उत्तर प्रदेश के Pratapgarh जिले में बसे छोटे और शांत गाँव Kusumi की एक अलग ही पहचान थी।
गाँव के बीच में खड़ी पुरानी Masjid Jama सिर्फ़ इबादत की जगह नहीं थी
वह गाँव का दिल थी।
यहीं बच्चे खेलते, बुज़ुर्ग बातें करते, और शाम को चाय की दुकान पर हर तरह की चर्चा होती।
इसी गाँव में रहते थे दो दोस्त —
Ibrar और Vijay Raaj।
गाँव वाले कहते थे —
“अगर दोस्ती देखनी है तो Ibrar और Vijay को देख लो।
Ibrar शांत, समझदार और मेहनती था।
Vijay Raaj तेज़, खुशमिज़ाज और दिल खोलकर हँसने वाला।
दोनों की दोस्ती बचपन से थी।
स्कूल जाते हुए रास्ते में इमली का पेड़ आता था।
दोनों वहीं रुककर इमली खाते और देर से पहुँचने पर मास्टर जी से डाँट भी खाते।
पर डाँट खाने के बाद भी मुस्कुराते हुए बाहर निकलते।
शाम को Masjid Jama के पास वाली क्रिकेट गली में दोनों एक ही टीम में होते।
लोग कहते —
“अगर Ibrar बैटिंग कर रहा है और Vijay बोलिंग कर रहा है,
तो मैच जीतना लगभग पक्का है।
दोनों साथ हँसते, साथ लड़ते, और फिर वही चाय की दुकान पर जाकर समोसे खाते।
समय बदलता है, दोस्ती नहीं
गाँव में धीरे-धीरे मोबाइल और सोशल मीडिया का दौर आ गया था।
अफवाहें, गलत बातें और छोटे-छोटे विवाद भी अब बड़े बन जाते।
कई लोग एक-दूसरे से दूरी बनाने लगे थे।
लेकिन Ibrar और Vijay एक-दूसरे के और करीब हो गए।
लोग कहते
जब दुनिया बदल रही है, ये दोनों पहले जैसे ही हैं।
एक दिन Pratapgarh के बाजार में दो लोगों में झगड़ा हो गया।
लोगों ने बिना सच्चाई जाने अलग-अलग बातें फैलानी शुरू कर दीं।
कुछ ने किसी को दोषी बताया, कुछ ने किसी को।
विजय गलत समय पर गलत जगह पर खड़ा था।
भीड़ उसे घेरने लगी, किसी ने कहा —
यही होगा झगड़े की वजह
Ibrar दूर से भागता हुआ आया और सामने खड़ा हो गया।
वह चिल्लाया
रुक जाओ! Vijay मेरा दोस्त है, यह झगड़ा करने वाला नहीं।
पहली बार गाँव ने देखा कि Ibrar सिर्फ दोस्त नहीं, ढाल बनकर खड़ा हुआ है।
पुलिस आई, CCTV देखा गया, और साबित हो गया कि Vijay का उस झगड़े से कोई लेना-देना नहीं था।
भीड़ छँट गई —
लेकिन दो दोस्तों की सच्चाई सबके दिल में बस गई।
Masjid Jama की सीढ़ियों पर लिया गया फैसला
उस शाम दोनों Masjid Jama की सीढ़ियों पर बैठे थे।
हवा हल्की चल रही थी।
चाय की दुकान से उबलती केतली की सीटी सुनाई दे रही थी।
Ibrar बोला,
लोग हमेशा जल्दी फैसले कर लेते हैं।
लेकिन तेरे लिए मैं हमेशा खड़ा रहूँगा, यार।
Vijay हँसकर बोला,
और मैं भी।
ये दुनिया कुछ भी कहे,
मेरी दोस्ती तेरे साथ ही रहेगी।
दोनों ने हाथ मिलाया।
वो handshake आज भी गाँव में मशहूर है।
दोस्ती से गाँव में बदलाव
उस घटना के बाद गाँव के लोग बदले।
लोग समझने लगे कि
अफवाहें इंसान को तोड़ती हैं,
लेकिन दोस्ती इंसान को जोड़ती है।
Masjid Jama के पास की पढ़ाई वाली जगह पर
अब ज़्यादा बच्चे आने लगे
Ibrar मदद करता, Vijay भी शामिल हो जाता।
गाँव में कई जगह विवाद होते तो लोग कहते
अगर Ibrar और Vijay जैसे लड़के साथ हैं तो गाँव नहीं टूटेगा।
आज का Ibrar और Vijay
Ibrar अब सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है।
वह सुबह मस्जिद Jama में नमाज़ के बाद
बच्चों को कंप्यूटर पढ़ाता है।
Vijay Raaj ने Pratapgarh बाजार में
एक छोटी-सी बाइक मैकेनिक की दुकान खोल ली है।
काम बढ़ रहा है क्योंकि लोग उसे भरोसेमंद मानते हैं।
लेकिन शाम 6 बजे
चाहे Ibrar जहाँ भी हो, Vijay जहाँ भी हो
दोनों चाय की दुकान पर आ जाते हैं।
एक चाय पीता है, दूसरा नमकीन खाता है,
और फिर वही पुरानी हँसी-मज़ाक शुरू हो जाता है।
कहानी का सार
दोस्ती धर्म, जात, पैसा नहीं देखती।
लोग बदलते हैं, हालात बदलते हैं — लेकिन
सच्ची दोस्ती कभी नहीं बदलती।
Ibrar और Vijay Raaj ने गाँव Kusumi को सिखाया कि
अगर इंसानियत साथ हो, तो अफवाहें और गलतफहमियाँ कुछ नहीं कर सकतीं।