The Risky Love - 36 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | The Risky Love - 36

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The Risky Love - 36

खंजर काला पड़ गया..

चेताक्क्षी बेबस सी ये सब देखते हुए बेहोश हो गई थी...... 

अब आगे.........
विवेक अदिति को लेकर मंदिर में पहुंचता है , , अमोघनाथ जी और देविका भोलेनाथ के सामने बैठे प्रार्थना कर रहे थे , , जैसे ही कदमों की आहट महसूस हुई देविका जी तुरंत मुड़कर देखती है , ,...
" विवेक , ... अदिति...." देविका जी जल्दी से तख्त पर कपड़ा बिछाकर कहती हैं....." इसे यहां लेटा दो...." उसके बाद देविका जी उसके पीछे देखते हुए कहती हैं...." आदित्य कहां है...?..."
विवेक अदिति को तख्त पर लेटाता हुआ कहता है....." भाई , चेताक्क्षी के साथ है , , वो कह रही थी थोड़ी देर में आ जाएंगे , कुछ सामान वहां से हटाना है जोकि किसी और के हाथ न लग जाए...."
अमघोनाथ जी उनके पास आते हुए कहते हैं...." चिंता मत करो देविका , गामाक्ष अब मर चुका है , और चेताक्क्षी आदित्य को लेकर आ जाएगी...." 
देविका जी अमोघनाथ जी की बात पर सहमति जताते हुए अदिति के पास जाकर उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहती हैं....." ये ऐसे ही कबतक रहेगी..."
 इतना कहकर अमोघनाथ जी अदिति के पास जाकर उसके हाथों को और गर्दन पर बने निशान को देखते हुए कहते हैं....." घाव बहुत गहरा है , , गामाक्ष ने अपनी हदें पार कर दी , , गुरूचर (उनका शिष्य)..जाओ महादेव के पास रखी वो प्रसादी कटोरी लेकर आओ...."
गुरूचर कटोरी लाकर अमोघनाथ जी को सौंपता है , , अमोघनाथ जी उसका लेप अदिति की गर्दन और हाथों पर लगाते हुए कहते हैं....." इसे आराम करने दो , अभी इतनी जल्दी इसे होश नहीं आएगा... इसलिए घबराओ मत..."
अमोघनाथ जी विवेक को देखकर कहते हैं...." वो खंजर कहां है...?..."
" मेरे पास ही है ,  .." 
" ठीक है उसे अपने पास ही रखो , बाद में हम उसे सही जगह पहुंचा देंगे...."
काफी देर होने पर जब चेताक्क्षी और आदित्य वापस नहीं लौटे तो अमोघनाथ जी चिंता भरी नजरों से बाहर की तरफ देखते हुए कहते हैं......" चेताक्क्षी को अबतक आ जाना चाहिए था , कहां रह गए ये दोनों.....?. "
विवेक अमोघनाथ जी से कहता है...." अमोघनाथ जी , मैं उन्हें देखकर आता हूं....."
अमोघनाथ जी उसे जाने से मना करते हैं , , लेकिन तभी लड़खड़ाते हुए चेताक्क्षी वहां पहुंचती है , , उसकी हालत देखकर तीनों हैरान थे , विवेक जल्दी से उसे संभालते हुए मंदिर के अंदर लाकर दूसरे तख्त पर बैठाया है , , 
अमोघनाथ जी उसकी हालत देखकर घबराते हुए कहते हैं...." चेताक्क्षी , ये सब क्या हुआ..?...और आदित्य कहां है...?..."
विवेक मटके से गिलास में पानी भरकर चेताक्क्षी को देता है... जिसे चेताक्क्षी एक ही सांस में पीकर , एक गहरी सांस लेते हुए कहती हैं...." बाबा.... खतरा अभी टला नहीं है...." 
अमोघनाथ जी हैरानी से पूछते हैं...." लेकिन चेताक्क्षी , विवेक ने तो उसे खत्म कर दिया न..."
विवेक अमोघनाथ जी की बात पर सहमति जताते हुए कहता है...." हम्म.... लेकिन आपकी ये हालत कैसे हुई , ...?...आप तो ठीक थी न ....?..."
