रक्तरेखा by Pappu Maurya in Hindi Novels
Chapter 1

पत्तों की सरसराहट थम चुकी थी।आसमान फट पड़ा था — और मानो देवताओं के क्रोध से बरस रहा था पानी।हर पेड़, हर झाड़ी...
रक्तरेखा by Pappu Maurya in Hindi Novels
धूम्रखंड की रातें कभी साधारण नहीं होतीं। वे इतनी लंबी लगतीं मानो समय का कोई छोर ही न हो,मानो कोई अदृश्य हाथ घड़ी की सुइय...
रक्तरेखा by Pappu Maurya in Hindi Novels
धूप उग आई थी, पर गाँव में उजाला नहीं था।चंद्रवा — धूम्रखंड के दक्षिणी किनारे पर बसा एक भूला हुआ गाँव,जहाँ मिट्टी की झोपड...
रक्तरेखा by Pappu Maurya in Hindi Novels
इन दिनों चंद्रवा गांव में कुछ अलग ही माहौल चल रहा था मानो सिर्फ आसमान में साफ़ नीला रंग लौट आना नहीं था, बल्कि एक लंबी थ...