उसकी इरादे सही नहीं है पर आपको तो मुझसे ज्यादा उसे आदमी पर भरोसा था देखा आपने उसे आदमी ने क्या किया है उसने मेरे सर से मेरे आइडल(सिमरन जी) का हाथ निकाल दिया मुझे मेरा छोटा और बेस्ट फ्रेंड को छीन लिया है।
उसे दिन अनुज और प्रिया की मौत नहीं आपकी मौत लिखी हुई थी। शेखर जी रमन जी से दूर होकर ताली बजाते हुए चेहरे पर कड़वी मुस्कान लेकर बोले पर आपने तो बड़ी चालाकी से अपनी मौत के लकीरों को मेरे छोटे और बेस्ट फ्रेंड की नसीब में लिख दिया था।
रीडर सबको यहां बता दो की शेखर जी जीस छोटे, बेस्ट फ्रेंड की बारे में बात कर रहे हैं वह शिवाय के माता पिता मिस्टर अनुज कपाड़िया और मिसेज प्रिया कपाड़िया है।
शेखर जी की हर एक शब्द रमन जी के सीने पर किसी तीर की तरह चुभ रही थी, रमन जी के रुके हुए आंसू उनके गालों पर आते हैं और वह शेखर जी से कपती हुई आवाज में रिक्वेस्ट करते हैं " प्लीज बस करो बस करो तुम्हारी बातें मुझसे सहन नहीं हो पा रही है।
मैं पहले से ही अपनी गलती की वजह से पछतावें में जी रहा हूं। तुम मुझे जो सजा देना चाहते हो वह दो मैं चुपचाप तुम्हारी हर सजा को सह लूंगा पर इस तरह से नफरत मत करो पिछले 10 साल से बड़ी मुश्किल से मैं तुम्हारी नफरत को सहर आओ अब मुझे यह नफरत सही नहीं जा रही है। वह बोलते बोलते अपने घुटनों के बल बैठ जाते हैं, उनके आंखों से लगातार आशु बह रहे थे।
शेखर जी के चेहरे पर रमन जी की ऐसी हालत देखकर कोई भाव नहीं थे उन्हें तो ऐसा लग रहा था जैसे रमन जी नाटक कर रहे हैं।
शेखर जी चिड़ते हुए बोले बस कीजिए अपना यह नाटक अब नहीं फसूंगा मैं आपके इस नाटक में। मेरे आंखों से प्यार की पट्टी हट चुकी है अब मैं आपका असली चेहरा साफ-साफ देख सकता हूं।
रमन जी की तरफ उंगली करते हुए अपने बात को आगे बढ़ते हैं जिस प्रॉपर्टी को आप चाहते थे जिस नाम को ऊंचा रखना चाहते थे मैं आपसे वादा करता हूं आपसे वह सब कुछ छीन लूंगा।
पहले मैं उसे सक्षम से अपने बदला लूंगा उसके बाद आपसे। आपको हर गुनाह की कीमत चुकानी होगी।
(आप सबको लगता होगा कि यह कपाड़िया फैमिली कितना ज्यादा उलझा हुआ है कभी लगता है यह लोग दुश्मन है कभी लगता है यह लोग एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं, तो बता दो कि प्यार तो सबके दिल में है पर हालातो की वजह से नफरत ने प्यार की जगह ले ली है। इन सब की जिंदगी से नफरत तभी है पाएगी जब उनके सामने सक्षम खुद आएगा, लेकिन अब पता नहीं सक्षम कहां है मैं भी कपाड़िया फैमिली की मदद करूंगी आपके साथ मिलकर सक्षम को हम ढूंढेंगे और पूरे कपाड़िया फैमिली को एक साथ लाएगे। 💪✊)
"शेखर तुम्हारी हर शिकायत हर इल्जाम मंजूर है मुझे, अगर चाहो तो जान भी ले लो मेरी पर यार मुझसे नफरत मत करो तू तो मेरे भाई से ज्यादा दोस्त था तेरे लिए नफरत मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो पा रही है प्लीज मुझे मेरा दोस्त वापस दे दो जिसके लिए मैं पिछले 10 साल से तरस रहा हूं। रमन जी की आवाज में बेबसी था।
उनकी बात सुनकर शेखर जी अपने आंखों में गहरी नफरत लेकर बोलते हैं उसी दिन मर गया है वह शेखर कपाड़िया जो आपको अपना भगवान मानता था, जिस दिन से इन हाथों में राखी नहीं बांधी जिस दिन अपने बेस्ट फ्रेंड और अपने भाई की आरती को कंधा दिया था मर गया वह शहर कपाड़िया उन्हीं के साथ अब जो शेखर कपाड़िया आपके सामने खड़ा है उसके दिल में आपके लिए नफरत है ,जिसकी कोई हद नहीं है।
"इस नफरत की आग में आपको हर पल जालना होगा। मैं आपसे इतनी नफरत करता हूं कि आपसे नफरत निभाने के लिए खुद को भी इस नफरत की आग में झोंकने से पहले एक पल नहीं सोचूंगा,,।