" हां विवेक , बाबा हम बिल्कुल ठीक थे  , लेकिन गामाक्ष के मरने के उसकी शक्तियों के खत्म होते ही , वो बेताल आजाद हो गया और..."
चेताक्क्षी की बातों को काटते हुए अमोघनाथ जी कहते हैं...." तो गामाक्ष ने बेताल की आत्मा को कहां रखा हुआ था...."
" उस चमगादड़ में बाबा , , उसकी शक्तियों को छिनकर उसे चमगादड़ में कैद कर लिया था , , ताकि वो भी उसके काम में मदद कर सके....गामाक्ष के मरने के बाद वो आजाद हो गया  , उसने ही मुझपर हमला किया जिससे मैं बेहोश हो गई और  वो आदित्य को अपने साथ ले गया , ..."
" क्या...?.." तीनों हैरानी से एकसाथ कहते हैं.....
देविका जी घबराते हुए कहती हैं...." वो आदित्य को कहां ले गया चेताक्क्षी , ..."
" काकी हमें नहीं पता , और न ही उसके मकसद के बारे में पता है लेकिन उसे भी खत्म रक्त रंजत खंजर ही कर सकता है...."
विवेक खुश होकर कहता है...." फिर ठीक है , अब हमे जल्दी से उसकी जगह का पता करना होगा , उसके बाद हम उसे खत्म कर देंगे...."
अमोघनाथ जी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहते हैं...." हां विवेक ,शायद मुझे पता है वो कहां होगा..."
चेताक्क्षी और विवेक एक्साइटेड होकर पूछते हैं..." जल्दी बताइए फिर...."
" चेताक्क्षी उसतक आसनी से पहुंच जाएगी , वो होगा देवागिरी की पहाड़ियों के बीच गुफा में , वहीं उसकी रहने की जगह है....."
" तो हमें देर नहीं करनी चाहिए......"
" नहीं विवेक वहां इस समय जाना सही नहीं है , ,वो पिशाचों को निवासस्थान है , वहां तुम्हें कदम कदम पर खतरा है इसलिए कल ब्रह्ममुहुर्त में जाना..."
चेताक्क्षी अपने मन को समझाते हुए अपने आप से कहती हैं...." आदित्य , हम इतने बरसों बाद मिले वो इस तरह ...हम तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे , , अब हमे अपनी पिशाच जाति के खिलाफ ही जाना होगा , , "
चेताक्क्षी विवेक से कहती हैं...." विवेक तुम खंजर को निकालकर भोलेबाबा के पास रख दो , इससे उसकी शक्ति और बढ़ जाएगी...."
विवेक हां में सिर हिलाकर अपने कमर से बंधे कपड़े में छिपे हुए खंजर को निकालता है लेकिन उसके रंग को देखकर ,वो हैरान रह जाता है....
" ऐसा कैसे हो सकता है...?..."
चेताक्क्षी उसकी घबराहट भरी आवाज को सुनकर कहती हैं.." क्या हुआ विवेक क्या नहीं हो सकता..?..."
विवेक उस खंजर को चेताक्क्षी की तरफ दिखाते हैं , जिसे देखकर चेताक्क्षी भी दंग रह गई.....
" नहीं , , ... विवेक इसकी चमक कैसे खत्म हो गई , , ये काला क्यूं पड़ गया.....?..."
" मुझे नहीं पता...?..."
चेताक्क्षी गंभीर भाव में कहती हैं...." क्या खंजर अदिति से स्पर्श हुआ था....?..."
विवेक काफी सोचते हुए कहता है......" मुझे ध्यान आ गया....जब मैं अदिति के पास गया था , तब खंजर मेरे पास था, जिससे वो अदिति के हाथ को छू गया......"
" ये नहीं होना चाहिए था..... इसका अंदेशा भी नहीं था , इसलिए हम कह रही थी , उसे अदिति से दूर रखना.." 
अमोघनाथ जी चेताक्क्षी से कहते हैं....." इसका मतलब है , अब ये खंजर हमारे किसी काम का नहीं है...."
" हां बाबा...."
अमोघनाथ जी मुस्कुराते हुए कहते हैं....." लेकिन अब भी हमारे पास एक उपाय है....."
" वो क्या है बाबा..?..."
 
............ ..to be continued............