Zahan ki Giraft - 11 in Hindi Love Stories by Ashutosh Moharana books and stories PDF | ज़हन की गिरफ़्त - भाग 11

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ज़हन की गिरफ़्त - भाग 11

भाग 11: वो आख़िरी रिकॉर्डिंग
(जब सना की आवाज़ आख़िरी बार ज़हन में गूंजी… और सच ने सब कुछ बदल दिया)

आरव की नींद अब सपनों से नहीं,
बल्कि सना की अधूरी आवाज़ों से भर गई थी।

हर रात कोई नया चेहरा,
कोई नया सवाल —
और हर सुबह एक और याद गायब।

लेकिन इस बार न कोई सपना था,
न कोई भ्रम।

इस बार वो कुछ “सुनने” वाला था।


रात के दो बजे, जब पूरा अस्पताल अंधेरे और सन्नाटे में डूबा था,
आरव चुपचाप डॉक्टर मेहरा के ऑफिस में घुसा।

हर चीज़ वैसी ही थी —
दीवार की घड़ी, किताबों की अलमारी, और वो चमचमाती मेज़…

पर मेज़ के नीचे एक लोहे का छुपा हुआ लॉकर था —
जिसे अब तक किसी ने नहीं देखा था।

आरव ने कोड डालने की कोशिश की —
और जैसे ही उसने 18-06-2017 दर्ज किया,
"क्लिक" की आवाज़ हुई।

लॉकर खुल गया।


भीतर एक धूल भरी टेप रखी थी।
उस पर हाथ से लिखा था:

“Dr. Sana Malik – Personal Log (Final Entry)”
आरव के हाथ काँप रहे थे।
उसने टेप उठाई, और कमरे के पुराने प्लेयर में डाली।

प्ले बटन दबाते ही
धीरे-धीरे सना की आवाज़ गूंजी —


“आज शायद मेरी आख़िरी रात है इस अस्पताल में…
शायद इस दुनिया में भी।”
“मैंने आरव को टूटते देखा है —
उसकी आँखों में वो सन्नाटा देखा है, जो शब्दों को निगल जाता है।”
“वो मुझसे दूर हो रहा है —
या शायद मैं ही उसे छोड़ रही हूँ।”
(एक लंबा सन्नाटा)
“मैं जानती हूँ, वो मुझसे प्यार करता है…
और हाँ — मैं भी…”
“…करती हूँ।”

आरव की आँखों से आंसू बह निकले।
इतनी सच्चाई… इतने महीनों बाद।

वो आवाज़ जो हर रात सपनों में बुदबुदा कर गायब हो जाती थी —
आज पहली बार… बिना कटे, साफ़ सुनाई दे रही थी।


“पर मैं सिर्फ़ एक औरत नहीं हूँ,
मैं एक डॉक्टर हूँ — एक प्रोफेशनल।”
“मुझे आरव से दूरी बनानी थी…
ताकि वो खुद को खो न दे।”
“पर शायद मैं ही सबसे पहले खो गई।”
(साँसों की हल्की आवाज़)
“अगर कोई ये टेप सुन रहा है…
तो जान लो — मैंने भागने की कोशिश नहीं की थी।”
“मैंने बस खुद को मिटा देना चुना।”
“कभी अगर आरव ये सुन रहा हो…
तो उसे बताना — वो कभी पागल नहीं था।”
“वो बस बहुत ज़्यादा सच्चा था…
इस झूठी दुनिया के लिए।”

टेप वहीं रुक गई।

आरव की उंगलियाँ अब भी प्लेयर पर थीं।
कमरे की हवा भारी हो गई थी —
जैसे हर शब्द ने एक नया घाव खोल दिया हो।


पर कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

टेप के नीचे एक और छोटी सी कैसेट रखी थी —
जिस पर चिपका था:

“Tape 2 — HIGHLY SENSITIVE — Only For Admin”
क्या ये टेप… सना की नहीं,
बल्कि डॉक्टर मेहरा की थी?

या शायद… किसी तीसरे शख़्स की,
जो इस पूरी मानसिक भूलभुलैया का सूत्रधार था?


अगली कड़ी में पढ़िए:
भाग 12: गिरफ़्त से रिहाई… या नई क़ैद?
(जहाँ आरव को तय करना होगा —
क्या वो सना को दोबारा ज़हन में जगह देगा,
या खुद को उस मोहब्बत से हमेशा के लिए आज़ाद करेगा)