शेखर जी की हर एक वाक्य रमन जी को मौत के बराबर लग रही थी।
रमन जी या शेखर जी एक दूसरे से आगे कुछ कह पाते उससे पहले ही उन दोनों के कानों में किसी की मासूमियत भरी आवाज आती है।
"आप दोनों यहां क्या कर रहे हो बड़े दादू आप ऐसे क्यों बैठ कर रो रहे हो और (शेखर जी को देखकर) एंग्री वाले दादू अब क्यों दादू पर चिल्ला रहे हो?,, यह मासूम सी आवाज किसी और कि नहीं संवि की थी जो उन दोनों का पीछे-पीछे आ रही थी पर किसी वजह से उसे आने में थोड़ा सा देर हो गया था।
संवि की आवाज सुनकर शेखर जी अपने गुस्से को कंट्रोल करते हैं तो वही रमन जी अपनी आंसुओं को पहुंचकर ठीक से खड़े होते हैं।।
संवि अपने नन्हे नन्हे कदम से उन दोनों की तरफ चलते हुए आती है, जिसकी वजह से उसके पैरों में पायल छन छन कर कर छमक रहे थे।
जब रमन जी की आंखों में आंसू देखतीं है तो उसके भी आंखों में आंसू आते हैं और वह अपने होठों को बाहर कर कर रोते हुए शेखर जी के सामने खड़ी होती है।
वह अपने कमर पर हाथ रखकर शेखर जी को घूरते हुए सवाल करती है एंग्री वाले दादू आप क्यों बड़े दादू को डांट रहे हो वह तो आपसे बहुत बड़े है ना, और यू बड़ों को डांटना तो अच्छी बात नहीं होती है ना। इस बीच भी संवि के आंखों में आंसू बह रहे थे।
जिसे देखकर शेखर जी के दिल में एक टीस होती है, वह धीरे से अपने हाथ को संवि क्या आंखों के आंसू पहुंचने के लिए बढ़ाते हैं, मगर इससे पहले उनके दिमाग में क्या आता है कि वह अपने हाथ को पीछे कर कर संवि को कुछ कहे बिना ही वहां से चले जाते हैं।
उनको ऐसे जाते देखकर संवि को कुछ समझ नहीं आता है, तो पीछे पलट कर रमन जी के पास जाती है उनके आंखों के आंसू पोंछते हुए उन्हें दिलासा देती है ।
डोंट वरी बड़े दादू मैं ना उनकी शिकायत ब्यूटीफुल ग्रैनी और ग्रैनी से करूंगी। वह लोग उन्हें पनिशमेंट देंगे। ओके! now please don't cry आपको रोते देखकर संवि को भी रोना आ रहा है,,।
संवि की मासूमियत भरी बात सुनकर रमन जी के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है।
वह संवि को अपने करीब कर कर उसके आंखों के आंसू पहुंच कर उसे समझाते हुए बोले ऐसे नहीं बोलते बच्चा वह आपसे बड़े हैं ना। और वह मुझे डांट नहीं रहे थे ।वह तो मुझे समझा रहे थे कि मुझे ऐसे नहीं रोना चाहिए।
उनकी बात सुनकर संवि अपनी पलको झपकाने लगती है और उनको सवाल करती है पर बड़े दादू आप रो क्यों रहे थे।
संवि की सवाल सुनकर उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब देता भी वह कुछ सोच कर बोले" वह क्या है ना बेबी सबके हाथों में रखी को देख कर मुझे और आपके एंग्री वाले दादू को बुरा लग रहा था क्योंकि हमारे बिग सिस्टर तो बीमार है वह तो हमें राखी नहीं बंध सकती ना इसलिए मुझे रोना आ रहा था। तो आपके एंग्री वाले दादू मुझे समझ रहे थे कि यू मुझे नहीं रोना चाहिए अभी हमारे बिग सिस्टर हमें राखी नहीं बंधेगी तो क्या होगा वह अगले साल ठीक होकर हमें जरूर राखी बांध देगी।
उनकी बात सुनकर संवि को बस इतना समझ में आता है कि उसके बड़े दादू और एंग्री वाले दादू को बुरा लग रहा था सबको राखी का फेस्टिवल सेलिब्रेट करते देखकर क्योंकि वह दोनों तो राखी का फेस्टिवल सेलिब्रेट नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनकी सिस्टर तो बीमार है।
जिसकी वजह से वह अपनी मूंढी हिला कर बोली समझ गई दादू।
उसकी बात सुनकर रमन जी उसे कहते हैं तो अभी आपको अभी अपने एंग्री वाली दादू से ना सॉरी बोलना चाहिए क्योंकि आपको उन से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए थी।
