अगली सुबह होटल में हल्की रौनक थी, पर कियारा के मन में सब कुछ ठहरा हुआ लग रहा था।
पिछली रात की वो बात — “मुझे अब silence में भी तुम्हारी आवाज़ सुनाई देती है” — बार-बार उसके दिल में गूंज रही थी।
क्या वो एक इज़हार था? या बस एक लम्हे की सच्चाई?वो समझ नहीं पा रही थी, पर दिल में कहीं एक सुकून था — जैसे उसका इंतज़ार अब दिशा पा चुका हो।
ब्रेकफ़ास्ट के बाद, अयान ने सबको कुछ मीटिंग पॉइंट्स दिए और फिर सीधे अपने केबिन में चले गए।कियारा ने फाइल्स लेकर दरवाज़े पर दस्तक दी।
“May I come in, sir?”“Come in,” अयान ने बिना नज़र उठाए कहा।वो फाइल्स रखते हुए बोली, “ये आज के guests की details हैं।
”अयान ने हल्के से सिर हिलाया, “Thanks.”वो पलटने ही वाली थी कि अयान की आवाज़ आई — “कियारा, एक मिनट…”वो रुकी।
अयान खिड़की के पास चले गए, कुछ पल खामोश रहे और फिर बोले —“कभी तुम्हें लगा कि किसी इंसान की मौजूदगी से तुम्हारा हर दिन थोड़ा बेहतर लगने लगता है?
”कियारा ने धीमे से कहा, “हाँ… लगा है।”अयान ने उसकी ओर देखा — “तो फिर क्या उसे कहना ज़रूरी होता है?
”कियारा कुछ देर चुप रही, फिर मुस्कुराई —“शायद नहीं… लेकिन अगर कहा जाए, तो दिल थोड़ा हल्का हो जाता है।
”अयान की आँखों में वो सब था जो अब तक उन्होंने छिपा रखा था।“कियारा,” उन्होंने गहरी साँस लेते हुए कहा,“मुझे नहीं पता ये क्या है,
कब शुरू हुआ… लेकिन तुम्हारे बिना अब ये जगह अधूरी लगती है। तुम्हारी मौजूदगी… मुझे जीना सिखा रही है।
”कियारा का दिल ज़ोर से धड़का —वो वही पल था जिसका उसने अनगिनत बार ख़्वाब देखा था, मगर अब जब सामने था, तो लफ़्ज़ जैसे कहीं खो गए थे।
वो बस इतना कह पाई —“कभी-कभी किसी की खामोशी भी ‘हाँ’ बन जाती है, sir।”अयान ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो क्या मैं इसे ‘हाँ’ समझूँ?
”कियारा की आँखों में हल्की नमी और मुस्कान साथ-साथ थी —“शायद दिल ने तो बहुत पहले ही कह दिया था…”वो दोनों वहीं खड़े रहे — बिना किसी शोर के, बस दो धड़कनों की आवाज़ के बीच।
हवा में बारिश की ख़ुशबू थी, और उनके बीच एक नया सुकून — एक नई शुरुआत की दस्तक।
रात को कियारा ने अपनी डायरी में लिखा —
“कभी-कभी वक्त नहीं बताता कि कौन अपना है,बल्कि एहसास खुद रास्ता दिखा देते हैं।आज उसने वो कहा, जो मैं उसकी नज़रों से रोज़ पढ़ती आई थी —वो खामोश लफ़्ज़ जो अब सच्चाई बन गए हैं।शायद अब ये कहानी खामोश नहीं रहेगी…क्योंकि रूह ने आखिरकार अपना जवाब पा लिया है —वो जवाब, जो न शब्दों में था, न वादों में,बस एक नज़र में छिपा था,जिसने दिल से दिल तक का सफ़र पूरा कर दिया।”“अब उसकी खामोशियाँ भी लफ़्ज़ लगती हैं,हर नज़र में एक इज़हार छिपा है।शायद अब ये कहानी अधूरी नहीं रही,क्योंकि रूह ने रूह को पहचान लिया है।” ✨
✨ To Be Continued…
क्या अब जब इज़हार हो चुका है,ये रिश्ता उतनी ही सच्चाई और गहराई से कायम रह पाएगा,या वक्त इसे परखेगा किसी ऐसे मोड़ पर,जहाँ प्यार को सिर्फ़ एहसास नहीं, हिम्मत भी साबित करनी होगी?कहीं ऐसा तो नहीं कि अब शुरू होगा वो सफ़र,जहाँ दो रूहें एक-दूसरे को पाना नहीं, निभाना सीखेंगी…