VISHAILA ISHQ - 35 in Hindi Mythological Stories by NEELOMA books and stories PDF | विषैला इश्क - 35

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विषैला इश्क - 35

(चार साल बाद आद्या और अतुल्य इंसानी लोक में सामान्य जीवन जी रहे हैं, जबकि विराट अब नागराज बन चुका है — शक्तिशाली, क्रोधित और अब भी आद्या को अपनी पत्नी मानता है. वनधरा में बंदी नागमानव आद्या की सच्चाई छिपा रहे हैं कि वही वनधरा की नई नागरक्षिका है. इस बीच मुंबई में आद्या बेरोजगारी और खालीपन से जूझ रही है. जब दोस्त स्नेहा IFS की तैयारी की बात करती है, तो उसके भीतर छिपी नागशक्ति फिर से करवट लेने लगती है. शायद यही उसके भाग्य की अगली पुकार है — विषैला इश्क का नया अध्याय शुरू होने वाला है।)
वनधरा की खामोशी
वनधरा — नाग रानी का कक्ष
कक्ष में अंधकार और मौन पसरा था. धूप की आखिरी किरणें नीम उजाले में बदल चुकी थीं. नाग रानी अपनी पुरानी शाही आसंदी पर बैठी थीं — कभी जिस पर गौरव से बैठती थीं, आज वह बस एक बोझ सा था.
तभी कक्ष के द्वार पर पदचापें गूंजती हैं — और भीतर प्रवेश करता है विराट, पूरे रौब और शक्ति के साथ.
विराट( तेज स्वर में, व्यंग्य से) कैसी हैं आप, नागरानी? वैसे अब आप नहीं, आद्या इस स्थान की रानी है — क्योंकि वनधरा अब विराट के अधीन है. पर. अगर आप चाहें तो, आप फिर से नाग रानी बन सकती हैं. बस बता दीजिए — मेरी आद्या कहाँ है?
नाग रानी चुप रहीं. उन्होंने विराट की ओर देखा भी नहीं, केवल एक क्षण के लिए पलकों में लहर- सी हिली.
विराट( बैठते हुए, धीमी और करारी आवाज में) क्या है उस लडकी में जो पूरे वनधरा की जुबान बंद हो गई उसके लिए? क्या शक्ति है उसके पास, जो मुझसे छुप पा रही है? आप जैसी शक्ति और सत्ता को चाहने वाली रानी, अपनी पदवी त्याग चुकी हैं — सिर्फ एक लडकी के लिए?
फिर वह उठकर कक्ष की ओर चलता है, जैसे हर चीज पर अधिकार उसका हो)
गंभीर स्वर में बोलता है" एक महीने का वक्त देता हूँ. अगर मेरी आद्या की जानकारी मुझे नहीं मिली — तो वनधरा का अस्तित्व समाप्त कर दूँगा. उसे नागधरा में मिला दूँगा — और तब न नागरानी विषधी रहेंगी, न वनधरा।
विराट द्वार की ओर बढता है और कक्ष से निकल जाता है]

कुछ पल बाद – एक धीमी आहट होती है]
कक्ष में प्रवेश करते हैं नाग गुरु नाग वैभव, जिनकी आँखों में वर्षों का ज्ञान और भारी पीडा है.
नाग गुरु( गंभीर स्वर में) खुश हैं. अपनी नाग रक्षिका की रक्षा पूरी निष्ठा से अठारह वर्ष तक किया और मात्र छह माह शेष थे उसके अभिषेक के और अपने अभिमान में उसकी नाग शक्तियां भूलवा दी. उसके परिवार की रक्षा नहीं की और फिर.
नागरानी का चेहरा झुक गया. उनकी आँखों में आंसू नहीं थे, पर आत्मा रो रही थी.
नागरानी( स्वर काँपता है) कितनी बार कहूं — हाँ, भूल की. निशा और सनी की रक्षा करनी चाहिए थी. नीलांबरी ने अपने प्राण दिए थे वनधरा के लिए —मैं उसकी बेटी की रक्षा न कर सकी. शायद यही मेरा दंड है।
एक विराम, फिर धीरे से कहती हैं)
पर यदि आद्या नाग रक्षिका बनकर न लौटे, तो भी मुझे कोई दुःख नहीं होगा. कम से कम वह सुरक्षित है. उसके लिए वनधरा मौन रहेगा. चाहे वनधरा बचे — या न बचे.
नाग गुरु मौन हो जाते हैं. पर उनकी आँखों में कुछ दृढ निश्चय जाग उठा है।
नाग गुरु( मन में सोचते हैं) अब समय आ गया है — कि आद्या को सच्चाई पता चले. वह नाग रक्षिका बने या न बने — निर्णय उसका होगा, पर हक तो उसका है जानने का।