रमन जी की बात सुनकर संवि को भी एहसास होता है कि वह शेखर जी से इस तरह से बात नहीं कर सकती थी वह भी तो उसे बड़े थे तो वह शेखर जिससे सॉरी बोलेगी कहकर रमन जी के गोद से उतर जाती है।
और वह जल्दी से भाग कर कपाड़िया मेंशन के अंदर जाती है और शेखर जी को ढूंढती है। लेकिन उसे शेखर जी नहीं मिल रहे थे तभी वह एक सर्वेंट को रोक कर शेखर जी के बारे में पूछती है।
वह सर्वेंट उसे सिमरन जी के कमरा दिखाती है तो वह सिमरन जी के कमरे की ओर भाग जाती है। वह धीरे से सिमरन जी का कमरे के दरवाजे को खोलती है तो वह देखी है कि शेखर जी सिमरन जी का हाथ पकड़ कर बैठे हुए थे।
वह धीरे से शेखर जी के पास जाती है और अपने कानों को पकड़ कर उनसे अपने धीरे आवाज में बोलती है आई एम वेरी वेरी सॉरी एंग्री वाले दादू मुझे आपसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी।
आप चाहो तो मैं sit ups भी कर सकती हूं प्लीज मुझे माफ करना एंग्री वाले दादू आपसे इतनी रूड आवाज में बात करने के लिए।
इतना बोलकर वह अपने कानों को पकड़ कर पलकों को जब खाते हुए देख रही थी।
शेखर जी तो उसके उसे मासूम भारी गोल्डन ब्राउन आंखों में खो गए थे, उसकी यह आंखें तूने अपनी बेस्ट फ्रेंड की याद दिलाती थी उनकी बेस्ट फ्रेंड की भी आंखें तो इतनी ही मासूम और pure थी।
जब संवि देखी है कि शहर की बस उसे देखते ही जा रहे तो वह शेखर जी से पूछती है दादू आपने मुझे माफ किया या नहीं, वह क्या है ना मेरे हाथों में ना दर्द हो रहा है।
उसकी ऐसी बातें सुनकर शेखर जी को आप खुद पर कंट्रोल नहीं रहा और वह उसे गोद में लेकर अपने सीने से लगाते हैं, जिसकी वजह से उनके आंखों से एक सुकून भरी आंसू बह जाती है।
संवि जब यह देखी है कि एंग्री वाले दादू ने उसे अपने गोद में लिया तो उसे लगता है कि शेखर जी ने माफ कर दिया है तो वह खुश होकर शेखर जी से पूछती है दादू आपने मुझे माफ कर दिया है क्या? मैं आइंदा से किसी से भी इतनी रूड वॉइस में बात नहीं करूंगी इतना बोलकर वह अपने सर को उनके सीने से निकलती है।
उसकी बात सुनकर शेखर जी भी उसे अलग होते हैं और अपने आंखों की आंसुओं को पहुंच कर बोले हमने आपको माफ कर दिया है।
उनकी बात सुनकर तो संवि के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आती है और वह खुश होकर शेखर जी के गालो पर किस करती है।
उसकी यार का देकर शेखर जी को भी हंसी आती है और वह भी मुस्कुरा देते हैं।
तभी बस शेखर जी से कहती है, डॉन'टी वरी एंग्री वाले दादू आपकी सिस्टर भी जल्दी ठीक हो जाएगी और वह भी आपको जल्दी राखी बंधेगी यह उदास नहीं होते हैं।
शेखर जी को उसकी बात समझ नहीं आती है तो वह उसे पूछते हैं कि" वह क्या बोल रही है?
जी पर संवि , उन्हें वह सब कुछ बता देती है जो रमन जी ने उसे कहा था।
उसकी पूरी बात सुनकर शेखर जी को आप समझ में आया कि वह बोलना क्या चाहती है जिस पर वह सिर्फ अपने गार्डन को हिलाते हैं और एक टक सिमरन जी को देखते हैं।
जब संवि शेखर जी के आंखों में उदासी देखती है तो वह अपनी आंखों को गोल-गोल घूमकर अपने एक उंगली को अपनी होठों पर टाइप करते हुए कुछ सोच रही थी।
संवि कि यह हरकत देखकर शेखर जी को अनुज और प्रिया की याद आती है क्योंकि जब भी अनुज या प्रिया दोनों को भी कुछ सोचना होता तो वह भी से ऐसे ही करते थे।
तभी संवि के दिमाग में कुछ आता है तो वह एक चुटकी बजाती है और जल्दी से बहर भाग जाती है।
शेखर जी को तो समझ नहीं आया कि संवि ऐसे क्यों भाग है।
अब क्या करेंगे संवि क्या आया है उसके दिमाग में जाने के लिए पड़ी अगला चैप्टर।
आपको आज का चैप्टर कैसा लगा प्लीज बताना जरूर।