Viral Lies and Lasting Truth in Hindi Drama by Md Ibrar pratapgarhi books and stories PDF | वायरल झूठ और स्थायी सच

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वायरल झूठ और स्थायी सच

यह उस दौर की बात है जब बादशाह अकबर का राज सिर्फ़ क़िलों और सड़कों तक सीमित नहीं था।
उसका शासन अब लोगों के मोबाइल, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया की सुर्ख़ियों तक फैल चुका था।
हर सुबह दरबार से पहले यह तय नहीं होता था कि आज कौन सा फ़ैसला होगा,
बल्कि यह तय होता था कि आज कौन सी ख़बर वायरल हुई है।

अकबर एक समझदार बादशाह था,
लेकिन समय के दबाव में वह भी कभी-कभी शोर को सच मानने लगता था।

उसके दरबार का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति था — बीरबल।
बीरबल कम बोलता था,
लेकिन जब बोलता था,
तो सच को इस तरह सामने रखता था
कि झूठ अपने आप बेनक़ाब हो जाता था।

झूठ की शुरुआत

एक दिन सुबह-सुबह पूरे शहर में हंगामा मच गया।
हर गली, हर चौराहे पर लोग एक ही बात कर रहे थे 

“बादशाह अकबर ने जनता पर नया भारी टैक्स लगा दिया है।”

कोई कह रहा था कि अनाज महँगा हो जाएगा,
कोई कह रहा था कि घर छिन जाएँगे,
तो कोई अकबर को गालियाँ दे रहा था।

अजीब बात यह थी कि
यह ख़बर किसी सरकारी ऐलान से नहीं आई थी,
लेकिन फिर भी लोग उसे सच मान चुके थे।

दरबार लगा।
कई दरबारी ग़ुस्से में थे,
कुछ डर में,
कुछ मौक़ा देखकर आग में घी डाल रहे थे।

अकबर ने गंभीर स्वर में कहा —
“अगर पूरी जनता एक बात कह रही है,
तो उसमें कुछ न कुछ सच्चाई ज़रूर होगी।”

बीरबल चुप रहा।
उसने अकबर की आँखों में देखा,
लेकिन कुछ कहा नहीं।

झूठ का असर

कुछ ही घंटों में हालात और बिगड़ गए।
बाज़ार बंद होने लगे।
लोगों ने काम पर जाना छोड़ दिया।
कई जगह झगड़े होने लगे।

एक बूढ़ा किसान दरबार में लाया गया।
वह काँपते हुए बोला 
“जहाँपनाह,
हम झूठे नहीं हैं,
लेकिन इस टैक्स की ख़बर ने
हमारी नींद छीन ली है।

अकबर का दिल भर आया।
वह बोला 
“अगर यह झूठ है,
तो यह इतना फैल कैसे गया?

दरबार में कोई जवाब नहीं था।

बीरबल का सवाल

तभी बीरबल आगे बढ़ा।
बड़े शांत स्वर में बोला 
“जहाँपनाह,
क्या मैं एक सवाल पूछ सकता हूँ?

अकबर ने सिर हिलाया।

बीरबल ने पूछा 
“अगर कल कोई यह कह दे कि
सूरज पश्चिम से उगने वाला है,
और लाखों लोग उसे शेयर कर दें,
तो क्या सूरज सच में दिशा बदल देगा?”

दरबार में हल्की हँसी हुई।
लेकिन अकबर गंभीर हो गया।

उसने कहा —
“तो तुम्हारा मतलब है
कि भीड़ हमेशा सही नहीं होती?

बीरबल बोला 
“जहाँपनाह,
भीड़ तेज़ होती है,
पर सही नहीं।

बीरबल की योजना

बीरबल ने एक अनोखा प्रस्ताव रखा।
उसने कहा 
“जहाँपनाह,
मुझे झूठ और सच की ताक़त दिखाने दीजिए।”

अकबर ने अनुमति दे दी।

बीरबल ने आदेश दिया कि
शहर में दो अलग-अलग खबरें फैलाई जाएँ।

पहली ख़बर थी 
“कल से बादशाह गरीबों के लिए मुफ़्त अनाज योजना शुरू कर रहे हैं।”

दूसरी ख़बर थी 
“बादशाह ने सेना को हुक्म दिया है
कि जो सवाल करेगा,
उसे सज़ा दी जाएगी।

दोनों ख़बरें झूठ थीं।
लेकिन उद्देश्य सच दिखाना था।

नतीजा चौंकाने वाला था

कुछ ही घंटों में
दूसरी ख़बर जंगल की आग की तरह फैल गई।
लोग डर गए।
ग़ुस्सा फैल गया।
अफवाहें बढ़ने लगीं।

पहली ख़बर पर
लोगों ने शक किया।
किसी ने कहा 
“इतना अच्छा कैसे हो सकता है?

अकबर हैरान था।

बीरबल बोला 
जहाँपनाह,
झूठ डर और नफ़रत पर चलता है,
इसलिए तेज़ फैलता है।
सच उम्मीद पर चलता है,
इसलिए धीरे।

सच 

इसके बाद बीरबल ने असली दस्तावेज़ सामने रखे।
राजकोष के रिकॉर्ड,
सलाहकारों की बैठक के निर्णय,
और सभी सरकारी आदेश।

साफ़ हो गया कि
टैक्स की ख़बर पूरी तरह झूठी थी।

अकबर को अपनी गलती का एहसास हुआ।
उसने कहा 
“मैंने शोर को सच समझ लिया।”

अकबर का ऐलान

अकबर ने पूरे राज्य में ऐलान करवाया 

आज से कोई भी ख़बर
बिना जाँच के सच नहीं मानी जाएगी।
न डर पर फ़ैसला होगा,
न अफ़वाह पर।

फिर उसने बीरबल से पूछा —
“लेकिन झूठ से कैसे बचा जाए?

बीरबल 

जहाँपनाह,
झूठ तुरंत असर करता है,
सच स्थायी असर करता है।
झूठ भीड़ चाहता है,
सच विवेक।

कुछ दिन बाद वही लोग
जो अकबर को कोस रहे थे,
अब शर्मिंदा थे।

उन्हें समझ आ गया था कि
उन्होंने बिना सोचे
झूठ को सच मान लिया।

बीरबल ने दरबार में अंतिम बात कही 

जो बात सोचने का समय न दे,
वह अक्सर झूठ होती है।
और जो बात
सवाल पूछने से डराए,
वही सबसे बड़ा झूठ होती है।”

अकबर ने सिर झुका दिया।

उस दिन के बाद
उसके राज्य में
ख़बरें नहीं,
पहले समझ पैदा होने लगी।

और लोगों ने जाना 
सच भले ही धीरे चले,
लेकिन आख़िरकार वही जीतता है।