वनधरा लौटते समय —
रथ में बैठे नाग मंत्री ने चुप्पी तोडी.
" वनधरा का हर नाग, हर नागिन. सब जानते हैं आपकी रानी के बारे में. लेकिन सब मौन हैं. यहां तक कि उसका भाई अतुल्य — वह भी गायब है. मेरा अनुमान है — वह भी आद्या के साथ है।
विराट की आँखें सिकुड गईं. और उन दोनों की मां. डिमरी. उसका कुछ पता चला?
नाग मंत्री ने नहीं मेे सिर हिला दिया और बोला—" नागरानी आद्या ने कहा था कि वह मानव है. कहीं वह मानव लोक में न हो?
विराट, जो कभी अडिग था, अब थका हुआ दिखने लगा. मानव लोक भी छान मारा हमने. पर न कोई सुराग. न कोई छाया. क्या हम कभी मिलेंगे भी कि नहीं, नहीं जानते।
दोनों अब नागधरा के सीमा पर पहुंच चुके थे.

वहीं खडे थे — नाग गुरु चैतन्य. उनकी आँखों में शांति थी, पर स्वर में लहराता था सच्चाई का बाण.
" नागराज! उस कन्या को ढूँढना छोड दीजिए. यदि वह मिल भी गई. तो फिर चली जाएगी. जो अपनी इच्छा से रुकना न चाहे, उसे बांधना अनुचित है।
वह एक क्षण रुके, फिर और नर्म स्वर में बोले —" हम नहीं जानते वह कहां है. लेकिन वह जानती है — आप यहीं हैं. वह आना चाहे तो आएगी. लेकिन आप. उसे खो चुके हैं. इसे स्वीकार कीजिए. और आगे बढिए।
विराट कुछ नहीं बोला. बस उसकी आँखों में वो चमक बुझ गई. वह चुपचाप महल की ओर बढ गया.

विराट का एकांत
अपने कक्ष में बिछी हुई शाही चादर पर वह लेट गया —. पर उस नागराज के सिंहासन पर नहीं, बल्कि एक टूटे हुए प्रेमी की तरह.
उसने एकदम धीमे स्वर में कहा — जैसे कोई प्रार्थना कर रहा हो. आपने कहा था — आप मेरी हैं. तो बताइए न. कहां हैं आप? बहुत याद आती है आपकी. क्या आपको नहीं आती मेरी याद? मेरी नाग रानी.
उसकी आँखें बंद थीं. पर दिल में आद्या की मुस्कान, उसका क्रोध, और वह पहली मुलाकात जैसे ताजा चलचित्र की तरह चल रहा था.

आद्या का घर
घर की घंटी बजती. घर में घुसते ही वह सीधी नर्स से बोली —“ दीदी, मां ने खाना खा लिया?
नर्स ने सिर हिला दिया. आद्या ने चैन की सांस ली.
आधी रात — सुबह दो बजकर बारह मिनट]
कुछ आवाज से आद्या की नींद खुली. वह सतर्क हुई. रसोई से कोई आहट थी — शायद कोई पानी पी रहा था.
दरवाजा खोलने पर देखा — नर्स थी, पानी के गिलास के साथ.
कुछ चाहिए आपको? — नर्स ने पूछा.
नहीं। — आद्या ने मुस्कुरा कर कहा. पर तभी. एक गंध महसूस हुई — नागगंध. आद्या का मन चौंका —" अतुल्य भैया नाग हैं, पर ये गंध तो. ये बहुत तेज है! तभी उसे कुछ आवाज आई
आपने कुछ सुना? — आद्या ने नर्स से पूछा.
नर्स ने कान लगाया, फिर बोली —“ नहीं।
पर तभी आद्या की नजर पडी — अतुल्य के कमरे की लाइट जल रही थी.
इतनी रात को भैया की लाइट क्यों जली है? — वह बुदबुदाई.
नर्स कांप गई —“ आप. आप मुझे डराने की कोशिश कर रही हैं न?
अरे! आपको दिख. — आद्या कुछ बोल ही रही थी कि देखा — कमरा अंधेरे में था.
नर्स घबराकर चली गई —“ गुड नाइट! मुझसे ऐसे मजाक मत कीजिए।

वह क्षण. नागों की गंध और आभा से भारी]
आद्या धीरे- धीरे अतुल्य के कमरे की ओर बढी. अब वह गंध साफ थी. और कोई आवाज भी.
दरवाजा थोडा खुला था. अंदर झांका — और वह सन्न रह गई?

1. क्या देखा आद्या ने अतुल्य के कमरे में? क्या विराट आद्या को ढूंढ पाएगा?
2. क्या इस बार वनधरा और नाग रानी आद्या की रक्षा कर पाएंगे?
3. क्या आद्या वनधरा की नाग रक्षिका बनना स्वीकार करेगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए " विषैला इश्क" .